Hindi Books
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
1000 BHARAT GYAN PRASHANOTTARI
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति1000 BHARAT GYAN PRASHANOTTARI
किसी भी विषय की बढ़िया-से-बढ़िया पठन-सामग्री को उसके विस्तृत कलेवर के साथ पढ़ना और उसे याद करना कठिन होता है, परंतु यदि उसी सामग्री को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत किया जाए तो वह अत्यंत रुचिकर हो जाती है और उसे सहजता से याद भी किया जा सकता है।
भारत जैसे विशाल एवं विविधतापूर्ण देश को 1000 प्रश्नों में समेट पाना निश्चय ही जोखिम भरा काम है। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का अपना एक दायरा होता है। इस स्थिति का आकलन करते हुए इस पुस्तक में प्रश्नों का चयन एवं प्रस्तुतीकरण इस तरह किया गया है कि पाठकों के समक्ष अधिक-से-अधिक जानकारी पहुँचाई जा सके। पुस्तक में शामिल किए गए अधिकतर प्रश्न ऐसे हैं, जिनमें कई उप-प्रश्न और उनके उत्तर छिपे हुए हैं।
प्रस्तुत पुस्तक को यथासंभव ज्ञानवर्धक एवं रोचक बनाने की कोशिश की गई है। प्रश्नों का चयन करते समय प्रत्येक विषय के हर पहलू को छूने की कोशिश की गई है।
पुस्तक संतुलित हो, इसका भी हर संभव प्रयास किया गया है। आशा है, भारत को भलीभाँति समझने में पुस्तक पाठकों की भरपूर मदद तो करेगी ही, भरपूर ज्ञानवर्द्धन भी करेगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
1000 Bharatiya Sanskriti Prashnottari(PB)
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति1000 Bharatiya Sanskriti Prashnottari(PB)
‘1000 भारतीय संस्कृति प्रश्नोत्तरी’ पाठकों को भारतीय संस्कृति से संबद्ध—प्राचीन एवं नवीन—विभिन्न जानकारियों, वस्तुनिष्ठ तथ्यों व महत्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराएगी। इसे पढ़कर पाठकगण भारतीय संस्कृति से संबद्ध ग्रंथों व उनके रचनाकारों; महत्त्वपूर्ण तिथियों, दिवसों, पक्षों, माहों व व्रतों; विभिन्न अंकों से संबद्ध जानकारियों; रोमांचक जानकारियों; महापुरुषों, नदियों, देवी-देवताओं, प्रतीकों; साधु-संतों, ऋषि-मुनियों; स्थलों, नदियों, जीव-जंतुओं; मेले, पर्वों त्योहारों व उत्सवों; नृत्य-नाट्य शैलियों, चित्रकला, गीत-संगीत, वाद्यों एवं वादकों, गायकों; अस्त्र-शस्त्रों, विभिन्न अवतारों; विभिन्न व्यक्तियों के उपनामें, उपाधियों व सम्मानों; संस्कार, योग, वेद, स्मृति, दर्शन एवं अन्यान्य ग्रंथों के संबंध में संक्षिप्त व महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकेंगे। विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक सामान्य पाठकों के अलावा लेखकों, संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शिक्षओं, विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। वस्तुतः, यह भारतीय संस्कृति का संदर्भ कोश है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1000 Itihas Prashnottari
1000 इतिहास प्रश्नोत्तरी इतिहास का खेल न्यारा है; और इतिहास अपने को दुहराता भी है। इसीलिए इतिहास में लोगों की स्वाभाविक जिज्ञासा होती है—चाहे वह परिवार का हो, राष्ट्र का हो या विश्व का। प्रस्तुत पुस्तक एक सामान्य पाठक और उसके इतिहास के ज्ञान के स्तर को ध्यान में रखते हुए लिखी गई है। पुस्तक को बहुविकल्पीय प्रश्नों की शैली में लिखा गया है। चार भागों में विभक्त पुस्तक को महत्त्वपूर्ण उपभागों में बाँटा गया है; जैसे—सिंधु घाटी सभ्यता के स्रोत, वैदिक सभ्यता, मौर्य एवं गुप्त साम्राज्य, जैन एवं बौद्ध धर्मों का उदय, दक्षिण के साम्राज्य, मुगल काल, मराठा राज्य, अंग्रेजी शासन और भारत का स्वतंत्रता संघर्ष आदि। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं, जिनमें एक सही उत्तर है, जिससे पाठक प्रश्न का सही उत्तर ढूँढ़ने के लिए अपनी तर्कशक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं। विश्वास है, पुस्तक पाठकों को अच्छी लगेगी तथा उनके इतिहास के ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1000 KALAM PRASHNOTTARI
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अद्भुत मेधा के धनी हैं। विलक्षण वैज्ञानिक के रूप में अग्नि मिसाइल के जनक होने के साथ-साथ भारत के महत्त्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों में उनकी सक्रिय भूमिका रही। भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने लगभग दस लाख बच्चों से संवाद कर उन्हें प्रेरित किया। उनके प्रभावशील व्यक्तित्व ने अनेकानेक लोगों को कर्तव्य-पथ पर अग्रसर किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम के तपस्वी जीवन, उनके संघर्ष तथा उनकी उपलब्धियों को ही नहीं, उनके आध्यात्मिक चिंतन एवं राष्ट्रप्रेम को प्रश्नोत्तर शैली में वर्णित किया गया है। इस कारण से यह पुस्तक आम पाठकों के अलावा विद्यार्थियों, परीक्षार्थियों एवं क्विज शो में भाग लेनेवाले प्रतियोगियों के लिए विशेष उपयोगी है।
एक तरह से डॉ. कलाम के प्रेरणाप्रद जीवन का विश्वकोश है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
1000 Mahabharat Prashnottari
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता1000 Mahabharat Prashnottari
1000 Mahabharat Prashnottari
क्या आप जानते हैं-‘ वह कौन पांडव वंशज था, जिसने एक बार अनजाने में ही भीम को मल्ल-युद्ध में पराजित कर दिया था ‘, ‘ धृतराष्ट्र का वह कौन पुत्र था, जो महाभारत युद्ध में जीवित बच गया था ‘, ‘ किस वीर से युद्ध करते हुए अर्जुन की मृत्यु हो गई थी ‘, ‘ द्रौपदी को ‘ याज्ञसेनी ‘ क्यों कहते थे ‘, ‘ हस्तिनापुर का नाम ‘ हस्तिनापुर ‘ कैसे पड़ा ‘, ‘ महाभारत युद्ध में कुल कितने योद्धा मारे गए थे ‘, ‘ उस अस्त्र को क्या कहते हैं, जिसके प्रयोग करने पर पत्थरों की वर्षा होने लगती थी ‘ तथा ‘ एक ब्रह्मास्त्र को दूसरे ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दबा देने से कितने वर्षों तक वर्षा नहीं होती थी?’ यदि नहीं, तो ‘ महाभारत प्रश्नोत्तरी ‘ पढ़ें । आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे ।
इस पुस्तक में भीष्म, द्रोण, कर्ण, अर्जुन, भीम एवं अभिमन्यु जैसे पराक्रमियों के अद्भुत शौर्य का वर्णन तो है ही, विभिन्न शस्त्रास्त्रों, दिव्यास्त्रों एवं उनके प्रयोगों और प्रयोग के पश्चत् परिणामों की जानकारी भी दी गई है । इसके अतिरिक्त महाभारतकालीन नदियों, पर्वतों, राज्यों, नगरों तथा राज्याधिपतियो का सुस्पष्ट संदर्भ भी जानने को मिलता है । साथ ही लगभग दो सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र- पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी ।
यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों संपादकों पत्रकारों वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है । वस्तुत: यह महाभारत का संदर्भ कोश है ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास
1000 MAHAPURUSH PRASHANOTTARI
1000 महापुरुष प्रश्नोत्तरी—राजेंद्र प्रताप सिंहयह पुस्तक पाठकों को भारतीय महापुरुषों से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण संदर्भ सामग्री, जैसे—उनकी जन्म-तिथि व निर्वाण-तिथि एवं अन्य संबद्ध तिथियाँ, माता-पिता के नाम, संबंधित स्थल एवं घटनाएँ, उनके भाषण, उपदेश व संदेश, उपाधियाँ व सम्मान, उपनाम, ऐतिहासिक कर्तृत्व, उनकी विशिष्टताएँ, उल्लेखनीय कार्य, आदर्श कथन आदि के बारे में महत्त्वपूर्ण व उपयोगी जानकारियाँ उपलब्ध कराती है। इसमें भारत के 100 से अधिक महापुरुषों पर आधारित विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ प्रश्नोत्तर शैली में दी गई हैं। इसमें 1,000 प्रश्न और उनके 4,000 वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं।
विश्वास है, पुस्तक छात्रों, शिक्षकों, पत्रकारों, संपादकों, वक्ताओं, लेखकों एवं विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अध्येताओं सहित आम पाठकों के लिए भी उपयोगी एवं पठनीय सिद्ध होगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
1000 Ramayana Prashnottari
क्या आप जानते हैं, ‘वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था’, ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था’, ‘कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था’, ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ क्यों कहा जाता है’, ‘हनुमानजी का नाम ‘हनुमान’ कैसे पड़ा’, ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
1000 Ramayana Prashnottari (PB)
क्या आप जानते हैं, ‘वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था’, ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था’, ‘कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था’, ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ क्यों कहा जाता है’, ‘हनुमानजी का नाम ‘हनुमान’ कैसे पड़ा’, ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
1000 Swami Vivekananda Prashnottari
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास1000 Swami Vivekananda Prashnottari
स्वामी विवेकानंद : एक ऐसा नाम, जो अपने जन्म के 150 वर्ष बाद भी लोगों को स्फूर्ति से भर देता है और देश, धर्म एवं संस्कृति के लिए अपना बलिदान करने की प्रेरणा देता है। ऐसे योद्धा संन्यासी का जन्म 12 जनवरी, 1863 को माँ भुवनेश्वरी देवी की कोख से हुआ था।
अवसान के समय स्वामीजी की आयु मात्र 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन थी। हिंदू धर्म के पुनर्जागरण के पुरोधा के रूप में भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व इतिहास में वे हमेशा याद किए जाएँगे। अपनी 39 वर्ष की छोटी सी आयु में संपूर्ण विश्व को उन्होंने वेदांत को वह वैश्विक स्वरूप प्रदान किया, जिसकी आज के युग में सबसे अधिक आवश्यकता है। ऐसे युगपुरुष के जीवन और अद्भुत कार्यों को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत किया गया है। विशाल कलेवर को 1000 प्रश्नों में समेटना भी दुष्कर कार्य है, अतः महत्त्वपूर्ण प्रसंगों को ही पुस्तक का विषय बनाया गया है।
भारतीय अस्मिता, गौरव, शक्ति, सामर्थ्य, मेधा और ज्ञान के प्रतीक स्वामी विवेकानंद के सार्थक जीवन का ज्ञान कोश है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
18vi Shatabdi mein Rajasthan ka Samajik evam Aarthik Jivan
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास18vi Shatabdi mein Rajasthan ka Samajik evam Aarthik Jivan
18वीं शताब्दी में राजस्थान का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन (मारवाड़ के संदर्भ में) : प्रस्तुत पुस्तक के लेखन हेतु पुरालेखीय सामग्री मारवाड़ की ख्यातों, विगत व तवारीखों के साथ ही मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र में संग्रहित दस्तूर बहियों, विवाह बहियों, जवाहरखाना की बहियों, मिन्ट की बहियों, कपड़ों के कोठार की बहियों, सनद परवाना बहियों, हकीकत बहियों, हथ बहियों, औहदा बहियों आदि का उपयोग किया गया है। साथ ही अजितोदय’, ‘अजीतचरित्र’, ‘महाराजा अजीतसिंह जी री दवावैत’, अजीतविलास’, ‘अभयविलास’, ‘सूरजप्रकाश’, ‘राजरूपक’, ‘मुंदियाड़ री ख्यात’, ‘मारवाड़ री ख्यात’, ‘बांकीदास री ख्यात’ आदि समकालीन ग्रंथों का भी अध्ययन किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक की सामग्री विषयानुसार आठ प्रकरणों में प्रस्तावित है। सामाजिक जीवन के अध्ययन के पूर्व मारवाड़ के भौगोलिक पर्यावरण, तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों, मारवाड़ में मराठों के प्रवेश व प्रभाव तथा सामन्त व्यवस्था के स्वरूप पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार आलोच्यकालीन मारवाड़ के प्रारंभिक काल में महाराजा अजीतसिंहजी व उनके स्वामीभक्त राठौड़ों के निरन्तर संघर्ष के पश्चात् भी धर्मान्ध औरंगजेब ने महाराजा अजीतसिंहजी का मारवाड़ पर आधिपत्य स्वीकार नहीं किया। अन्ततः औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् ही अजीतसिंह को मारवाड़ की सत्ता प्राप्त हुई। पतनोन्मुख मुगल साम्राज्य की कमजोरी का लाभ उठाकर मराठों ने उत्तर भारत में प्रसार की नीति अपनाई। इस नीति के अन्तर्गत राजपूताना की अन्य रियासतों के साथ ही मारवाड़ भी सम्मिलित था। इस बिन्दु में यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार मराठों की धनलोलुपता ने मारवाड़ को आर्थिक रूप से पंगु बना दिया। साथ ही राजा व सामन्तों में परस्पर सहयोग की उपयोगी अवधारणा ‘सामन्त व्यवस्था’ पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार प्रारंभिक काल के आज्ञानुकारी व स्वामिभक्त सामन्तों के वंशज कालान्तर में निहित स्वार्थों के वशीभूत होकर अपनी शक्ति का दुरुपयोग अपने स्वामी की शक्ति को कमजोर करने में करने लगे। मारवाड़ एक धर्मप्राण प्रदेश रहा है। यहाँ धार्मिक जीवन धर्म के विभिन्न मतों शैव, शाक्त व वैष्णव मत के रूप में प्राणवान् रहा है। जैन व इस्लाम धर्म के अनुयायी भी अपने-अपने धर्मों में निर्बाध निरत थे। रामस्नेही, नाथ, साध, निम्बार्क, वल्लभ, विश्नोई, दादूपंथ, कबीर पंथ इत्यादि विभिन्न सम्प्रदायों के प्रणेताओं तथा विचारकों ने भी ईश्वर प्राप्ति के आडम्बरहीन सुगम मार्ग को बताकर जनता को प्रभावित व प्रेरित किया। साथ ही लोकमानस पर लोकदेवताओं के प्रभाव को रेखांकित किया है। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में व्यक्तित्व के उत्थान के निमित्त संयोजित संस्कारों का अध्ययनकालीन मारवाड़ में क्या स्वरूप था तथा उनकी अनुपालना किस प्रकार रीति रस्मों व हर्षोल्लास द्वारा सम्पादित होती थी, इसका अध्ययन किया गया है। इसके साथ-साथ इस तथ्य को भी विवेचित किया गया है कि = तत्कालीन समय में शिक्षा व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास के निमित्त थी तथा नैतिक जीवन के आदर्श के रूप में शिक्षा का महत्व था। शिक्षा हेतु प्रथम और महत्वपूर्ण संस्था परिवार ही होता था। इसी परिवार संस्था एवं उसके परम्परागत स्वरूप संयुक्त परिवार प्रथा पर प्रकाश डाला गया है। परिवार में सभी सदस्यों की छोटे-बड़े व स्त्री-पुरुष के अनुसार एक विशेष स्थिति होती थी। इसका अध्ययन महिलाओं के विशेष सन्दर्भ में किया गया है। स्त्री जीवन से जुड़ी पर्दा प्रथा, सती प्रथा, बहुविवाह, दास प्रथा, दहेज प्रथा, वैधव्य, उपपत्नियाँ आदि विभिन्न कुप्रथाओं के साथ ही साथ स्त्री के सम्पत्ति अधिकार, नारी शिक्षा, उसके द्वारा निर्माण कार्य आदि विविध आयामों का विस्तृत अध्ययन किया गया है। जीवन के भौतिक तथा सांस्कृतिक पक्ष खानपान, वस्त्राभूषण, सौन्दर्य प्रसाधन, शृंगार, त्योहार, मेले एवं मनोरंजन के साधनों का महत्वपूर्ण अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1947 Ke Baad Ka Bharat
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
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1947 Ke Baad Ka Bharat (PB)
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
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1947 Ke Zakhma (PB)
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वर्ष 1947 में भारत-विभाजन के सात दशक से अधिक बीत जाने पर भी इस पीड़ा से गुजरे लोगों का दिलो-दिमाग आज भी इस दुःख का बोझ उठाए हुए है। नक्शे पर स्याही के बस एक निशान ने एक देश को दो में बाँट दिया, जिसका प्रभाव न केवल एक पीढ़ी पर, बल्कि आने वाली कई पीढि़यों पर भी पड़ा। इससे मिले ज़ख़्म आज भी अंदर तक पीड़ा देते हैं।
भारत और पाकिस्तान को बाँटने वाली खौफनाक रेडक्लिफ रेखा के दोनों तरफ के लोगों ने अकल्पनीय त्रासदियों को झेला। लाखों लोगों के विस्थापन के कारण घटी भयानक घटनाएँ इस दुस्वप्न को भोग चुके लोगों की यादों को हमेशा कचोटती रहेंगी। हाँ, बड़े पैमाने पर बरबादी के बावजूद सब खो देने और सबकुछ गँवा बैठने के बीच उत्साहित करने वाली मानवीयता, साहस और दृढ़-संकल्प की कुछ कहानियाँ भी हैं। ये ऐसे लोगों की कहानियाँ हैं, जो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उद्योगपति, चिकित्सा-शोधार्थी तथा और भी बहुत-कुछ बने। विभाजन के बाद के दशकों में परिवारों की शून्य से शुरुआत कर फिर से जीवन-निर्माण करने की ये कहानियाँ याद रखने योग्य एवं प्रेरणादायी हैं।
इन कहानियों में मनमोहन सिंह और मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर गौरी खान की नानी और अवतार नारायण गुजराल तक आते हैं। ‘1947 के ज़ख़्म’ बीते समय की यात्रा का रोमांचक और भावुकतापूर्ण संकलन है। वह अविस्मरणीय समय था, जो दोनों देशों पर हमेशा के लिए निशान छोड़ गया।
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1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani
1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी
1965 का युद्ध वर्ष 1947 में हुए विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला पूर्ण युद्ध था।
भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई.बी. चह्वाण ने 22 दिन तक चले इस युद्ध का विवरण स्वयं अपनी डायरी में दर्ज किया था। इस पुस्तक में बताई गई अंदरूनी बातों से पता चलता है—
• पाकिस्तानी हमले के समय का पता करने में भारत का खुफिया विभाग बिलकुल विफल रहा।
• कैसे और क्यों चह्वाण ने प्रधानमंत्री को सूचित किए बिना ही वायुसेना को हमला करने का आदेश दे दिया।
• कैसे एक डिवीजन कमांडर को अभियान से अलग कर दिया गया।SKU: n/a -
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1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Veergathayen
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई।
सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है।
युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है।SKU: n/a -
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1984: Dilli Mein Sikhon Par Huye Hamlon Ki Real Story
संजय सूरी नई दिल्ली में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार के एक युवा क्राइम रिपोर्टर थे, जब 31 अक्तूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। वह उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल थे, जिन्होंने उसके बाद हुई उस भयंकर और बेकाबू सिख-विरोधी हिंसा को देखा था, जबकि पुलिस ने आँखें बंद कर ली थीं।
उन्होंने देखा था, कैसे कांग्रेस के कार्यकर्ता लूट के आरोप में गिरफ्तार एक कांग्रेसी सांसद को रिहा करने की माँग कर रहे थे। रिपोर्टिंग के दौरान वह हत्यारों के गैंग से बाल-बाल बच गए थे। बाद में उन्होंने हलफनामा दायर किया, जिसमें कांग्रेस के दो सांसदों से संबंधित उनकी आँखोंदेखी गवाही शामिल थी, और एक चुनावी रैली में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सीधा सवाल किया था। नरसंहार की जाँच के लिए गठित कई जाँच आयोगों के सामने भी सूरी ने गवाही दी, हालाँकि उनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
इस पुस्तक में वह अपने अनुभवों और उस समय अग्रिम मोर्चे पर हिंसा का सामना करनेवाले पुलिस अधिकारियों के व्यापक साक्षात्कारों से हुए ताजा खुलासों का खजाना लेकर आए हैं। सिख विरोधी हिंसा और क्रूरता के पीछे कांग्रेस का हाथ होने के सवाल की यह गहरी छानबीन करती है कि क्यों तीस साल बाद भी जीवित बचे लोगों को न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। यह पुस्तक झकझोर देनेवाली घटनाओं का वर्णन विशिष्ट रिपोर्ताज और मर्मस्पर्शी कहानियों को जोड़कर करती है, जो आज भी हमें उतनी ही पीड़ा और वेदना का अनुभव कराती हैं।”
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, उपन्यास
1989 The Turning Point
1989 The Turning Point
1989। इस एक वर्ष में देश की जनता आम चुनाव, अयोध्या के विवादास्पद शिलान्यास और चैतरफे दंगों के बीच जिन परिस्थितियों से गुजरी उसने देश की राजनीति के साथ शहरी और ग्रामीण समाज के ताने बाने पर दूरगामी प्रभाव डाला। लेखक ने एक वर्ष के इस छोटे से अंतराल में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर हुई उथल-पुथल, पीड़ा, त्रासदी, उनकी पृष्ठभूमि, इन सभी के तह में जाकर, गहन शोध के बाद उन घटनाओं पर आधारित अपना यह उपन्यास लिखा है। इस उपन्यास में वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था, प्रशासन, मीडिया की भूमिका के साथ राजनीति-धर्म गठजोड़, राजनीति -अपराध जगत की सांठ गांठ पर भी रोशनी डाली गई है। 1989 The Turning Point
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Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास
2002 Gujarat Dange
भारतीय और वैश्विक मीडिया दोनों ने वर्ष २००२ की गुजरात में गोधरा और उसके बाद हुई हिंसा का व्यापक रूप से वृत्तांकन किया था। हिंसा का स्वरूप, गुजरात सरकार की भूमिका, साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर काफ़ी कुछ चर्चा हुई। इस संबंध में दुनिया भर में अलग-अलग राय व्यक्त की गई। यह पुस्तक बताता हैं कि वास्तव में क्या हुआ। यह पुस्तक कष्टसाध्य मीडिया संशोधन करके तत्कालीन अखबारों की खबरें, आधिकारिक आँकडे और गहन विश्लेषण के साथ वर्ष २००२ के दंगों की पूरी सच्चाई को उजागर करती हैं, और कई ग़लत धारणाओं को दूर करती है। इस पुस्तक में सर्वोच्च न्यायलाय द्वारा गठित एस.आई.टी. के निष्कर्षों पर एक विशेष अध्याय भी है। व्यापक रूप से प्रलेखित दस्तावेजों के आधार पर किए गए तर्कों से यह पुस्तक वर्ष २००२ के दंगों पर एक विश्वकोश की तरह है—गुजरात हिंसा के बारे में आवश्यक सभी जानकारी देती है।
गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार दोषी थी, या सरकार ने दंगों को प्रभावी तरीक़े से नियंत्रित किया? क्या गोधरा के बाद के दंगे एकतरफ़ा थे, या ये सामान्य दंगे थे जिनमें दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा? क्या मीडिया में आई कुछ घटनाएँ अतिरंजित थीं, या वे असली क्रूर तथ्य थे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में गहराई से और सर्वसमावेशी तरीक़े से दिए गए हैं। केवल एक बार यह किताब पढ़ने से वाचकों को अपना मन बना लेने के लिए सारी जानकारी मिलेगी।
‘Gujarat Riots: The True Story’ मूल पुस्तक पर विख्यात व्यक्तियों की राय
“वर्ष २००२ के गुजरात दंगे अख़बारी सुर्ख़ियों में फ्रंटलाइन में छा गए, लेकिन इस प्रकार कि उनसे प्रकाश के उजाले के बजाय ज्वाला ही ज़्यादा पैदा हुई। और इससे उत्पन्न अंतरराष्ट्रीय कोलाहल के कारण नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ नफरत-अभियान हुआ, जिनको अमेरिका का विसा नकारा गया, हालाँकि वे भारत में सबसे सफल मुख्यमंत्री थे। बेरेक ओबामा को मोदी पर लगाया प्रतिबंध वापस लेना पड़ा और मोदी से मुलाकात के लिए पंक्ति में खड़ा रहना पड़ा, यह बदले हुए सत्ता समीकरणों के कारण था, २००२ के दंगों के बारे में की प्रचलित समझ में के सुधार के कारण नहीं। गुजरात दंगों के बारे में कुछ पक्षपाती स्वयंसेवी संस्थाओं और कुछ मीडिया के लोगों ने किए दुष्प्रचार का, और २००२ के दंगों की घटनाओं का सच्चा और सटीक चित्र सामने लाने के लिए एम.डी देशपांडे को सारी प्राथमिक जानकारी इकट्ठा करने का कष्टसाध्य कार्य करना पड़ा। उनके परिश्रम और कार्यों के फलस्वरूप ही निःसंशय पद्धति से यह पुस्तक सच्चाई को सबके समक्ष प्रकट करती है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
32000 Saal Pahale (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति32000 Saal Pahale (PB)
“हाल के दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) की गहराइयों में बत्तीस हजार साल पुराने हिमयुग में नगर होने के साक्ष्य मिले हैं। संसार में अबतक मिली नगरीय सभ्यताओं में यह सबसे पुराना नगर होने का अनुमान है। वैज्ञानिकों-पुरातत्त्ववेत्ताओं के नवीन शोध और खोज को केंद्र में रखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखा गया है। ‘32000 साल पहले तीन उपन्यासों की शृंखला का पहला उपन्यास है।
उन दिनों संसार में सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोग हुए। संसार में पहली बार देह ढकने से लेकर, तेल का दीया जलाने, दूध का सेवन करने, बाँसुरी बजाने, नृत्य करने, गीत गाने, कथा वाचन आदि शुरू हुए। इन्हीं लोगों ने पहली बार नौका, हिमवाहन और चक्के के साथ विविध अस्त्रों का निर्माण किया। पहली बार मनुष्य के ओठों ने खाने और बोलने के आलावा प्रेम करना सीखा। खुले सेक्स की अवधारणा के साथ पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। कुछ अज्ञात-प्राकृतिक संघर्ष के कारण वहाँ प्रार्थना की शुरुआत हुई।
परग्रहियों ने होमो सेपियंस के डी.एन.ए. का पुनर्लेखन किया। कुछ वैज्ञानिकों और पुरातत्त्ववेत्ताओं ने समुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड में संरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उसे फिल्टर किया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा को डिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकी आवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले की पूरी कहानी सामने आई।”
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Hindi Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A Nation on Fire: Hinduism Under Siege
This book is on the subject that few know or have the courage to know. Hinduism, the life and breath of a ten million old civilization is under threat not only from external threat, but also from insidious anti-nationalism and subversive elements within.
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
A set of Six Darshan books (Yog, Nyaya, Sankhya, Vaisheshik, Vedant, Mimansa)
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भारतीय संस्कृति या वैदिक वाङ्गमय से सम्बन्ध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति छः दर्शनों या षड्दर्शन के नाम से परिचित होता ही है। चंूकि ये दर्शन वेद को प्रमाणिक मानते हैं, इसलिए इन्हें वैदिक दर्शन भी कहा जाता है।
ये छः दर्शन हैं-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदान्त। छः दर्शनों से अभिप्राय छः महर्षियों द्वारा लिखे गए सूत्र ग्रन्थों से है। (महर्षि गौतम के न्याय सूत्र, महर्षि कणाद के वैशेषिक सूत्र, महर्षि कपिल के सांख्य सूत्र, महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, महर्षि जैमिनि के मीमांसा सूत्र और महर्षि व्यास के वेदान्त सूत्र) बाद में इन्हीं सूत्र ग्रन्थों पर विद्वानों द्वारा विभिन्न भाष्य, टीकाएँ व व्याख्याएं लिखी गई।
परन्तु ऐसा भाष्य अपेक्षित था, जो विवेचनात्मक होने के साथ-साथ दर्षन के रहस्यों को सुन्दर, सरल भाषा में उपस्थित कर सके। आचार्यप्रवर पं. श्री उदयवीरजी शास्त्री दर्शनों के मर्मज्ञ विद्वान् थे। छः दर्शनों का विद्योदय भाष्य आचार्य जी के दीर्घकालीन चिन्तन-मनन का परिणाम है। इन भाष्यों के माध्यम से उन्होंने दर्षनसूत्रों के सैद्धान्तिक एवं प्रयोगात्मक पक्ष को विद्वज्जनों तथा अन्य जिज्ञासुओं तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है।
मूलसूत्रों में आये पदों को उनके सन्दर्भगत अर्थों से जंचाकर की गई यह व्याख्या दर्षनविद्या के क्षेत्र में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। इन भाष्यों के अध्ययन से अनेक सूत्रों के गूढार्थ को जानकर दर्षन जैसे क्लिष्ट विषय को आसानी से समझा जा सकता है। आचार्य जी द्वारा प्रस्तुत इन भाष्यों की यह विशेषता है कि यह शास्त्रसम्मत होने के साथ-साथ विज्ञानपरक भी हैं।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Aadhunik Bharat ka Itihas
आधुनिक भारत का इतिहास (1740 ई. से 1950 ई. तक) : आधुनिक भारत का इतिहास, अत्यंत रोचक, पठनीय एवं प्रेरणादायक हैं। यह इतिहास उस समय से आरम्भ होता है, जब मुगलों का समस्त वैभव धूल-धूसरित होकर केवल लाल किले तक सीमित रह जाता है और मराठों के हाथों की कठपुतली बनकर अंतिम सांसें गिनने लगता है। इस युग में होने वाले अफगान आक्रमणों के हाथों, मराठों की भी कमर टूट जाती है और वे बिखरने लगते हैं। इस काल में पूरा देश हिन्दुओं, मराठों और मुस्लिम रियासतों में विभक्त होकर एक दूसरे के विनाश के लिये भयानक रक्तपात करता हुआ दिखाई देता है। ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत की इस दुर्दशा का लाभ उठाती है और तेजी से पसरती हुईं पहले मद्रास, फिर बंगाल और इलाहबाद और अंत में दिल्ली तक जा पहुंचती है। 1857ई. में भारत अपनी खोई हुई स्वतंत्रता प्राप्त करने का प्रयास करता है किंतु ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश ताज के अधीन हो जाता है। लगभग तीन दशकों बाद ही भारत अपनी मुक्ति के लिये पुनः आंदोलन करता है। यह आंदोलन 1947ई. में तब तक चलता रहता है, जब तक कि भारत दासता की बेड़ियां पूरी तरह काट नहीं डालता। इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित यह इतिहास भारत के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर लिखा गया है।
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Hindi Books, Lokbharti Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Aadi Shankaracharya : Jeevan Aur Darshan (HB)
-17%Hindi Books, Lokbharti Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांAadi Shankaracharya : Jeevan Aur Darshan (HB)
आठवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत में जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा अन्य अनेक सम्प्रदायों और मत-मतान्तरों का बोलबाला था। जैन धर्म की अपेक्षा बौद्ध धर्म अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ। जैन धर्म को खुलकर चुनौती दी। जैन धर्म भी वैदिक धर्म का कम विरोधी नहीं था। बौद्ध और जैन धर्मों के अतिरिक्त सातवीं-आठवीं शताब्दी में अन्य धार्मिक सम्प्रदाय भी प्रचलित हो गए थे। उनमें भागवत, कपिल, लोकायतिक (चार्वाक), काणाडी, पौराणिक, ऐश्वर, कारणिक, कारंधमिन (धातुवादी), सप्ततान्त्व (मीमांसक), शाब्दिक (वैयाकरण), पांचेरात्रिक प्रमुख थे। ये सभी सम्प्रदाय वेद-विरोधक और श्रुति-निन्दक थे। ऐसी विषम और भयावह स्थिति में धार्मिक जगत में किसी ऐसे उत्कट त्यागी, निस्पृह, वीतराग, धुरंधर विद्वान, तपोनिष्ठ, उदार, सर्वगुण-संपन्न अवतारी पुरुष की महान आवश्यकता थी जो धर्म की विशृंखलित कड़ियों को एकाकार करके उसे सुदृढ़ बनाता और धर्म का वास्तविक स्वरूप सबके सम्मुख प्रस्तुत करता। मध्वाचार्य ने शंकराचार्य के अवतार का वर्णन विस्तार के साथ किया है। उसका सारांश इस प्रकार है—”भगवती भूदेवी और समस्त देवताओं ने जगत-सृष्टा ब्रह्मा के साथ कैलाश पर्वत पर जाकर पिनाकपाणी आशुतोष भगवान शंकर की आर्त्त वाणी में करबद्ध स्तुति की। तब भगवान शंकर उन लोगों के सम्मुख अत्यन्त तेजस्वी रूप में प्रकट हुए और उन्हें इस प्रकार आश्वासन दिया—‘हे देवगण, मैं समस्त घटनाओं से भली-भाँति विज्ञ हूँ। अतः मैं मनुष्य का रूप धारण कर आप लोगों की मनोकामना पूर्ण करूँगा। दुष्टाचार विनाश के लिए तथा धर्म के स्थापन के लिए, ब्रह्मसूत्र के तात्पर्य निर्णायक भाष्य की रचना कर, अज्ञानमूलक द्वैतरूपी अन्धकार को दूर करने के लिए मध्यकालीन सूर्य की भाँति चार शिष्यों के साथ चार भुजाओं से युक्त विष्णु के समान इस भूतल पर यतियों में श्रेष्ठ शंकर नाम से अवतरित होऊँगा। मेरे समान ही आप लोग भी मनुष्य-शरीर धारण कर मेरे कार्य में हाथ बँटाइए।’ इतना कहकर और देवताओं को अन्य आवश्यक निर्देश देकर भगवान शंकर अन्तर्धान हो गए!” आचार्य शंकर का भारतीय दार्शनिकों में अप्रतिम स्थान है। पाश्चात्य दार्शनिक भी उन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं और उनकी प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक हैं। उनके बाल्यकाल से देहलीला सँवरण तक की घटनाएँ चमत्कारिक एवं दैवी शक्ति से परिपूर्ण हैं। इसलिए उन्हें भगवान आशुतोष शंकर का अवतार माना जाता है। उन्होंने वैदिक धर्म का पुनरुद्धार किया और उसके वास्तविक स्वरूप को सही अर्थ में समझाने की चेष्टा की। इस महान प्रयास में उन्हें तत्कालीन धर्मों और सम्प्रदायों से लोहा लेना पड़ा। शैवों, शाक्तों, वैष्णवों, बौद्धों, जैनों एवं कापालिकों आदि से शास्त्रार्थ करना पड़ा। अपनी असाधारण प्रतिभा और अकाट्य तर्कों द्वारा उन्हें पराजित किया। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में चार शंकराचार्य को अभिषिक्त कर भारतीय वैदिक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का उत्तरदायित्व उन्हें सौंपा। उन्होंने शैवों, शाक्तों एवं वैष्णवों को एक सूत्र में बाँधा। इससे वैदिक धर्म अत्यन्त शक्तिशाली हो गया। मात्र बत्तीस वर्ष की अल्पायु में उन्होंने अद्वितीय आश्चर्यजनक कार्य किए।
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Hindi Books, Rajkamal Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Aadi Shankaracharya Jeevan Aur Darshan (PB)
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अपने अनुयायियों को मृत और आचार्य शंकर के शिष्यों और भक्तों को सुरक्षित देखकर क्रकच क्रोध से आगबबूला हो गया। उसी अवस्था में वह यतीन्द्र शंकर के समक्ष उपस्थित होकर कहने लगा, ‘‘हे नास्तिक, अब मेरी शक्ति का प्रभाव देखो। तुमने तो दुष्कर्म किये हैं, उनका फल भोगो।’’ इतना कहकर वह हाथ में मनुष्य की खोपड़ी लेकर आँख मूँदकर ध्यानमुद्रा में खड़ा हो गया। वह भैरव-तंत्र का प्रकाण्ड पंडित था। उसकी इस क्रिया के प्रभाव से रिक्त खोपड़ी मदिरा से भर गई। उसने आधी पी ली और पुनः ध्यानमुद्रा में स्थित हुआ। इतने में ही क्रकच के सम्मुख नरमुण्डों की माला पहने, हाथ में त्रिशूल लिये, विकट अट्टहास और गर्जन करते हुए, आग की लपट के समान लाल-लाल जटावाले महाकापाली भैरव प्रकट हो गये।
क्रकच ने अपने इष्टदेव को देखकर प्रसन्न भाव से प्रार्थना की, ‘‘हे भगवन्, आपके भक्तों से द्रोह रखने वाले इस शंकर को अपनी दृष्टिमात्र से भस्म कर दीजिए।’’ क्रकच की प्रार्थना सुनकर महाकापाली ने उत्तर दिया, ‘‘अरे दुष्ट, शंकर तो मेरे अवतार हैं। इनका वध करके, क्या मैं अपना ही वध करूँ? क्या तुम मेरे शरीर से द्रोह करते हो?’’ ऐसा कहकर भैरव महाकापाली ने क्रोध से क्रकच का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया।SKU: n/a