Buddhism
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य
Agnimay Buddha(PB)
ऐतिहासिक कथानक ‘अग्निमय बुद्ध’ आचार्य कुमारिल भट्ट की क्रांतिकारी जीवनलीला को प्रकाशित करता है। वैदिक धर्म और मानव कल्याण हेतु उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया और इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्होंने अग्नि-समाधि ली। बौद्धों के द्वारा उनकी हत्या और उन्हें कलंकित करने के अनेक षड्यंत्र किए गए। लोग महर्षि पतंजलि, आदि शंकराचार्य, मध्वाचार्य और रामानुजाचार्य को तो जानते हैं, लेकिन आचार्य कुमारिल भट्ट को बहुत कम। आचार्य कुमारिल भट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति को शास्त्रार्थ में पराजित कर, उनके ज्ञान की सत्ता को धराशायी कर फिर से वैदिक कर्मकांड के गौरव को पुनर्स्थापित किया। लेकिन इस कार्य के लिए उन्हें अपना जीवन बलिदान करना पड़ा। अग्नि समाधि लेकर उन्होंने मानव समाज को अहिंसा, त्याग, साहस और समर्पण का उपदेश दिया। यह उपन्यास वैदिक मीमांसा दर्शन और बौद्ध दर्शन का भी परिचय देता है, जिससे पाठकों का ज्ञान बढ़ेगा।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Bauddha Kapalika Sadhna Aur Sahitya
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियांBauddha Kapalika Sadhna Aur Sahitya
बौद्ध कापालिक साधना और साहित्य : हिन्दी के आदिकालीन साहित्य और भक्तिकालीन साहित्य की भूमिका प्रस्तुत करनेवाली बौद्ध सिद्धों की अपभ्रंश रचनाओं का अध्ययन केवल हिन्दी ही नहीं सम्पूर्ण समकालीन साहित्य, किंबहुना तत्कालीन समग्र धर्मदार्शनिक एवं साधनात्मक जीवन के अध्ययन के लिए उपयोगी है; क्योंकि तंत्रदर्शन एवं साधना का अति व्यापक एवं गंभीर प्रभाव सर्वत्र दिखाई पड़ता है। इसी दृष्टि से बहुत पहले १९५८ में तांत्रिक बौद्ध साधना और साहित्य की रचना की गई थी।
यह ग्रन्थ उस अध्ययन के एक पक्ष का विस्तार है। बहुत पहले आचार्य डॉ० हजारीप्रसाद जी द्विवेदी ने अपने ग्रंथ ‘नाथ सम्प्रदाय’ में जालंधर पाद और कान्हुपा के कापालिक साधन और ‘बामारग’ की चर्चा नाथ सम्प्रदाय के परिप्रेक्ष्य में ही की थी। दूसरे उस समय बौद्धों के कापालिक साधन और दर्शन से सम्बन्धित किसी शास्त्रीय ग्रन्थ की सहायता नहीं ली गई थी। अतः बौद्धों के कापालिक तत्त्वों, साधनों, दार्शनिक सिद्धान्तों की मीमांसा भी नहीं हो पाई। यहाँ तक कि श्री स्नेलग्रोव ने हेवज्रतंत्र और उसकी टीका हेवज्रपंजिका का संपादन करके भी उसके कापालिक तत्त्वों का विस्तृत विवेचन नहीं किया और न एक पृथक् बौद्ध साधनाधारा के रूप में इसे प्रस्तुत ही किया।
यह ग्रंथ बौद्ध साधना और साहित्य के अनेक अछूते, विस्मृत, तिरस्कृत और महत्त्वपूर्ण सूत्रों को एकत्रित कर उनका व्यवस्थापन करते हुए बौद्धों के कापालिकतत्त्व का स्वरूप प्रस्तुत करता है। सामान्यतया केवल शैवों में ही कापालिकों की स्थिति माननेवालों को इस ग्रंथ से नया प्रकाश, नई सूचनाएँ एवं भारतीय कापालिक साधना का एक नया स्वरूप देखने को मिलेगा। कापालिक साधना के विषय में फैली अनेक भ्रांतियों का निराकरण भी होगा, इसमें संदेह नहीं।
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Akshaya Prakashan, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Dhammapad
Akshaya Prakashan, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांDhammapad
धम्मपद’ ग्रंथ को पाठकों के समक्ष लाने का मेरा अभिप्राय इस ग्रंथ की शिक्षा से पाठकों को लाभान्वित कराना है-
यथागारं सुच्छन्नं, वुट्ठि न समतिविज्झति।
एवं सुभावितं चित्तं, रागो न समतिविज्झति।।
जैसे ठीक से छाए घर में वर्षा जल नहीं घुसता, ठीक वैसे ही ध्यान भावना से चित्त में विकार नहीं घुसता। इसी प्रकार
देश की सुव्यवस्था से नैतिकता और राष्ट्रीयता का उत्थान होता है जैसे गाथा में ध्यान भावना का उदाहरण देकर कहा है
वैसे ही सुव्यवस्थित देश्SKU: n/a -
English Books, Voice of India, इतिहास, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य
Samkatha
Selected papers of the International Seminar on Buddhist Narratives, organized by Dept. of Pali, Pune Univ., 24-26th Feb. 2016. Includes papers from S.S. Bahulkar, Peter Skilling, Lata Mahesh Deokar, Johannes Schneider and others. Co. published with Aditya Prakashan.
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