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Hindi Books, MANAV PRAKASHAN, On Sale, Suggested Books, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)
Amit Kaal Rekha Adi Sankaracarya Aur Unka Avirbhav Kaal (507 – 475 Es. Pu.)
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Hindi Books, MANAV PRAKASHAN, On Sale, Suggested Books, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)Amit Kaal Rekha Adi Sankaracarya Aur Unka Avirbhav Kaal (507 – 475 Es. Pu.)
पुरातात्विक मौद्रिक अभिलेखीय ऐतिहासिक आदि साक्ष्यों से परिपूर्ण शोध – ग्रंथ
एक अद्भुत पुस्तक मेरे हाथ लगी है। राम जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सबसे अधिक समय तक बहस करने और स्कंद पुराण से श्रीराम जी के जन्म स्थल को पुरातात्विक साक्ष्यों से प्रमाणित करने वाले शंकराचार्य के वकील डॉ पी.एन.मिश्रा ने आदि शंकराचार्य की जन्मतिथि और काल निर्धारण के लिए अत्यंत श्रम साध्य कार्य करते हुए जो शोध प्रबंध लिखा है, वह ‘अमिट काल रेखा: आदि शंकराचार्य और उनका आविर्भाव काल'(507-475 ईसा पूर्व) इस पुस्तक के रूप में सामने है। यह पुस्तक दो बार में करीब दो दशक में लिखी गई है।
पहले मैं भी अंधेरे में था और सोचता था कि आदि शंकराचार्य का कार्य महत्वपूर्ण है, उनके जन्मतिथि से क्या लेना? परंतु जब पढ़ा तब पता लगा कि पश्चिमी इतिहासकारों व वितंडावादियों ने मूसा (यहूदी पैगंबर), ईसा(इसाई पैगंबर) और मोहम्मद(इस्लामी पैगंबर) के बाद आदि शंकर के जन्म की चाल क्यों चली? असल में उपनिषदों से एकेश्वरवाद (अद्वैत वेदांत दर्शन) को विश्व में सबसे पहले मजबूती से अदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। अपने दिग्विजय के दौरान उन्होंने शास्त्रार्थ से इसे संसार भर में स्थापित किया था। बाद में इसी एकेश्वरवाद के आधार पर मूसा, ईसा और मोहम्मद ने अपने अपने पंथों की रचना की।
आदि शंकराचार्य के जन्म की तिथि को 1000 साल कम करते ही, अब्राहमिकों की अवधारणा प्रथम हो गई और पश्चिमी इतिहासकारों ने यह वितंडा फैला दिया कि आदि शंकराचार्य ने अब्राहमिकों द्वारा स्थापित एकेश्वरवाद के विस्तार को देखते हुए भारतीयों को एकेश्वरवाद की ओर ले जाने का प्रयास किया!
अर्थात् आदि शंकर के जन्म को 1000 साल घटाते ही अब्राहमिकों को एकेश्वरवाद का क्रेडिट चला गया और सनातन वेदांत की अवधारणा लोगों को विस्मृत हो गई।
पश्चिम की इस साजिश को न समझते हुए कई भारतीय इतिहासकारों व विद्वानों ने भी यही वितंडा फैलाया। मैं स्वयं जनसंघ के संस्थापकों में एक दीन दयाल उपाध्याय की आदि शंकराचार्य पर लिखी पुस्तक को पढ़ कर शंकराचार्य के जन्म के समय केरल में इस्लाम के आगमन पर कंस्टीट्यूशन क्लब में मूर्खतापूर्ण भाषण दे चुका हूं। पी.एन. मिश्रा के इस शोध को पढ़कर मुझे अपनी मूर्खता पर आत्मग्लानि है। और दुख है कि लेफ्ट-राईट दोनों के इतिहासकार एक ही बात दोहराते हैं, बस उनके कहने का तरीका अलग होता है और उनके काल गणना में बस 100-200 वर्ष का अंतर होता है!
पी.एन.मिश्रा जी की इस पुस्तक से बुद्ध संबंधित जो बयान पुरी के शंकराचार्य जी देते हैं, उसकी भी पुष्टि हो जाती है। पुराणों में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में आए पूर्व बुद्ध, शुद्धोधन पुत्र सिद्दार्थ गौतम बुद्ध से बहुत पहले थे। सिद्धार्थ बुद्ध से पहले कई और बुद्ध हो चुके हैं, जिनकी पूरी व्याख्या इस पुस्तक में है और यह बौद्ध ग्रंथों में भी है, बस हम सब ने ध्यान नहीं दिया था।
इस पुस्तक से आदि शंकराचार्य के समय राजा सुधन्वा की वंशावली भी मिल गई है। राजा सुधन्वा ने आदि शंकराचार्य के साथ सेना लेकर पुनः सनातन धर्म की स्थापना की थी।
इस पुस्तक से दो प्राचीन नगरों की खोज भी स्थापित होती है।
यह पूरी पुस्तक पुरातात्विक, मौद्रिक, अभिलेखीय, ताम्रपत्र और ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित शोध प्रबंध है।
दुख है कि यह पुस्तक अब नहीं मिलती। एक तो यह बहुत मोटी ग्रंथ है, दूसरा इसका मूल्य ₹2500 है। अतः प्रकाशक छापते ही नहीं। प्रकाशक के पास केवल तीन कॉपी बची थी, मैंने मूल्य भेजकर एक कॉपी अपने लिए मंगवा ली।
उनसे बात की कि यदि इच्छुक शोधार्थी या विद्वान पाठक यह पुस्तक मंगवाना चाहें तो कैसे मिलेगा? उनका कहना है कि 10 से अधिक लोगों की मांग यदि आप भेज दें तो डिजिटल प्रिंट करवा कर आपको भेज दूंगा। अतः जिनको वास्तव में आदि शंकराचार्य से जुड़ी वास्तविकता को जानना-समझना हो तो वह 8826291284 पर केवल WhatsApp कर दें। मूल्य न भेजें। 10 से अधिक लोगों का आर्डर यदि आ गया तो मैं मंगवाने का प्रयत्न करूंगा।
आगे इस पुस्तक की महत्वपूर्ण स्थापनाओं को छोटे-छोटे पोस्ट के रूप में भी मैं आपको देता रहूंगा। धन्यवाद।
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Garuda Prakashan, On Sale
Bharat mein Islam – 2: Bhoga Hua Sach
भारत में इस्लामी इतिहास और दुनिया भर में इस्लाम के रोचक पहलुओं को खोजने की आकांक्षा सबको होती है। इस उत्कृष्ट वीडियो संग्रह में, यूट्यूब पर आपके लिए उपलब्ध ‘एक्स मुस्लिम साहिल’, ‘समीर’, ‘सचवाला’, ‘अलमोसो फ्री’, ‘डॉ. फौजिया रऊफ’, ‘अमीना सरदार’, ‘हारिस सुल्तान’, और दूसरे श्रेष्ठ शिक्षकों के वीडियो हैं। ये प्रभावशाली विचारक विभिन्न देशों और संस्कृतियों से जुड़े हुए हैं और वे इस्लाम के विभिन्न पहलुओं पर गहरे शास्त्रार्थ करते हैं, जैसे कि विस्तारवादी इस्लाम, कुरान और हदीसों की व्याख्या आदि। ये वीडियो आपको इस्लामी अतीत की नई दृष्टिकोण प्रदान करेंगे और आपकी समझ में गहराईयों तक जाने का अवसर देंगे।
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On Sale, Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Bharatiya Rahasyavad
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On Sale, Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रBharatiya Rahasyavad
प्रो० राधेश्याम दूबे मध्यकालीन हिन्दी साहित्य के अध्येता हैं। भक्तिकालीन कवियों की रचनाओं का अध्ययन करते समय लेखक ने भारतीय रहस्यवाद को ध्यान में रखा है। वस्तुत: भारतीय अध्यात्मविद्या अथवा ब्रह्मïविद्या ही भारतीय रहस्यवाद है। प्राचीन भारतीय वाङ्मय में रहस्यवाद के अर्थ में अध्यात्मविद्या, ब्रह्मïविद्या, उपनिषद्, गुह्यïविद्या, गुह्यïमार्ग आदि शब्दों के प्रयोग मिलते हैं। योग, भक्ति, कर्म और ज्ञान – ये भारतीय अध्यात्मसाधन के प्रधान उपाय हैं। अत: साधन की दृष्टि से विचार करते हुए लेखक ने भारतीय रहस्यवाद को चार भेदों में विभक्त कर (जैसे-योगपरक, रहस्यवाद, भक्तिपरक रहस्यवाद, ज्ञानपरक, रहस्यवाद, कर्मपरक रहस्यवाद) उनकी व्याख्या की है। भारतीय रहस्यवाद का विकासात्मक स्वरूप प्रस्तुत करते हुए विद्वान लेखक ने उसके तात्त्विक स्वरूप की विवेचना की है। इस प्रकार इस ग्रन्थ के अध्ययन द्वारा रहस्यवाद अथवा भारतीय रहस्यवाद के सन्दर्भ में हिन्दी के पाठकों के मन में जो भ्रम की स्थिति बनी रहती है, वह दूर हो जाती है।
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Garuda Prakashan, Hindi Books, On Sale, इतिहास
Bharatpur Ka Surajmal: Jaat Yoddhaon ki Anupam Shaurya Gaatha
-29%
Garuda Prakashan, Hindi Books, On Sale, इतिहासBharatpur Ka Surajmal: Jaat Yoddhaon ki Anupam Shaurya Gaatha
दिल्ली से अपना शासन चलाने वाले मुग़ल शासक औरंगजेब और अफगानिस्तान से बुलाए गए आक्रान्ता, अहमद शाह अब्दाली को भारत में दिल्ली, मथुरा, भरतपुर, आगरा, यानी दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में बहुत जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था। इतना ही नहीं, इन आक्रान्ताओं को बारम्बार पराजय भी झेलनी पड़ी और इस सफल चुनौती का झंडा फहराया था यहाँ के जाट सरदारों ने। भारत के इतिहास में इनकी सफलता और वीरता की ये कथा भुला दी गई।
मुनीष त्रिपाठी की “भरतपुर का सूरजमल: जाट योद्धाओं की अनुपम शौर्य गाथा” इन शोध-आधारित कथाओं को एक रोचक सूत्र में पिरोते हुए पाठकों के सामने रखती है। भरतपुर के सूरजमल से राजा चूड़ामन से लेकर जवाहर सिंह तक की वीरता की कहानी इस पुस्तक में है। कम ही लोग जानते होंगे कि जाटों ने आगरा और अन्य किलों पर भी कब्जा कर लिया था।
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On Sale, Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Bhojraj
धाराधीश राजा भोज भारतीय ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, संस्कृति और इतिहास के मानदण्ड हैं। उन्होंने तलवार के क्षेत्र में कभी समझौता नहीं किया, पर लेखनी के क्षेत्र में सदा समन्वय का मार्ग स्वीकार किया। अपने 55 वर्ष 7 मास 3 दिन के शासन काल में वे वीरता और विद्वत्ता के प्रमाण बन गये। साहित्य, ज्योतिष, आयुर्वेद, कोश, व्याकरण, राजनीति, धर्मशास्त्र, शिल्प, दर्शन, विज्ञान, रसायन आदि अपने युग के प्राय: सभी ज्ञात विषयों पर भोज ने साधिकार जो अनेक ग्रन्थ रचे उनमें से 80 से अधिक के नाम ज्ञात हैं। इनमें से प्राय: आधे ग्रन्थ सुलभ भी हैं। उनमें से उनकी कतिपय पुस्तकें ही प्रकाशित और उनमें से भी बहुत कम सुलभ हैं। राजा भोज के ताम्रपत्र, शिलालेख, भवन, मन्दिर, मूर्तियाँ आदि पुरा प्रमाण प्राप्त होते हैं। भारतीय परमपरा में विक्रमादित्य के बाद राजा भोज का ही सर्वाधिक स्मरण किया जाता है। राजा भोज न केवल स्वयं विद्वान अपितु विद्वानों के आश्रयदाता भी थे। इतिहास-पुरुष होने पर भी वे अपनी अपार लोकप्रियता के कारण मिथक पुरुष हो गये। भारतीय परमपरा के ऐसे शलाका पुरुष का प्रामाणिक परिचय इस भोजराज ग्रन्थ में संक्षेप में दिया जा रहा है। हिन्दी में यह पहली पुस्तक है जिसमें साहित्य और संस्कृति के प्रकाश स्त?भ राजा भोज को पूरी तरह से पहचानने की कोशिश की गयी है। वाग्देवी के आराधक तथा असि और मसि के धनी भोज को समझने के लिए यह ग्रन्थ सबके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
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Garuda Prakashan, On Sale, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bleeding India
“On 15 August every year, PFI cadres dressed in uniforms similar to paramilitary organisations stage a perfectly synchronised march in cities across Kerala, Tamil Nadu and Karnataka. The 15th August Parade is also a tactic for hiding their extremist ideology and an attempt to portray themselves as a good, nation loving and law abiding citizen group.” “On the other hand, proselytisation of innocent tribals continued unabated under the sponsorship of the colonial regime.” “It is a joint action plan and well-coordinated effort of all the four (Islamic fundamentalism, Christian evangelicals,Urban naxalism and media -NGO-human rights nexus) which forms the recipe that poses gravest threat, where one helps the other to achieve the Common Minimum Programme i.e. to bleed India” “These elements use finance coming to them in any form, to further their agenda….not bound by national boundaries…” The activities of the PFI, the Rohingyas, the Patthalgadi in Jharkhand, or the proposed Khalistan Referendum; or even the blasts in Sri Lanka may look like disparate events, fuelled and supported by different people for different reasons. But are they? With six case studies of events in our recent history, Author Binay Kumar Singh gives a unique perspective as to how forces inimical to India’s growth and civilisational ethos work in tandem to inflict injury on her. Read the story of how Islamic fundamentalism, Christian evangelism, urban naxals and the media-NGO-human rights nexus have come together in what appears to be a common goal –to make India bleed. Are we paying heed?
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Garuda Prakashan, On Sale, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bleeding India (HINDI)/ रक्तरंजित भारत: चार आक्रान्ता, हजार घाव
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Garuda Prakashan, On Sale, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bleeding India (HINDI)/ रक्तरंजित भारत: चार आक्रान्ता, हजार घाव
बिनय कुमार सिंह की रक्तरंजित भारत: चार आक्रान्ता, हजार घाव आज के भारत में यहाँ की हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता एवं परम्पराओं के विरुद्ध, तथा आज के आधुनिक युग में प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ते हुए कदमों को वो कौन सी चौकड़ी है जो इन प्रयासों पर पानी फेरना चाह रही है, इसका तथ्यपरक विवरण एवं विश्लेषण है। ये शक्तियाँ हैं—इस्लामिक आतंकवाद, ईसाई इंजीलवाद (Evangelism), वामपंथ और मीडिया-एनजीओ-मानव-अधिकार संगठनों का गठजोड़।
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Hindi Books, On Sale, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Chhaava Sambhaji Maharaj (PB)
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Hindi Books, On Sale, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Chhaava Sambhaji Maharaj (PB)
“संभाजी महाराज की नजर महादजी की ओर जाती है। यह सही बातें कहने और करने का समय है। अभी वे जो करेंगे, वह उनके देश की नियति बदल देगा। वे मराठी में कहते हैं, “”महादजी, आबा साहिब ने हर सैनिक के जीवन का सम्मान किया। वे चाहते थे कि हम बेवजह शहादत से बचें और जीवित रहें, ताकि हम स्वराज के लिए, मराठा राष्ट्र के लिए एक और लड़ाई लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी मराठा राष्ट्र के बदले में जीवन को गले नहीं लगाया होता।
संभाजी महाराज फर्श पर एक ढेर की तरह गिर जाते हैं। वे जानते हैं कि कुछ ही दिनों में उनकी आँखें निकाल ली जाएँगी। लेकिन औरंगजेब बस इतना ही कर सकता है। संभाजी महाराज मराठों के दिलों में एक आग जला जाएँगे और वे दावानल में बदल जाएँगे, जो औरंगजेब के सपनों को जलाकर राख कर देंगे। युद्ध चलता रहेगा लेकिन वह कभी दक्कन नहीं जीत पाएगा।
– इसी पुस्तक से
छत्रपति शिवाजी महाराज के उतने ही प्रतापी पुत्र संभाजी महाराज के शौर्य और पराक्रम की यशोगाथा बताती अनुपम कृति। आक्रांताओं के दाँत खट्टे कर मराठा स्वाभिमान को जाग्रत् करने में संभाजी महाराज के योगदान को रेखांकित करनेवाली कृति। हर भारतीय के राष्ट्रभाव को जाग्रत् करनेवाली पठनीय कृति ।”
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On Sale, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Col. James Tod krit Rajasthan ka Puratatva evam Itihas (vol. 1, 2, 3)
-20%
On Sale, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिCol. James Tod krit Rajasthan ka Puratatva evam Itihas (vol. 1, 2, 3)
जैम्स टॉड कृत महान पुस्तक “राजस्थान का पुरातत्व एवं इतिहास” के नवीन संस्करण को प्रकाशित करने की बात को कोई भी व्यक्ति हल्केपन से नहीं ले सकता। महायुद्व में राजपूतों के महान योगदान को देखकर इम्पीरियल कॉन्फरेंस में इनके प्रतिनिधि को आमंत्रित किया है और यह निश्चित है कि वर्तमान महाविपत्ति के समाप्त होते ही भारतीय प्रशासन में राजपूतों को और अधिक बड़ा भाग सौपा जायेगा। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए यह अभिलाषा उत्पन्न हुई कि राजपूतों के पुरातत्त्व, इतिहास एवं उनकी सामाजिक संस्कृति को प्रकाशित कर उसे जनता के सामने प्रस्तुत किया जावे। यह पुस्तक अपने आप में उत्कृष्ट कालजयी साहित्य है और उसके साथ हमारा व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए। स्वयं राजपूतों के लिये एवं उन भारतीयों के लिए जो अपने देश का इतिहास जानने में रूचि रखते है।
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Notion Press, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Deception: A Family That Deceived the Whole Nation (PB)
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Notion Press, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Deception: A Family That Deceived the Whole Nation (PB)
The previous book by the author was an exposé on how the narrative of falsehood of Hindu terror was conceived and propagated in the country. An attempt has been made in this book — Deception, to capture the intrinsic working of the Government through the triumphs and tribulations of the central character — Kalyan. He exposes how critical information which is testified by intelligence agencies is also manipulated by the Government which is in pursuit of larger political conspiracy by blaming one ethnic group to placate the other ethnic group. Such acts, perpetuated only to appease the minorites and make them captive voters of this political formation.
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Garuda Prakashan, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Delhi Riots 2020: The Untold Story
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Garuda Prakashan, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रDelhi Riots 2020: The Untold Story
“The book ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ is published from ground research material on the Delhi Riots that occurred in February 2020. This material was collected by the authors and their team during their many visits to the riot-affected areas of North East Delhi. The research team met both Hindu and Muslim victims of the violence and religious leaders of both communities who attempted to de- escalate the situation. The book contains eight chapters which narrate the fact and evidence-based story of the dharna-to-danga model, planned and executed by Urban Naxal and Jihadi elements in Delhi. One of the main themes of the book is the destruction of inter-community relations in North East Delhi in the garb of Anti-CAA protests. The book shows us that hatred and violence was ignited between two communities which had been peacefully coexisting for decades, by people with ideologically vested interests. It exposes the plot behind the violence, how it was planned and how the events unfolded. The book contains details on the events of 23rd February 2020 in Jaffrabad which laid the ground for full-fledged communal riots in the area on the next day. It shows how a Genocide was committed in North East Delhi under the cover of women’s empowerment. The book uncovers the Urban-Naxal-Jihadi theories as contained in their own documents and literature. The book must be read because it shows the citizens of this country the ways in which their internal security is being compromised by fanatic ideologies.
”
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Garuda Prakashan, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Delhi Riots 2020: The Untold Story (Marathi)
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Garuda Prakashan, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Delhi Riots 2020: The Untold Story (Marathi)
“The book ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ is published from ground research material on the Delhi Riots that occurred in February 2020. This material was collected by the authors and their team during their many visits to the riot-affected areas of North East Delhi. The research team met both Hindu and Muslim victims of the violence and religious leaders of both communities who attempted to de- escalate the situation. The book contains eight chapters which narrate the fact and evidence-based story of the dharna-to-danga model, planned and executed by Urban Naxal and Jihadi elements in Delhi. One of the main themes of the book is the destruction of inter-community relations in North East Delhi in the garb of Anti-CAA protests. The book shows us that hatred and violence was ignited between two communities which had been peacefully coexisting for decades, by people with ideologically vested interests. It exposes the plot behind the violence, how it was planned and how the events unfolded. The book contains details on the events of 23rd February 2020 in Jaffrabad which laid the ground for full-fledged communal riots in the area on the next day. It shows how a Genocide was committed in North East Delhi under the cover of women’s empowerment. The book uncovers the Urban-Naxal-Jihadi theories as contained in their own documents and literature. The book must be read because it shows the citizens of this country the ways in which their internal security is being compromised by fanatic ideologies.
”
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Garuda Prakashan, On Sale, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Dilli Dange 2020: Ankahi Kahani
पुस्तक दिल्ली दंगे 2020 – एक अनकही कहानी, फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों पर शोध आधारित तथ्यात्मक सामग्री है। इस सामग्री को लेखकों और उनकी टीम द्वारा तब एकत्र किया गया जब वह उत्तर पूर्व दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रो में बात करने गईं और उन लोगों ने दंगा पीड़ित परिवारों से बातचीत की। जो शोधकर्ता टीम थी उसने हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही प्रभावित पक्षों से बात की और इसके साथ ही वह लोग दोनों ही समुदायों के उन सभी धार्मिक नेताओं से मिले जिन्होनें स्थिति को संतुलित करने और हालातों को सम्भालने की कोशिश की। इस पुस्तक में आठ अध्याय हैं जो धरना से दंगा मॉडल तक की प्रमाण और तथ्य आधारित कहानी को बताते हैं, जिनकी योजना दिल्ली में बैठे अर्बन नक्सल और जिहादी तत्वों ने बनाई और फिर उसे लागू किया। इस पुस्तक की मुख्य थीम में से एक थीम है नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों की आड़ में उत्तर पूर्वी दिल्ली का सुलग उठना और समुदायों के बीच जो सौहार्द था उसे खत्म करना। यह पुस्तक हमें उस नफरत और हिंसा की झलक दिखाती है जो दो समुदायों के बीच भड़की और जिसने दशकों से चले आ रहे आपसी भाई चारे और सौहार्द के रिश्तों को जलाकर राख कर दिया। यह पुस्तक हिंसा के पीछे के प्लाट को बताती है, कि इसकी कैसे योजना बनाई गई और कैसे एक एक कर घटनाएँ हुईं। इस पुस्तक में जाफराबाद में 23 फरवरी 2020 को हुई की घटनाओं का वर्णन है जिसने अगले दिन इस इलाके में दंगों की भूमिका तैयार कर दी थी। यह दिखाती है कि कैसे उत्तर पूर्व दिल्ली में महिला सशक्तिकरण की आड़ में नरसंहार की योजना बनाई गयी थी। यह पुस्तक अर्बन-नक्सल-जिहादी गठजोड़ के सिद्धांतों को बताती है जो उनके खुद के दस्तावेज और साहित्य में दिया गया है। इस पुस्तक को इसलिए भी अवश्य पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह इस देश के नागरिकों को यह भी दिखाती है कि कैसे उनकी आतंरिक सुरक्षा को कट्टरपंथी विचारधाराओं द्वारा रोज़ चुनौती दी जा रही है, कैसे यह कट्टर विचारधाराएं उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन गईं हैं।
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Fiction Books, Garuda Prakashan, Literature & Fiction, On Sale, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Ek Kafir Mera Padosi
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Fiction Books, Garuda Prakashan, Literature & Fiction, On Sale, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिEk Kafir Mera Padosi
कश्मीर आज इस धरती पर सबसे ज्यादा कट्टरपंथी क्षेत्र है। मगर धार्मिक अत्याचारों और हिंसा के ज्ञात लघु इतिहास से परे भी एक इतिहास है जहाँ पर इसके मूल निवासियों ने लगातार धार्मिक अत्याचारों का विरोध किया और अपने धर्म को बनाए रखने के लिए बार बार संघर्ष किया।
इस कहानी को एक ऐसे मनोवैज्ञानिक द्वारा संवेदना के तंतुओं के साथ बुना गया है जिन्होनें कश्मीर के दर्द को अपने काम के हिस्से के रूप में महसूस किया है। यह एक ऐसी प्रेरक कहानी है जो तीन युवाओं के इर्दगिर्द घूमती है, जो हैं आदित्य, एक हिन्दू कश्मीरी पुजारी, जो अपने लोगों के लिए न्याय खोज रहा है, अनवर जो उसका पड़ोसी और एक इमाम का बेटा है, जो एक इस्लामिक कश्मीर बनाने के लिए हर कदम उठाने के लिए तैयार है और जेबा जो अपने प्यार एवं मजहब के बीच फंसी है।
बगल में काफिर हर उस व्यक्ति के लिए शक्तिशाली कहानी है जो एक गहरे अन्धकार के बाद अपनी एक पहचान की तलाश में और पहली बार कोई किताब हिंदुत्व के बहुलतावाद एवं इस्लाम के एकेश्वरवाद के बीच के संघर्ष को इतनी गहराई बताती है तथा यह पहली ऐसी किताब है जो मानवीय भाव की क्षमा एवं पश्चाताप को बताती है।SKU: n/a -
Kapot Prakashan, On Sale, Suggested Books, रामायण/रामकथा
Global Footprints of Ramayan
This book debunks many misconceptions that have been introduced in the minds of billions of people by vested interests who want to weaken their faith in Shri Ram. The researched facts presented in this book will inspire the reader to read Valmiki’s Ramayan with a new vision and inspiration.
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Garuda Prakashan, On Sale, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Had Sardar Patel Been The First Prime Minister
-27%
Garuda Prakashan, On Sale, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रHad Sardar Patel Been The First Prime Minister
When a nation begins to pine for a person from its past, wishing he remained at the helm for longer, it indicates that the path taken by that nation is not the correct one. With Sardar Patel, especially vis-a-vis Nehru, the Indian nation still mourns the fact that the former did not become the first Prime Minister of India. This book, written by Justice (retd.) S N Aggarwal, author of “Nehru’s Himalayan Blunders”, establishes the real reasons why we still pine for Patel’s longer presence at the horizon of our national leadership. The book, quoting from authentic sources, also gives ample insight into the views and understanding of the affairs of the nation, which Sardar not only preached but also practiced. Usually, Sardar Patel, the “Iron Man” that he was, is lauded for his role in the unification of post-independent India. With Nehru botching up the only princely state he handled – namely, Jammu and Kashmir – Patel’s contribution in unifying more than 500 princely states in the Indian union becomes all the more laudable. However, this book goes beyond. “Had Sardar Patel been the first Prime Minister, the country would have been fully armed to defend herself, there could have been no danger from outside. By following the principles of patriotism, moral values and high character and discipline, there would have been no internal problem,” writes the author. And, like the case of Kashmir, in these matters too, Nehru’s conduct makes one wish all the more strongly that Sardar should have been the first Prime Minister of India.
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On Sale, Rajasthani Granthagar, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hindu Sabhyata mein Nariyon ki Isthiti
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On Sale, Rajasthani Granthagar, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिHindu Sabhyata mein Nariyon ki Isthiti
विश्वविश्रुत भारतीय इतिहासकार प्रो. (डाॅ.) ए. ऐस. अल्तेकर महोदय द्वारा रचित “The Position of Women in Hindu Civilisation” नामक उत्कृष्ट और अद्वितीय ग्रन्थ का ”हिन्दू सभ्यता में नारियों की स्थिति“ शीर्षक से युक्त यह हिन्दी अनुवाद इतिहासविदों, भारतीय इतिहास के विद्यार्थियों, अँगरेज़ी भाषा से अनभिज्ञ हिन्दीभाषी और हिन्दीभाषाविद् सामान्य तथा प्रबुद्ध पाठकों के अध्ययनार्थ प्रकाशित है। उपर्युक्त मूल ग्रन्थ का सुदीर्घ कालावधि के पश्चात् हिन्दी में यह अनुवाद पहली बार प्रस्तुत है। यद्यपि किसी एक ऐतिहासिक कालावधि, किसी एक पक्ष तथा किसी एक बृहद् ग्रन्थ को आधार बना कर हिन्दू नारीजाति की स्थिति के निरूपण से सम्बन्धित ग्रन्थ विद्यमान हैं, तथापि प्रागैतिहासिक कालावधि से लेकर वर्तमान काल (1956) तक हिन्दू नारीजाति के जीवन से सम्बन्धित सम्पूर्ण अवस्थाओं और पक्षों का तुलनात्मक, समीक्षात्मक और विशद विवेचन करने के कारण प्रोफेसर (डाॅ.) अल्तेकर का ग्रन्थ सर्वातिशायी, अतिविशिष्ट और अद्वितीय है।
इस ग्रन्थ के प्रथम से एकादश तक अध्यायों में हिन्दू नारियों की बाल्यावस्था और शिक्षा, विवाह और विवाह-विच्छेद, विवाहित जीवन, विधवा की स्थिति (दो भागों में), नारियाँ और लोक-जीवन, नारियाँ और धर्म, पत्याश्रय की अवधि में मालिकाना अधिकार, मालिकाना अधिकार-उत्तराधिकार और संविभाग, वेश तथा आभूषण, नारियों के प्रति सामान्य अभिवृत्ति का प्रागैतिहासिक कालावधि से वर्तमान काल तक क्रमशः विस्तृत विवेचन किया गया है। विधवा की स्थिति – प्रथम भाग में सतीप्रथा का विस्तृत वर्णन किया गया है। अन्तिम द्वादश अध्याय में चार युगों में हिन्दू सभ्यता में नारियों की स्थिति का समग्र रूप से सर्वेक्षण करते हुए महत्त्वपूर्ण सुझावपूर्वक भावी प्रत्याशा का निरूपण किया गया है।
वैदिक वाङ्मय, रामायण, महाभारत, पुराणशास्त्र, प्रमुख धर्म- शास्त्रीय ग्रन्थों, स्मृतिग्रन्थों, कौटिलीय अर्थशास्त्र, कामसूत्र, श्रेण्य संस्कृत साहित्य, बौद्ध तथा जैन धर्मों के प्रमुख ग्रन्थों से यथाप्रसंग मूल उद्धरण तथा सन्दर्भ प्रस्तुत करने के कारण प्रोफेसर (डाॅ.) अल्तेकर महोदय का ग्रन्थ सर्वथा शास्त्रान्वित, मौलिक तथा प्रामाणिक है। उन्होंने तत्तत् ग्रन्थकारों तथा विचारकों के मतों का तुलनात्मक दृष्टि से समीक्षात्मक विवेचन करते हुए उनके औचित्य तथा अनौचित्य का भी संकेत किया है। अपिच, प्रोफेसर (डाॅ.) अल्तेकर महोदय ने विदेशी यात्रियों के विवरणों, पुरातात्त्विक ग्रन्थों आदि तथा समस्त अपेक्षित ग्रन्थसामग्री से भी यथाप्रसंग सन्दर्भ प्रस्तुत कर उनका विवेचन किया है। यह अनुवादमय ग्रन्थ अँगरेज़ी भाषा न जानने वाली हिन्दीभाषी महिलाओं के लिए विशेष रूप से पठनीय है। इसकी भाषा परिष्कृत, प्रवाहमयी तथा सुबोध है। अनुवादक ने हिन्दी अनुवाद में मूल ग्रन्थ के प्रतिपाद्य को इतना सुस्पष्ट कर दिया है कि अनुवाद मूल जैसा प्रतीत होता है।SKU: n/a -
Kapot Prakashan, On Sale, Sandeep Deo Books, Suggested Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Kahani Communisto Ki: Khand 1 (1917-1964)
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THE AUTHOR
संदीप देवसंदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
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Garuda Prakashan, On Sale, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Kalki Tu Kahan Hai: Life story of Swami Pranavanand Saraswati
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कल्कि तू कहाँ है: स्वामी प्रणवानंद की जीवन गाथा ‘मेजर जनरल जीडी बख्शी द्वारा लिखित पुस्तक स्वामी प्रणवानंद के जीवन के बारे में बात करती है। उन्होंने अपने जीवन के 12 साल जंगल में बिताए और कैसे उनके श्रम का भुगतान हुआ। एक पुस्तक जो जीवन के प्रति आपके विचारों को बदल देगी क्योंकि आप स्वामी प्रणवानंद के जीवन से बहुत कुछ सीखेंगे।
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Garuda Prakashan, Literature & Fiction, On Sale, ऐतिहासिक उपन्यास
Kasheer: A Diabolical Betrayal of Kashmiri Hindus
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Garuda Prakashan, Literature & Fiction, On Sale, ऐतिहासिक उपन्यासKasheer: A Diabolical Betrayal of Kashmiri Hindus
Thus comes the plainitive cry of Kailash Pandit. The reporting on Kashmir has whitewashed the human tragedy of Kashmiri Hindus. This book retells the tale in a fictionalized account which is all too real. It catches the facts of deception, betrayal, propaganda and political ambitions that have all but erased the memories of oppression of Kashmiri Hindus from the nation’s conscience. It extricates the truth of human tragedy and presents it with brutal honesty. Thus, Kailash Pandit’s question, trapped in his head, or Aarti Kaul’s unconceived womb become powerful metaphors of what happened to Kashmiri Hindus. It is time for Kailash Pandit to speak; this is his story. This is Kashmir’s story. This is Kasheer.
Originally written in Kannada, this book is translated into English by Hemanth Shanthigrama, who is a London-based technology professional.
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Hindi Books, On Sale, Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Kashi Ka Itihas (Vaidik Kal Se Arvacheen Yug Tak)
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काशी उस सभ्यता की सदा से परिपोषक रही है, जिसे हम भारतीय सभ्यता कहते हैं और जिसके बनाने में अनेक मत-मतान्तरों और विचारधाराओं का सहयोग रहा है। यही नहीं, धर्म, शिक्षा और व्यापार से वाराणसी का घना सम्बन्ध होने के कारण इस नगरी का इतिहास केवल राजनीतिक इतिहास न होकर एक ऐसी संस्कृति का इतिहास है जिसमें भारतीयता का पूरा दर्शन होता है। लेखक ने इतिहास और संस्कृति सम्बन्धी बिखरी हुई सामग्री को जोड़कर इस इतिहास का निखरा स्वरूप खड़ा किया है। रोचक सामग्री का भी प्रचुर उपयोग करके नगर के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। लेखक की दृष्टि में इतिहास केवल शुष्क घटनाओं का निर्जीव ढाँचा नहीं है, उसमें हम समाज की प्रक्रियाओं तथा धाॢमक अभिव्यक्तियों का भी पूर्णरूप से दर्शन कर सकते हैं। अपने विषय की एकमात्र कृति तो यह है ही। तृतीय संस्करण में काशी के 18वीं-19वीं शताब्दी के अत्यन्त दुर्लभ चित्र सम्मिलित किये गये हैं।
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