Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब)
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), सही आख्यान (True narrative)
Calcutta Quran Petition
This book compiles the documents of the Calcutta Quran Petition and provides extensive commentary on them. The stated goal of this book is to promote a public discussion of Islam as a religion, particularly its claim that every bit of the Quran and the Hadis has a divine source. This claim is used at present to prevent a close examination of what the book contains and what message Islam has for mankind at large. This is the Third Revised and Enlarged Edition.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Chhuachhoot Mukta Samras Bharat
-10%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्यChhuachhoot Mukta Samras Bharat
भारत प्राचीन काल में विश्वगुरु रहा है, क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों ने विश्व कल्याण हेतु ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उद्घोष किया। किंतु लंबे समय तक भारत विदेशी आक्रांताओं द्वारा शोषित और शासित रहा। इसी कालखंड में उन्होंने भारत की शिक्षा, संस्कृति, अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया। जो जाति व्यवस्था कर्म आधारित थी, वह धीरे-धीरे जन्म आधारित हो गई। कुछ जातियों को अमानवीय स्थिति में डालकर अस्पृश्य घोषित कर दिया। स्वतंत्रता के बाद कानून बनाकर अस्पृश्यता, यानी छुआछूत को दंडनीय अपराध घोषित किया गया, तो कुछ राहत मिली। इसके पूर्व भी हमारे संतों व समाज-सुधारकों ने इस जाति-पाँति आधारित भेदभाव का खंडन और विरोध किया था।
आधुनिक संदर्भ में जाति-पाँति, रंग, भाषा, क्षेत्र, लिंग आदि पर आधारित सभी प्रकार की विषमताओं को समाप्त कर एक समरस समाज के निर्माण की नितांत आवश्यकता है। सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी समतामूलक समरस समाज ही स्वस्थ और सुखी समाज हो सकता है। सशक्त व अखंड राष्ट्र के लिए सामाजिक समरसता अनिवार्य है। चूँकि सबके साथ से ही सबका विकास एवं सबका विश्वास संभव है। देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आरंभ से ही इस चुनौती को स्वीकार कर समरस व जातिविहीन समाज के निर्माण का संकल्प लिया था। समरसता हेतु चल रहे इस महायज्ञ में एक आहुति के रूप में यह पुस्तक ‘छुआछूत मुक्त समरस भारत’ प्रस्तुत है।
• जाति का सबसे बुरा पक्ष है कि वह प्रतियोगिता को दबाती है और वास्तव में प्रतियोगिता का अभाव ही राजनीतिक अवनति और विदेशी जातियों द्वारा उसके पराभूत होते रहने का कारण सिद्ध हुआ है।SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Suggested Books, Vani Prakashan, सही आख्यान (True narrative)
FATWE ULEMA AUR UNKI DUNIYA
-10%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Suggested Books, Vani Prakashan, सही आख्यान (True narrative)FATWE ULEMA AUR UNKI DUNIYA
एक मुसलमान का किसी भारत जैसे गैर-मुस्लिम देश के प्रति क्या रुख होना चाहिए? काफिरों के प्रति उसका व्यवहार कैसा होना चाहिए? क्या उसे, जो कुछ गैर-मुस्लिम करते हैं उससे उलट करना चाहिए? क्या उसे वही करना चाहिए जिससे वे हतोत्साहित हों? क्या जिहाद को काफिरों के खिलाफ कयानत तक चलने वाला सिलसिला बताया गया है? क्या मुसलमान को विज्ञान की उन नयी खोजों को स्वीकार कर लेना चाहिए जो कुरान और हदीस की मान्यताओं के विरुद्ध जाती हैं और पुरानी खोजों का खण्डन करती हैं-जैसे कि पृथ्वी गोल है, यह पृथ्वी के इर्द-गिर्द चक्कर काटती है। कहा जाता है कि इस्लाम की संहिता मुकम्मिल है, और इसे बताने और लागू करने का काम फतवों के माध्यम से होता है। इस तरह से फतवों की पुस्तकें कानून की रिपोर्टों के समकक्ष होती हैं और ये शरियत का सक्रिय रूप होती हैं। ये मुसलमान समुदाय के उन उच्चतम और सर्वाधिक प्रभावशाली उलेमा द्वारा रचित कृतियाँ हैं, जो उसे रूप एवं दिशा प्रदान करते हैं।
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hadoti va Tonk ke Muslim Smarak
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिHadoti va Tonk ke Muslim Smarak
प्रस्तुत पुस्तक “हाड़ौती व टोंक के मुस्लिम स्मारक” राजस्थान के ऐतिहासिक स्मारकों की स्थापत्य शैली एवं इतिहास में एक नवीन अध्याय जोड़ने का अभिनव प्रयास है।
प्रस्तुत सचित्र संदर्भयुक्त ग्रन्थ हाड़ौती एवं टोंक के मुस्लिम स्मारकों पर केंद्रित है, जिनमें प्रत्येक स्मारक से जुड़ी मौलिक जानकारियों का समावेश किया गया है। राजस्थान के दक्षिण पूर्वी हाड़ौती क्षेत्र की तीन रियासतों कोटा, बूंदी एवं झालावाड़ व राजस्थान की एकमात्र पठान रियासत टोंक विभिन्न कालखंडों में निर्मित मस्जिदों, मकबरों, दरगाहों, खानकाहों, कुओं व बावड़ियों के स्थापत्य से अत्यंत समृद्ध हैं।
विभिन्न कालखंडों में निर्मित इन स्मारकों के निर्माण में सल्तनतकाल व मुगलकाल की मुस्लिम स्थापत्य शैलियों के स्थानीय राजपूत व आधुनिक काल की ब्रिटिश स्थापत्य शैलियों के मिश्रण से जन्मी अनोखी स्थापत्य शैली की विशिष्टता एवं ऐतिहासिकता को उजागर करने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है यह कृति।SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Haivaniyat Ka Senapati
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Haivaniyat Ka Senapati
हैवानियत का सेनापति
इस संसार में उपयोग करने हेतु वस्तुओं की कमी नहीं है, अगर वो समानता से सभी को प्राप्त हो। भोजन, पानी, जिंदगी की तमाम आवश्यक लगने वाली वस्तुओं से भी महत्त्वपूर्ण है। जब जन्म होता है तब से मनुष्य आनंद को तरसता है वो संसार में आनंद को खोजता है वो ज्यादा एकत्रित करने की चेष्टा में दूसरों को हानि पहुँचाता है। फिर जन्म होता है लालच, घमंड और जल का, जिन्हें नुकसान होता है वो बदले की प्रतीक्षा करते हैं। शैतान का जन्म यहीं से होता है। इच्छापूर्ति होने पर मानव मन शांत नहीं बैठता, वो नई इच्छाएँ बनाता है और पूरा न होने पर आपा खो बैठता है। Haivaniyat Ka Senapati
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Heroic Hindu Resistance to Muslim Invaders
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Heroic Hindu Resistance to Muslim Invaders
It is this version of India’s history which gave a good conscience to the British imperialist while he pulverised Hindu society, plundered Hindu wealth and poured undisguised contempt on Hindu culture, It is this version of India’s history which emasculated Hindu society and emboldened the residues of Islamic imperialism to stage street riots and then walk away with precious parts of the Hindu homeland, thus consolidating an aggression which had not succeeded even though mounted again and again for more than a thousand years. It is this version of India’s history which is being invoked by the fifth-columns of Islam, Christianity, and Communism, each of which looks forward to a final conquest of this country with the help of foreign finances and, if need be, foreign firearms. And it is this version of India’s history which is being promoted by power-hungry politicians who woo the Muslim vote-bank while they divide Hindu society into mutually hostile camps.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Hindu view of Christianity and Islam
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Hindu view of Christianity and Islam
Hitherto, scholars have looked at Hinduism through the eyes of Christianity and Islam, but here an attempt has been made to discuss them from the viewpoint of Hindu spirituality. The two prophetic religions have a long history of conflict but they also share a common spiritual perspective. Almost from their birth, they have been systematic persecutors of pagan religions, cultures and nations. In the heyday of their domination, they acquired great prestige and their viewpoint prevailed also in judging the victims. In this book, the author questions the victors’ standard of judgment and looks at their religious premises afresh. He discusses monotheism and prophetism – the ideology of a god who has a chosen people (and also chosen enemies), but whom they know only indirectly through a favored intermediary; he discusses the doctrines of a single life and a single judgment; he discusses the dogmas of iconoclasm, jihad, Missions and conversion. He looks at all these basic concepts and practices of prophetic religions from the viewpoint of the Yoga and finds that they have little spiritual merit. The author also discusses yogic and non-yogic samadhis, and how the two project their own respective revelations, gods and ethical codes. He holds that the god of prophetic religions is not a spiritual being but he embodies a fanatic and intolerant idea.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Voice of India, इतिहास
Indian Muslims: who are they
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Voice of India, इतिहासIndian Muslims: who are they
Several factors have contributed to the growth of Muslim population in India-invading armies with their retinues, constant recruitment of soldiers from across the borders, red-carpet welcome extended to immigrants from Muslim countries, forcible conversions, proselytization by means of pressures and temptations, large-scale polygamy with Hindu women, and the proverbial Muslim fecundity enjoined by express statements of the Prophet who wanted his flock to be more numerous than any other people. Dr. K.S. Lal has documented in some fulness how the continued wars of conquest waged by the Islamic invaders ensured a constant supply of Hindu prisoners of war who were sold and resold as slaves and who eventually ended up by feeding the Muslim population. It may sound cruel but the Theology of Islam does prescribe capture and enslavement of non-combatant men, women and children of the infidels as a part of the legitimate booty promised by Allah to those who fight for enforcing his commandments. The history of Islam is replete with this practice. On the other hand, Dr. Lal examines in some detail and refutes conclusively the oft-repeated theory that the Hindu caste system was responsible for conversions to Islam. He points out that the countries in the Middle East, Central Asia and North Africa had no caste system and yet they succumbed completely to the onslaught of Islam. Hindus by and large resisted conversion even when the choice was between Islam and death; the pride they took in their caste, as in their religion and culture, was one of the powerful factors which prevented the Islamization of India. Micro-studies of Muslim communities in larger India including Afganistan will reveal that very few of their ancestors converted by choice to the invader’s faith, and that an overwhelming majority of them are Hindus in their origin, stock and religion. Such studies will also reveal to the Hindus that the so-called Muslims are mostly their own brothers, the lost tribes of Hinduism, who were separated from their fraternity under very special circumstances. Professor Kishori Saran Lal (1920-2002) took his doctorate degree in Medieval Indian History from the University of Allahabad in 1945. He has published a number of articles and monographs on Medieval Indian History About his History of the Khaljis (revised, 1967), the Times Literary Supplement, London, wrote: This book is unlikely to be superseded. The statement holds good for his other works also. All his books have met a world-wide acclaim.;
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, सही आख्यान (True narrative)
Islam Aur Communism (PB)
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, सही आख्यान (True narrative)Islam Aur Communism (PB)
हिन्दू रक्षा-शिक्षा के लिए एक अनिवार्य पुस्तक। तीन अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों की चेतावनी जैसे विश्लेषण-विवरण की हिन्दी में सारभूत प्रस्तुति।
इस्लाम के अनुसार अच्छा मुसलमान वह है जो प्रोफेट के सुन्ना का पालन करता है। यही एकमात्र निर्धारक है। यदि इस्लाम को जानना है तो सदैव मुहम्मद की ओर देखें, न कि किसी नेता, विद्वान या मौलाना को। तभी आपको सत्य मिलेगा। वरना धोखे खाने की ही पूरी संभावना है।… इस्लाम द्वारा दूसरों के साथ सह-अस्तित्व की सारी बातें सदैव अस्थाई होती हैं।… इसलिए पहले इस्लामी सिद्धांत व इतिहास जान कर ही सच्चाई समझे। यह अब कठिन नहीं रहा। तभी जरूरी है कि इस्लाम के सिद्धांत और व्यवहार के इतिहास को पूरी तरह जानने की व्यवस्था करना अनिवार्य कर्तव्य है। Islam denies coexistence
इस्लाम के साथ सामंजस्य का मतलब है उस की ओर से आती रहने वाली क्रमशः अंतहीन माँगें (डॉ. अंबेदकर ने कहा था, ‘मुसलमानों की माँगे हनुमान जी की पूँछ की तरह बढ़ती जाती हैं’) पूरी करते जाना। प्रोफेट मुहम्मद अपनी माँगों में कभी नहीं रुके,जब तक कि उन की 100% माँगें पूरी नहीं हो गईं। वही मुसलमानों के आदर्श हैं। इसलिए काफिरों के लिए कोई आसानी का रास्ता नहीं।
उन्हें समझ लेना होगा कि इस्लाम उस एक चीज – जिहाद – को कभी नहीं छोड़ेगा, जिस से उसे आज तक सारी सफलता मिली! इस्लाम की सारी सफलता राजनीतिक समर्पण की माँग, दोहरेपन और हिंसा पर आधारित है। बेचारा काफिर जो बदलना चाहता है वह यही चीज है – हिंसा, दबाव, हुज्जत, और राजनीति। जबकि काफिर से समर्पण की माँग करना और हिंसा करना, यही इस्लाम की सफलता का गुर रहा है। अतः हिंसा, दबाव, हुज्जत, और माँगें कभी नहीं रुकने वाली, क्योंकि वह 1400 वर्षों से काम कर रही हैं। आज तो वह पहले किसी भी समय से अधिक काम कर रही हैं! भारत में ही किसी भी हिन्दू नेता का भाषण सुन लीजिए।
यह पुस्तक राजनीतिक इस्लाम और कम्युनिज्म के स्वरूपों पर, भिन्न-भिन्न देशों के तीन बड़े विद्वानों के प्रमाणिक
आकलनों की एक प्रस्तुति है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय स्थिति को समझने में भी यह सहायक हो सकती है।SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Islam vis-a-vis Hindu Temples
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Islam vis-a-vis Hindu Temples
Islam has been tormenting Hindu society for more than thirteen hundred years. It has inflicted no end of grievous injuries on the Hindu homeland, Hindu population, and the Hindu heritage. It is high time Hindus should understand the system of belief from which Muslim behavior pattern evolves. Hindus have so far failed to study Islam from the orthodox sources. In fact, they have been more than willing to buy the fairy takes which the salesman of Islam have fabricated, particularly about the Prophet, the Pious Caliphs, and the Sufis.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Islamic Radicalisation In India: Origin And Challenges Book in English by Arun Anand
-15%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Prabhat Prakashan, इतिहासIslamic Radicalisation In India: Origin And Challenges Book in English by Arun Anand
Two sets of developments have become quite visible over the last fewyears. While scores of activists belonging to Hindu organisations havebeen killed by radical Islamists; there Is also a growing clamour within a sectionof Indian Muslims to assert their religious identity aggressively and display itexplicitly.
There are some crucial aspects of radicalisation of Muslims in India thatneed to be understood. First, unlike the western world, radicalisation in India ishappening not only in urban areas but also in far flung as well as remote ruralareas. The population in rural India needs to be watched and monitored moreclosely in this regard. Second, radicalisation in India has been ‘legitimised’ in thename of ‘protecting minority rights’ by many political parties for garneringMuslim votes. Their regressive stand on issues like hijab and silence on thekilling of Hindu activists by radical Islamists further perpetuates radicalisation.Third, as a society we are refusing to learn lessons from the past. Radicalisationof Muslims led to partition of India in 1947. It is time not to be like that pigeonwho closes eyes thinking the cat doesn’t exist and ends getting eaten up.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Kashmir Ka Rista Ghav (PB)
-10%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Kashmir Ka Rista Ghav (PB)
भारत में मुसलमानों की दशा और दिशा का यह समाजशास्त्रीय अध्ययन है, जिसमें समुदाय के भीतर के शोषक और शोषित की शिनाख्त करने की कोशिश की गई है। समुदाय के भीतर एक बहुत ही कम जनसंख्यक ए.टी.एम.समूह है, जो शेष डी.एम. समूह कारक्तपान कर रहा है। वह समूह भारत के देशी मुसलमानों पर बहुत ही सख्ती सेमजहब की चादर तानकर उनकी प्रगति के सभी स्वाभाविक रास्तों को तो अवरुद्ध करता ही है, लेकिन कल्याणकारी राज्य केअंतर्गत मिलने वाले सभी विशेष अवसरों को भी चाट रहा है। अशरफ/ए.टी.एम.बनाम अलजाफ/अरजाल/पसमांदा यानी डी.एम. के भीतरी संबंधों और संघर्ष को समझने, उसके परिणामों को समझने के लिए केस स्टडी के तौर पर कश्मीर घाटी को लिया गया है। कश्मीर में ए.टी.एम, बनाम डी.एम. के संघर्ष का शायद यह पहला समाजशास्त्रीय अध्ययन है। कश्मीर में सांकेतिक रूप से इसकी शुरुआत बशीर अहमद डाबला ने की थी । यह अध्ययन देशी मुसलमानों में अपनी जड़ें तलाश करने की प्रवृत्ति विकसित करेगा।
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Garuda Prakashan, सही आख्यान (True narrative)
Love Jihad or Predatory Dawah?: Shocking Ground Stories of Conversion
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Garuda Prakashan, सही आख्यान (True narrative)Love Jihad or Predatory Dawah?: Shocking Ground Stories of Conversion
What are the real heartbreaking stories of Non-Muslim women (and men) in inter-faith relationships with Muslims? What are the basic legal and social implications of such alliances that both men and women entering them should know? Are such relationships based on a premise of religious superiority and hegemony of Islam? Is there either ‘Love’ or ‘Jihad’ imbibed in such relationships? Were inter-faith unions a mechanism for the spread of Islam? Can such liasions survive the pre-requisites of Shariah law? And is the overwhelming complexity and brutality of such relationships a manifestation of predatory Dawah?
These fundamental questions are addressed in this book which is based on primary research by Group of Intellectuals and Academicians (GIA).
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Govindram Hasanand Prakashan, इतिहास
Major (80%) Role of Arya Samaj in Freedom Strugle of Bharat
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Govindram Hasanand Prakashan, इतिहासMajor (80%) Role of Arya Samaj in Freedom Strugle of Bharat
Major (80%) Role was played by the members of Arya Samaj movement for the independence of Bharatvarsh from the British rule.This book is dedicated to those brave soldiers of Arya Samaj, who followed the foot prints of founder of Arya Samaj Maharishi Dayanand Saraswati.These men and women members of Arya Samaj of that time, sacrificed their lives, their livelihood, suffered the tortures of various jails including Cellular jail ( Kala Pani jail) in Andman island instead of comforts of their family homes. They did not worry about the welfare of their loved ones after they had gone.No country can achieve anything like independence, without the massive support of their citizens. Indian National Congress party, All-India Muslim League and others made for the remaining 20%. But minorities (20%) seem to take full credit of Independence of Bharat with no mention of majority (80%) participants of Arya Samaj movement. How unfair?We have collected all the available facts, available till now to prove the majority role played by Arya Samaj.We sincerely request the present Government of Bharat to give long over due recognition of this true fact and oblige members of the Arya Samaj movement.Is it too much to ask for? -Narendra Kumar
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Mohammed and the rise of Islam
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Mohammed and the rise of Islam
Marligoliouth was a great linguist and scholar and was for a long time a professor of Arabic at the Univ. of Oxford. The spiritual equipage of Islam and Christianity is similar; their spiritual contents, both in quality and quantum, are about the same. The central piece of the two creeds is “one true God” of masculine gender who makes himself known to his believers through an equally single, favoured individual. The whole prophetic spirituality in both is mediumistic in essence. Here everything takes place through a proxy, through an intermediary. The proxy is the favoured individual, a privileged mediator…Hitherto we have looked on Hinduism through the eyes of Islam and Christianity. Let us know learn to look at these ideologies from the vantage point of Hindu spirituality- they are no more than ideologies, lacking as they are in the integrality and inwardness of true religion and spirituality. Such an exercise would also throw light on the self-destructiveness of the modern ideologies of Communism and Imperialism, inheritors of the prophetic mission or “burden”, in its secularized version, of Christianity and Islam. The perspective gained will be great corrective and will add a new liberating dimension; it will help not only India and Hinduism but the whole world.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Hindu Rights Forum, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Muhammad Ka Jeevan (PB)
-10%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Hindu Rights Forum, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Muhammad Ka Jeevan (PB)
यह पुस्तक सर विलियम मूर कृत अंग्रेजी पुस्तक The life of Mahomet का हिंदी अनुवाद है। यह पुस्तक पहली बार 1861 में चार खंडों में प्रकाशित हुई थी। यह मोहम्मद के जीवन पर एक प्रमाणिक शोध ग्रंथ है।
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Musalmano Ki Ghar Wapsi.. Kyon Aur Kaise?
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Musalmano Ki Ghar Wapsi.. Kyon Aur Kaise?
अस्त्र-शस्त्र का उत्तर अस्त्र-शस्त्र से देना उचित है। लेकिन विचारों का उत्तर तो विचार ही हो सकता है। किसी विचार, किसी लेख-कविता या पुस्तक के उत्तर में तलवार निकालना मजबूती नहीं, कमजोरी की निशानी है। किन्तु अरब से लेकर यूरोप, एसिया, अफ्रीका तक, हर कहीं इस्लामी नेता और संगठन सरल, संयत, वैचारिक संघर्ष से बचते हैं। इसे सदैव हिंसा से दबाने की कोशिश करते हैं। सदियों से, बल्कि आरंभ से ही, इस में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वयं प्रोफेट मुहम्मद ने अपने विचारों पर किसी के प्रतिवाद, संदेह का यही उत्तर दिया था।
तब क्या इस्लाम कागजी शेर नहीं है? एक दुर्बल, भयभीत मतवाद, जो केवल धमकी, हिंसा, छल-कपट, अनुचित रूप से उठाई जा रही विशेष सुविधाओं, अनुचित-असमान नियमों के बल से चल रहा है। ऐसा मत-विश्वास कितने दिन चलता रह सकता है? यह एक बुनियादी प्रश्न है, जिस से भारत और वर्तमान विश्व की कई समस्याएं जुड़ी हुई हैं।
इस समस्या का समाधान सैनिक तरीके से नहीं, बल्कि शिक्षा में है। ध्यान दें, कुरान में असंख्य बार कई प्रसंगों में ‘प्रमाण’, ‘स्पष्ट प्रमाण’, की बातें की गई है। अतः मुसलमान किसी विचार-बिन्दु, विषय में प्रमाण, सबूत, एविडेंस के महत्व से परिचित हैं। केवल उन्हें प्रमाण वाली कसौटी को उन विचारों, कानूनों, विवरणों, दलीलों पर भी लागू करके देखने की जरूरत है जिन्हें वे स्वतः-प्रमाणिक मानते रहे हैं। जैसे, मूर्तिपूजकों को घृणित समझना; इस्लाम से पहले या बाहर के मानव-समाजों को मूर्ख मानना; जीने के बदले मरने को अधिक अच्छा मानकर ‘जन्नत’ पाने के लिए हर तरह के चित्र-विचित्र काम करना; जिहाद को सब से बड़ा कर्तव्य समझना; मनुष्य को गुलाम बनाकर बेचना-खरीदना; स्त्रियों को वस्तु-संपत्ति मात्र भोग रूप में देखना; आदि मान्यताओं को विवेक से देखने की जरूरत है। ये मान्यताएं कोई ईश्वरीय देन या ‘सर्वकालिक सत्य’ नहीं हैं – इस की परीक्षा की जानी और शिक्षा दी जानी चाहिए। (पुस्तक अंश)
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Muslim Separatism: Causes And Consequences
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Muslim Separatism: Causes And Consequences
The book discusses the pattern through which Islam has been breaking the Hindu society and its motherland, taking away Afghanistan, Pakistan, Bangladesh and following up the battle in Kashmir and Assam.
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