Prakashan Sansthan
Showing all 3 results
-
Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
Bharat Ka Rashtradharm (PB)
-15%Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)Bharat Ka Rashtradharm (PB)
“राष्ट्र की चिति और राष्ट्रधर्म
सत्य तो यह है कि यह सुनिश्चित करना असंभव है कि भारत के सुदीर्घ राष्ट्रजीवन के पुण्य प्रवाह में राष्ट्रधर्म की अवधारणा कब अंकुरित हो गई।
शायद तब, जब पर्वतराज हिमालय के उत्तुंग शिखरों पर स्थित गहन गुफा में समाधिस्थ आदियोगी ने ॐ का उद्घोष कर आँख खोलते ही स्वयं से प्रश्न किया-कोऽहं ? तथा तुरंत स्वयं ही उत्तर भी दे दिया- सोऽहं !
या तब, जब महासागर की अपार जलराशि पर तैरती लघुकाय मछली की कातर पुकार सुनकर करुणा-विगलित वैवस्वत मनु ने उसे अपने कमंडल की रक्षा-परिधि में लेकर जीवमात्र के जीने के अधिकार को ही स्वीकृति नहीं दी, अपितु निर्बल की रक्षा करना मनुष्यमात्र का दायित्व भी निर्धारित कर दिया।
अथवा तब, जब ऋषिमुख से देववाणी फूट पड़ी-‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति’, अर्थात् सत्य एक है, अविभाज्य है, सार्वदेशिक है, सार्वकालिक है। विद्वान् लोग अपनी-अपनी मति अनुसार उसकी व्याख्या करते हैं। ऐसा करना उनका अधिकार भी है।”
SKU: n/a -
Hindi Books, Prakashan Sansthan, Suggested Books, अन्य कथेतर साहित्य
Brahmrishi Vansh Vistar (PB)
-15%Hindi Books, Prakashan Sansthan, Suggested Books, अन्य कथेतर साहित्यBrahmrishi Vansh Vistar (PB)
स्वामी सहजानंद सरस्वती बीसवीं सदी के एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी राजनेता थे, जिन्होंने किसानों के संघर्ष को भारत के मुक्ति संघर्ष से जोड़ने का काम किया था। वे अखिल भारतीय किसान सभा के संस्थापक थे। उनकी किसान चेतना के निर्माण में यथार्थवादी विश्वदृष्टि और वैज्ञानिक इतिहास दृष्टि की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी, जिसे उन्होंने मार्क्सवाद के गहरे अध्ययन और किसानों के दुख-दर्द के साथ संवेदनात्मक जुड़ाव के माध्यम से अर्जित किया था। इसके साथ ही वे एक संत और भारतीय समाज, संस्कृति और परंपरा के गहरे अध्येता थे। उन्होंने किसान आंदोलन के प्रति पूर्णतः समर्पित हो जाने के पूर्व, भारत की जातिव्यवस्था और उसकी गतिशीलता का भी गहरा अध्ययन किया था। यह पुस्तक- ‘ब्रह्मर्षि वंश विस्तर’ उसी अध्ययन के क्रम में लिखी गयी कृति है। इसमें उन्होंने ब्राह्मण जाति के सभी ‘फिरकों’ (शाखाओं-उपशाखाओं) की तत्कालीन अवस्था की जानकारी देने के साथ ही अलगाव और जुड़ाव के कारणों पर भी प्रकाश डाला है। हालांकि उनका रुख आलोचनात्मक नहीं है लेकिन अध्ययन इतना विशद है कि यह पुस्तक जातिव्यवस्था का प्रतिपक्ष प्रस्तुत करने में भी सक्षम है। जातिव्यवस्था का लाभ प्रायः सामंत (और अब बदले हुए समय में नवधनाढ्य और पूंजीपति) ही उठाते रहे हैं, लेकिन यह स्वामीजी के अध्ययन और सजगता का ही परिणाम था कि अपने समय में वे किसानों को अपनी जाति के जमींदारों से अलग करने और किसान आंदोलन को नयी धार देने में सफल हुए। भारतीय समाज की आंतरिक गतिशीलता जो प्रायः जातियों के जुड़ाव और अलगाव के माध्यम से रेखांकित होती है, उसको समझने के लिए आज भी यह प्रासंगिक है। प्रकाशन संस्थान (नयी दिल्ली) से उनकी रचनावली आठ खंडों में प्रकाशित है। इनकी अप्रकाशित रचनाएं निम्न हैं।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Kalpantak Yogi Brahmarishi Devraha Baba
-15%Hindi Books, Prakashan Sansthan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Kalpantak Yogi Brahmarishi Devraha Baba
“कल्पांतक योगी ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा’ एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो भारतीय संत-परंपरा के महान् योगी ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा के जीवन और शिक्षाओं का दिग्दर्शन करवाती है। यह उनकी अद्वितीय साधना, तप और आत्मज्ञान की यात्रा पर ले जाती है, जिसमें उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया।
बाबा का जीवन गूढ़ रहस्यों से भरा हुआ था। उन्होंने साधारण जनों को ध्यान, प्रेम और करुणा का महत्त्व समझाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं, जो हमें जीवन में संतुलन और शांति की ओर अग्रसर करती हैं। इस पुस्तक में ब्रह्मर्षि के शिष्यों के संस्मरण संकलित हैं। लोककल्याण के लिए बाबा की प्रकृति संगत महत्त्वपूर्ण घटनाओं, उनकी अलौकिक लीलाओं और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों का विस्तृत वर्णन है। कुछ घटनाओं को लेखक ने गहन शोध और गुरुदेव के शिष्यों के अनुभव के माध्यम से बाबा की दिव्यता से जोड़ने का प्रयास किया है। पुस्तक पाठकों को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करती है और यह संदेश देती है कि सच्ची साधना से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए अनिवार्य है, जो आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में है।
भारतीय संत परंपरा की अप्रतिम विभूति ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा के दिव्य जीवन का यशोगान करती प्रेरक पुस्तक ।”
SKU: n/a