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English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Datta Anubhuti (English)
-10%English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकेंDatta Anubhuti (English)
|| Shree || Nothing is impossible once one surrenders himself to Shree Swami Samarth. I salute the faith and devotion of those devotees who have completed 11 Girnar waris (pilgrimages). If you have faith in him, he delivers : this is what they (the above mentioned) have proved. This pilgrimage is a Herculean task not for faint hearted. The experience of these 11 pilgrimages detailed in this book are evidence of this fact. My best wishes are with all the readers of this book and I hope this book serves as a lighthouse to all of them. Avdhootanand (Jagannath Kunte) This book Published with the permission of Dutt Maharaj is an amalgamation of myriad memories of 11 Girnar pilgrimages replete with gales, a night amidst the forests, roars of the unknown wild creatures and priceless essence of the pilgrimage – realization of Dutt
* I have not gone, I am alive * Troubles are a part of this journey but they never really bother * The priceless (memorable) pilgrimage of Girnar * Witness the conquering of insensate powers * Hard to believe yet true Darshan * I believed, he listened and I experienced.
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Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Datta Anubhuti (Hindi)
-10%Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकेंDatta Anubhuti (Hindi)
सद्गुरु की शरण में जाने पर सब कुछ संभव हो जाता है। ये साधक ग्यारह बार श्री गिरनारी के दर्शन के लिए गए हैं। मै, इनकी श्रद्धा को नमन करता हूँ। यदि आप श्रद्धा रखते है तो उसका प्रतिसाद मिलता है ये सिद्ध करके इन्होने दिखाया है। भक्ति को चरम पर ले जाना होता है। लोहे के चने चबाने पर ही ब्रम्ह की अनुभूति मिलती है, इस बात का अनुभव ये साधक प्राप्त कर चुके हैं। ये पुस्तक पढ़ने के बाद हमे भी इनका अनुसरण करना चाहिए। सभी को मेरी शुभकामनाएँ! अवधूतान्द (जगन्नाथ कुंटे) साँय-साँय बहती हवा, रात का भयानक जंगल, कलेजे को चीर कर रख देने वाली जंगली जानवरों की आवाज, ऐसी परिस्थितियों में गिरनार यात्रा का प्रत्यक्ष अनुभव, साक्षात महाराज के आदेश पर ग्यारह बार की गई गिरनार यात्रा की अमूल्य निधि, महाराज की अनेकानेक अनुभव अपनी झोली में सहेज कर लाते हुए अंत में स्वयं दत्त महाराज की अनुमति से प्रकाशित पुस्तक। ‘हम गए नहीं, जिंदा हैं’ का अनुभव समस्याओं की आँच से दूर रखा अविस्मरणीय यात्रा फेरी अजब पर गजब दर्शन स्वामी जी ने पूरा किया हठ अनुभव दे ही दिया
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Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, इतिहास
Himalayan Master & Sixth Sense (Hindi)
डॉ. प्रियाभिषेक शर्मा द्वारा अपनी आध्यात्मिक यात्रा में वर्णित विलक्षण घटनाएं एवं इस यात्रा को एक प्रवाहपूर्ण सूत्र में बाँधती तारतम्यता मंत्रमुग्ध करती है। मैंने इस रचना को रुचि के साथ पढ़ा एवं पढ़कर आनन्द का अनुभव किया।
-डॉ. कर्ण सिंह, (प्रख्यात विद्वान एवं पूर्व केन्द्रीय मन्त्री)
अनायास घर आ पहुँचे एक हिमालयी नागा गुरु ने मुझे बीज मन्त्र से दीक्षित कर ध्यान करने को कहा था। दो वर्ष पश्चात् एक रात मैंने पाया कि मेरा मस्तिष्क दूर स्थित व्यक्तियों एवं स्थानों से जुड़ने लगा है। प्रत्येक दिन के साथ मेरे आभास की शक्ति बढ़ने लगी है। दूर अंतरिक्ष से कुछ रहस्यमयी ध्वनियाँ उतरती एवं मेरे मस्तिष्क में प्रवेश कर जाती। डरा एवं सहमा सा, अब मैं भीतर किसी धुंधली सी तलाश पर निकल चुका था। लगभग दो दशकों तक मन, ध्यान एवं योगियों के मध्य हिमालयी गुरुओं द्वारा सिखलाई विद्याओं के साथ ध्यान करते हुए एक दिन मैंने पाया कि मेरा मन रुक गया है। विचारों के मकड़जाल के बीच से एक अनवरत मौन का झरना प्रस्फुटित हुआ था। मेरी यात्रा अब एक शाश्वत सन्त के चरणों पर जा ठहरी थी।
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English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Nirantar Safar
-10%English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहासNirantar Safar
I started my autobiography Apprenticed to a Himalayan Master with the words ‘Let the journey begin’. The last chap¬ter was titled ‘The journey continues’. So, completing the autobiography was not the end of the journey and now we begin another journey together into new vistas. A unique and, in many instances, an unbelievably strange journey. You may dismiss it as fiction or due to my unusually fertile imagination or just plain lies or conclude that I have finally gone bonkers. Be that as it may, if you find the jour¬ney interesting and contributing in some way to opening up your mind to newer ways of perception or even bringing up a thought like ‘yeah, perhaps there are more unknown vistas to which consciousness can expand than the so-called rational brain can think of’, I have done my job. Bear in mind friends, that the truth is sometimes stranger than fiction and some yogis have even called the solid world we swear by an illusion, a construct of the mind. There is no strict chronological order though. Each chapter is complete by itself and can be read independently. So dear reader, Sangacchadvam – Let’s walk together once more. Sri M
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Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shree Khetra Girnar
लेखकाने वाणिज्य पदवी व कामगार कायदेविषयक पदव्युत्तर शिक्षण घेतले आहे. घरात पहिल्यापासून आध्यात्मिक वातावरण असल्याने शालेय जीवनापासूनच गुरुचरित्र पारायण केले आहे. सर्व कौटुंबिक जबाबदार्या सांभाळून पत्नीच्या परवानगीने गेली अनेक वर्ष गुरू दत्तात्रेयांचे पादुका व योगसिद्धी स्थान असलेल्या श्री क्षेत्र गिरनार, गुजरात येथे गेली 20 वर्षे गुरू दत्तात्रेयांच्या पादुका स्थानी दर्शनाचा योग. जुलै 2018 मध्ये सर्व प्रथम मोबाईलवर गिरनार विषयी लेखन, त्याची एकूण 15 पुष्पे प्रसिद्ध. मोबाईलवरून प्रसिद्ध केल्यानंतर त्याला जगभरातून प्रतिसाद मिळाला आहे. 2011 साली नर्मदा मैयेची परिक्रमा पूर्ण केली आहे. त्याची एकोणचाळीस पुष्पे प्रसिद्ध. नर्मदा परिक्रमेच्या लेखनात धार्मिक व पारंपरिक बाजूंबरोबरच जनजीवन, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितीचा अभ्यासपूर्ण आढावा घेतला आहे.
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Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Swami Ka Sadhak (Hindi)
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मेरा मन हमेशा दत्तशिखर पर ही रमा रहता है। वहाँ मिलने वाली मानसिक संतुष्टि का अनुभव मुझे कहीं ओर आज तक नहीं मिला। अभी तक गिरनार प्रवास का अवसर अनेकों बार मिला है। वहाँ मंदिर के गर्भगृह में कभी दो मिनिट तो कभी एक घंटा रुकने का समय मिला है। जितना भी समय मिला उतने में ही हमेशा संतोष प्राप्त हुआ है। संभवत: इसीलिए दत्त महाराज ने मेरा प्रत्येक हठ पूरा किया और आज भी कर रहे है। अनेक लोग ये कहते हुए बार-बार हमारे पीछे पड़े रहते है कि -‘‘हमे भी अपने साथ गिरनार ले चलों’’ लेकिन सवाल उठता है क्यों, किसलिए? केवल रितेश और आनंद के साथ जाने मात्र से अनुभूति नही मिलने वाली। आपको अनुभूति मिलेगी लेकिन उसके लिए स्वयम को कष्ट उठाकर साधना करना होगी। बिना किसी प्रयास के केवल खींचतान करने से कुछ नही मिलेगा। उसके लिए साधना आवश्यक है। नामजप की महिमा अपरंपार है, ये निर्विवाद तथ्य है। बड़े-बड़े संत-महात्माओं ने शास्त्रों मे इस बात का उल्लेख किया है पर आज हमारी मानसिकता ऐसी हो गयी है कि हम सब कुछ बिना परिश्रम किए बैठे -ठाले पाना चाहते हैं। प्रयास करणे के लिए परिश्रम करना होता है लेकिन वो पीड़ा हम सहने की हमारी तैयारी नही होती। मै-मेरा करते रहने पर ये, साधना के मार्ग में अवरोध बन कर उसे निष्प्रभावी कर देता है। इसलिए इस तरह से कुछ भी साध्य नही हो पाता। महाराज हमे यूंही नही जाने देते। हर बार सबक सिखाते है लेकिन यदि इसके बाद भी हम नही समझे तो हमें कठिन परिस्थिति में डाल देते है। बात समझ में आ जाने पर हमारा मार्ग सरल कर देते है। किन्तु इस ऊहापोह में बड़ा समय बीत जाता है। इसलिए कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नही है। हमे सही समय पर सही साधना करना चाहिए। सीधी-सच्ची नाम जाप साधना करना चाहिए। उसी के रंग में रंग कर तृप्त होना चाहिए। इसी पद्धति से परमार्थ सिद्ध होता है।
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English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, इतिहास
The Himalayan Master And The Sixth Sense (English)
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I DARED TO TRAVEL THE SPIRITUAL PATH Priyabhishek Sharma’s account of his spiritual journey and the remarkable events and synchronicities therein is quite fascinating. I have read it with much interest and pleasure. – Dr. Karan Singh, renowned scholar and former Union Minister Initiated by a Himalayan Yogi (ascetic) with a beej (Vedic seed) mantra (prayer or chant), two years later a university student wakes up in the night to find his mind connecting with far off people and places. Perplexed and scared, he finds not only his intuition getting stronger with every passing day but also some weird prophetic voices descending from the universe into his brain. His life changes permanently into a ceaseless seeking of the mysteries of the mind, meditation, and monks. Many Himalayan Masters miraculously appear on the way guiding him through different stages. Observing his own mind in regular meditation for almost two decades, he witnesses layers of his mind gradually falling apart until the day when the mind no longer remains and a new zone of deep silence dawns. This journey eventually culminates at the feet of an ageless Master. Dr. Priyabhishek Sharma is a seeker of life and a doctorate in Political Science from Himachal Pradesh University, Shimla. A practitioner of meditation for about two decades, he has dwelled with Himalayan Masters as a learner of their esoteric spiritual practices. This book has sprung out of that two-decade long association with – and above all the grace of those Himalayan Masters. He is author of three books.
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