Bhagwatisharan Mishra Books
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Rajpal and Sons, उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Dekh Kabira Roya
‘‘अब कभी नहीं पैदा होगा इस धरती पर ऐसा आदमी। ऐसा निर्भीक, ऐसा समतावादी, ऐसा मानवता-प्रेमी, ऐसा राम-भक्त और सबसे ऊपर ऐसा आशु-कवि जिसके मुख से दोहे और साखियां, रमैनी और उलटबांसियां झरने से निकलते जल की तरह झरती थीं-निर्बाध, निद्वन्द्व, अनायास, अप्रयास।’’
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Rajpal and Sons, उपन्यास, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Gobind Gatha
“सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह के आदर्शपूर्ण जीवन और उनकी वीरता, धीरता तथा संघर्ष की लोमहर्षक अमरगाथा उपन्यास के रूप में। गुरु के बहुआयामी व्यक्तित्व का चित्रात्मक विवरण जिसमें औपन्यासिकता और इतिहास की प्रमाणिकता दोनों का मनोहर संगम मिलता है- सम्मोहक और प्रवाहपूर्ण शैली में। यह उपन्यास लेखक की पूर्व कृति ‘का के लागू पाँव’ की दूसरी तथा अंतिम कड़ी है। यूं दोनों उपन्यास अपने में स्वतंत्र हैं जहाँ। ‘का काके लागू पाँव’ में उनकी नौ वर्ष तक की आयु की कथा थी, वहीं इसमें उससे आगे की गाथा है, निर्वाण तक की। उपन्यास प्रारंभ से लेकर अंत तक पाठक के मन को अपनी मोहिनी में बांधे रखता है। भगवतीशरण मिश्र की नवीनतम औपन्यासिक कृति।”
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Rajpal and Sons, उपन्यास, ऐतिहासिक उपन्यास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Main Bheeshm Bol Raha Hoon
महाभारत में सबसे विशिष्ट चरित्र भीष्म पितामह का है। अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने आजन्म ब्रह्मचारी रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की और साथ ही राजसिंहासन पर अपने अधिकार को भी तिलांजलि दी। दुर्योधन के विचारों, नीतियों और दुष्कर्मों के घोर विरुद्ध रहते हुए भी कौरवों के पक्ष की सेवा करने की विवशता को स्वीकार किया। राजदरबार में द्रौपदी चीरहरण के समय क्रोध और लज्जा से दाँत पीसकर रह गए। परंतु खुलकर विरोध करने में विवश रहे। महाभारत युद्ध में भी कौरव सेना का सेनापतित्व करना पड़ा। जबकि मन से पाण्डवों के पक्षधर थे। उनका हृदय पाण्डवों के साथ था, शरीर कौरवों की सेवा में। अनेक अन्तर्विरोधों से भरे भीष्म पितामह के चरित्र को बहुत ही पैनी दृष्टि से परखते हुए रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है इसके लेखक भगवतीशरण मिश्र ने।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Pawan Putra
देश में महाबली हनुमान के मंदिर बिखरे पड़े हैं और सभी भारतीय ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ भी करते हैं परन्तु कितने हैं जो उनके जीवन तथा इतिहास से ज़रा भी परिचित हैं? यह उपन्यास उनके जीवन को बहुत विस्तार से प्रस्तुत करता है और इसमें वह सब कुछ उपलब्ध है जो हनुमानजी के सम्बन्ध में किसी भी धर्मग्रन्थ में लिखा गया है। अपने विषय का अकेला आदि से अन्त तक पठनीय उपन्यास।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Peetambara
यह उपन्यास मीरा के जीवन के विविध रूपों और आयामों को अत्यन्त रोचकता से चित्रित करता है। कृष्णदीवानी मीरा पर आधारित यह उपन्यास प्रचलित भ्रान्तियों का निवारण करने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में जो कुछ लिखा गया है वह इतिहास ही है जिसमें चरित्रों एवं घटनाओं को यथासम्भव सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है।
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Purushottam
Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताPurushottam
पुरुषोत्तम
ऐतिहासिक एवं पौराणिक गाथाओं को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने में सिद्धहस्त, बहुचर्चित लेखक की यह नवीनतम औपन्यासिक कृति अपनी भाषा के माधुर्य एवं शिल्पगत सौष्ठव द्वारा पाठक को मुग्ध किए बिना नहीं रहेगी। ‘पहला सूरज’, एवं ‘पवन पुत्र’ जैसी बहुचर्चित कृतियों के पश्चात् श्रीकृष्ण जीवन के उत्तरार्ध पर आधारित यह बृहत् उपन्यास डॉ. मिश्र की लेखकीय यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है जो केवल अपनी आधुनिक दृष्टि ही नहीं अपितु विचारों की नवोन्मेषता और मौलिकता के कारण भी विशिष्ट है।
डॉ. मिश्र शिल्पकार पहले हैं और उपन्यासकार बाद में, यही कारण है कि पुस्तक अथ से इति तक पाठक के मन को बाँधने में सक्षम है और श्रीकृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व के जटिलतम प्रसंग भी बोधगम्य एवं सहज सरल बन आए हैं।
श्रीकृष्ण को लेखक ने पुरुषोत्तम के रूप में ही देखा है और उसकी यह दृष्टि इस कृति को प्रासंगिक के साथ-साथ उपयोगी भी बना जाती है। विघटनशील मानवीय मूल्यों के इस काल में आदर्शों एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना के सफल प्रयास का ही नाम है ‘पुरुषोत्तम’।
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