जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1000 KALAM PRASHNOTTARI
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अद्भुत मेधा के धनी हैं। विलक्षण वैज्ञानिक के रूप में अग्नि मिसाइल के जनक होने के साथ-साथ भारत के महत्त्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों में उनकी सक्रिय भूमिका रही। भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने लगभग दस लाख बच्चों से संवाद कर उन्हें प्रेरित किया। उनके प्रभावशील व्यक्तित्व ने अनेकानेक लोगों को कर्तव्य-पथ पर अग्रसर किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम के तपस्वी जीवन, उनके संघर्ष तथा उनकी उपलब्धियों को ही नहीं, उनके आध्यात्मिक चिंतन एवं राष्ट्रप्रेम को प्रश्नोत्तर शैली में वर्णित किया गया है। इस कारण से यह पुस्तक आम पाठकों के अलावा विद्यार्थियों, परीक्षार्थियों एवं क्विज शो में भाग लेनेवाले प्रतियोगियों के लिए विशेष उपयोगी है।
एक तरह से डॉ. कलाम के प्रेरणाप्रद जीवन का विश्वकोश है यह पुस्तक।SKU: n/a -
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1947 Ke Baad Ka Bharat
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
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1947 Ke Baad Ka Bharat (PB)
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1947 Ke Zakhma (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण1947 Ke Zakhma (PB)
वर्ष 1947 में भारत-विभाजन के सात दशक से अधिक बीत जाने पर भी इस पीड़ा से गुजरे लोगों का दिलो-दिमाग आज भी इस दुःख का बोझ उठाए हुए है। नक्शे पर स्याही के बस एक निशान ने एक देश को दो में बाँट दिया, जिसका प्रभाव न केवल एक पीढ़ी पर, बल्कि आने वाली कई पीढि़यों पर भी पड़ा। इससे मिले ज़ख़्म आज भी अंदर तक पीड़ा देते हैं।
भारत और पाकिस्तान को बाँटने वाली खौफनाक रेडक्लिफ रेखा के दोनों तरफ के लोगों ने अकल्पनीय त्रासदियों को झेला। लाखों लोगों के विस्थापन के कारण घटी भयानक घटनाएँ इस दुस्वप्न को भोग चुके लोगों की यादों को हमेशा कचोटती रहेंगी। हाँ, बड़े पैमाने पर बरबादी के बावजूद सब खो देने और सबकुछ गँवा बैठने के बीच उत्साहित करने वाली मानवीयता, साहस और दृढ़-संकल्प की कुछ कहानियाँ भी हैं। ये ऐसे लोगों की कहानियाँ हैं, जो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उद्योगपति, चिकित्सा-शोधार्थी तथा और भी बहुत-कुछ बने। विभाजन के बाद के दशकों में परिवारों की शून्य से शुरुआत कर फिर से जीवन-निर्माण करने की ये कहानियाँ याद रखने योग्य एवं प्रेरणादायी हैं।
इन कहानियों में मनमोहन सिंह और मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर गौरी खान की नानी और अवतार नारायण गुजराल तक आते हैं। ‘1947 के ज़ख़्म’ बीते समय की यात्रा का रोमांचक और भावुकतापूर्ण संकलन है। वह अविस्मरणीय समय था, जो दोनों देशों पर हमेशा के लिए निशान छोड़ गया।
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English Books, Harper Collins, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
A Life in the Shadows : A Memoir
No Indian spymaster has, until now, written a memoir. A.S. Dulat is the first to do so, and in A Life in the Shadows he does it with considerable elan.
He is one of India’s most successful spymasters, his name synonymous with the Kashmir issue. His methods of engagement and accommodation with all people and perspectives from India’s most conflicted state are legendary. The author of two bestselling books, Kashmir: The Vajpayee Years (2014) and The Spy Chronicles: R&AW, ISI and the Illusion of Peace (2018), Dulat’s views on India, Pakistan and Kashmir are well-known and sought after.
Yet very little is known about him, primarily because the former spymaster has been notoriously private about his personal life. In this unusual and unique memoir, Dulat breaks that silence for the first time. This is not a traditional, linear narrative as much as a selection of stories from across space and time. Still bound by the rules of secrecy of his trade, he tells a fascinating story of a life richly lived and insightfully observed. From a Partition-bloodied childhood in Lahore and New Delhi to his early years as a young intelligence officer; from meetings with international spymasters to travels around the world; from his observations on Kashmir-political and personal-post the abrogation of Article 370, to his encounters with world leaders, politicians and celebrities; moving from Bhopal to Nepal and from Kashmir to China, Dulat tells the story of his life with remarkable honesty, verve and wit.
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Hindi Books, Lokbharti Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Aadi Shankaracharya : Jeevan Aur Darshan (HB)
-17%Hindi Books, Lokbharti Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांAadi Shankaracharya : Jeevan Aur Darshan (HB)
आठवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत में जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा अन्य अनेक सम्प्रदायों और मत-मतान्तरों का बोलबाला था। जैन धर्म की अपेक्षा बौद्ध धर्म अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ। जैन धर्म को खुलकर चुनौती दी। जैन धर्म भी वैदिक धर्म का कम विरोधी नहीं था। बौद्ध और जैन धर्मों के अतिरिक्त सातवीं-आठवीं शताब्दी में अन्य धार्मिक सम्प्रदाय भी प्रचलित हो गए थे। उनमें भागवत, कपिल, लोकायतिक (चार्वाक), काणाडी, पौराणिक, ऐश्वर, कारणिक, कारंधमिन (धातुवादी), सप्ततान्त्व (मीमांसक), शाब्दिक (वैयाकरण), पांचेरात्रिक प्रमुख थे। ये सभी सम्प्रदाय वेद-विरोधक और श्रुति-निन्दक थे। ऐसी विषम और भयावह स्थिति में धार्मिक जगत में किसी ऐसे उत्कट त्यागी, निस्पृह, वीतराग, धुरंधर विद्वान, तपोनिष्ठ, उदार, सर्वगुण-संपन्न अवतारी पुरुष की महान आवश्यकता थी जो धर्म की विशृंखलित कड़ियों को एकाकार करके उसे सुदृढ़ बनाता और धर्म का वास्तविक स्वरूप सबके सम्मुख प्रस्तुत करता। मध्वाचार्य ने शंकराचार्य के अवतार का वर्णन विस्तार के साथ किया है। उसका सारांश इस प्रकार है—”भगवती भूदेवी और समस्त देवताओं ने जगत-सृष्टा ब्रह्मा के साथ कैलाश पर्वत पर जाकर पिनाकपाणी आशुतोष भगवान शंकर की आर्त्त वाणी में करबद्ध स्तुति की। तब भगवान शंकर उन लोगों के सम्मुख अत्यन्त तेजस्वी रूप में प्रकट हुए और उन्हें इस प्रकार आश्वासन दिया—‘हे देवगण, मैं समस्त घटनाओं से भली-भाँति विज्ञ हूँ। अतः मैं मनुष्य का रूप धारण कर आप लोगों की मनोकामना पूर्ण करूँगा। दुष्टाचार विनाश के लिए तथा धर्म के स्थापन के लिए, ब्रह्मसूत्र के तात्पर्य निर्णायक भाष्य की रचना कर, अज्ञानमूलक द्वैतरूपी अन्धकार को दूर करने के लिए मध्यकालीन सूर्य की भाँति चार शिष्यों के साथ चार भुजाओं से युक्त विष्णु के समान इस भूतल पर यतियों में श्रेष्ठ शंकर नाम से अवतरित होऊँगा। मेरे समान ही आप लोग भी मनुष्य-शरीर धारण कर मेरे कार्य में हाथ बँटाइए।’ इतना कहकर और देवताओं को अन्य आवश्यक निर्देश देकर भगवान शंकर अन्तर्धान हो गए!” आचार्य शंकर का भारतीय दार्शनिकों में अप्रतिम स्थान है। पाश्चात्य दार्शनिक भी उन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं और उनकी प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक हैं। उनके बाल्यकाल से देहलीला सँवरण तक की घटनाएँ चमत्कारिक एवं दैवी शक्ति से परिपूर्ण हैं। इसलिए उन्हें भगवान आशुतोष शंकर का अवतार माना जाता है। उन्होंने वैदिक धर्म का पुनरुद्धार किया और उसके वास्तविक स्वरूप को सही अर्थ में समझाने की चेष्टा की। इस महान प्रयास में उन्हें तत्कालीन धर्मों और सम्प्रदायों से लोहा लेना पड़ा। शैवों, शाक्तों, वैष्णवों, बौद्धों, जैनों एवं कापालिकों आदि से शास्त्रार्थ करना पड़ा। अपनी असाधारण प्रतिभा और अकाट्य तर्कों द्वारा उन्हें पराजित किया। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में चार शंकराचार्य को अभिषिक्त कर भारतीय वैदिक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का उत्तरदायित्व उन्हें सौंपा। उन्होंने शैवों, शाक्तों एवं वैष्णवों को एक सूत्र में बाँधा। इससे वैदिक धर्म अत्यन्त शक्तिशाली हो गया। मात्र बत्तीस वर्ष की अल्पायु में उन्होंने अद्वितीय आश्चर्यजनक कार्य किए।
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Hindi Books, Rajkamal Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Aadi Shankaracharya Jeevan Aur Darshan (PB)
-10%Hindi Books, Rajkamal Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांAadi Shankaracharya Jeevan Aur Darshan (PB)
अपने अनुयायियों को मृत और आचार्य शंकर के शिष्यों और भक्तों को सुरक्षित देखकर क्रकच क्रोध से आगबबूला हो गया। उसी अवस्था में वह यतीन्द्र शंकर के समक्ष उपस्थित होकर कहने लगा, ‘‘हे नास्तिक, अब मेरी शक्ति का प्रभाव देखो। तुमने तो दुष्कर्म किये हैं, उनका फल भोगो।’’ इतना कहकर वह हाथ में मनुष्य की खोपड़ी लेकर आँख मूँदकर ध्यानमुद्रा में खड़ा हो गया। वह भैरव-तंत्र का प्रकाण्ड पंडित था। उसकी इस क्रिया के प्रभाव से रिक्त खोपड़ी मदिरा से भर गई। उसने आधी पी ली और पुनः ध्यानमुद्रा में स्थित हुआ। इतने में ही क्रकच के सम्मुख नरमुण्डों की माला पहने, हाथ में त्रिशूल लिये, विकट अट्टहास और गर्जन करते हुए, आग की लपट के समान लाल-लाल जटावाले महाकापाली भैरव प्रकट हो गये।
क्रकच ने अपने इष्टदेव को देखकर प्रसन्न भाव से प्रार्थना की, ‘‘हे भगवन्, आपके भक्तों से द्रोह रखने वाले इस शंकर को अपनी दृष्टिमात्र से भस्म कर दीजिए।’’ क्रकच की प्रार्थना सुनकर महाकापाली ने उत्तर दिया, ‘‘अरे दुष्ट, शंकर तो मेरे अवतार हैं। इनका वध करके, क्या मैं अपना ही वध करूँ? क्या तुम मेरे शरीर से द्रोह करते हो?’’ ऐसा कहकर भैरव महाकापाली ने क्रोध से क्रकच का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया।SKU: n/a -
Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Aadi, Ant Aur Aarambha
अकसर कहा जाता है कि बीसवीं शती में जितनी बड़ी संख्या में लोगों को अपना देश, घर-बार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेना पड़ा, शायद किसी और शती में नहीं। किन्तु इससे बड़ी त्रासदी शायद यह है कि जब मनुष्य अपना घर छोड़े बिना निर्वासित हो जाता है, अपने ही घर में शरणार्थी की तरह रहने के लिए अभिशप्त हो जाता है। आधुनिक जीवन की सबसे भयानक, असहनीय और अक्षम्य देन ‘आत्म-उन्मूलन’ का बोध है। अजीब बात यह है कि यह चरमावस्था, जो अपने में काफी ‘एबनॉर्मल’ है, आज हम भारतीयों की सामान्य अवस्था बन गयी है। आत्म-उन्मूलन का त्रास अब ‘त्रास’ भी नहीं रहा, वह हमारे जीवन का अभ्यास बन चुका है। ऊपर की बीमारियाँ दिखाई देती हैं, किन्तु जो कीड़ा हमारे अस्तित्व की जड़ से चिपका है, जिससे समस्त व्याधियों का जन्म होता है- आत्म-शून्यता का अन्धकार- उसे शब्द देने के लिए हमें जब-तब किसी सर्जक-चिन्तक की आवश्यकता पड़ती रही है। हमारे समय के मूर्धन्य रचनाकार निर्मल वर्मा अकसर हर कठिन समय में एक सजग, अर्थवान् हस्तक्षेप करते रहे हैं। अलग-अलग अवसरों पर लिखे गये इस पुस्तक के अधिकांश निबन्ध- भले ही उनके विषय कुछ भी क्यों न हों- आत्म-उन्मूलन में इस ‘अन्धकार’ को चिद्दित करते रहे हैं। एक तरह से यह पुस्तक निर्मल वर्मा की सामाजिक-सांस्कृतिक चिन्ताओं का ऐतिहासिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करती है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Aas Na Aangane
आस ना आँगणै
अक’ज तारो आसरौ, ओक’ज तारी वात। मात सरसती राखजे, म्हारै माथै हाथ।।
accordingly वागड़ी मंय म्हारी पेहली चोपड़ी “आस ना आँगणै” घणेमान थकी आप सब हुदी पुगाड़ते म्हारा मन मंय घणौ हरख है। घणं वरसं थकी म्हारै मन मों ओक वात हमेस आवती रह्यी के अणा नवा ज़मारा नै नवा ऊसर नं मानवी सप्पा बदलाईग्यं हैं नै जूनी वातै अणी नवी पीड़ी ने कौण वताड़े अर कौण हमझावे? all in all अणां विस्यार हाते म्हें नानूं मोटू लखवूं सरू कर्यु। अटला मों आदरजोग दादा श्री उपेन्द्रजी ‘अणु’, ऋषभदेव, श्री दिनेशजी पंचाल, विकास नगर नै श्री घनश्याम सिंहजी भाटी ‘प्यासा’ नो साथ मल्यौ अर अना लीधै’ज आ चोपड़ी नौ रूप लई आपनै हाथ मों है। Aas Na Aanganealso आणी जातरा मों वागड़ अर वागड़ी नी वात करतै थकै नवा ऊसर नै नवा ज़मारा मों जै वातै जौवा न्हें मलै हैं अर ओम लागे के ई वात अर ई विगत क्य खोवणीं पत्तू ज न्हें है। या’ज विच्यार मन मों उबराताग्या अर म्हूं कौसिस करतौग्यौ। जै वाते विगत म्हारे साथै वीती अर म्हें पण देखी, होंची हमझी या ‘ज वात अर विच्यार आणी चोपड़ी मों लाब्बा नी पूरी कोसिस रह्यी है। औणा हाते जे सबद अवै वागड़ी मों हांबळवा न्हें मलता हैं अर क्यं भी वापरवा मों न्हें आवता हैं औणा सबद नो परिचै करावा नी कोसिस कीदी है। Aas Na Aangane
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RAMAKRISHNA MATH, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Acharya Shankar (Hindi)
अद्वैत दर्शन के महान प्रतिपादक शंकराचार्य को शायद ही किसी परिचय की आवश्यकता है। उसके बारे में स्वामी विवेकानन्द कहते हैं, ‘शंकराचार्य का उदय हुआ और उन्होंने एक बार फिर वेदांत दर्शन को पुनर्जीवित किया। उन्होंने इसे एक तर्कवादी दर्शन बनाया। उपनिषदों में तर्क अक्सर बहुत अस्पष्ट होते हैं। उन्होंने अद्वैत की अद्भुत सुसंगत प्रणाली पर काम किया, युक्तिसंगत और पुरुषों के सामने रखा। यह इस महान शिक्षक की एक प्रामाणिक जीवनी है।
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Vishwavidyalaya Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Adhunik Bharat Ke Yug Pravartak Sant (PB)
Vishwavidyalaya Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांAdhunik Bharat Ke Yug Pravartak Sant (PB)
योग, साधना, तप, संयम इन भावों को जिन महान संतों ने अपने माध्यम से चरितार्थ ही नहीं किया; बल्कि दर्शन को एक नयी दिशा भी दी उन संन्यासियों में अग्रणी रामकृष्ण परमहंस देव थे। उनके पश्चात् यह शृंखला स्वामी विवेकानन्द, स्वामी रामतीर्थ, महॢष रमण, श्री अरविन्द, स्वामी रामानन्द के माध्यम से निरन्तर भारतीय संस्कृति को सम्मानित करती रही है, साथ ही भारतीय दर्शन को दिव्य अनुभूतिपरक दर्शन का बाना पहनाकर संसार में अग्रणी स्थान प्रदान करती रही है। आज के परिप्रेक्ष्य में देखें तो पुन: हमारा देश विपत्ति के भँवर में फँसा इन्हीं योगियों की ओर देख रहा है। इन्हीं योगियों की जीवन दृष्टि, इनके विचार ही मृतप्राय हो रही भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवन प्रदान कर सकते हैं। हम भूल चुके हैं हमारे देश की मिट्टïी में, जलवायु में अभी भी योग और साधना की शक्ति है। जिसके प्रति जागरूक होकर व्यक्ति अपनी चेतना को जागृत कर सकता है। भ्रमपूर्ण आसक्तियों पर, मन पर, शरीर पर अंकुश लगाकर जीवन के शाश्वत आनन्द की ओर अग्रसर हो सकता है। यह पुस्तक उन सभी दुर्लभ विचारों को प्रस्तुत करने की चेष्टा करती है जो व्यक्ति को दिशा प्रदान कर सकते हैं। इन योगियों की विशिष्टता यही है कि योग साधना एवं संन्यास का रास्ता अपनाकर भी इन्होंने निरन्तर मानव जाति के बीच रहकर बड़ी सरलता से, व्यक्ति की आत्म चेतना को जगाने का प्रयास किया है।
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Agni Ki Udaan
त्रिशूल ‘ के लिए मैं ऐसे व्यक्ति की सुलाश में था जिसे न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मिसाइल युद्ध की ठोस जानकारी हो बल्कि जो टीम के सदस्यों में आपसी समझ बढ़ाने के लिए पेचीदगियों को भी समझा सके और टीम का समर्थन प्राप्त कर सके । इसके लिए मुझे कमांडर एस.आर. मोहन उपयुक्त लगे, जिनमें काम को लगन के साथ करने की जादुई शक्ति थी । कमांडर मोहन नौसेना से रक्षा शोध एवं विकास में आए थे ।
‘ अग्नि ‘, जो मेरा सपना थी, के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो इस परियोजना में कभी-कभी मेरे दखल को बरदाश्त कर सके । यह बात मुझे आर.एन. अग्रवाल में नजर आई । वह मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकोलॉजी के विलक्षण छात्रों में से थे । वह डी.आर.डी.एल. में वैमानिकी परीक्षण सुविधाओं का प्रबंधन सँभाल रहे थे ।
तकनीकी जटिलताओं के कारण ‘ आकाश ‘ एवं ‘ नाग ‘ को तब भविष्य की मिसाइलों के रूप में तैयार करने पर विचार किया गया । इनकी गतिविधियाँ करीब आधे दशक बाद तेजी पर होने की उम्मीद थी । इसलिए मैंने ‘ आकाश ‘ के लिए प्रह्लाद और ‘ नाग ‘ के लिए एन. आर. अय्यर को चुना । दो और नौजवानो-वी.के. सारस्वत एवं ए.के. कपूर को क्रमश: सुंदरम तथा मोहन का सहायक नियुक्त किया गया ।
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ‘ अग्नि ‘, ‘ पृथ्वी ‘, ‘ आकाश ‘, ‘ त्रिशूल ‘ और ‘ नाग ‘ मिसाइलों के विकास की भी कहानी है; जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई । यह टेकोलॉजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है ।SKU: n/a -
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Akhand Bharat ke Shilpakar Sardar Patel
आधुनिक भारतीय इतिहास में शायद ही ऐसा कोई राजनेता है, जिसने भारतवर्ष को एकजुट और सुरक्षित करने में सरदार पटेल जितनी बड़ी भूमिका अदा की है, लेकिन दुर्भाग्य है कि पटेल की ओर से ब्रिटिश भारत की छोटी-छोटी रियासतों के टुकड़ों को जोड़कर नक्शे पर एक नए लोकतांत्रिक, स्वतंत्र भारत का निर्माण करने के सत्तर वर्ष बाद भी, हमारे देश को एकजुट करने में पटेल के महान् योगदान के विषय में न तो लोग ज्यादा जानते हैं, न ही मानते हैं। पटेल के संघर्षमय जीवन के सभी पहलुओं और उनके साहसिक निर्णयों को अकसर या तो राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया जाता है या उससे भी बुरा यह कि महज वाद-विवाद का विषय बनाकर भुला दिया जाता है।
अनेक पुरस्कारों के विजेता और प्रसिद्ध लेखक, हिंडोल सेनगुप्ता की लिखी यह पुस्तक सरदार पटेल की कहानी को नए सिरे से सुनाती है। साहसिक ब्योरे और संघर्ष की कहानियों के साथ, सेनगुप्ता संघर्ष के प्रति समर्पित पटेल की कहानी में जान फूँक देते हैं। साथ ही उन विवादों, झगड़ों और टकरावों पर रोशनी डालते हैं, जो एक स्वतंत्र देश के निर्माण के क्रम में भारतीय इतिहास के कुछ सबसे अधिक दृढसंकल्प वाले लोगों के बीच हुए। जेल के भीतर और बाहर अनेक यातनाओं से चूर हुए शरीर के बावजूद, पटेल इस पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरते हैं, जो अपनी मृत्युशय्या पर भी देश को बचाने के लिए काम करते रहे। अखंड भारत के शिल्पकार सरदार पटेल पर हिंडोल सेनगुप्ता की यह कृति आनेवाली पीढि़यों के लिए पटेल की विरासत को निश्चित रूप से पुनर्परिभाषित करेगी।SKU: n/a -
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Amar Balidani Tatya Tope
तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय रणनीतिकार तथा कुशल सेनानायक थे। सन् 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। तात्या का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के निकट पटौदा जिले के येवला गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पांडुरंग राव भट्ट थे। तात्या का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था। अपने आठ भाई-बहनों में तात्या सबसे बड़े थे। सन् 1857 के स्वातंत्र्य समर की शुरुआत 10 मई को मेरठ से हुई। जल्दी ही क्रांति की चिनगारी समूचे उत्तर भारत में फैल गई। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के मंच से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब पेशवा, राव साहब, बहादुरशाह जफर आदि के विदा हो जाने के करीब एक साल बाद तक तात्या संघर्ष की कमान सँभाले रहे और ब्रिटिश सेना को छकाते रहे। वे परिस्थिति को देखकर अपनी रणनीति तुरंत बदल लेते थे। अंतत: परोन के जंगल में तात्या टोपे के साथ विश्वासघात हुआ। नरवर का राजा मानसिंह अंग्रेजों से मिल गया और उसकी गद्दारी के कारण तात्या 8 अप्रैल, 1859 को सोते हुए पकड़ लिये गए। विद्रोह और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ने के आरोप में 14 अप्रैल, 1859 को तात्या को फाँसी दे दी गई। कहते हैं, तात्या फाँसी के चबूतरे पर दृढ़ कदमों से ऊपर चढ़े और फाँसी के फंदे को पुष्प-हार की तरह स्वयं अपनी गरदन में डाल लिया। इस प्रकार तात्या मातृभूमि-हित निछावर हो गए।
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Amar Karantiveer Chandrashekhar Azad
-20%Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Amar Karantiveer Chandrashekhar Azad
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में चंद्रशेखर आजाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनका मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था। भले ही लोग स्वतंत्रता-संग्राम में उनके योगदान को पूर्ण रूप से न जानते हों, लेकिन इतना अवश्य जानते हैं कि वे इस संग्राम के अग्रगण्य क्रांतिकारियों में एक थे और उनके नाम से बड़े-बड़े अंग्रेज पुलिस अधिकारी तक काँप उठते थे। बाल्यावस्था में ही उन्होंने पुलिस की बर्बरता का विरोध प्रकट करते हुए एक अंग्रेज अफसर के सिर पर पत्थर दे मारा था। अपने क्रांतिकारी जीवन में आजाद ने कदम-कदम पर अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। उन्होंने सुखी जीवन का त्याग करके कँटीला रास्ता चुना और अपना जीवन देश पर बलिदान कर दिया। भले ही वे अपने जीवन में आजादी का सूर्योदय न देख पाए, लेकिन गुलामी की काली घटा को अपने क्रांति-तीरों से इतना छलनी कर गए कि आखिरकार उस काली घटा को भारत की भूमि से दुम दबाकर भागना पड़ा। महान् क्रांतिकारी, अद्वितीय देशाभिमानी एवं दृढ़ संकल्पवान् चंद्रशेखर आजाद के अनछुए जीवन-प्रसंगों के साथ संपूर्ण व्यक्तित्व का दिग्दर्शन करानेवाली अनुपम कृति|
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Amar Shaheed Ashfaqullah Khan
“भारत को आजाद कराने में क्रांतिकारियों की भूमिका अहम रही है। मैं उन अमर शहीदों की याद में खो जाता हूँ, जो बीर थे। महान् बलिदानी, त्यागमूर्ति, जो सिर पर कफन बाँधकर देश से अंग्रेजों की क्रूर सत्ता का उच्छेद करने निकल पड़े थे।
प्रस्तुत पुस्तक में संक्षेप में यह बताया गया है कि मातृभूमि की बेदी पर कितने वीरों ने शीश चढ़ाए थे। ऐसे अमर बलिदानियों की याद को ताजा रखना हमारा अभिप्राय है, जिससे भावी पीढ़ी को देशप्रेम और देशभक्ति की प्रेरणा मिलती रहे। अमर शहीद अशफाकउल्ला खान एक ऐसे ही अमर बलिदानी हैं। अशफाक हिंदू-मुसलिम एकता के पक्षधर थे। इस सुंदर, सौम्य, साहसी शहीद की शहादत को नमन है।”
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Amar Shaheed Bhagat Singh
“प्रिय कुलतार, आज तुम्हारी आँखों में आँसू देखकर बहुत दु:ख हुआ। आज तुम्हारी बातों में बड़ा दर्द था। तुम्हारे आँसू मुझसे सहन नहीं होते। बरखुरदार, हिम्मत से शिक्षा प्राप्त करना और सेहत का खयाल रखना। हौसला रखना। और क्या कहूँ… ‘उसे यह फिक्र है हरदम, नया तर्जे जफा क्या है? हमें यह शौक देखें, सितम की इंतेहा क्या है? दहर से क्यों खफा रहें, चर्ख का क्यों गिला करें? सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें। कोई दम का मेहमान हूँ, ए अहले महफिल! चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ। मेरी हवाओं में रहेगी, खयालों की बिजली यह मुश्त-ए-खाक हूँ, रहे, रहे न रहे।’ अच्छा, रुखसत। ‘खुश रहो अहले वतन हम तो सफर करते हैं।’ हौसले से रहना।” —भगत सिंह युवावस्था में ही ‘रष्ट्र सर्वोपरि’ का मंत्र जपकर जिसने भारत की स्वतंत्राता के लिए फाँसी के फंदे को चूम लिया और अपनी शहादत से युवाओं के लहू में देशभक्ति का उबाल पैदा करके मिशन-ए-आजादी का महामंत्र फूँका, ऐसे महान् क्रांतिकारी एवं राष्ट्र-चिंतक अमर शहीद भगतसिंह की प्रेरणादायक जीवनी|
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Rajkamal Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Amar Shahid Chandrashekhar Azad
अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद वैशम्पायन ने आज़ाद की एक मनुष्य, एक साथी और क्रान्तिकारी पार्टी के सुयोग्य सेनापति की छवि को विस्तार देते हुए उनके सम्पूर्ण क्रान्तिकारी योगदान के सार्थक मूल्यांकन के साथ ही आज़ाद के अन्तिम दिनों में पार्टी की स्थिति, कुछेक साथियों की गद्दारी और आज़ाद की शहादत के लिए जिम्मेदार तत्त्वों का पर्दाफाश किया है। अपनी पुस्तक में वैशम्पायन जी बहुत निर्भीकता से सारी बातें कह पाए हैं। उनके पास तथ्य हैं और तर्क भी। आज़ाद से उनकी निकटता इस कार्य को और भी आसान बना देती है। आज़ाद और वैशम्पायन के बीच सेनापति और सिपाही का रिश्ता है तो अग्रज और अनुज का भी। वे आज़ाद के सर्वाधिक विश्वस्त सहयोगी के रूप में हमें हर जगह खड़े दिखाई देते हैं। आज़ाद की शहादत के बाद यदि वैशम्पायन न लिखते तो आज़ाद के उस पूरे दौर पर एक निष्पक्ष और तर्कपूर्ण दृष्टि डालना हमारे लिए सम्भव न होता। एक गुप्त क्रान्तिकारी पार्टी के संकट, पार्टी का वैचारिक आधार, जनता से उसका जुड़ाव, केन्द्रीय समिति के सदस्यों का टूटना और दूर होना तथा आज़ाद के अन्तिम दिनों में पार्टी की संगठनात्मक स्थिति जैसे गम्भीर मुद्दों पर वैशम्पायन जी ने बहुत खरेपन के साथ कहा है। वे स्वयं भी एक क्रान्तिकारी की कसौटी पर सच्चे उतरे हैं। आज़ाद के साथ किसी भी कठिन परीक्षा में वे कभी अनुत्तीर्ण नहीं हुए। आज़ाद को खोकर वैशम्पायन ने कितना अकेलापन महसूस किया, इसे उनकी इस कृति में साफ-साफ पढ़ा जा सकता है। आज़ाद-युग पर वैशम्पायन जी की यह अत्यन्त विचारोत्तेजक कृति है जो आज़ाद की तस्वीर पर पड़ी धूल को हटाकर उनके क्रान्तिकारित्व को सामने लाने का ऐतिहासिक दायित्व पूरा करती है। – सुधीर विद्यार्थी
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Ambadker Yugpurush
महात्मा बुद्ध के बाद यदि किसी महापुरूष ने धर्म, समाज, राजनीति और अर्थ के धरातल पर सामाजिक क्रांति से साक्षात्कार कराने की सार्थक कोशिश की तो वह थे-डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर। सूर्य-सा उनका तेजस्वी चरित्र, चंद्र-सा सम्मोहक व्यवहार, ऋषियों-सा गहन गम्भीर ग्यान, संतो-सा उत्सर्ग-बल और शांत स्वभाव उनके चरित्र के विभिन्न पहलू थे। उन्होंने अपना सारा जीवन समाज के उपेक्षित, दलित, शोषित और निर्बल वर्गों को उन्नत करने में लगा दिया था।
सच्ची घटनाओं पर आधारित, यह जीवनीपरक उपन्यास वर्तमान पीढ़ी को निराशा और दिशाहीन की स्थिति से ऊपर उठाकर एक जीवंत चेतन धारा से जोड़ने की दिशा में विशेष भूमिका निभाएगा।
‘युगपुरुष अंबेडकर’ के लेखक राजेन्द्र मोहन भटनागर हिंदी के सुपरिचित और सुप्रतिष्ठित लेखक हैं। अनेक महान पुरुषों की जीवनियां प्रस्तुत कर वे जीवनी-विधा को भी समृद्ध करते रहे हैं। यह उनकी विशिष्ट कृति है।SKU: n/a -
EKA Prakashan, Westland Publisher, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
AMETHI SANGRAM (PB-Hindi)
EKA Prakashan, Westland Publisher, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)AMETHI SANGRAM (PB-Hindi)
पिछले कुछ दशकों में अमेठी की असली पहचान तो भुला ही दी गई। एक ऐसी भूमि, जो महर्षि च्यवन की तपस्थली, माता कालिकन देवी का धाम और राजा सोढ़ देव की वीरगाथाओं के साथ ही स्थानीय निवासियों की आस्था, विश्वास व श्रम से निर्मित होकर परिपूर्ण थी, उसने आजादी के बाद आगे बढ़ने की बजाय उलटी राह पकड़ ली। इस पर सियासत का एक कृत्रिम आवरण सा चढ़ गया और इसे एक राजनीतिक पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील कर दिया गया।
अमेठी, कहने को तो वीवीआईपी क्षेत्र था, पर क्या स्थिति वाकई ऐसी थी? क्या इसे वह विशेष दर्जा प्राप्त हुआ था? 2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के रूप में स्मृति इरानी यहाँ पहुँचीं, तब अमेठी की पहचान का यह आवरण खुला।
अमेठी संग्रामउसी अनदेखे सच को उजागर करती है। इसमें स्मृति इरानी की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 की संघर्ष यात्रा है। उनकी विजय के कारकों को समझने के बहाने भारतीय राजनीतिक दलों और नेताओं की कार्यशैली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दूरदृष्टि, भाजपा की रणनीति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, गाँधी परिवार की ताकत का मिथक और क्षेत्रीय दलों के स्वार्थ का लेखा-जोखा है। इसके अलावा स्मृति इरानी की रणनीतिक, व्यवहारिक और राजनीतिक कार्यशैली को भी यह किताब सूक्ष्मता से खोलती है।
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Bloomsbury, Religious & Spiritual Literature, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Ashutosh Maharaj – Mahayogi Ka Maharahasya
Bloomsbury, Religious & Spiritual Literature, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणAshutosh Maharaj – Mahayogi Ka Maharahasya
This book is about Shri Ashutosh Maharaj Ji, whose disciples have a firm conviction that he is established in the highest state of Samadhi but the medical world considers him to be clinically dead.
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