Balbir Dutt
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Bharat Vibhajan Aur Pakistan Ke Shadyantra
इतिहास बताता है कि ऐसे राष्ट्र:: जो अपने हालिया अतीत को याद नहीं रखते:: उनके यहाँ उसी त्रासदी की पुनरावृत्ति का खतरा उत्पन्न हो जाता है:: जिसके दौर से कोई पीडि़त राष्ट्र गुजर चुका होता है। इसीलिए कहा गया है कि वर्तमान परिदृश्य को सही ढंग से समझने के लिए इतिहास में झाँकना जरूरी है। हम देश विभाजन की विभीषिका को कभी भूल नहीं सकते। दरअसल भारत विभाजन भारत की आजादी से भी बड़ी घटना है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को तो देर-सवेर आजाद होना ही था।
अंग्रेजों के महाषड्यंत्र की उपज पाकिस्तान ने वजूद में आते ही भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने आरंभ कर दिए। पाकिस्तान ने भारत के साथ आमने-सामने की लड़ाइयों में कामयाबी नहीं मिलने पर जनरल जिया की रणनीति के अनुसार भारत को हजार जख्मों से लहूलुहान करने की नीति अपनाई:: जिसका वह आज भी अनुसरण कर रहा है। लेकिन नफरत और खूंरेजी से उत्पन्न यह मुल्क उसी नफरत और खून-खराबे का शिकार हो गया है:: जिसमें उसका जन्म हुआ था। षड्यंत्ररचनाशास्त्र और आतंकवाद में पाकिस्तान के आकाओं ने जो महारथ हासिल की है:: उसकी तह में जाने की जरूरत है।
तथ्यान्वेषण पर आधारित यह पुस्तक पाकिस्तान की सोच और उसकी कारस्तानियों को समझने में उपयोगी सिद्ध होगी। इससे यह भी पता चलेगा कि किस प्रकार पाकिस्तान अपने ही कपाल पर हथौड़ा मार रहा है।”
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Dastan-E-Pakistan : Jinnah Se Jihad Tak
-20%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Dastan-E-Pakistan : Jinnah Se Jihad Tak
“पाकिस्तान किसी भौगोलिक इकाई का नाम नहीं है, बल्कि एक बैरी मानसिकता और जेहनियत यानी धारणा का प्रतिनिधित्व करता है। यह तो केवल साम्राज्यवादी ब्रिटिश सत्ता का राजनीतिक खेल था, जिसने मजहब के नाम पर इस अलग देश का गठन किया। भारत के नक्शे पर कलम की नोक से लाइन खींचकर इसे बनाया गया है। इस तरह से कोई देश नहीं बनता। कोई भी स्वाभाविक देश सैकड़ों-हजारों वर्षों के अपने भौगोलिक व राजनीतिक स्वरूप और अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता को सजाते- सँवारते, निखारते हुए अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाता है।
वस्तुस्थिति यह है कि हिंदू-विरोध या भारत-विरोध ही पाकिस्तान को जोड़े हुए है। यह विरोध ही उसके वजूद की बुनियाद है। पाकिस्तान के हुक्मरानों ने बांग्लादेश के घटनाविकास से कोई सबक ग्रहण नहीं किया। पाकिस्तान का यह दुर्भाग्य रहा है कि वहाँ आरंभ से ही साजिशों के भीतर साजिशें पकती रही हैं।
पाकिस्तान में आम लोग आतंकवाद के विरुद्ध हैं, लेकिन वे मजहबी कट्टरवाद के समर्थक हैं। हमारे देश के जागरूक नागरिकों को अपने इस विलक्षण पड़ोसी देश के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी प्राप्त करने की जरूरत है। कटु यथार्थ है कि पड़ोस में लगने वाली आग की आँच से बचना मुश्किल है। इस पुस्तक में पाकिस्तान से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों, राजनीतिक सच्चाइयों और आर्थिक विसंगतियों को उजागर किया गया है। पाकिस्तान के सभी गंभीर पर्यवेक्षकों के लिए यह पुस्तक अपरिहार्य है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Emergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (HB)
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रEmergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (HB)
इस पुस्तक के पृष्ठों में आपातस्थिति के अँधेरे में किए गए काले कारनामों और करतूतों का विवरण दिया गया है। हमारे देश के इतिहास में आपातकाल एक ऐसा कालखंड है, जिसकी कालिख काल की धार से भी धुलकर साफ नहीं हुई है। इस दौरान विपक्ष के प्रायः सभी प्रमुख नेताओं और हजारों नागरिकों को बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिया गया था। इनमें करीब 250 पत्रकार भी थे। लोगों को अनेक ज्यादतियों और पुलिस जुल्म का सामना करना पड़ा था। अखबारों के समाचारों पर कठोर सेंसर लगा दिया गया था। यह इमरजेंसी का ब्रह्मास्त्र साबित हुआ। जो काम अंग्रेजों ने नहीं किया था, वह इंदिरा गांधी की सरकार ने कर दिखाया।
विडंबना यह कि करीब साढ़े चार दशक बाद आज की पीढ़ी को यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि लोकतांत्रिक भारत में जनता की आजादी के विरुद्ध ऐसा भी तख्तापलट हुआ, जिसका विरोध-प्रतिरोध करने वालों को इसे ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की संज्ञा देनी पड़ी।
आपातकाल का काला अध्याय एक ऐसा विषय है, जिसपर देश-विभाजन की तरह अनेक पुस्तकें आनी चाहिए। स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों की दृष्टि में यह स्वतंत्र भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। लोकशक्ति द्वारा लोकतंत्र को फिर पटरी पर ले आने की कहानी उन सबके लिए खास तौर पर पठनीय है, जिनका जन्म उस घटनाक्रम के बाद हुआ।
प्लेटो के विश्व प्रसिद्ध ‘रिपब्लिक’ ग्रंथ पर जो विशद विवेचन है उससे स्पष्ट है कि गणतंत्र को सबसे बड़ा खतरा भीतर से है, बाहर से नहीं। गणतंत्र सदैव अपने ही संक्रमण से पतित होता है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Emergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Emergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (PB)
इस पुस्तक के पृष्ठों में आपातस्थिति के अँधेरे में किए गए काले कारनामों और करतूतों का विवरण दिया गया है। हमारे देश के इतिहास में आपातकाल एक ऐसा कालखंड है, जिसकी कालिख काल की धार से भी धुलकर साफ नहीं हुई है। इस दौरान विपक्ष के प्रायः सभी प्रमुख नेताओं और हजारों नागरिकों को बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिया गया था। इनमें करीब 250 पत्रकार भी थे। लोगों को अनेक ज्यादतियों और पुलिस जुल्म का सामना करना पड़ा था। अखबारों के समाचारों पर कठोर सेंसर लगा दिया गया था। यह इमरजेंसी का ब्रह्मास्त्र साबित हुआ। जो काम अंग्रेजों ने नहीं किया था, वह इंदिरा गांधी की सरकार ने कर दिखाया।
विडंबना यह कि करीब साढ़े चार दशक बाद आज की पीढ़ी को यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि लोकतांत्रिक भारत में जनता की आजादी के विरुद्ध ऐसा भी तख्तापलट हुआ, जिसका विरोध-प्रतिरोध करने वालों को इसे ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की संज्ञा देनी पड़ी।
आपातकाल का काला अध्याय एक ऐसा विषय है, जिसपर देश-विभाजन की तरह अनेक पुस्तकें आनी चाहिए। स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों की दृष्टि में यह स्वतंत्र भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। लोकशक्ति द्वारा लोकतंत्र को फिर पटरी पर ले आने की कहानी उन सबके लिए खास तौर पर पठनीय है, जिनका जन्म उस घटनाक्रम के बाद हुआ।
प्लेटो के विश्व प्रसिद्ध ‘रिपब्लिक’ ग्रंथ पर जो विशद विवेचन है उससे स्पष्ट है कि गणतंत्र को सबसे बड़ा खतरा भीतर से है, बाहर से नहीं। गणतंत्र सदैव अपने ही संक्रमण से पतित होता है।SKU: n/a