Acharya Udaiveer Shastri
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
A set of Six Darshan books (Yog, Nyaya, Sankhya, Vaisheshik, Vedant, Mimansa)
-10%Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिA set of Six Darshan books (Yog, Nyaya, Sankhya, Vaisheshik, Vedant, Mimansa)
भारतीय संस्कृति या वैदिक वाङ्गमय से सम्बन्ध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति छः दर्शनों या षड्दर्शन के नाम से परिचित होता ही है। चंूकि ये दर्शन वेद को प्रमाणिक मानते हैं, इसलिए इन्हें वैदिक दर्शन भी कहा जाता है।
ये छः दर्शन हैं-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदान्त। छः दर्शनों से अभिप्राय छः महर्षियों द्वारा लिखे गए सूत्र ग्रन्थों से है। (महर्षि गौतम के न्याय सूत्र, महर्षि कणाद के वैशेषिक सूत्र, महर्षि कपिल के सांख्य सूत्र, महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, महर्षि जैमिनि के मीमांसा सूत्र और महर्षि व्यास के वेदान्त सूत्र) बाद में इन्हीं सूत्र ग्रन्थों पर विद्वानों द्वारा विभिन्न भाष्य, टीकाएँ व व्याख्याएं लिखी गई।
परन्तु ऐसा भाष्य अपेक्षित था, जो विवेचनात्मक होने के साथ-साथ दर्षन के रहस्यों को सुन्दर, सरल भाषा में उपस्थित कर सके। आचार्यप्रवर पं. श्री उदयवीरजी शास्त्री दर्शनों के मर्मज्ञ विद्वान् थे। छः दर्शनों का विद्योदय भाष्य आचार्य जी के दीर्घकालीन चिन्तन-मनन का परिणाम है। इन भाष्यों के माध्यम से उन्होंने दर्षनसूत्रों के सैद्धान्तिक एवं प्रयोगात्मक पक्ष को विद्वज्जनों तथा अन्य जिज्ञासुओं तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है।
मूलसूत्रों में आये पदों को उनके सन्दर्भगत अर्थों से जंचाकर की गई यह व्याख्या दर्षनविद्या के क्षेत्र में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। इन भाष्यों के अध्ययन से अनेक सूत्रों के गूढार्थ को जानकर दर्षन जैसे क्लिष्ट विषय को आसानी से समझा जा सकता है। आचार्य जी द्वारा प्रस्तुत इन भाष्यों की यह विशेषता है कि यह शास्त्रसम्मत होने के साथ-साथ विज्ञानपरक भी हैं।SKU: n/a