Dr. Jitendra SIngh ‘Sathika’
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Rajasthani Lok Jeevan Ar Sugan Parampara
राजस्थानी लोक जीवन अर सुगन परम्परा
surely राजस्थान री लोक संस्कृति अर परम्परा लूंठी ने अनुठी है। अठै री जिया- जूण नै आप जितरी जाणन री खैचल करौला, उत्तौ ही इणरौ नूवों रूप दीठमान हुवतौ रैसी, न्यारी-न्यारी परम्परावां में ‘सुगन-विचार’ री जकी रीत अर दीठ है वां घणी जूनी अर लोक री चावी अर महताऊ परम्परा है। also ‘सुगन- विचार’ फगत अंक विश्वास, आस्था या परम्परा ई नीं ओ ओक लोक-विग्यान है जिणने आधार बणा र ई लोक मांय, यात्रा, मुहुरत, सुभ-असुभ, फळा-फळ तौ बरसात अर खेती रौ ग्यान करिजतौ, पण जोग दुजोग सूं आ विद्या अर इणनै जाणन वाळा सँ अलोप हुवता जा रैया है, इण पौथी मांय इणी’ज लोक विग्यान री परम्परा, साहित्य अर अनाण, परिणाम माथै विरोळ करीजी है, सागै ई सुगनां री महत्ता, लोक री जरूत, परियावरण संतुलन अर आज रै बगत में ‘सुगन विचार’ री ठौड़ रौ अध्ययन करिज्यौ है। Rajasthani Lok Jeevan Ar Sugan Parampara
all in all पौथी ने छह अध्यायां मांय बांट’र न्यारां-न्यारां बिन्दुवां नै लैय’र लोक में ‘सुगन- विचार’ बाबत बात करीजी है। लोक रै अरथ, तत्व अर मानस सूं बात सरू कर आधुनिक जुग मांय सुगनां री प्रासंगिकता बतावण तांई रौ प्रयास करियौ। पौथी में लोक-गीतां, साहित्य, बातां, दोहा, छंदा, ख्यातां में आयां, सुगनां रा प्रसंग, उणरा प्रभाव अर सुगन समझण-बूझण री मैतव नै बताया है। Rajasthani Lok Jeevan Ar Sugan Parampara
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