Balraj Madhok
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Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Balraj Madhok: Jindagi Ka Safar (Sampoorna)
-10%Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Balraj Madhok: Jindagi Ka Safar (Sampoorna)
प्रोफेसर बलराज मधोक (२५ फ़रवरी १९२० – ०२ मई २०१६) भारत के एक राष्ट्रवादी विचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, जम्मू-कश्मीर प्रजा परिषद के संस्थापक और मन्त्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक, भारतीय जन संघ के एक संस्थापक और अध्यक्ष थे। वे उन्नीस सौ साठ के दशक के वरिष्ट राजनेता थे। वे संसद (लोकसभा) के दो बार सदस्य रह चुके हैं। वे गणमान्य शिक्षाविद, विचारक, इतिहासवेत्ता, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक भी थे। न वह खरी-खरी बोलने में हिचकते थे न किसी के सामने अपनी बात रखने में। किसी दौर में वो भारत की दक्षिणपन्थी राजनीति के सिरमौर हुआ करते थे। १९६० के दशक में उन्होने गौहत्या विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व किया।
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Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, इतिहास
KASHMIR Jeet Ya Haar
यह पुस्तक 1947 से 1991 के इस घटनाचक्र और नीतियों का वृत्त है जिनके कारण भारतीय सेना की 1947, 1965 और 1971 की महान् विजय को राजनैतिक और कूटनीतिक पराजय में बदल दिया गया। कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर से निकालने और खत्म करने का जो काम विदेशी औरंगज़ेब नहीं कर सका था, वह स्वतन्त्र भारत के स्वदेशी शासनकाल में सम्पन्न हुआ।
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Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Religious & Spiritual Literature, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Khandit Hindusthan Mein Vishvavyaapee Muslim Samasya Ka Punaroday
Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Religious & Spiritual Literature, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Khandit Hindusthan Mein Vishvavyaapee Muslim Samasya Ka Punaroday
एक राष्ट्रवादी विचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, जम्मू-कश्मीर प्रजा परिषद के संस्थापक और मन्त्री, 1948 के पाकिस्तान आक्रमण के समय भारतीय सेना के पहुंबने से पहले पाकिस्तान का सशस्त्र विरोध करने वाले, भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और कुछ वर्ष तक जनसंध का अध्यक्ष पद सम्भालने बाले। वह 1960 के दशक के वरिष्ठ राजनेता थे। वह संसद (लोकसभा) के दो बार सदस्य बने, वह गणमान्य शिक्षाविद, विचारक, इतिहासवेत्ता, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक भी थे।
न वह खरी-खरी बोलने में हिचकते थे न किसी के सामने अपनी बात रखने में। किसी दौर में वो भारत की दक्षिणपन्थी राजनीति के सिरमौर हुआ करते थे, डी ए वी कालेज में वरिष्ठ प्रोफेसर रहे, 1960 के दशक में उन्होने गौहत्या विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व किया।SKU: n/a -
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Panjab Samasya Tatha Samadhan
यह पुस्तक अंग्रेजी पुस्तक का अनुवाद मात्र नहीं है। यह मौलिक रचना है जिसमें मैंने समस्या के सम्बन्ध में तथ्यों को बिना लाग लपेट के पेश किया है और उसके समाधान के व्यावहारिक उपाय भी सुझाए हैं। मेरा उद्देश्य जन साधारण को इस दुर्भाग्यपूर्ण समस्या के सम्बन्ध में शिक्षित करना और नीति निर्धारकों को दिशा दिखाना है।
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