अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
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English Books, Rupa Publications India, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
10 WALKS IN KATHMANDU
This book seeks to encourage people to explore UNESCO’S World Heritage sites in the Kathmandu Valley such as the Durbar Squares in front of medieval royal palaces, the Bodhnath and Swayambhu stupas and Pashupatinath and Changunarayan temples. These sites are repositories of art and architecture in pagoda and shikara styles. The Hindu temples and Buddhist stupas form an integral part of the rich cultural heritage of Nepal. But these sites are as much a part of the present as of the past. People make pilgrimages and celebrate festivals at these sites and have cultivated such institutions as the ‘living goddess’ all of which have combined to bestow the title of a ‘living museum’ on the Kathmandu Valley KEY SELLING POINTS • A collection of ten walks that one can take in the Kathmandu Valley to explore UNESCO’s World Heritage sites there. • Descriptions of the art and architecture of the temples and the stupas in the valley. • Informational about all the sites—directions to reach them, their history, architecture, things to do in and around. • Inclusive of photographs that provide a panoramic view of the valley’s sites. • Written by Prakash A. Raj, an internationally renowned travel writer from Nepal.
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
A set of 26 books by Mahatma Anand Swami
इस सैट में सम्मिलित है-प्यारा ऋषि, अमृत पान, आनन्द गायत्री कथा, भगवान शंकर और दयानन्द, वैदिक सत्यनारायण कथा, उपनिषदों का सन्देश, मानव और मानवता, यह धन किसका है, दो रास्ते, तत्त्वज्ञान, प्रभु भक्ति, सुखी गृहस्थ, एक ही रास्ता, मानव जीवन गाथा, भक्त और भगवान, घोर घने जंगल में, प्रभु मिलन की राह, बोध कथाएँ, दंुनिया में रहना किस तरह, प्रभु दर्शन, महामन्त्र, त्यागमयी देवियाँ, माँ(गायत्री मन्त्र की महिमा), यज्ञ-प्रसाद, हरिद्वार का प्रसाद, महात्मा आनन्द स्वमी(जीवनी)
इन 26 पुस्तकों में स्वामी जी की आनन्द रस धारा का रसास्वादन कीजिए एवं सुख-सन्तोष दूसरों को भी बाँटिये।
सात पुस्तकें अंग्रेजी में भी उपलब्ध।SKU: n/a -
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Aavashyak Shiksha 0435
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने विद्या प्राप्त करने की कला एवं विद्यार्थियों-हेतु पालनीय नियमों का प्रश्नोत्तर शैली में बड़ा ही सुन्दर विश्लेषण किया है। इसके अतिरिक्त इस में सन्तान के कर्तव्य और आहार-शुद्धि पर भी विवेचन है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
ADBHUT SANNYASI
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यह गाथा है एक निस्पृह योगी की, चिरंजीवी तपस्वी की, कठिनतम कर्तव्यरत निर्विकार पुरुषार्थी की, अपराजेय योद्धा की।
वे आवेशावतार नहीं थे, न ही अंशावतार। क्रोधावतार कहकर उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता।
आज तक पृथ्वी पर उनके शौर्य की झलक है, वह उनकी साक्षात् उपस्थिति में कितनी प्रभावी रही होगी। वे उस भृगुकुल के भूषण थे, जिसकी महिमा का विस्तार पवित्र नदियों और समुद्रों, पर्वतों और गहन वनों में विद्यमान असंख्य आश्रमों में ही नहीं संपूर्ण त्रैलोक्य में था, भगवान् विष्णु के वक्षस्थल से लेकर हिमगिरि में भृगु शिखर तक। मदांध सत्ता की कुटिलता के विरुद्ध जनप्रतिरोध का प्रबलतम स्वर हैं परशुराम। आजकल के कथित लोकतंत्रों के जन्म के युगों पूर्व वे तंत्र पर लोक के प्रभावी नियंत्रण के अधिष्ठाता हैं। यदि भारतीय चेतना यूरोपीय प्रभुत्व की बंधक न हुई होती तो स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लिए मानवीय संघर्ष की गाथा परशुराम से प्रारंभ हुई होती; कथित फ्रांसीसी क्रांति से नहीं।
वे कोरे योद्धा नहीं थे। उन्होंने साधारण मनुष्यों को शास्त्र और शस्त्र दोनों सौंपकर वह सामर्थ्य दिया कि वे स्वयं अभ्युदय और निःश्रेयस पा सकें।
उनकी अद्भुत जीवनगाथा हमारे युग को भी स्वमंगल से सर्वमंगल और अराज से स्वराज हेतु प्रेरित कर सके, यही इस कृति का पावन प्रयोजन है।SKU: n/a -
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
AMARNATH YAATRA
यात्रा जीवन का रोमांच है। यात्रा का बाहरी-सुख अंतस के आनंद को भी झंकृत करता है। इसलिए यात्रा करना जहाँ आनंदप्रद होता है, वहीं यह उस स्थान की सभ्यता-संस्कृति को भी जानने का अवसर देती है। तीर्थ स्थलों की यात्रा आनंद के साथ-साथ हमें भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत कर देती है।
ऐसी ही एक अत्यंत पवित्र अमरनाथ-यात्रा संपूर्ण दृष्टि से सत्यं शिवं सुंदरम् का जीवंत रूप है। अमरनाथ-यात्रा के दौरान, जब प्रकृति का अनुपम सौंदर्य, अनायास उद्घाटित होता है, तभी यह समझ आता है कि हिंदू-परंपरा में सौंदर्य को सत्य और शिव के समकक्ष क्यों स्थान दिया गया है! यों ही यात्रा में तीर्थयात्रियों की अप्रतिम श्रद्धा, सेना की चुस्ती और स्थानीय-कश्मीरियों के अकल्पनीय-सहयोग से एक शुभ और संगीतमय वातावरण निर्मित हो जाता है। यहाँ शुभ से मिलन है। अमरनाथ-यात्रा भारत की आत्मा का गहन अवलोकन भी है। भारत सत्य के प्रयोग की अनूठी भूमि रही है। यहाँ सत्य की गहरी प्यास देखी जा सकती है। अमरनाथ-यात्रा इसकी बानगी प्रस्तुत करती है।
अमरनाथ-यात्रा की इस वृत्तांत-गंगा में डुबकी लगाने के लिए आप सभी पाठकों का आमंत्रण है। बस आपको पूर्व धारणाओं, किस्सों और मान्यताओं का वस्त्र अनावतरित करना पड़ेगा। यह थोड़ा कठिन है, परंतु असंभव नहीं। तभी इस डुबकी में हमें आनंद की झलक मिल सकेगी। संपूर्ण अमरनाथ यात्रा का सरस एवं तथ्यपरक रोमांचक वर्णन।SKU: n/a -
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Athashri Vedavyasa Katha (HB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Athashri Vedavyasa Katha (HB)
Athashri Vedavyasa Katha “अथ श्री वेदव्यास कथा” Book In Hindi – Omprakash Pandey
महर्षि व्यास भारतीय वाङ्मय के शिखर प्रणेता हैं। उनकी प्रसिद्धि कृष्ण द्वैपायन, वेदव्यास और महर्षि पाराशर के रूप में भी है। उन्होंने चारों वेदों का वर्गीकरण, महाभारत जैसी शतसाहस्री संहिता, अष्टादश पुराणों और वेदांत के ब्रह्मसूत्रों का भी प्रणयन किया। उन्होंने कुरुवंश को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। पांडवों और कुरुओं, दोनों को ही समय-समय पर सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। द्वापर दुविधा का युग था। अपने युग के दिग्भ्रमित समाज को उन्होंने वासुदेव कृष्ण के साथ सही दिशा देने का भगीरथ प्रयत्न किया। कुरुक्षेत्र के रणस्थल पर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उपदिष्ट गीता का तत्वज्ञान महाभारत के अंतर्गत होने के कारण ही अभी तक हमें उपलब्ध है। इसका श्रेय भी द्वैपायन व्यास को ही है। दशावतार की अवधारणा भी वेदव्यास के प्रयत्न से ही सुरक्षित है। भगवान् श्रीकृष्ण की संपूर्ण जीवन-कथा और विचारराशि को व्यास ने ही श्रीमद्भागवत के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने का भगीरथ प्रयत्न किया है। श्रीकृष्ण यदि अपने युग के निर्माता हैं, तो व्यास भी उनके समानांतर ही युगद्रष्टा हैं। द्वापर की यह सबसे बड़ी उपलब्ध है, जो उसे वासुदेव कृष्ण और कृष्ण द्वैपायन के रूप में दो कृष्ण प्राहृश्वत हुए। महाभारत और पुराणों में भगवान् श्रीकृष्ण की कथा तो विस्तार से मिल जाती है, लेकिन व्यासजी ने अपने विषय में कुछ भी नहीं कहा। व्यासजी के जीवन-विषय में जनसामान्य की अजस्र जिज्ञासा आज भी है, जिसे ध्यान में रखकर ही उपलब्ध साक्ष्यों और सूत्रों को सँजोकर इस ‘अथश्री वेदव्यास कथा’ का प्रणयन किया गया है।
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, अन्य कथेतर साहित्य
Athato Dharm Jigyasaa
धर्म के यथार्थ स्वरूप का दार्शनिक विवेचन-साधारण तौर पर लोगों के बीच धर्म या तो विवाद का विषय रहा है या फिर परंपरा का, जबकि यह चिंतन व विचार-विमर्श का विषय होना चाहिए। समाज में धर्म के विषय में फैली भ्रांतियों और असमंजस की स्थिति का निराकरण एवं इसके यथार्थ स्वरूप का उद्घाटन आवश्यक है। जिसकी चर्चा इस पुस्तक में तथ्य परक एवं तार्किक ढंग से की गई है।
इस पुस्तक में भौतिक तथ्यों एवं आंकड़ों का उल्लेख करके विषय को अधिक रोचक एवं प्रामाणिक बनाया गया है। धर्म ईश्वरोक्त है अर्थात् ईश्वर के द्वारा मनुष्य मात्र के लिए निर्धारित आचरण संबंधी निर्देश ही धर्म कहलाता है। प्रस्तुत पुस्तक में इस सिद्धांत का सफलता पूर्वक प्रतिपादन किया गया है।
‘धर्म का स्वरूप‘ इस पुस्तक का मुख्य अध्याय है। जिसके अंतर्गत धर्म के सूक्ष्म तत्व की विस्तृत व्याख्या की गई है। विशेष तौर पर अहिंसा, सत्य और विद्या जैसे विषयों की व्याख्या काफी रोचक और ज्ञानवर्धक है। धर्म के नाम से प्रचलित छः मुख्य संप्रदाय यह समूह (ईसाई, मुस्लिम, हिंदू, नास्तिक, बौद्ध, यहूदी) का संक्षेप विवरण ‘धर्माभास‘ नामक अध्याय में दिया गया है।
ताकि पाठकों को इनके बारे में साधारण तथ्य मालूम हो सकें। यह पुस्तक बुद्धिजीवी और तार्किक पाठकों को अवश्य पसंद आएगी। निःसंदेह इस उच्चकोटि की पुस्तक रचना के लिए लेखक को मेरा साधुवाद और इसकी सफलता हेतु बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
– डॉ. वागीष आचार्य, गुरुकुल एटाSKU: n/a