सही आख्यान (True narrative)
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Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Bharat Mein Parchalit Secularvad
Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Bharat Mein Parchalit Secularvad
Dr. Shankar Sharan is an acknowledged expert on Communism. He was an Assistant Professor at NCERT and held a position at the National Book Trust. He’s the author of acclaimed Hindi books including Jihadi Atankwad Samyavad ke sau Apradh and Sahitya aur Rajniti.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Bharatbodh: Sanatan Aur Samayik
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Bharatbodh: Sanatan Aur Samayik
“भारत केवल भौगोलिक रचना या भूखंड मात्र नहीं है, न तो भारतबोध मात्र इतिहास से बनता है । वस्तुत: भारतबोध एक सनातनबोध की प्रक्रिया है, जो नित्य और निरंतर, इन दोनों के साथ गुंफित होता है। नित्यता से शाश्वत मूल्य आते हैं तो निरंतरता से समय के साथ उनका समंजन होता है। भारतबोध राष्ट्रीयता है, संस्कृति है और धर्म भी है। भारतबोध पद से जो अर्थ अभिहित होता है–वह सनातन और निरंतर सभ्यता की जीवन-प्रणाली की अभिव्यंजना है।
भारतीयता का विचार, भारतबोध का प्रश्न इस रूप में समझा जा सकता है कि यह कृतज्ञता की संस्कृति है और कृतज्ञता का प्रारंभ इस मान्यता, इस विश्वास के साथ होता है कि हम कुछ ऋणों के साथ उत्पन्न हुए हैं । हमने इस धरती में जन्म लेने के साथ ही समाज का, धरती का, परिवार का, शिक्षकों का, आचार्यों का ऋण प्राप्त किया है और वास्तविक मुक्ति हमें तब होगी, जब हम इन ऋणों से मुक्त होंगे; और इससे ऋण मुक्ति का तरीका इतना ही है कि हमें मनुष्य बनना है; न तो यह सभ्य बनने की प्रणाली है और न ही यह जीनियस बनने की । भारत धर्म भी है और यह धर्म उपासना-पंथों से परे भी । यह धर्म मानवीय मूल्यों का पुंज है।
भारतबोध की दृष्टि से इस पुस्तक में कुछ सूत्रों की चर्चा है और कुछ सूत्रों का आज के परिप्रेक्ष्य में पल्ल्वन भी है। समकाल के भारत की भूमिका को उभारने की कोशिश की गई है और समकाल के भारत के लिए, भारत में जन्म लिये हुए लोगों को किस प्रकार की जीवन प्रणाली को स्वीकार करना है; किस मूल्य-व्यवस्था को स्वीकार करना है, इस पर किंचित् विवेचन किया गया है.”
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Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bharatvarsh Ka Sanshipt Itihaas
Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bharatvarsh Ka Sanshipt Itihaas
भारतवर्ष का संक्षिप्त इतिहास
रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं। विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये। वेद, उपनिषद् तथा दर्शन शास्त्रों की विवेचना एवं अध्ययन अत्यन्त सरल भाषा में प्रस्तुत कराना गुरुदत्त की ही विशेषता है।
मनीषि स्व० श्री गुरुदत्त ने इस ग्रन्थ की रचना लगभग सन् 1979-80 में की। इसकी पाण्डुलिपि को पढ़ने से तथा उनके जीवनकाल में उनसे परस्पर वार्तालाप करने से यह आभास मिलता था कि वे भारतीय स्रोतों के आधार पर भारत वर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखना चाहते थे। पाश्चात्य इतिहास-लेखकों की पक्षपातपूर्ण एवं संकुचित दृष्टि से लिखे गए इतिहास की सदा उन्होंने भर्त्सना की। वे बार-बार यही कहा करते थे कि ‘‘भारतवर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखा जाना चाहिए।’’
अन्यान्य ग्रंन्थों की रचना करते हुए उन्होंने इतिहास पर भी लेखनी चलानी आरम्भ की और मनु आरम्भ कर राम जन्म तक का ही वे यह प्रामाणिक इतिहास लिख पाए थे कि काल के कराल हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bihar Ke Parva-Tyohar Aur Khanpan
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bihar Ke Parva-Tyohar Aur Khanpan
“‘कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी’ कहावत तो एक वैश्विक लोकोक्ति बन गई है, किंतु भारत, खासकर बिहार राज्य में यह कुछ अधिक ही चरितार्थ होती है। देश-विदेश से यहाँ आनेवाले लोग न केवल ज्ञान-विज्ञान की पोथियाँ लादकर ले गए, बल्कि यहाँ के आचार-विचार, पर्व-त्योहार, अतिथि-सत्कार और भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों-पकवानों के कभी न भूलनेवाले स्वाद भी सहेजकर ले गए। इस तरह यहाँ आनेवालों के दिलो-दिमाग में यहाँ की हर एक चीज बिहार की पहचान के रूप में रच-बस जाती है। उन्हीं में से कुछ ऐसी चीजें हैं, जो सर्वसाधारण के जन-जीवन से लेकर विशेष वर्ग में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं, वे हैं बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान! प्रस्तुत पुस्तक बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान की, उसी लोकप्रिय बिहारीपन के बारे में विस्तार से बात करती है।
लेखक ने 120 अध्यायों की अपनी इस पुस्तक के 57 अध्यायों में बिहार के पर्व- त्योहारों की तथा 63 अध्यायों में खानपान की जानकारी विस्तार से दी है। यह पुस्तक बिहारी तीज-त्योहार और खानपान की समृद्ध परंपरा को जानने-समझने का माध्यम तो होगी ही, बिहार के पर्यटन विकास में भी सहायक होगी।”
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Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bleeding India
“On 15 August every year, PFI cadres dressed in uniforms similar to paramilitary organisations stage a perfectly synchronised march in cities across Kerala, Tamil Nadu and Karnataka. The 15th August Parade is also a tactic for hiding their extremist ideology and an attempt to portray themselves as a good, nation loving and law abiding citizen group.” “On the other hand, proselytisation of innocent tribals continued unabated under the sponsorship of the colonial regime.” “It is a joint action plan and well-coordinated effort of all the four (Islamic fundamentalism, Christian evangelicals,Urban naxalism and media -NGO-human rights nexus) which forms the recipe that poses gravest threat, where one helps the other to achieve the Common Minimum Programme i.e. to bleed India” “These elements use finance coming to them in any form, to further their agenda….not bound by national boundaries…” The activities of the PFI, the Rohingyas, the Patthalgadi in Jharkhand, or the proposed Khalistan Referendum; or even the blasts in Sri Lanka may look like disparate events, fuelled and supported by different people for different reasons. But are they? With six case studies of events in our recent history, Author Binay Kumar Singh gives a unique perspective as to how forces inimical to India’s growth and civilisational ethos work in tandem to inflict injury on her. Read the story of how Islamic fundamentalism, Christian evangelism, urban naxals and the media-NGO-human rights nexus have come together in what appears to be a common goal –to make India bleed. Are we paying heed?
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Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bleeding India (HINDI)/ रक्तरंजित भारत: चार आक्रान्ता, हजार घाव
Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bleeding India (HINDI)/ रक्तरंजित भारत: चार आक्रान्ता, हजार घाव
बिनय कुमार सिंह की रक्तरंजित भारत: चार आक्रान्ता, हजार घाव आज के भारत में यहाँ की हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता एवं परम्पराओं के विरुद्ध, तथा आज के आधुनिक युग में प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ते हुए कदमों को वो कौन सी चौकड़ी है जो इन प्रयासों पर पानी फेरना चाह रही है, इसका तथ्यपरक विवरण एवं विश्लेषण है। ये शक्तियाँ हैं—इस्लामिक आतंकवाद, ईसाई इंजीलवाद (Evangelism), वामपंथ और मीडिया-एनजीओ-मानव-अधिकार संगठनों का गठजोड़।
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), सही आख्यान (True narrative)
Calcutta Quran Petition
This book compiles the documents of the Calcutta Quran Petition and provides extensive commentary on them. The stated goal of this book is to promote a public discussion of Islam as a religion, particularly its claim that every bit of the Quran and the Hadis has a divine source. This claim is used at present to prevent a close examination of what the book contains and what message Islam has for mankind at large. This is the Third Revised and Enlarged Edition.
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Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Catholic Ashrams: Sannyasins or Swindlers?
Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Catholic Ashrams: Sannyasins or Swindlers?
The emergence of Catholic ashrams in several parts of the country is not an isolated development. These institutions are links in a chain which is known as the ‘Ashram Movement’, and which different denominations of Christianity are promoting in concert. The Protestants and the Syrian Orthodox have evolved similar establishments. Taken together, these institutions are known as Christian ashrams. Several books and many articles have already been devoted to the subject by noted Christian writers. The Ashram Movement, in turn, is part of another and larger plan which is known as Indigenisation or Inculturation and which has several other planks. The plan has already produced a mass of literature and is being continuously reviewed in colloquies, conferences, seminars, and spiritual workshops on the local, provincial, regional, national, and international levels. High-powered committees and councils and special cells have been set up for supervising its elaboration and implementation. What strikes one most as one wades through the literature of Indigenisation is the sense of failure from which Christianity is suffering in this country. Or, what seems more likely, this literature is being produced with the express purpose of creating that impression. The gains made so far by an imperialist enterprise are being concealed under a sob-story. Whatever the truth, we find that the mission strategists are trying hard to understand and explain why Christianity has not made the strides it should have made by virtue of its own merits and the opportunities that came its way. Christianity, claim the mission strategists, possesses and proclaims the only true prescription for spiritual salvation. It has been present in India, they say, almost since the commencement of the Christian era. During the last four hundred years, it has been promoted in all possible ways by a succession of colonial powers – the Portuguese, the Dutch, the French, and the British. The secular dispensation which has obtained in this country since the dawn of independence has provided untrammeled freedom to the functioning as well as the multiplication of the Christian mission. Many Christian countries in the West have maintained for many years an unceasing flow of finance and personnel for the spread of the gospel. The costs of the enterprise over the years, in terms of money and manpower, are mind-boggling. Yet Christianity has failed to reap a rich harvest among the Hindu heathens. Sita Ram Goel (1921-2003) took his M.A. in History in 1944, from the University of Delhi. He won scholarships and distinctions in school as well as college. Well-versed in several languages, he had studied the literature, philosophy, religion, history and sociology of several cultures-ancient, medieval and modern. For his judgements and evaluations, however, he drew his inspiration from the Mahabharata and Suttapitaka, Plato and Sri Aurobindo. He had written several documented studies on Communism, Soviet Russia, Red China, Christianity and Islam. Author of eight novels, he had translated into Hindi quite a few books from English, including some dialogues of Plato and a biography of Shivaji. His other works include compilations from the Mahabharata and the Suttapitaka. Having become a convinced Communist by the time he came out of college, he turned against this criminal ideology in 1949 when he came to know what was happening inside Soviet Russia. From 1950 onwards he participated in a movement for informing the Indian people about the theory as well as the practice of Communism in Stalin’s Russia and Mao’s China. The numerous studies published by the movement in the fifties exist in cold print in many libraries and can be consulted for finding out how the movement anticipated by many years the recent revelations about Communist regimes.;
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Chalisa Sangrah – Aarti Sangrah
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Chalisa Sangrah – Aarti Sangrah
यह पुस्तक “”चालीसा संग्रह”” भगवान के विभिन्न रूपों की महिमा को अद्वितीयता से बयां करने वाली एक अद्भुत संग्रह है। यह सामान्य हिंदी में लिखा गया है, ताकि इसे सभी आयुवर्गों के पाठकों को समझने में आसानी हो। पुस्तक में श्री गणेश, श्री दुर्गा, श्री हनुमान, श्री शिव, श्री कृष्ण, श्री राम, श्री सरस्वती, श्री लक्ष्मी, श्री संतोषी माता, श्री गायत्री, श्री शनि, श्री गंगा आदि की चालीसा शामिल हैं। इन चालीसाओं के माध्यम से पाठक भगवान की आराधना में समर्पित हो सकते हैं और उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा पा सकते हैं। “”चालीसा संग्रह”” के अलावा, पुस्तक में मंगल कामना, आरती श्री मंगलाचरण, आरती श्री गणेश जी की, आरती श्री जगदीश जी की, आरती श्री रामचन्द्र जी, आरती श्री शिव जी की, आरती श्री कुञ्ज बिहारीजी की, श्री हनुमान जी की आरती, आरती श्री सरस्वती जी, आरती श्री लक्ष्मी जी की, आरती श्री दुर्गा जी की, आरती श्री गंगा जी, आरती श्री संतोषी माता, आरती श्री काली जी, आरती श्री वैष्णो जी, आरती श्री शनि देव जी, आरती श्री श्याम खाटू जी, आरती श्री गायत्री जी, श्री राम-स्तुति और आरती श्री रामायण जी भी शामिल हैं। इस पुस्तक का उद्दीपन भगवान की भक्ति में नई ऊर्जा और उत्साह भरा हुआ है। यह संग्रह आपको धार्मिकता की ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए एक सहायक होगा और आपके आत्मा को शांति, शक्ति, और प्रेरणा प्रदान करेगा। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक भगवान के साथ अपना संबंध मजबूती से बना सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Chhaha Swarnim Pristha (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Chhaha Swarnim Pristha (PB)
भारतीय वाड.मय में सावरकर साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान् क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता, अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने का आग्रह रखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने इस ग्रंथ में भारतीय इतिहास पर विहंगम दृष्टि डाली है। विद्वानों में सावरकर लिखित इतिहास जितना प्रामाणिक और निष्पक्ष माना गया है उतना अन्य लेखकों का नहीं। प्रस्तुत ग्रंथ ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ में हिंदू राष्ट्र के इतिहास का प्रथम स्वर्णिम पृष्ठ है यवन-विजेता सम्राट् चंद्रगुप्त की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ, यवनांतक सम्राट् पुष्यमित्र की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ भारतीय इतिहास का द्वितीय स्वर्णिम पृष्ठ, सम्राट् विक्रमादित्य की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ इतिहास का तृतीय स्वर्णिम पृष्ठ है। हूणांतक राजा यशोधर्मा के पराक्रम से उद्दीप्त पृष्ठ इतिहास का चतुर्थ स्वर्णिम पृष्ठ, मुसलिम शासकों के साथ निरंतर चलते संघर्ष और उसमें मराठों द्वारा मुसलिम सत्ता के अंत को हिंदू इतिहास का प स्वर्णिम पृष्ठ कह सकते हैं और अंतिम स्वर्णिम पृष्ठ है अंग्रेजी सत्ता को उखाड़कर स्वातंत्र्य प्राप्त करना। विश्वास है, क्रांतिवीर सावरकर के पूर्व ग्रंथों की भाँति इस ग्रंथ का भी भरपूर स्वागत होगा। सुधी पाठक भारतीय इतिहास का सम्यक् रूप में अध्ययन कर इतिहास के अनेक अनछुए पहलुओं और घटनाओं से परिचित होंगे।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)
Chhatrasal Rachna Sanchayan “छत्रसाल रचना संचयन” Book in Hindi- Dr. Bahadur Singh Parmar
आज बुंदेलखंड समेत समस्त भारत के नागरिकों को अपनेजीवन-बोध हेतु ऐसे महापुरुषों के चरित से प्रेरणा लेने कीआवश्यकता है, जिन्होंने अन्याय का प्रतिकार कर अपनी धरती कीसौंधी भारतीय खुशबू रो सराबोर अस्मिता को जन-जन में स्थापितकिया हो। आजादी के अमृत काल में हम अपने उन विस्मृत वीरोंके प्रति नतमस्तक होते हुए उनके पुण्य-कार्यों को याद कर रहे हैं,न केवल उन्हें स्मरण कर रहे हैं बल्कि उनके पुनीत कार्यों से नईपीढ़ी को परिचित कराने में संलग्न हैं ।
वीर शिवाजी, महाराणा प्रतापऔर महाराजा छत्रसाल हमारे ऐसे आदर्श योद्धा हैं, जिनके कार्यों सेप्रेरणा लेकर हमें अपने राष्ट्र को विश्व में स्थापित करने का संकल्पपूरा करना है।महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड अंचल के ऐसे शूरवीर, समर्थयोद्धा तथा कुशल राजा रहे हैं, जिन्होंने शून्य से शिखर तक कीयात्रा अपने बाहुबल, कौशल तथा विवेक से की | उनका जन्म प्रकृतिकी गोद में हुआ, उन्हें कोई राजमहल, रनिवास या घर-बखरी जन्मके समय नसीब नहीं हुआ।
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Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
China Mitra Ya ?
-15%Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)China Mitra Ya ?
दले हुए रणनीतिक सिद्धांत के मद्देनजर चीन भारत को अमेरिका के एक हथियार के रूप में देखता है। वह पिछले कई दशकों से भारत को घेरे में लेने और उसे दक्षिण एशिया में उलझाकर रखने की सोची-समझी नीति अपना रहा है। पाकिस्तान को जितनी चीन की ओर से हथियारों और अन्य साधनों की मदद मिली है उतनी पश्चिम के किसी देश से नहीं मिली। उत्तर में चीन ने तिब्बत का सैन्यकरण कर लिया है। उधर पूर्व में उसने बँगलादेश के साथ एक सैन्य समझौता कर लिया है। पूर्व में ही और आगे बढ़ें तो एक ओर जहाँ हम म्याँमार को लोकतंत्र का हवाला देकर झिड़क रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीन उसे अपना आश्रित बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ चुका है।
और यहाँ हम अपनी आँखें बंद किए बैठे हैं। साथ ही ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का राग और तेजी से अलाप रहे हैं।
—इसी पुस्तक से
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरुण शौरी की यह पुस्तक चीन द्वारा हासिल की जानेवाली शक्तियों, उसकी रणनीतियों और भारत के संदर्भ में उनके परिणामों की समीक्षा तो करती ही है, भारत-चीन संबंधों के अतीत, वर्तमान व भविष्य की भी पड़ताल करती है।SKU: n/a -
Akshaya Prakashan, English Books, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सही आख्यान (True narrative)
Cultural Astronomy and Cosmic Order
-14%Akshaya Prakashan, English Books, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सही आख्यान (True narrative)Cultural Astronomy and Cosmic Order
This book presents an appraisal of cultural astronomy and cosmic order among sacred cities of India, illustrated with Khajuraho, Gaya, Vindhyachal, Varanasi, and Chitrakut. The book explains a fresh writ of integrity, harmony, cultural astronomical reflections, and is profusely illustrated with designs and figures of which Rana Singh is a master craftsman. – Prof. John McKim Malville, APSC, University of Colorado, Boulder, U.S.A. The book is helpful in our understanding of the visions of the cosmos underlying sacred cities of India. The book provides insights that will be useful in anthropology, archaeoastronomy, geography, and religious studies. -Padmashree’ Prof. Subhash Kak, Oklahoma State University, Stillwater, U.S.A. The author extends the study of sacred environments as embodied in geography, religious architecture, cityscapes, and ritual. This book opens valuable new areas of investigation and is destined to become a major work in the field.— Prof. Nicholas Campion, Director SCSCC, The University of Wales, Lampeter, U.K. From astronomy to mythology, Rana Singh explores the very essence of Indian worldview/ cosmology articulated in its material culture and provides further evidence defining the role of sky-watching within this ancient culture. – Prof. Stanislaw Iwaniszewski, National School of Anthropology & History, Mexico City. This ground-breaking work radically transforms our understanding of Indian ethnoastronomy and religious culture. Prof. Audrius Beinorius, Director, Centre of Oriental Studies, Vilnius University, Lithuania The book has expanded the horizon of geography interfaced with astronomy and landscape architecture, making a new path to cosmic understanding. Prof. R. B. Singh, Secretary-General IGU, University of Delhi, India. Prof. Rana P.B. Singh (b. 15-12-1950), MA, PhD, FJF & FIFSS (Japan), FAAI (Italy), FACLA (Korea), ‘Ganga- Ratna’, & ‘Koshal-Ratna’, has been Professor of Cultural Landscapes & Heritage Studies, and Head of the D
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Notion Press, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Deception: A Family That Deceived the Whole Nation (PB)
-15%Notion Press, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Deception: A Family That Deceived the Whole Nation (PB)
The previous book by the author was an exposé on how the narrative of falsehood of Hindu terror was conceived and propagated in the country. An attempt has been made in this book — Deception, to capture the intrinsic working of the Government through the triumphs and tribulations of the central character — Kalyan. He exposes how critical information which is testified by intelligence agencies is also manipulated by the Government which is in pursuit of larger political conspiracy by blaming one ethnic group to placate the other ethnic group. Such acts, perpetuated only to appease the minorites and make them captive voters of this political formation.
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Garuda Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Delhi Riots 2020: The Untold Story (Marathi)
Garuda Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Delhi Riots 2020: The Untold Story (Marathi)
“The book ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ is published from ground research material on the Delhi Riots that occurred in February 2020. This material was collected by the authors and their team during their many visits to the riot-affected areas of North East Delhi. The research team met both Hindu and Muslim victims of the violence and religious leaders of both communities who attempted to de- escalate the situation. The book contains eight chapters which narrate the fact and evidence-based story of the dharna-to-danga model, planned and executed by Urban Naxal and Jihadi elements in Delhi. One of the main themes of the book is the destruction of inter-community relations in North East Delhi in the garb of Anti-CAA protests. The book shows us that hatred and violence was ignited between two communities which had been peacefully coexisting for decades, by people with ideologically vested interests. It exposes the plot behind the violence, how it was planned and how the events unfolded. The book contains details on the events of 23rd February 2020 in Jaffrabad which laid the ground for full-fledged communal riots in the area on the next day. It shows how a Genocide was committed in North East Delhi under the cover of women’s empowerment. The book uncovers the Urban-Naxal-Jihadi theories as contained in their own documents and literature. The book must be read because it shows the citizens of this country the ways in which their internal security is being compromised by fanatic ideologies.
”
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
DELHI RIOTS: Conspiracy Unravelled
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)DELHI RIOTS: Conspiracy Unravelled
The Truth of Delhi Riots is Unearthing Gradually
“As per our plan, on February 24 we called several people and told them how stones, petrol bombs and acid bottles are to be thrown. I shifted my family to another place. At about 1.30 p.m. in the afternoon on February 24 we began pelting stones.”
Only those who are not familiar with the real face of the Aam Aadmi Party will be surprised or shocked by the above statements made by the now expelled counsellor Tahir Hussain. The Aam Aadmi Party used its network of people associated with mosques and madarsas and relied on leaders such as Tahir Hussain and Amanat Ulla Khan to bag the Muslim votes in Delhi. In return for the votes, it seems that the party gave the license to a specific community to consign north east Delhi to flames.
Now that the chargesheet has been finalised by the Delhi Police about the riots that took place in East Delhi, it will be a fallacy to disassociate the riots that took place in places such as Jafrabad, Maujpur, Babarpur, Gokul Puri, Karawal Nagar, Bhajanpura, Yamuna Vihar from the violence that took place during the anti-CAA protests.
The violence that occurred during the anti-CAA protests in places such as Shaheen Bagh, Jamia Nagar, Seelampur were actually the precursor to a big riot.
The riot that took place in the north-east parts of Delhi during US President Donald Trump’s visit from February 23-26, 2020. For the violence that was orchestrated during these riots, the work of collecting empty bottles, stones and storing these on rooftops of houses had begun on February 4. Many people of the Muslim community had filled petrol in their vehicles so that this fuel could later be used for making petrol bombs. In many Muslim families, pamphlets about such riots were distributed with instructions on how to deal with Hindus. It is not rocket science to understand that the Muslim community was already prepared for the riots that broke out in north-east Delhi. Hindus did not get a chance to get their act together. Slowly the conspiracy behind the riots is unraveling and the lies perpetrated by the Communist ecosystem are falling flat.SKU: n/a -
Hindu Rights Forum, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Desh Vibhajan Ka Khooni Itihaas (PB)
देश विभाजन का खुनी इतिहास
(लेखक, पुस्तक एवं विषय परिचय)गोपाल दास खोसला, बी.ए. ऑनर्स, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इण्डियन सिविल सर्विस (आई.सी.एस.) के न्यायिक प्रभाग में अपनी सेवा प्रदान की और पंजाब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवा निवृत्त हुए। वे अनेक लघु कथाओं, उपन्यासों, ऐतिहासिक उपन्यासों, संस्मरणों, याश वृत्तान्तों, राजकीय अनुसंधान प्रतिवेदनों और आत्मया के लेखक हैं।
उच्च न्यायालय में ‘गांधी मर्डर केस की सुनवाई पीठ में न्यायाधीश के रूप में भागीदारी से आपकी देश भर में प्रसिद्धि हुई। अपनी पुस्तक “स्टर्न रियलिटी” में आप ने ‘गांधी मर्डर केस’ की सुनवाई का विवरण देते हुए एक महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की है, “खचाखच भरे न्यायालय में नाथूराम गोड्से के बयान के बाद उपस्थित जनसमूह से यदि निर्णय देने को कहा जाता तो वे बहुमत से गोड्से को दोषमुक्त होने का निर्णय देते।” इससे गाँधाजी के प्रति उस समय जनसमूह में असंतोष और रोष की झलक मिलती है।
यह पुस्तक 1949 में पहली बार प्रकाशित हुई थी। विभाजन के समय दंगों, कत्लेआम हताहतों की संख्या और राजनीतिक घटनाओं को यह दस्तावेजी स्वरूप प्रदान करती है, जिनके कारण भारत का दो भागों, भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन हुआ। इसके प्रकाशन से लेकर आज तक के साठ वर्षों में यह इतिहासकारों के लिए आधार ग्रंथ बन चुकी है। 1946-47 की घटनाओं के प्रामाणिक लेखन और राजनीतिक- ऐतिहासिक परिदृश्य धारण करने में इसका मूल्य निहित है, जो उस अवधि में घटित घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती है, जब यह पुस्तक लिखी जा रही थी। यह निजी अवलोकन और तथ्यान्वेषी संगठन के प्रतिवेदनों के आधार पर, जिसने हजारों शरणार्थियों के दिल दहलाने वाली घटनाओं को लिपिबद्ध किया था, से सीधी प्राप्त सूचनाओं पर आधारित है। इसमें घटित घटनाओं के वृत्तांत हैं। यह घटनाओं में लोगों के पूर्वाग्रह या अभिरुचि जनित पक्षपात के प्रामाणिक आलेख के रूप में बहुत रोचक है, जो स्वतंत्रता या विभाजन बहुत बाद के विद्वानों के आलेखों में दृष्टिगोचर नहीं होता।
प्रस्तुत पुस्तक जी. डी. खोसला की अंग्रेजी पुस्तक “स्टर्न रेकनिंग” की हिन्दी में अनुवाद सहित समीक्षा है। यह पुस्तक देश विभाजन के पहले और उसके बाद देश के अनेक हिस्सों में होने वाले उथल-पुथल, जिसमें लाखों लोगों की क्रूर हत्याएँ, उनकी सम्पत्ति की लूट, महिलाओं का अपहरण और बलात्कार, बड़े पैमाने पर बलात् धर्मान्तरण और करोड़ों लोगों को अपने घर और सम्पत्ति का परित्याग कर इधर से उधर अनजान जगहों में आने-जाने को विवश होना पड़ा था, का संग्रह है, जिसे लेखक ने भविष्य के इतिहास के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया है। इसकी समीक्षा की आवश्यकता इस लिए महसूस की गई, क्योंकि लेखक की अनेक टिप्पणियाँ सही कारण आधारित प्रतीत नहीं होतीं।
इतने बड़े नृशंस, जघन्य, अमानुषिक और बर्बर अपराधों के पीछे का कारण क्या आर्थिक-राजनीतिक लाभ और तात्कालिक भावावेग मात्र था या यह किसी सुनियोजित योजना का कार्यान्वयन था। इन घटनाओं को उत्पन्न करने वाले कौन से कारण थे? इन कारणों की स्पष्ट समझ होना अतिआवश्यक है; क्योंकि उनके ही आधार पर भविष्य की पीड़ियों को वैसी विपदा से ऋण दिलाने हेतु समुचित मार्गों की खोज की जा सकती है।
पीड़ित समुदायों की आत्मनिष्ठ जीवनधारा और सामाजिक ताना-बाना के अभाव के कारण इस अति गम्भीर समस्या पर विधिवत विचार-विमर्श की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं हो सकी। किसी समस्या के समाधान की दिशा में बढ़ने का प्रथम प्रयास उस समस्या को अच्छी तरह समझना होता है। बिना जाने-समझे किसी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। चूँकि समस्या विकट है, इसलिए उससे मुँह फेर कर बैठ रहना तो उसे और भी विकट बनाना है। समस्या कितनी भी जटिल हो, उसका सामना कर ही समाधान खोजा जाता है। यह पीड़ित समुदायों के हर वर्ग के व्यक्तियों का कर्तव्य है कि इस अति भयानक समस्या पर ध्यान देकर सामूहिक रूप से उसके समाधान की तलाश करें, अन्यथा उनकी उदासीनता भविष्य की अपनी ही पीढ़ियों के विनाश के लिए जिम्मेदार होगी। उनकी हीनता के कारण समय, उनको अपने ही बच्चों के संहार के लिए अपराधी सिद्ध करेगा। यह समीक्षा उसी दिशा में एक लघु प्रयास है।
चूंकि यह पुस्तक एक ही प्रकार की क्रूर एवं खूनी घटनाओं का संग्रह है, इसलिए उबाऊ भी है। मात्र हास्य-विनोद में रुचि रखने वाले थोड़े पाठकों के लिए यह ललित निब नहीं हैं, वरन पूर्व पीड़ित समुदायों के सौ प्रतिशत लोगों के जीवन, सम्पत्ति, महिलाओं की प्रतिष्ठा, स्वाभिमान और सम्पूर्ण सांस्कृतिक मूल्यों के अस्तित्व के दाँव पर होने की भयंकर समस्या से संबंधित है। इसलिए ध्यानपूर्वक चिन्तन करते हुए धीरे-धीरे पूरी पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए, और प्रत्येक जिम्मेवार व्यक्ति को पढ़ना चाहिए; जिससे समस्या के समाधान की दिशा में ध्यान मुड़े।
समीक्षात्मक टिप्पणियों का वास्तविक उद्देश्य सत्य का उद्घाटन है, किसी की भावना को आहत करना नहीं। मनुष्य अपनी विशिष्ट प्रकृति के कारण ही अन्धविश्वासों और पाखण्डों का शिकार बनता है, जो विध्वंस और विनाश के स्रोत हैं। वह उनका अभ्यस्त बन कर और स्वहितों से तालमेल बिठाकर असत्य धारणाओं के साथ जीने लगता है। सत्य से आहत होता है और प्रतिक्रिया स्वरूप आघात करता है। किन्तु मानव कल्याण हेतु सत्य का अनुसरण ही सर्वोत्तम मार्ग है, जो औचित्य और न्याय की बोध दृष्टि प्रदान करता है।
मनुष्य के कल्याण और सर्वोन्नति का यही एकमात्र मार्ग है। इसलिए विवेक जागृत करना, अंधविश्वासों और पाखण्डों की पहचान कर उनका त्याग करना, सत्य का अनुसंधान करना और सत्य मार्ग का अनुसरण करना ही मनुष्य का उचित और वास्तविक कर्तव्य है।
कम लागत में अधिकतर लोगों तक शीघ्रता से पहुँचाने के उद्देश्य से आरम्भ में पुस्तक को तीन खण्डों में बनाने का विचार था, इसलिए तीनों खण्डों को अपने आप में सामान्य जानकारी योग्य बनाने में समीक्षा में पुनरोक्ति दोष आया है। पाठक को इसे इसी रूप में लेना चाहिए।
अन्त में मेरे प्रेरणा स्रोत, परम श्रद्धेय डॉ. कृष्ण वल्लभ पालीवाल जी, अध्यक्ष, हिन्दू राइटर्स फोरम, नई दिल्ली के स्नेह का स्मरण और कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ, जिनसे सतत ऊर्जा पाकर इस कार्य को पूरा कर सका।
पुस्तक की तैयारी के विभिन्न चरणों में विभिन्न प्रकार के निरन्तर सहयोग के लिए मैं सर्वश्री किशोर कुमार, रवि कुमार, प्रिंस, सिद्धान्त कुमार और उनके मित्रों को धन्यवाद अर्पित करता हूँ।
श्री महेन्द्र कुमार गुप्ता के इस कार्य और विषय में विशेष रुचि के साथ शब्द संयोजन के उनके सहर्ष अथक प्रयास की सराहना के साथ आभार व्यक्त करता हूँ।
शब्द संयोजन या अन्य किसी त्रुटि के लिए पाठकों द्वारा दिए गए सुझाव के लिए मैं कृतज्ञ रहूँगा ।
-सच्चिदानन्द चतुर्वेदी
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