Chiranjeev Sinha
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Rakta Ka Kan-Kan Samarpit
विश्व के शीर्ष राष्ट्रों में शुमार भारतवर्ष को देखकर आज किस भारतीय का सीना चौड़ा नहीं होता होगा; लेकिन आज बराबरी और सम्मान के जिस मुकाम पर हम खड़े हैं, वहाँ हम यों ही नहीं पहुँचे हैं। इसके लिए हमें अनगिनत कुरबानियाँ देनी पड़ी हैं, लाखों जवानियाँ काल-कोठरी के पीछे खुशी- खुशी कैद हुई हैं। उनमें से कुछ को ही हम जानते हैं और बाकियों की स्मृति कस्बों एवं गाँवों में सिमटकर रह गई है।
यह पुस्तक ऐसे ही गुमनाम स्वातंत्र्य साथकों के बारे में है, जिन्होंने अपना सर्वस्व भारतमाता की स्वाधीनता के लिए हँसते-हँसते न्योछावर कर दिया, पर वे इतिहास की नामचीन क्या, साधारण सी पुस्तकों का भी हिस्सा नहीं बन सके। वैसे यह उनको इच्छा भी नहीं थी कि उनका नाम हो, लेकिन आज को युवा पीढ़ी और स्कूली बच्चों को उनके बारे में जानना आवश्यक है कि वे कौन महापुरुष थे। ‘जरा याद उन्हें भी कर लो’ इसी उद्देश्य को लेकर कहानी-दर-कहानी मजबूती से आगे बढ़ती है। चिरंजीव सिन्हा की पुस्तक ‘ रक्त का कण-कण समर्पित” उत्तर प्रदेश के गुमनाम स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरक गाथाओं का पठनीय संकलन है।”
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