कल्हण कृत राजतरंगिणी Leave a comment

संदीप देव :-

महाकवि कल्हण कृत राजतरंगिणी मध्यकाल के करीब 1089-1102 ई. में लिखी गई कश्मीर और बहुत हद तक भारत का भी प्रथम इतिहास है। महाराज हर्षदेव के महामंत्री थे चम्पक, उन्हीं के पुत्र थे संस्कृत के महान् ज्ञाता कल्हण।

बाल्यकाल से ही पिता के संपर्क में रहने के कारण उन्होंने राज्य के उत्थान-पतन को नजदीक से देखा था‌। पश्चिम के विद्वान बिल्सन, बूलर, स्टीन आदि ने जब राजतरंगिणी को पढ़ा तो चमत्कृत रह गये। उनका अहंकार दूर हो गया कि केवल पश्चिम ही इतिहास लेखन की कला जानता है।

आठ तरंगों में बंटी इस पुस्तक लेखन में कल्हण ने रामायण, महाभारत और नीलमत पुराण आदि की भी सहायता ली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *