Freedom Struggle
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Swatantrata ke Pujari Maharana Pratap
स्वतंत्रता के पुजारी महाराणा प्रताप : मेवाड़ भारतीय स्वतंत्रता का सदैव प्रहरी बना रहा। महाराणा संग्रामसिंह मेवाड़ का शासक हिन्दुवां सूरज और भारतदृभूमि का अंतिम हिन्दू सम्राट था। जिसने झण्डे के नीचे दो बार भारतीय नरेशों ने विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया था। इस पुस्तक का नायक उसी महाराणा संग्रामसिंह का पौत्र, महाराणा उदयसिंह का पुत्र महाराणा प्रतापसिंह है। स्वाभिमानी स्वतंत्रताकामी महाराणा प्रतापसिंह दीर्घकालीन भारतीय वीर परम्परा के इतिहास पुरुषों में राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले वीर पुरुष एवं महान व्यक्तित्व थे। महाराणा प्रताप ने तत्कालीन मुगल सत्ता के प्रबलतम शासक अकबर से लोहा लिया और अपनी मातृभूमि की रक्षा, भारतीय स्वाभिमान भारतीय स्वातंत्र्य गौरव और आदर्श हिन्दू शासन व्यवस्था की रक्षा के लिए आजीवन जूझने का प्रण लिया और जीवन पर्यन्त उसका निर्वहन किया। महाराणा प्रतापसिंह के युद्ध कौशल, वीरता, प्रशासनिक दक्षता, शौर्य, स्वातंत्र्य प्रेम विपत्ति सहने की शक्ति, महाराणा के साथी सहयोगी योद्धा, मेवाड़ की आर्थिक स्थिति तथा महाराणा उदयसिंह और महाराणा अमरसिंह के कार्य-कलापों के अनेकानेक छुए-अनछुए पक्षों पर पहली बार विद्वान लेखक ने प्रकाश डाला है। इसके अलावा फारसी ग्रंथों व प्रतापसिंह के समसामयिक और परवर्ती राजस्थानी ग्रन्थों पर विचार कर प्रतापसिंह को लेकर भ्रांत धारणाओं का निवारण कर कतिपय अचर्चित प्रसंगों और महाराणा के सहयोगी योद्धाओं को खोज कर उन्हें भी उजाकर किया है।
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