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Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Kalpantak Yogi Brahmarishi Devraha Baba
-15%Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Kalpantak Yogi Brahmarishi Devraha Baba
“कल्पांतक योगी ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा’ एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो भारतीय संत-परंपरा के महान् योगी ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा के जीवन और शिक्षाओं का दिग्दर्शन करवाती है। यह उनकी अद्वितीय साधना, तप और आत्मज्ञान की यात्रा पर ले जाती है, जिसमें उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया।
बाबा का जीवन गूढ़ रहस्यों से भरा हुआ था। उन्होंने साधारण जनों को ध्यान, प्रेम और करुणा का महत्त्व समझाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं, जो हमें जीवन में संतुलन और शांति की ओर अग्रसर करती हैं। इस पुस्तक में ब्रह्मर्षि के शिष्यों के संस्मरण संकलित हैं। लोककल्याण के लिए बाबा की प्रकृति संगत महत्त्वपूर्ण घटनाओं, उनकी अलौकिक लीलाओं और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों का विस्तृत वर्णन है। कुछ घटनाओं को लेखक ने गहन शोध और गुरुदेव के शिष्यों के अनुभव के माध्यम से बाबा की दिव्यता से जोड़ने का प्रयास किया है। पुस्तक पाठकों को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करती है और यह संदेश देती है कि सच्ची साधना से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए अनिवार्य है, जो आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में है।
भारतीय संत परंपरा की अप्रतिम विभूति ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा के दिव्य जीवन का यशोगान करती प्रेरक पुस्तक ।”
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
The Constitution of India and Dr. Babasaheb Ambedkar
-15%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)The Constitution of India and Dr. Babasaheb Ambedkar
“It is a matter of great pleasure as well as pride to reproduce, in this book the three historic speeches delivered by Dr. Babasaheb Ambedkar before the Constituent Assembly of India, respectively, on (1) Tuesday, 17 December, 1946, (2) Thursday, 4 November, 1948 and (3) Friday, 25 November, 1949.
Summing up Dr. Ambedkar’s thoughts on the Constitution, he had said that the Constitution was “”workable, flexible and strong enough to hold the country together both in peace time and in war time. Indeed, if I may say so, if things go wrong under the new Constitution, the reason will not be that we had a bad Constitution. What we will have to say is, that man was vile.””
Sounding a trumpet of caution, Dr. Ambedkar had expected that the people ‘must hold fast to constitutional methods to achieve their social and economic objectives, if they wished to maintain democracy not merely in form, but also in fact!
In the present scenario, it is highly imperative and even more relevant for us to pay heed to what Dr. Ambedkar had then advised us if we are to preserve the core values of the Constitution and democracy.
Every generation must revisit Dr. Ambedkar’s thoughts and try to reach to the essence of his reflections expressed in these speeches before the Constituent Assembly.”
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Dastan-E-Pakistan : Jinnah Se Jihad Tak
-20%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Dastan-E-Pakistan : Jinnah Se Jihad Tak
“पाकिस्तान किसी भौगोलिक इकाई का नाम नहीं है, बल्कि एक बैरी मानसिकता और जेहनियत यानी धारणा का प्रतिनिधित्व करता है। यह तो केवल साम्राज्यवादी ब्रिटिश सत्ता का राजनीतिक खेल था, जिसने मजहब के नाम पर इस अलग देश का गठन किया। भारत के नक्शे पर कलम की नोक से लाइन खींचकर इसे बनाया गया है। इस तरह से कोई देश नहीं बनता। कोई भी स्वाभाविक देश सैकड़ों-हजारों वर्षों के अपने भौगोलिक व राजनीतिक स्वरूप और अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता को सजाते- सँवारते, निखारते हुए अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाता है।
वस्तुस्थिति यह है कि हिंदू-विरोध या भारत-विरोध ही पाकिस्तान को जोड़े हुए है। यह विरोध ही उसके वजूद की बुनियाद है। पाकिस्तान के हुक्मरानों ने बांग्लादेश के घटनाविकास से कोई सबक ग्रहण नहीं किया। पाकिस्तान का यह दुर्भाग्य रहा है कि वहाँ आरंभ से ही साजिशों के भीतर साजिशें पकती रही हैं।
पाकिस्तान में आम लोग आतंकवाद के विरुद्ध हैं, लेकिन वे मजहबी कट्टरवाद के समर्थक हैं। हमारे देश के जागरूक नागरिकों को अपने इस विलक्षण पड़ोसी देश के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी प्राप्त करने की जरूरत है। कटु यथार्थ है कि पड़ोस में लगने वाली आग की आँच से बचना मुश्किल है। इस पुस्तक में पाकिस्तान से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों, राजनीतिक सच्चाइयों और आर्थिक विसंगतियों को उजागर किया गया है। पाकिस्तान के सभी गंभीर पर्यवेक्षकों के लिए यह पुस्तक अपरिहार्य है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Azad Hind Fauj Ka Lapata KhaZana
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Azad Hind Fauj Ka Lapata KhaZana
“अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को अंग्रेजों से मुक्त कराने के बाद आजाद हिंद फौज ने पोर्ट ब्लेयर में आजाद हिंद बैंक स्थापित करने की योजना बनाई। हालाँकि शाखा खोलने के लिए भेजा गया खजाना रहस्यमय तरीके से खो जाता है।
एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी निकोबार के एक निषिद्ध द्वीप पर एक रहस्यमय हथियार हासिल करने के लिए एक खतरनाक मिशन पर है, जो उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध जीतने में मदद कर सकता है। इस तरल को खोजने का सुराग एक कविता में छिपा है। खजाना और हथियार हासिल करने के लिए भेजे गए कई ब्रिटिश और जापानी खोजी दल इस निषिद्ध द्वीप पर गायब हो जाते हैं।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपने पिता के रहस्यमय ढंग से लापता होने के पीछे की सच्चाई को जानने के लिए एक बेटे की यात्रा उसे मणिपुर में उसके पैतृक गाँव तक ले जाती है। अपठित पत्रों का एक संग्रह उसे अतीत में ले जाता है।
क्या बेटा अपने खोए हुए पिता को ढूँढ़ पाएगा?
आजाद हिंद बैंक का खजाना कैसे और कहाँ गायब हो गया? निकोबार के निषिद्ध द्वीप पर लोग क्यों गायब होते रहते हैं?
ऐसे रहस्यमय प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए पढ़िए यह रोमांचक उपन्यास।
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English Books, Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shriramcharitmanas Sundarkand Roman 1550
Shriramcharitmanas is the most excellent piece of work in Hindi literature. Shriramcharitmanas of Goswami Tulsidas is an excellent specimen of ideal duties of a sovereign, ideal household life, ideal conjugal life and other ideal rights of human beings. It is quite impossible to find some other literary work in the world which contains highest level of devotion, knowledge, renunciation, dispassion etc. Reverently recitation of the verses of this book, and acting upon the instructions as given in the book make human beings able to attain divine bliss. Procedure of recitation of verses, brief biography of Goswami Ji and Aarti have been given in all the editions of Shriramcharitmanas.
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
India-Australia: Bharat’s legacy of Connection, History & Diaspora (PB)
-15%English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिIndia-Australia: Bharat’s legacy of Connection, History & Diaspora (PB)
This book offers a panoramic yet nuanced view of the India-Australia dynamics, traversing a wide spectrum of periods and themes—from ancient bonds and historical ties to colonial encounters and contemporary affairs—making this an indispensable handbook for the Indian diaspora in Australia, students, historians and all others interested, and opens up a zillion topics for research
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Gita Press, Hindi Books, रामायण/रामकथा
Visheshank – AnandRamayan Ank
इस विशेषांक के साथ साल के शेष 11 मासिक अङ्क भी रजिस्टर्ड डाक से भेजे जायेंगे। मासिक अंकों का कोई अतिरिक्त मूल्य देय नहीं है। इस विशेषांक में 480 पृष्ठों में पाठ्य-सामग्री, 8 पृष्ठों में विषय सूची एवम् अंत में गीता प्रेस से प्रकाशित पुस्तकों की सूची है। कई बहुरंगे एवम् रेखाचित्र भी दिए गये हैं। यह पुस्तक मोटे जिल्द में है।
आनन्द रामायण राम कथा का एक प्राचीन एवं विलक्षण ग्रंथ है। अन्य रामायाणों में जहाँ भगवान श्रीराम के आविर्भाव से लेकर उनके राज्यारोहण तक की लीलाओं का ही प्रायः गुण गान हुआ है, वहीं नौ काण्डों में विभक्त आनन्द रामायण में राजाधिराज प्रभु श्री राम जी के ग्यारह हजार वर्षों के राज्यकाल की अनुपम लीलाओं का चित्रण है। इसमें भगवान श्री राम की ऐसी-ऐसी रोमांचक कथाएँ हैं, जिनका अन्यत्र कहीं विवरण नहीं मिलता। इसकी कथाएँ अत्यंत नवीन, मन को आह्लादित करने वाली तथा भक्ति को बढ़ाने वाली हैं।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Chittor Ke Johar Va Shaake
चित्तौड़ के जौहर व शाके : वीरता के राष्ट्रीय तीर्थ चित्तौड़ का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। यहाँ का कणदृकण स्वतन्त्रता के लिए जीवन की आहुति देने वाले बलिदानी वीरों के आत्मोसर्ग की कहानी कह रहा है। राजस्थान की युद्ध परम्परा में जौहर व शाकों का अपना विशिष्ट स्थान है। यहाँ पराधीनता की बजाय मृत्यु का आलिंगन श्रेष्ठ माना गया है। मध्यकाल में जब रक्षात्मक युद्ध करते समय यह स्थिति आ जाती है कि शत्रु के घेरे के भीतर रहकर अधिक दिन तक जीवित रहने की सम्भावना नहीं रहती तब जौहर व शाके किये जाते थे। चित्तौड़गढ़ पर ऐसे इतिहास प्रसिद्ध तीन शाके हुए, जिनका विवेचन प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। ऐतिहासिक व साहित्यिक दोनों की दृष्टि से यह पुस्तक उपादेय है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Raiger Jati Ka Itihas Evam Sanskriti
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिRaiger Jati Ka Itihas Evam Sanskriti
रैगर जाति का इतिहास एवं संस्कृति : इतिहास तथा धार्मिक ग्रन्थों में रैगर जाति के विषय में कुछ भी लिखा हुआ नहीं है। ऐसी स्थिति में रैगर जाति के इतिहास एवं संस्कृति पर पुस्तक लिखना निश्चित रूप से दुरुह और दुसाध्य कार्य है। श्री चन्दनमल नवल ने रैगर जाति के दुर्लभ ऐतिहासिक तथ्यों की खोज की, इकट्ठा किया तथा सत्यता की कसौटी पर कसकर विश्वसनीयता प्रदान की। पुस्तक में उल्लेखित तथ्य बोलते हैं कि श्री नवल सही इतिहास की खोज में अनेकों जगह गए हैं, लोगों से मिले हैं तथा जानकारियाँ प्राप्त की हैं।
श्री नवल रैगर जाति से सम्बन्धित कई नई जानकारियाँ पहली बार समाने लाए हैं। हुरड़ा का शिलालेख, रैगरों के ऐतिहासिक कार्य, रैगर जाति के रीति-रिवाज तथा रैगर जाति पर निर्भर मंगणियार जातियों पर पहली बार विस्तार से लिखा गया है। इसके अलावा रैगर जाति की उत्पत्ति, गौत्र, शिक्षा, संत-महात्मा, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संस्थान तथा आर्थिक स्थिति का इस पुस्तक में मार्मिक चित्रण किया गया है। संक्षिप्त में कहा जा सकता है कि इस एक ग्रन्थ में रैगर जाति की ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं अन्य सभी तरह की जानकारी उपलब्ध है। यह ग्रन्थ रैगर जाति के लोगों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही मगर अन्य पाठकों के लिए भी ज्ञानवर्धक है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक प्रत्येक पाठक के लिए पठनीय, उपयोगी तथा संग्रहणीय है।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Bharat Ke Vrat Evam Tyohar
-11%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिBharat Ke Vrat Evam Tyohar
भारत के व्रत एवं त्योहार
भारत को बहुआयामी तथा बहुरंगी संस्कृति में जितना महत्त्व अध्यात्म का है, उतना ही महत्त्व है व्रतों, पर्वों, त्योहारों और उनसे जुड़ी पौराणिक और लोक कथाओं का। इन्हीं पर्वों, व्रतों और कथाओं में छिपे थे, आस्था और विश्वास के बीजमन्त्र। Bharat Ke Vrat Tyohar
वर्तमान युग एक विचित्र संक्रमण का युग है। भौतिक स्पर्धा ने मानव को बुद्धि को तो धारदार किया, किन्तु उसके मन से श्रद्धा और विश्वास का वह स्वर्णिम तन्तु लगभग उखाड़ फेंका है, जो जीवन में सौरव्य के लिए बेहद जरूरी है।
भारतीय ऋषियों ने सत्य, परोपकार, क्षमा, इन्द्रिय-निग्रह, भगवद भजन-ध्यान को धर्म कहा था। बहुत सीधी-सी बात है कि मन शुद्ध है तो विचार सात्विक होगे और उनसे आचरण भी पवित्र होगा, यही धर्म पालन है। also शुद्ध मन, सात्त्विक प्रवृति और पवित्र आचरण में उल्लास और आनन्द भरने के लिए पर्व-त्योहार जुड़े और जुड़ी लोक तथा पौराणिक कथाएं।
but समय क्रम में धीरे-धीरे मन, विचार और आचरण की शुद्धता की जगह आडम्बर बढ़ता गया। मन में द्वेष, परनिन्दा भरी है और ऊपर से घण्टे बजाना या गंगास्नान करना ही धार्मिक होने को गारण्टी बन गया। व्रत तो किया, पर सारा दिन फल-दूध-आलू खाते रहे; खुद ताश खेलते रहे और कथा का कैसेट बजाकर पूजा पूरी हो गई।
accordingly इस पुस्तक में भारत में प्रचलित पर्वों, व्रतों और कथाओं को एक नवीन रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। त्योहारों के विषय में लोक प्रचलित विश्वासों के साथ उनकी वैज्ञानिक व्याख्या भी की गई है। आडम्बर को त्याग कर पर्वों के शुद्ध स्वरूप के पालन पर बल है और पूजा-उपासना से चुने अन्य सभी अनावश्यक त्तत्त्व है।
surely हिन्दू संस्कृति में हर एक दिन की अपनी एक विशेषता होती हैं तथा भारत में कई संस्कृतियों का समावेश हैं, जिससे जुड़ी विचारधाराओं एवं मान्यताओं के आधार पर भिन्न-भिन्न त्यौहार मनाये जाते हैं।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Solah Hindu Sanskar
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSolah Hindu Sanskar
सोलह हिन्दू संस्कार (परंपरा और वर्तमान) : संस्कार-भारतीय ऋषियों की एक अभूतपूर्व परिकल्पना, जो मनुष्य जीवन की सम्पूर्ण परिधि को घेर कर उससे बाहर भी स्थित है। एक विशेष प्रयोजन हेतु शरीर और मन की शुद्धि के लिए समय-समय पर किए गए शास्त्रनिर्दिष्ट कार्य संस्कार कहलाते है तथा जातकर्म संस्कार, विवाह संस्कार आदि। साथ ही लोकाचार और देशाचार से प्राप्त गुण भी संस्कार नाम से ही अभिहित होते हैं यथा सेवा, शुश्रुषा, मधुरवाणी आदि संस्कार। व्यक्तियों में इन दोनों ही संस्कारों के कारण ही देश की संस्कृति सदैव प्रवहमान रहती है।
प्रस्तुत पुस्तक में वैदिक युग से निरन्तर चले आते तथा परिवर्धित होते संस्कारों का विवेचनात्मक वर्णन भी है और वर्तमान समय में उनमें क्या परिवर्तन आए है अथवा उनमें से कौन-कौन से शास्त्रनिर्दिष्ट संस्कार क्यों विलुप्त हो गए ? यह भी सकारण व्याख्यायित करने का प्रयत्न हैं।
हर समय और हर देश में कुछ ऐसे जीवन मूल्य होते हैं जो परिवार और समाज के द्वारा व्यक्ति के चरित्र में संस्कार के रूप में स्थापित किए जाते है, जिनसे व्यक्ति का चरित्र एवं व्यक्तित्व महनीय और उदात्त हो जाता है। ऐसे संस्कार सूत्र इस पुस्तक का वैशिष्टय हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास, सही आख्यान (True narrative)
Grihapravesh
“अच्छा, यह इसने बिना किसी सोर्स, पुल के यों ही कर डालो, कहीं कोई खानदानी दुश्मनी तो नहीं?”
“ऐसा तो कोई खानदान या खानदानी जर-जमीन मिल्कियतवाला भी नहीं!”
“तब क्यों करता है ऐसा?”
“सुना, बच्चों की दो बरस की पढ़ाई का नुकसान पहले ही हो चुका, ऐसे ही झमेलों में।”
“बेबात इतना बड़ा बखेड़ा मोल लेना, कुछ समझ में नहीं आता, आखिर क्यों?”
“कुछ नहीं, विनाश काले विपरीत बुद्धि, भइए!”
“सुना, पिछले हलकों के सहकर्मियों में तो मशहूर हो गया था कि जो घर फूँके आपना, जाए अरुण वर्मा के साथ।”
“यानी?”
“यानी ब्लैक लिस्टेड।”
तभी दोहत्थड़ मारकर एक मनचला ठहाका लगाता है—“वाह! जरा सोचो यारो, ईमानदारी और असूलों पर भी बाकायदे ब्लैक लिस्टेड होने लगे न!”
“अमाँ, कहाँ की फिलॉसफी छाँट रहे हो, अभी तुमसे कहें कि जरा आज की जिंदगी से सही और गलत, ईमानदारी और बेईमानी को छोर-छोर कर अलग-अलग खतियाओ, तो कर लोगे क्या? बोलो, कूबत है छाँटने की? मालूम तो होगा बेईमानी, झूठ और फरेब से निकलकर जिंदगी का तर्जुमा करोगे तो क्या होगा?”
—इसी पुस्तक से
सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. सूर्यबाला की ऐसी मर्मस्पर्शी व संवेदनशील कहानियों का संकलन, जो पाठकों के मन को छू जाएँगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Samacharon Ki Bisat Par
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Samacharon Ki Bisat Par
“प्रस्तुत पुस्तक हिंदी दैनिक ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित इसके प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी के लेखों का संकलन है। उन्होंने इस पुस्तक में खेल, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने गहन दृष्टिकोण और विश्लेषण को प्रस्तुत किया है। इसमें 81 लेख शामिल हैं, जो विषयों की विविधता को दरशाते हैं। इनमें आर्थिक असमानता से लेकर देश के विकास तक और सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तनों से लेकर पर्यावरणीय चुनौतियों तक के विषयों को शामिल किया गया है।
आज के सोशल मीडिया के दौर में जहाँ हर कोई अपने आपको मूर्धन्य संपादक मानने लगा है, ऐसे में एक संपादक की जिम्मेदारी और उसकी भूमिका ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गई है। यह पुस्तक न केवल वर्तमान पत्रकारों के लिए, बल्कि भविष्य के पत्रकारों और संपादकों के लिए भी मार्गदर्शक हो सकती है। इसमें बताया गया है कि पत्रकारिता केवल अपराध, क्रिकेट, सिनेमा और राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असली उद्देश्य समाज को जागरूक करना और विचारशील बनाना है। महत्त्वपूर्ण और समयानुकूल होने के कारण यह न केवल पत्रकारिता के छात्रों, बल्कि व्यापक पाठक वर्ग के लिए भी समान रूप से उपयोगी होगी।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Mrityunjaya
“मृत्युंजय एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो जीवन की नैतिक दुविधाओं और कठिनाईयो को गहराई से दरशाती है। लेखक ने जीवन के विभिन्न पहलुओं और जटिल परिस्थितियों को इस तरह से प्रस्तुत किया है कि पाठकों को सही और गलत के बीच का निर्णय लेने में मार्गदर्शन प्राप्त हो। पुस्तक में बताया गया है कि सही और गलत की परिभाषाएँ अकसर परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं और समय के साथ बदल भी सकती हैं।
पुस्तक में गोपाल अंकल नामक एक चरित्र सूत्रधार और मार्गदर्शक के रूप में उभरता है, जो लेखक के अपने गुरु से प्रेरित है। गोपाल अंकल एक ज्ञानवान और अनुभवी व्यक्ति के रूप में जीवन की विषय परिस्थितियों में नायक को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनके जीवन के – अनुभव और सहज बुद्धि पुस्तक के कई हिस्सों में नायक को सही दिशा दिखाने का काम करते हैं, जिससे पाठकों को भी प्रेरणा मिलेगी। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है, जो जीवन के गहरे प्रश्नों का सामना कर रहे हैं और सही मार्गदर्शन की खोज में हैं। सरल भाषा में दिलचस्प कहानियों के माध्यम से लेखक ने पाठकों के मन को छूने का प्रयास किया, ताकि वे जीवन की कठिनाइयों से जूझकर सफलता के पथ पर अग्रसर हो सकें।
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Battles Against Liberation Tigers of Tamil Eelam (L.T.T.E.) In Sri Lanka
-20%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहासBattles Against Liberation Tigers of Tamil Eelam (L.T.T.E.) In Sri Lanka
“This is the firsthand account of the induction of Author and his Brigade into Sri Lanka on 11 October 1987 to form part of the Indian Peace Keeping Force (I.P.K.F.) and immediately on landing; after a daylong air journey from Gwalior in central India to Palaly Airfield on the Northern tip of Sri Lanka; his launch into fierce battles, against the Liberation Tigers of Tamil Eelam (L.T.T.E.), an ally turned bête noire, which he fought for a year thereafter.
As per the Indo-Sri Lanka Agreement, signed on 29 September 1987, between Prime Minister of India Rajiv Gandhi and President of Sri Lanka J.R. Jayewardene, I.P.K.F. was sent to insurgency-stricken Sri Lanka to help restore peace in the Country. But the Agreement sadly failed and still more, digressing from the objectives of the Agreement, I.P.K.F. was ordered to launch an offensive against the L.T.T.E. Narrated here are many less known facts like the ‘Quick Reaction Force’ (Q.R.F.), under the Author’s command, staged forward to Bengaluru, for rescuing President Jayewardene and his family, in case of a coup in Colombo, to overthrow him as also L.T.T.E.s decimation in 2009 by General Fonseka’s Forces and his subsequent politically inflicted fall and rise.
Twenty-four years after the withdrawal of I.P.K.F. from Sri Lanka, Author revisited the Jaffna Battles zone’ in 2014 to see for himself the changes in life and subsistence of the Tamils in the Island nation. Albeit there was an apparent peace in the land, the politico-economic tribulations of the Tamil people were still writ large on the war-torn landscape of the place.”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Bhagat Singh Koshyari : Vyaktitva Evam Krititva (HB)
“मनुष्य का जुनून, उसकी समाज के प्रति सकारात्मक सोच उसे एक ऐसे मुकाम पर पहुँचा देती है, जिसकी कल्पना उसने अपने जीवन में कभी नहीं की होगी। विश्व में जितने भी आविष्कार हुए हैं, वह उनकी सकारात्मक सोच का ही एक नतीजा हैं। वरिष्ठ समाजधर्मी एवं राजनेता श्री भगत सिंह कोश्यारी सकारात्मक सोच रखने वाली ऐसी ही एक विभूति हैं। अपने दीर्घ सार्वजनिक जीवन में उन्होंने प्रामाणिकता, सत्यनिष्ठा और राष्ट्रभाव से अपने सभी दायित्वों का सफल निर्वहन किया है।
प्रस्तुत ग्रंथ श्री भगत सिंह कोश्यारी की राजनीतिक जीवनयात्रा है, जो न केवल प्रेरित करती है वरन् राजनीति में उच्च आदर्शों की प्रतिष्ठापना भी करती है। इसमें संसदीय समितियाँ, समाज हित के प्रश्न, बजट पर चर्चा, अविश्वास प्रस्ताव, वेल में आना, बहिष्कार करना, समर्थन देना, संसद् में संसदीय समितियों द्वारा किस तरह समस्याओं का समाधान किया जाता है, आदि कई तरह की प्रणालियों का उल्लेख किया गया है।
सफल राजनेता, समर्पित समाजधर्मी और राष्ट्रनिष्ठ श्री भगत सिंह कोश्यारी की प्रेरक जीवनयात्रा, जो युवाओं और सभी आयु के पाठकों को राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य का एक सार्थक दिग्दर्शन करवाएगी।”
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Nari Vyatha Ki Vichitra Katha
नारी व्यथा की विचित्र कथा
“ना रहे हम दुनिया के,
ना नजर दुनिया ने हम पर डाली,
ना हमारे कहने से बजाता है कोई ताली,
फिर भी मेरी तमन्ना है अजब निराली
न जाने कब कयामत आयेगी,
क्या मेरे चाहने से दुनिया बदल जायेगी,
न बदले जमाना तो भी क्या गम है,
सुरक्षित शिक्षित नारी नहीं किसी से कम है,
जब से नारी ने लिया जन्म है,
तब से सहने पड़े सितम है,
यह पुस्तक नारी की हिम्मत है,
अब बढ़ने वाली नारी महत्ता की कीमत है।”चिन्तन मनन के सागर में विचारों के ज्वार उमड़ते है, किनारे पर अपनी सीमा पाकर कहीं जमते कहीं उफनते हैं। शब्दों के सार को यदि समाज ने स्वीकार कर लिया होता तो शायद समाज का स्वरूप अनुपम तथा निराला होता। साहित्य के समर में अनेक शिरोमणि साहित्यकार आये तथा अपनी लेखनी के ओजमय प्रभाव से आज भी ध्रुव तारे की भाँति अटल, अजेय कालजयी तथा कांतिमय शिखर पर विराजमान हैं। ऐसे साहित्यकारों के सतत् तेजोमय सूर्य सदृश्य साहित्य रूपी प्रकाश के सामने मैं आज जुगनू के समान लेखन पर इतराने का स्वांग कर रहा हूँ। आज ‘नारी – व्यथा की विचित्र कथा’ कहने पर अभिमान कर रहा हूँ क्योकि मेरी लेखनी का विषय प्रभावी है। नारी स्वरूप मां सरस्वती के चरणों में वंदन करते हुए सभी पाठकों का अभिनंदन करता हूँ।
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Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
Bharat Ka Rashtradharm (PB)
-15%Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)Bharat Ka Rashtradharm (PB)
“राष्ट्र की चिति और राष्ट्रधर्म
सत्य तो यह है कि यह सुनिश्चित करना असंभव है कि भारत के सुदीर्घ राष्ट्रजीवन के पुण्य प्रवाह में राष्ट्रधर्म की अवधारणा कब अंकुरित हो गई।
शायद तब, जब पर्वतराज हिमालय के उत्तुंग शिखरों पर स्थित गहन गुफा में समाधिस्थ आदियोगी ने ॐ का उद्घोष कर आँख खोलते ही स्वयं से प्रश्न किया-कोऽहं ? तथा तुरंत स्वयं ही उत्तर भी दे दिया- सोऽहं !
या तब, जब महासागर की अपार जलराशि पर तैरती लघुकाय मछली की कातर पुकार सुनकर करुणा-विगलित वैवस्वत मनु ने उसे अपने कमंडल की रक्षा-परिधि में लेकर जीवमात्र के जीने के अधिकार को ही स्वीकृति नहीं दी, अपितु निर्बल की रक्षा करना मनुष्यमात्र का दायित्व भी निर्धारित कर दिया।
अथवा तब, जब ऋषिमुख से देववाणी फूट पड़ी-‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति’, अर्थात् सत्य एक है, अविभाज्य है, सार्वदेशिक है, सार्वकालिक है। विद्वान् लोग अपनी-अपनी मति अनुसार उसकी व्याख्या करते हैं। ऐसा करना उनका अधिकार भी है।”
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Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Caste Ka Satya (PB)
‘कास्ट (CASTE)’ एक शताब्दी से भी अधिक समय से भारत के सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में एक ज्वलंत प्रसंग रही है। प्रत्युत, शिक्षाविदों और राजनेताओं द्वारा इसके उपयोग और दुरुपयोग के विषय में सत्य से परिचित होने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया है – वरन् उन्होंने कपटवश एवं कुत्सित इच्छानुरूप अपनी व्यक्तिगत स्वार्थपरकता से वशीभूत होकर सत्य को उनके द्वारा निर्मित छद्म आवरणों में स्वयं को सीमित रखने पर विवश किया है तथा सत्यान्वेषी शिक्षाविदों, लेखकों एवं पत्रकारों को भारतीय समाज के समक्ष शाश्वत सत्य को प्रकट कर सामाजिक परिवर्तन को गति प्रदान करने से रोकने का हर संभव प्रयास किया है।
“कास्ट (CASTE) का सत्य” संभवतः उन सभी विभाजनकारी शक्तियों के कुत्सित षड्यंत्रों तथा नैतिकता एवं सदाचार की दृष्टि से निरापद अनैच्छिक सहभागिता को उजागर करने का प्रथम गंभीर प्रयास है जो आज भारत में व्याप्त एवं विद्यमान सभी अमंगलकारी घटनाक्रम को ‘कास्ट (CASTE)’ के माध्यम से निष्पादित करने में रूचि रखते हैं।
सौरभ अग्रवाल, धातुकीय अभियांत्रिकी, आईआईटी-बीएचयू से स्नातक हैं। वह नियमित स्वैच्छिक रक्तदाता, शोधकर्ता, शिक्षाविद्, कवि एवं राष्ट्रवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। पूर्व में वह इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी, नारायणा शिक्षण संस्थान, कानपुर के समूह निदेशक (अकादमिक) आदि पदों पर आसीन रहते हुए विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। इससे पूर्व उनके द्वारा अनुवादित दो अन्य पुस्तकें “एक योगी जिसने बदला उत्तर प्रदेश” तथा “सनातन धर्म : हिंदू धर्म और नैतिकता पर एक प्राथमिक पाठ्यपुस्तक”, गरुड प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की जा चुकीं हैं। “कास्ट (Caste) का सत्य एवं अन्य निबंध” गरुड प्रकाशन के लिए अनुवादक के रूप में उनकी तृतीय पुस्तक है।
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