Acharya Dr. Ramnath Vedalankar
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Samveda (HB)
मन्त्र, शब्दार्थ, भावार्थ तथा मन्त्रानुक्रमणिका सहित प्रस्तुत। मन्त्र भाग स्वामी जगदीष्वरानन्दजी द्वारा सम्पादित मूल वेद संहिताओं से लिया गया है।
इस वेद में कुल 1875 मंत्रों का संग्रह है। उपासना को प्रधानता देने के कारण चारों वेदों में आकार की दृष्टि से लघुतम सामवेद का विशिष्ट महत्त्व है।
यह संसार विधि है और वेद परमात्मा द्वारा प्रदत्त उसका विधान है। हम इस संसार में कैसे रहें? हमारा अपने प्रति क्या कर्तव्य है? हमारा दूसरों-परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के प्रति क्या कर्तव्य है? हमारा ईश्वर के साथ क्या सम्बन्ध है? हम परमात्मा की उपासना क्यों करें, कैसे करें, कहाँ करें-आदि सभी बातों का समाधान हमें वेद से प्राप्त होगा। इन सब बातों को जानने के लिए वेद का पठन-पाठन अत्यावश्यक है।
जीवन का चरम और परम लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है। सामवेद बहुत विस्तार के साथ इसी लक्ष्य की ओर इंगित करता है। सामवेद में संकेतरूप में योग के सभी अंगों-यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि-सभी का विवेचन है। योगाभ्यास कहाँ करे़ं? क्यों करें, कैसे करें-आदि सभी तथ्यों का विवेचन है।
सामवेद का यह भाष्य महर्षि दयानन्द की शैली, संस्कृत और आर्य भाषा-हिन्दी में उनकी विचारसरणी पर किया गया है। पाठक देखेंगे कि मन्त्र-मन्त्र में, पद्य-पद्य में जिस प्रकार ऋषि दयानन्द के भावों को प्रतिष्ठित किया गया है।
-स्वामी दीक्षानन्द सरस्वतीSKU: n/a