Prabhat Prakashan
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Vivekanand Ki Atmakatha
स्वामी विवेकानंद नवजागरण के पुरोधा थे। उनका चमत्कृत कर देनेवाला व्यक्तित्व, उनकी वाक्शैली और उनके ज्ञान ने भारतीय अध्यात्म एवं मानव-दर्शन को नए आयाम दिए। मोक्ष की आकांक्षा से गृह-त्याग करनेवाले विवेकानंद ने व्यक्तिगत इच्छाओं को तिलांजलि देकर दीन-दुःखी और दरिद्र-नारायण की सेवा का व्रत ले लिया। उन्होंने पाखंड और आडंबरों का खंडन कर धर्म की सर्वमान्य व्याख्या प्रस्तुत की। इतना ही नहीं, दीन-हीन और गुलाम भारत को विश्वगुरु के सिंहासन पर विराजमान किया। ऐसे प्रखर तेजस्वी, आध्यात्मिक शिखर पुरुष की जीवन-गाथा उनकी अपनी जुबानी प्रस्तुत की है प्रसिद्ध बँगला लेखक श्री शंकर ने। अद्भुत प्रवाह और संयोजन के कारण यह आत्मकथा पठनीय तो है ही, प्रेरक और अनुकरणीय भी है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Vyatha Kahe Panchali (Hindi)
“पाँच पिया स्वीकारे क्यूँ थे।
खुद ही भाग बिगाड़े क्यूँ थे।काश विशेधी हो जाती मैं।
थोड़ा क्रोधी हो जाती मैं।काश न मेरे हिस्से होते।
शुरू नहीं फिर किस्से होते।काश वर्ण को वर लेती मैं।
वाणी वश में कर लेती मैं।कर्ण अगर ना होता शायद।
तो संग्राम न होता शायद।दुःशासन मतिमंद न होता।
रिश्तों में फिर द्वंद न होता।जो दुर्योधन क्रुद्ध न होता।
तो शायद ये युद्ध न होत।यूँ ना काश विभाजन होता।
अर्जुन ही बस साजन होता।खुले अगर ये बाल न होते।
श्वेत् पृष्ठ फिर लाल न होतेयदि मेरा अपमान न होता।
गिद्धों का जलपान न होता।मौन अगर गुरुदेव न होते।
रण आँगन में प्राण न खोते।काश सत्य का साथ निभाते।
और बड़े भी कुछ कह पाते।सत्य यही जो समर न होता।
कुरुक्षेत्र फिर अमर न होता।नारी का अपमान न होता।
कुरुक्षेत्र शमशान न होता।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Wah Zindagi
‘तुम यहाँ हो! मैं तो तुम्हें अंदर ढूँढ़ रही थी।’ इतने में कृतिका मुझे ढूँढ़ती बाहर चली आई।
‘यह क्या हाल बना रखा है तुमने अपना?’ और वह खिलखिलाकर हँस दी।
तभी दोनों बच्चे भी स्कूल जाने के लिए बाहर आए और कृतिका को हँसते देख वे भी मुझे देख हँसने लगे।
‘मजा आ गया आज तो?’
‘अरे पिताजी! रोज ऐसा किया करिए, छुट्टी के दिन हम भी आपके साथ भीगेंगे…।’ कहकर वे हाथ हिलाते हुए स्कूल निकल पड़े।
कुहासा छँट रहा था। मैं अपने आपको बेहद हल्का महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं आकाश में उड़ रहा हूँ।
जिंदगी बहुत खूबसूरत है, बस जरूरत है तो उसे इस नजरिए से देखने की।
‘वाह जिंदगी!।’ मैंने मन ही मन उस जिंदगी को धन्यवाद दिया, जो कल ही मेरे पास कुछ समय के लिए आकर मुझे जीना सिखा गई थी।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Why I Killed Gandhi
“Penned by brother of Nathuram Godse, Why I Killed Gandhi is narration of the events that lead to the historic day of assassination of Mahatma Gandhi till the execution of Godse.
This book also tells about the public and political opinions and reactions which were stirred up as consequence of the assassination and also by Nathuram Godse’s official statement to court.”
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Winds of Change : Propelling Change in the Indian Judiciary
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Winds of Change : Propelling Change in the Indian Judiciary
“Nyaya-Winds: Propelling Change in the Indian Judiciary” delves into crucial legal and societal issues. Chapter I focuses on corporate law amendments for reduced litigation and heightened compliance. Chapter II explores the balance between experience and renewal in retirement age. Chapter III tackles juvenile crimes, emphasizing mental health in rehabilitation. Chapter IV navigates the controversy of legalizing sex work. Chapter V champions integrity in the fight against corruption. Chapter VI advocates for political change with qualifications and accountability. Chapter VII revisits the term “Deshdrohi” in the context of democracy. Chapter VIII scrutinizes the delicate balance between VIP privileges and public welfare. Chapter IX introduces legal insurance for societal empowerment. Chapter X challenges reservation paradigms for equity and meritocracy. Chapter XI strikes a balance between human rights, animal welfare, and public safety. Chapter XII strengthens governance through whistleblower initiatives. Chapter XIII addresses the overwhelmed judiciary and delayed justice. Chapter XIV unveils the shadows of governance and power dynamics. Chapter XV concludes by emphasizing mandatory provisions under the Companies Act. Each chapter provides deep analysis and recommendations for India’s governance challenges.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Ya Devi Sarvabhuteshu (PB)
दुर्गा सप्तशती तंत्र का मेरुदंड है। इस पुस्तक के सभी मंत्र अमोघ हैं। सुरथ एवं समाधि की कहानी से शुरू हो रही सप्तशती वस्तुतः तेरहवें अध्याय के अंतमें यह बताती है कि दुर्गा का पूजन, उनके माहात्म्य का जप पुण्यदायी है-इहलोक, परलोक सुधारने वाला है। दुर्गा के माहात्म्य को श्रद्धापूर्वक सुनने का परिणाम था कि राजा सुरथ सूर्य के अंश से सावर्णि नामक मनु के रूप में उत्पन्न हुए।
तेरह अध्यायों में शक्ति के भिन्न- भिन्न स्वरूपों का ध्यान किया गया है। ऋग्वेद में अपना परिचय देते हुए शक्ति कहती हैं- अहम् ब्रह्म स्वरूपिणी । शक्ति ब्रह्म से भिन्न नहीं हैं, और उनको समझना उतना ही दुष्कर हैं, जितना ब्रह्म को, पर दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। निःसंदेह शक्ति ही स्वयं में संतुष्ट और कामनाओं से परे ब्रह्म को क्रियाशील करती हैं, अन्यथा शिव निश्चल रहते हैं-
जहाँ भी रचना हो रही है. या विलय हो रहा है, वहाँ शक्ति अवश्य क्रियारत है। निखिल मंत्र विज्ञान में शक्ति के दिग्दर्शन की ओर प्रत्येक साधक को ले जाना हमारा ध्येय है और पुनीत कर्तव्य भी। दुर्गा सप्तशती में निहित आध्यात्मिक रहस्य को यह पुस्तक पाठकों के सम्मुख ‘या देवी सर्वभूतेषु’ के माध्यम से प्रस्तुत करने का विनीत प्रयास है, इस आशा के साथ कि इसे पढ़ने के बाद आप सभी साधकों और पाठकों के मन में शक्ति से संबंधित छाया भ्रमजाल छिन्न-भिन्न हो जाएगा।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Yoddha Sannyasi : Vivekanand
”उठिए, जागिए, मेरे देशबंधुओ! आइए, मेरे पास आइए। सुनिए, आपको एक ज्वलंत संदेश देना है। इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं कोई अवतार हूँ। ना-ना, मैं अवतार तो नहीं ही हूँ। कोई दार्शनिक अथवा संत भी नहीं हूँ। मैं हूँ, एक अति निर्धन व्यक्ति, इसीलिए सारे सर्वहारा मेरे दोस्त हैं। मित्रो! मैं जो कुछ कह रहा हूँ, उसे ठीक से समझ लीजिए। समझिए, आत्मसात् कीजिए और उसे जनमानस तक पहुँचाइए। घर-घर पहुँचाइए मेरे विचार। मेरे विचार-वृक्ष के बीजों को दुनिया भर में बोइए। तर्क की खुरदुरी झाड़ू से अंधविश्वास के जालों को साफ करने का अर्थ है शिक्षा। संस्कृति और परंपरा, दोनों एकदम भिन्न हैं, इसे स्पष्ट करने का नाम है शिक्षा।’ ’
स्वामी विवेकानंद के बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व के विषय में उपर्युक्त कथन के बाद यहाँ कुछ अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है। हमारे आज के जो सरोकार हैं, जैसे शिक्षा की समस्या, भारतीय संस्कृति का सही रूप, व्यापक समाज-सुधार, महिलाओं का उत्थान, दलित और पिछड़ों की उन्नति, विकास के लिए विज्ञान की आवश्यकता, सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, युवकों के दायित्व, आत्मनिर्भरता, भारत का भविष्य आदि-आदि। भारत को अपने पूर्व गौरव को पुन: प्राप्त करने के लिए, समस्याओं के निदान के लिए स्वामीजी के विचारों का अवगाहन करना होगा।
मूल स्रोतों और शोध पर आधारित यह पुस्तक ‘योद्धा संन्यासी’ हर आम और खास पाठक के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Yoga and Pranayam
Yogasan Aur Pranayam- Swami Akshya Atmanand (HB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Yoga and PranayamYogasan Aur Pranayam- Swami Akshya Atmanand (HB)
इस पुस्तक को सभी प्रकार के लोग पढ़ेंगे । योगासन से सम्बन्धित यह पुस्तक न तो पहली है और न अद्भुत; परन्तु यह पुस्तक परम्पराओं से हटकर अवश्य है । पाठकों को यह इसलिए भी रुचिकर लगेगी, क्योंकि वे इस पुस्तक के माध्यम से बिना किसी गुरु के ही ‘ योगासन ‘ और ‘ प्राणायाम ‘ सीख सकेंगे । अन्य उपलब्ध पुस्तकों से कुछ अधिक जानकारी, अधिक सहजता और अधिक सावधानियां इस पुस्तक में दी जा रही है । सरलतम और अत्यावश्यक योगासन ही इसमें दिये जा रहे हैं ।
अधिक विस्तृत जानकारियां सभी स्तर के पाठकों को ध्यान में रखकर ही दी जा रही हैं, जिससे आपको कम-से-कम परेशानी हो और आप अधिक-से- अधिक लाभ प्राप्त कर सकें; चिकित्सक और रोगी इन जानकारियों का लाभ ले सकें ।
– इसी पुस्तक से
अति सरल भाषा, विशिष्ट शैली, गम्भीरतम वैज्ञानिक विश्लेषण और सुबोध व्याख्या स्वामी अक्षय आत्मानन्दजी की पुस्तकों की ऐसी विशेषता है कि पाठक उनकी योग सम्बन्धी पुस्तकों की बार-बार मांग करते हैं । आप भी एक बार यदि किसी एक ग्रन्थ को पढ़ लेंगे तो सदैव स्वामी जी का साहित्य ही मांगेंगे । हमें विश्वास है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप भी योग विद्या में स्वयं काा प्रवीण कर सकेंगे।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
You Are Born to Blossom
This book is an account of how Dr. Kalam visualizes Information and Communication Technology mining the rural talent. Here, Dr. Kalam presents his dream of schools in India at 2020 as symbiotic nerve centres connecting teachers, students and community; personifying knowledge that exists in the world. He also makes a clarion call to accelerate the process of societal transformation. This would involve raising the standards of governance and safeguarding the sanctity of public institutions. The book uses the metaphor of a tree to describe the process of knowledge bearing fruits of prosperity in the contemporary globalised world where different phases, formative, adult working life, and post-50 experienced senior citizens, call for different kinds of learning. The book refers to a contextual contribution of a large number of Indian scientists and artists and proves that there is no age bar to blossom. He advocates creation of conditions that favour growth of diverse individual talents akin to a garden and calls for a scientific mind-set guided by conscience, consensus and by actions that take our social and moral values into account in building our own systems.
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Yuddha Mein Ayodhya (HB)
अयोध्या का मतलब है, जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब, जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं, जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के इस मायने को बदल ये तीन गुंबद राष्ट्र की स्मृति में दर्ज हैं। ये गुंबद हमारे अवचेतन में शासक बनाम शासित का मनोभाव बनाते हैं। सौ वर्षों से देश की राजनीति इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घूम रही है। आजाद भारत में अयोध्या को लेकर बेइंतहा बहसें हुईं। सालों-साल नैरेटिव चला। पर किसी ने उसे बूझने की कोशिश नहीं की। ये सबकुछ इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घटता रहा। अब भी घट रहा है। अब हालाँकि गुंबद नहीं हैं, पर धुरी जस-की-तस है। इस धुरी की तीव्रता, गहराई और सच को पकड़ने का कोई बौद्धिक अनुष्ठान नहीं हुआ, जिसमें इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य को जोड़ने का माद्दा हो, ताकि इतिहास के तराजू पर आप सच-झूठ का निष्कर्ष निकाल सकें। उन तथ्यों से दो-दो हाथ करने के प्रामाणिक, ऐतिहासिक और वैधानिक आधार के भागी बनें।
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Yuddha Mein Ayodhya (PB)
अयोध्या का मतलब है, जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब, जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं, जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के इस मायने को बदल ये तीन गुंबद राष्ट्र की स्मृति में दर्ज हैं। ये गुंबद हमारे अवचेतन में शासक बनाम शासित का मनोभाव बनाते हैं। सौ वर्षों से देश की राजनीति इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घूम रही है। आजाद भारत में अयोध्या को लेकर बेइंतहा बहसें हुईं। सालों-साल नैरेटिव चला। पर किसी ने उसे बूझने की कोशिश नहीं की। ये सबकुछ इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घटता रहा। अब भी घट रहा है। अब हालाँकि गुंबद नहीं हैं, पर धुरी जस-की-तस है। इस धुरी की तीव्रता, गहराई और सच को पकड़ने का कोई बौद्धिक अनुष्ठान नहीं हुआ, जिसमें इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य को जोड़ने का माद्दा हो, ताकि इतिहास के तराजू पर आप सच-झूठ का निष्कर्ष निकाल सकें। उन तथ्यों से दो-दो हाथ करने के प्रामाणिक, ऐतिहासिक और वैधानिक आधार के भागी बनें।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Zindagi Ka Ganit
“वैशवीकरण एवं बाजारवाद ने हमारी आस्था को सिरे से समाप्त करने का काम किया है । बस हमारे भीतर छोड़ा है तो वस्तुवाद का जहर, जिसके कारण हम मनुष्य से मशीनों में परिवर्तित होते जा रहे हैं । जीवंतता का आभास धीरे-धीरे लुप्त होता चला जा रहा है, जो कि एक अत्यधिक विचारणीय प्रश्न है।
हमें विकास की धारा से अछूता नहीं रहना चाहिए, परंतु विकास की कीमत हम अपने यथार्थ, अपने अस्तित्व के मूल्य से नहीं चुका सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘जीवन का गणित ‘ में इस विकासवादी समाज में बढ़ती जा रही विसंगतियों और धीरे-धीरे हमारी संस्कृति पर गहराते संकट को दिखलाने का प्रयास किया गया है ।
पाठकों के मन में प्रशन आएगा कि इस पुस्तक का नाम ‘ जीवन का गणित ‘ क्यों रखा है ? वैसे तो इस पुस्तक का एक लेख ‘ जीवन के गणित ‘ नाम से प्रकाशित हुआ है, परंतु इस पुस्तक में लेखिका ने अपने जीवन की गुल्लक में से छोटे-बड़े लम्हे समेटे हैं, जो कि वास्तविकता में उनके ही नहीं, इस पुस्तक को पढ़ने वाले हर पाठक को अपने जीवन की घटनाओं से जोड़ेंगे।”
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