Prabhat Prakashan
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Prabhat Prakashan, इतिहास
1000 Ambedkar Prashnottari
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891-6 दिसंबर, 1956) निश्चित ही भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली सपूतों में से एक हैं। उन्होंने सभी विवशताओं को दृढ़ निश्चय और कमरतोड़ मेहनत से पार करके कोलंबिया विश्व-विद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिस से डॉटरेट की डिग्रियाँ तथा लंदन से बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की। तदुपरांत भारत लौटकर अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, पत्रकार, तुलनात्मक धर्म के विद्वान्, नीति-निर्माता, प्रशासक तथा सांसद के रूप में अनन्यासाधारण योगदान दिया और एक न्यायविद् के रूप में भारतीय संविधान के प्रधान निर्माता-शिल्पकार के रूप में महान् कार्य किया। इन सबसे परे वे एक महान् समाज-सुधारक, मानव अधिकारों के चैंपियन और पददलितों के मुतिदाता थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन आधुनिक भारत की नींव रखने में तथा नए भारत की सामाजिक चेतना को जगाने में समर्पित कर दिया। सन् 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया गया। प्रस्तुत है डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रेरणाप्रद यशस्वी जीवन का दिग्दर्शन करानेवाली पुस्तक, जिसमें प्रश्नोत्तर के माध्यम से भारत निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित किया गया है।.
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Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास, कहानियां
1000 Bhagat Singh Prashnottari
भगत सिंह संधु का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था। अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की थी। काकोरी कांड में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ सहित 4 क्रांतिकारियों को फाँसी व 16 अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पंडित चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकनेवाले नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर, 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अधिकारी जे.पी. सांडर्स को मारा था। 8 अप्रैल, 1929 को अंगे्रज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके थे। 23 मार्च, 1931 को शाम के करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई। जेल में भगत सिंह करीब 2 साल रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करते रहे। जेल में रहते हुए उनका अध्ययन बराबर जारी रहा। उनके उस दौरान लिखे गए लेख व सगे-संबंधियों को लिखे गए पत्र आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं। माँ भारती के अमर सपूत शहीद भगत सिंह के त्याग-साहस-वीरता-देशप्रेम से परिपूर्ण संक्षिप्त, किंतु अविस्मरणीय जीवन प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
1000 BHARAT GYAN PRASHANOTTARI
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति1000 BHARAT GYAN PRASHANOTTARI
किसी भी विषय की बढ़िया-से-बढ़िया पठन-सामग्री को उसके विस्तृत कलेवर के साथ पढ़ना और उसे याद करना कठिन होता है, परंतु यदि उसी सामग्री को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत किया जाए तो वह अत्यंत रुचिकर हो जाती है और उसे सहजता से याद भी किया जा सकता है।
भारत जैसे विशाल एवं विविधतापूर्ण देश को 1000 प्रश्नों में समेट पाना निश्चय ही जोखिम भरा काम है। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का अपना एक दायरा होता है। इस स्थिति का आकलन करते हुए इस पुस्तक में प्रश्नों का चयन एवं प्रस्तुतीकरण इस तरह किया गया है कि पाठकों के समक्ष अधिक-से-अधिक जानकारी पहुँचाई जा सके। पुस्तक में शामिल किए गए अधिकतर प्रश्न ऐसे हैं, जिनमें कई उप-प्रश्न और उनके उत्तर छिपे हुए हैं।
प्रस्तुत पुस्तक को यथासंभव ज्ञानवर्धक एवं रोचक बनाने की कोशिश की गई है। प्रश्नों का चयन करते समय प्रत्येक विषय के हर पहलू को छूने की कोशिश की गई है।
पुस्तक संतुलित हो, इसका भी हर संभव प्रयास किया गया है। आशा है, भारत को भलीभाँति समझने में पुस्तक पाठकों की भरपूर मदद तो करेगी ही, भरपूर ज्ञानवर्द्धन भी करेगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
1000 Bharatiya Sanskriti Prashnottari(PB)
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति1000 Bharatiya Sanskriti Prashnottari(PB)
‘1000 भारतीय संस्कृति प्रश्नोत्तरी’ पाठकों को भारतीय संस्कृति से संबद्ध—प्राचीन एवं नवीन—विभिन्न जानकारियों, वस्तुनिष्ठ तथ्यों व महत्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराएगी। इसे पढ़कर पाठकगण भारतीय संस्कृति से संबद्ध ग्रंथों व उनके रचनाकारों; महत्त्वपूर्ण तिथियों, दिवसों, पक्षों, माहों व व्रतों; विभिन्न अंकों से संबद्ध जानकारियों; रोमांचक जानकारियों; महापुरुषों, नदियों, देवी-देवताओं, प्रतीकों; साधु-संतों, ऋषि-मुनियों; स्थलों, नदियों, जीव-जंतुओं; मेले, पर्वों त्योहारों व उत्सवों; नृत्य-नाट्य शैलियों, चित्रकला, गीत-संगीत, वाद्यों एवं वादकों, गायकों; अस्त्र-शस्त्रों, विभिन्न अवतारों; विभिन्न व्यक्तियों के उपनामें, उपाधियों व सम्मानों; संस्कार, योग, वेद, स्मृति, दर्शन एवं अन्यान्य ग्रंथों के संबंध में संक्षिप्त व महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकेंगे। विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक सामान्य पाठकों के अलावा लेखकों, संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शिक्षओं, विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। वस्तुतः, यह भारतीय संस्कृति का संदर्भ कोश है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1000 Itihas Prashnottari
1000 इतिहास प्रश्नोत्तरी इतिहास का खेल न्यारा है; और इतिहास अपने को दुहराता भी है। इसीलिए इतिहास में लोगों की स्वाभाविक जिज्ञासा होती है—चाहे वह परिवार का हो, राष्ट्र का हो या विश्व का। प्रस्तुत पुस्तक एक सामान्य पाठक और उसके इतिहास के ज्ञान के स्तर को ध्यान में रखते हुए लिखी गई है। पुस्तक को बहुविकल्पीय प्रश्नों की शैली में लिखा गया है। चार भागों में विभक्त पुस्तक को महत्त्वपूर्ण उपभागों में बाँटा गया है; जैसे—सिंधु घाटी सभ्यता के स्रोत, वैदिक सभ्यता, मौर्य एवं गुप्त साम्राज्य, जैन एवं बौद्ध धर्मों का उदय, दक्षिण के साम्राज्य, मुगल काल, मराठा राज्य, अंग्रेजी शासन और भारत का स्वतंत्रता संघर्ष आदि। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं, जिनमें एक सही उत्तर है, जिससे पाठक प्रश्न का सही उत्तर ढूँढ़ने के लिए अपनी तर्कशक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं। विश्वास है, पुस्तक पाठकों को अच्छी लगेगी तथा उनके इतिहास के ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1000 KALAM PRASHNOTTARI
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अद्भुत मेधा के धनी हैं। विलक्षण वैज्ञानिक के रूप में अग्नि मिसाइल के जनक होने के साथ-साथ भारत के महत्त्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों में उनकी सक्रिय भूमिका रही। भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने लगभग दस लाख बच्चों से संवाद कर उन्हें प्रेरित किया। उनके प्रभावशील व्यक्तित्व ने अनेकानेक लोगों को कर्तव्य-पथ पर अग्रसर किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम के तपस्वी जीवन, उनके संघर्ष तथा उनकी उपलब्धियों को ही नहीं, उनके आध्यात्मिक चिंतन एवं राष्ट्रप्रेम को प्रश्नोत्तर शैली में वर्णित किया गया है। इस कारण से यह पुस्तक आम पाठकों के अलावा विद्यार्थियों, परीक्षार्थियों एवं क्विज शो में भाग लेनेवाले प्रतियोगियों के लिए विशेष उपयोगी है।
एक तरह से डॉ. कलाम के प्रेरणाप्रद जीवन का विश्वकोश है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
1000 Mahabharat Prashnottari
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता1000 Mahabharat Prashnottari
1000 Mahabharat Prashnottari
क्या आप जानते हैं-‘ वह कौन पांडव वंशज था, जिसने एक बार अनजाने में ही भीम को मल्ल-युद्ध में पराजित कर दिया था ‘, ‘ धृतराष्ट्र का वह कौन पुत्र था, जो महाभारत युद्ध में जीवित बच गया था ‘, ‘ किस वीर से युद्ध करते हुए अर्जुन की मृत्यु हो गई थी ‘, ‘ द्रौपदी को ‘ याज्ञसेनी ‘ क्यों कहते थे ‘, ‘ हस्तिनापुर का नाम ‘ हस्तिनापुर ‘ कैसे पड़ा ‘, ‘ महाभारत युद्ध में कुल कितने योद्धा मारे गए थे ‘, ‘ उस अस्त्र को क्या कहते हैं, जिसके प्रयोग करने पर पत्थरों की वर्षा होने लगती थी ‘ तथा ‘ एक ब्रह्मास्त्र को दूसरे ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दबा देने से कितने वर्षों तक वर्षा नहीं होती थी?’ यदि नहीं, तो ‘ महाभारत प्रश्नोत्तरी ‘ पढ़ें । आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे ।
इस पुस्तक में भीष्म, द्रोण, कर्ण, अर्जुन, भीम एवं अभिमन्यु जैसे पराक्रमियों के अद्भुत शौर्य का वर्णन तो है ही, विभिन्न शस्त्रास्त्रों, दिव्यास्त्रों एवं उनके प्रयोगों और प्रयोग के पश्चत् परिणामों की जानकारी भी दी गई है । इसके अतिरिक्त महाभारतकालीन नदियों, पर्वतों, राज्यों, नगरों तथा राज्याधिपतियो का सुस्पष्ट संदर्भ भी जानने को मिलता है । साथ ही लगभग दो सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र- पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी ।
यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों संपादकों पत्रकारों वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है । वस्तुत: यह महाभारत का संदर्भ कोश है ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास
1000 MAHAPURUSH PRASHANOTTARI
1000 महापुरुष प्रश्नोत्तरी—राजेंद्र प्रताप सिंहयह पुस्तक पाठकों को भारतीय महापुरुषों से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण संदर्भ सामग्री, जैसे—उनकी जन्म-तिथि व निर्वाण-तिथि एवं अन्य संबद्ध तिथियाँ, माता-पिता के नाम, संबंधित स्थल एवं घटनाएँ, उनके भाषण, उपदेश व संदेश, उपाधियाँ व सम्मान, उपनाम, ऐतिहासिक कर्तृत्व, उनकी विशिष्टताएँ, उल्लेखनीय कार्य, आदर्श कथन आदि के बारे में महत्त्वपूर्ण व उपयोगी जानकारियाँ उपलब्ध कराती है। इसमें भारत के 100 से अधिक महापुरुषों पर आधारित विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ प्रश्नोत्तर शैली में दी गई हैं। इसमें 1,000 प्रश्न और उनके 4,000 वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं।
विश्वास है, पुस्तक छात्रों, शिक्षकों, पत्रकारों, संपादकों, वक्ताओं, लेखकों एवं विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अध्येताओं सहित आम पाठकों के लिए भी उपयोगी एवं पठनीय सिद्ध होगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
1000 Ramayana Prashnottari
क्या आप जानते हैं, ‘वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था’, ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था’, ‘कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था’, ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ क्यों कहा जाता है’, ‘हनुमानजी का नाम ‘हनुमान’ कैसे पड़ा’, ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
1000 Ramayana Prashnottari (PB)
क्या आप जानते हैं, ‘वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था’, ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था’, ‘कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था’, ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ क्यों कहा जाता है’, ‘हनुमानजी का नाम ‘हनुमान’ कैसे पड़ा’, ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
1000 Swami Vivekananda Prashnottari
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास1000 Swami Vivekananda Prashnottari
स्वामी विवेकानंद : एक ऐसा नाम, जो अपने जन्म के 150 वर्ष बाद भी लोगों को स्फूर्ति से भर देता है और देश, धर्म एवं संस्कृति के लिए अपना बलिदान करने की प्रेरणा देता है। ऐसे योद्धा संन्यासी का जन्म 12 जनवरी, 1863 को माँ भुवनेश्वरी देवी की कोख से हुआ था।
अवसान के समय स्वामीजी की आयु मात्र 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन थी। हिंदू धर्म के पुनर्जागरण के पुरोधा के रूप में भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व इतिहास में वे हमेशा याद किए जाएँगे। अपनी 39 वर्ष की छोटी सी आयु में संपूर्ण विश्व को उन्होंने वेदांत को वह वैश्विक स्वरूप प्रदान किया, जिसकी आज के युग में सबसे अधिक आवश्यकता है। ऐसे युगपुरुष के जीवन और अद्भुत कार्यों को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत किया गया है। विशाल कलेवर को 1000 प्रश्नों में समेटना भी दुष्कर कार्य है, अतः महत्त्वपूर्ण प्रसंगों को ही पुस्तक का विषय बनाया गया है।
भारतीय अस्मिता, गौरव, शक्ति, सामर्थ्य, मेधा और ज्ञान के प्रतीक स्वामी विवेकानंद के सार्थक जीवन का ज्ञान कोश है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Ayuvardhak Health Care, English Books, Prabhat Prakashan, सही आख्यान (True narrative)
101 Questions on Acupressure and Reflexology:
-10%Ayuvardhak Health Care, English Books, Prabhat Prakashan, सही आख्यान (True narrative)101 Questions on Acupressure and Reflexology:
Over a period of time, acupressure has emerged as a prominent therapy since it is free from any side effect since no medication whatsoever is required
Of late, it is being observed that people around the globe are becoming more health conscious. Whereas, on one hand, scientists are busy carrying out researches, finding the cause(S) in the sudden spurt of diseases in its dreaded form and finding medicines to combat such ailments which assume epidemic shape and a host of innovative methods being devices in the field of surgery, a marked shift is seen amongst the masses towards the holistic approach. More and more people trying to get focused towards fitness, adopting yoga and naturopathy as a way of life.
Paying more attention than before on their diet regime. Trying to take recourse to available non-conventional systems of medicine. One of the causative factors, perhaps, is the exorbitant cost of medicine, growing awareness about the side effects of allopathic medicines etc…! The redeeming feature is that people have started realising the importance of prevention rather than a cure.
Over a period of time, acupressure has emerged as a prominent therapy since it is free from any side effect, since no medication whatsoever is required. It is totally non-conventional, non-invasive and non-interventional, a home remedy, easy to learn and practice. The simple reason being that it is evolved on the principle that human body in itself possesses immense healing power, all that is required is to tap that healing force of the body and the rest is taken care by the body itself.
This therapy has been found to be very effective in handling conditions e.Br>g cervical/Lumber spondylitis, knee pain, Sciatica, Slip-disc, depression, insomnia, migraine, asthma, hypertension, PMS, IBS, various female/male problems etc….. To name a few.
After the publication of our book ‘101 qanda acupressure and reflexology’, our students have been demanding a book sharing our experience of about 30 years in this ‘Art and science’. This book is to meet the demand of upcoming and practicing therapists of acupressure as also for the people to get benefit of our experience.
All possible efforts have been made to depict the location of the pressure points to be attended to through figures, suggestion for correction of the errors, if any, that might have crept in would be gratefully accepted.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
1842 : Ek Sangharsh Gatha
“अपशकुन तो उसी दिन हो गया था, जिस दिन बिन कासिम ने पवित्र सोमनाथ मंदिर को लूटा था। उस दिन अपशकुन हो गया था, जिस दिन सम्राट् पृथ्वीराज गद्दारों के कारण पराजित हुए और दिल्ली पर राक्षसों के एक गुलाम का राज कायम हो गया। यही अपशकुन उस दिन फिर हुआ, जिस दिन महारानी दुर्गावती सत्ता के लोभी और स्त्री-लोलुप अकबर की भारी-भरकम फौज से अकेले युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गईं और इस देश के पुरुष अपनी स्त्रियों के आँचल में मुँह छुपाए बैठे रहे। फिरंगी के अत्याचारों से यह अपशकुन रोज हो रहा है। इससे अधिक क्या अपशकुन होगा ?
– इसी उपन्यास से
1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पंद्रह वर्ष पूर्व वर्तमान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के बड़े भूभाग पर एक क्रांति घटित हुई थी, जिसे इतिहास में ‘बुंदेला विद्रोह’ के नाम से जाना जाता है। 1857 के क्रांतिबीज इस आंदोलन के हुतात्मा बलिदानियों के योगदान को रेखांकित करने का प्रयास है, यह ऐतिहासिक उपन्यास, ‘1842: एक संघर्ष गाथा’। हीरापुर, नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश के राजा हिरदेशाह लोधी और जैतपुर, उत्तर प्रदेश के राजा परीक्षित सिंह बुंदेला इस कहानी के नायक अवश्य हैं, परंतु उनके हजारों-लाखों सहयोगी किसान, मजदूरों और साधारण जनों के साहस, शौर्य और उत्सर्ग को श्रद्धांजलि और मान्यता है यह पुस्तक ।”
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Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
1857 Ka Swatantraya Samar
-10%Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)1857 Ka Swatantraya Samar
Vinayak Damodar Savarkar
वीर सावरकर रचित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् 1909 में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से 1947 में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंत:करणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी।
पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् 1857 का यथार्थ क्या है? क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था? योजना का स्वरूप क्या था? क्या सन् 1857 एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा? भारत की भावी पीढ़ियों के लिए 1857 का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘1857 का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1947 Ke Baad Ka Bharat
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1947 Ke Baad Ka Bharat (PB)
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1947 Ke Zakhma (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण1947 Ke Zakhma (PB)
वर्ष 1947 में भारत-विभाजन के सात दशक से अधिक बीत जाने पर भी इस पीड़ा से गुजरे लोगों का दिलो-दिमाग आज भी इस दुःख का बोझ उठाए हुए है। नक्शे पर स्याही के बस एक निशान ने एक देश को दो में बाँट दिया, जिसका प्रभाव न केवल एक पीढ़ी पर, बल्कि आने वाली कई पीढि़यों पर भी पड़ा। इससे मिले ज़ख़्म आज भी अंदर तक पीड़ा देते हैं।
भारत और पाकिस्तान को बाँटने वाली खौफनाक रेडक्लिफ रेखा के दोनों तरफ के लोगों ने अकल्पनीय त्रासदियों को झेला। लाखों लोगों के विस्थापन के कारण घटी भयानक घटनाएँ इस दुस्वप्न को भोग चुके लोगों की यादों को हमेशा कचोटती रहेंगी। हाँ, बड़े पैमाने पर बरबादी के बावजूद सब खो देने और सबकुछ गँवा बैठने के बीच उत्साहित करने वाली मानवीयता, साहस और दृढ़-संकल्प की कुछ कहानियाँ भी हैं। ये ऐसे लोगों की कहानियाँ हैं, जो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उद्योगपति, चिकित्सा-शोधार्थी तथा और भी बहुत-कुछ बने। विभाजन के बाद के दशकों में परिवारों की शून्य से शुरुआत कर फिर से जीवन-निर्माण करने की ये कहानियाँ याद रखने योग्य एवं प्रेरणादायी हैं।
इन कहानियों में मनमोहन सिंह और मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर गौरी खान की नानी और अवतार नारायण गुजराल तक आते हैं। ‘1947 के ज़ख़्म’ बीते समय की यात्रा का रोमांचक और भावुकतापूर्ण संकलन है। वह अविस्मरणीय समय था, जो दोनों देशों पर हमेशा के लिए निशान छोड़ गया।
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1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani
1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी
1965 का युद्ध वर्ष 1947 में हुए विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला पूर्ण युद्ध था।
भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई.बी. चह्वाण ने 22 दिन तक चले इस युद्ध का विवरण स्वयं अपनी डायरी में दर्ज किया था। इस पुस्तक में बताई गई अंदरूनी बातों से पता चलता है—
• पाकिस्तानी हमले के समय का पता करने में भारत का खुफिया विभाग बिलकुल विफल रहा।
• कैसे और क्यों चह्वाण ने प्रधानमंत्री को सूचित किए बिना ही वायुसेना को हमला करने का आदेश दे दिया।
• कैसे एक डिवीजन कमांडर को अभियान से अलग कर दिया गया।SKU: n/a -
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1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Veergathayen
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई।
सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है।
युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है।SKU: n/a -
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1984: Dilli Mein Sikhon Par Huye Hamlon Ki Real Story
संजय सूरी नई दिल्ली में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार के एक युवा क्राइम रिपोर्टर थे, जब 31 अक्तूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। वह उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल थे, जिन्होंने उसके बाद हुई उस भयंकर और बेकाबू सिख-विरोधी हिंसा को देखा था, जबकि पुलिस ने आँखें बंद कर ली थीं।
उन्होंने देखा था, कैसे कांग्रेस के कार्यकर्ता लूट के आरोप में गिरफ्तार एक कांग्रेसी सांसद को रिहा करने की माँग कर रहे थे। रिपोर्टिंग के दौरान वह हत्यारों के गैंग से बाल-बाल बच गए थे। बाद में उन्होंने हलफनामा दायर किया, जिसमें कांग्रेस के दो सांसदों से संबंधित उनकी आँखोंदेखी गवाही शामिल थी, और एक चुनावी रैली में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सीधा सवाल किया था। नरसंहार की जाँच के लिए गठित कई जाँच आयोगों के सामने भी सूरी ने गवाही दी, हालाँकि उनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
इस पुस्तक में वह अपने अनुभवों और उस समय अग्रिम मोर्चे पर हिंसा का सामना करनेवाले पुलिस अधिकारियों के व्यापक साक्षात्कारों से हुए ताजा खुलासों का खजाना लेकर आए हैं। सिख विरोधी हिंसा और क्रूरता के पीछे कांग्रेस का हाथ होने के सवाल की यह गहरी छानबीन करती है कि क्यों तीस साल बाद भी जीवित बचे लोगों को न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। यह पुस्तक झकझोर देनेवाली घटनाओं का वर्णन विशिष्ट रिपोर्ताज और मर्मस्पर्शी कहानियों को जोड़कर करती है, जो आज भी हमें उतनी ही पीड़ा और वेदना का अनुभव कराती हैं।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
32000 Saal Pahale (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति32000 Saal Pahale (PB)
“हाल के दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) की गहराइयों में बत्तीस हजार साल पुराने हिमयुग में नगर होने के साक्ष्य मिले हैं। संसार में अबतक मिली नगरीय सभ्यताओं में यह सबसे पुराना नगर होने का अनुमान है। वैज्ञानिकों-पुरातत्त्ववेत्ताओं के नवीन शोध और खोज को केंद्र में रखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखा गया है। ‘32000 साल पहले तीन उपन्यासों की शृंखला का पहला उपन्यास है।
उन दिनों संसार में सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोग हुए। संसार में पहली बार देह ढकने से लेकर, तेल का दीया जलाने, दूध का सेवन करने, बाँसुरी बजाने, नृत्य करने, गीत गाने, कथा वाचन आदि शुरू हुए। इन्हीं लोगों ने पहली बार नौका, हिमवाहन और चक्के के साथ विविध अस्त्रों का निर्माण किया। पहली बार मनुष्य के ओठों ने खाने और बोलने के आलावा प्रेम करना सीखा। खुले सेक्स की अवधारणा के साथ पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। कुछ अज्ञात-प्राकृतिक संघर्ष के कारण वहाँ प्रार्थना की शुरुआत हुई।
परग्रहियों ने होमो सेपियंस के डी.एन.ए. का पुनर्लेखन किया। कुछ वैज्ञानिकों और पुरातत्त्ववेत्ताओं ने समुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड में संरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उसे फिल्टर किया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा को डिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकी आवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले की पूरी कहानी सामने आई।”
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Prabhat Prakashan
50 Mahan Swatantrata Senani
जिन लोगों ने देश को स्वाधीन कराने का स्वप्न देखा, इसकी कल्पना की और दृढ निश्चय कर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, उनका पुण्य स्मरण करना हमारा पुनीत कर्तव्य है। उनके बलिदान को आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा परम धर्म है। जिस आजादी की हवा में हम साँस ले पा रहे हैं, अपने लिए, अपने घर-परिवार के लिए कुछ कर पा रहे हैं, इसमें कहीं-न-कहीं उन सभी के बलिदान की सुगंध है। इसलिए इन हुतात्माओं को कोटि-कोटि वंदन-अभिनंदन!
शहीदों से जुडे़ स्थानों पर जाना, उनको समय-समय पर याद करना व उनको श्रद्धांजलि देना, यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होना चाहिए। आनेवाली पीढि़यों को अपने गौरवमयी अतीत व हमारे शूरवीरों के महान् जीवन से परिचय करवाना हम सबका धर्म
बनता है।
राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करनेवाले हुतात्माओं की एक लंबी शृंखला है। उनमें से 50 अमर सपूतों के प्रेरणाप्रद जीवन से पाठकों को परिचित कराने का यह उपक्रम है, जो निश्चित रूप से हर भारतीय को पढ़ना ही चाहिए।SKU: n/a -
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Aankhan Dekhi Bihar Andolan
एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है।
हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप रेप के विरोध में दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में स्वतःस्फूर्त जन विस्फोट हुआ। बिहार आंदोलन के बाद पहली बार सामाजिक सरोकार के सवाल पर देश के छात्र-छात्राओं की इतनी बड़ी शक्ति दिल्ली के राजपथ (जिन पर आंदोलनात्मक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रही हैं) पर अपनी आवाज बुलंद कर रही थी। क्या भारत की यह युवा शक्ति इस पुरुष-प्रधान समाज एवं पूँजीवादी व्यवस्था की गैर-बराबरी, अन्याय एवं अत्याचार को खत्म करने तथा समतामूलक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना करने की दिशा में पहल कर पाएगी?
प्रस्तुत पुस्तक बिहार आंदोलन की व्यापकता और उसमें बुनियादी परिवर्तन और क्रांति के बीज होने की क्षमता का आँखों देखा प्रामाणिक विवरण पेश करती है। एक पत्रिका में छपे लेखों, रपटों और दस्तावेजों के माध्यम से किसी आंदोलन पर ऐसी पुस्तक शायद ही हिंदी में कोई दूसरी हो। बिहार की संघर्षशीलता, जुझारूपन और आंदोलन-शक्ति को समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।SKU: n/a