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Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास
Bharat ke Shaurya ki Gaurav Gatha (HB)
Bharat ke Shaurya ki Gaurav Gatha (Mughal Kaal ke Bhule Bisre Hindu Yodha) (Hindi)
डॉ. राकेश कुमार आर्य का जन्म 17 जुलाई 1967 को ग्राम महावड़ परगना तहसील दादरी जनपद गौतम बुद्ध नगर उत्तर प्रदेश में हुआ। श्री आर्य के पिता का नाम श्री राजेंद्रसिंह आर्य और माता का नाम श्रीमती सत्यवती आर्य है। विधि व्यवसायी होने के साथ-साथ डॉ. आर्य एक प्रखर वक्ता भी हैं।
अब तक डॉ. आर्य ने 80 पुस्तकें लिखी हैं। आप ‘भारत को समझी अभियान समिति’ के माध्यम से भारतीय धर्म, संस्कृति और इतिहास परंपरा के क्षेत्र में लोगों में जागृति लाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। आपकी लेखनी राष्ट्र-धर्म की साधिका है। आपने भारत के 1235 वर्ष के स्वाधीनता संग्राम को सन् 712 ई0 से लेकर 1947 तक 6 खंडों में प्रकाशित कराया है। इस ग्रंथ माला को भारत सरकार द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी सम्मिलित किया गया है। हिंदू इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष को आपने बहुत ही उत्तमता के साथ प्रस्तुत करने का राष्ट्रवंद्य कार्य किया है। लेखक ने इतिहास के साथ-साथ गीता के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भी युगीन आवश्यकता के रूप में बुद्धि संगत और तर्कसंगत परिभाषा दी है।
डॉ. आर्य को ‘वर्ल्ड कंस्टीट्यूशन एंड पार्लियामेंट एसोसिएशन’ के ग्लोबल प्रेजिडेंट डॉ. ग्लेन टी. मार्टिन (अमेरिका) द्वारा वर्ल्ड पीस एनवॉय वर्ल्ड 2022 (विश्व शांति दूत 2022) के सम्मान से सम्मानित किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. आर्य ने सनातन के उन नाम – अनाम अनेक योद्धाओं को प्रस्तुत किया है, जिन्होंने कथित मुगल काल में हमारी स्वाधीनता के अपहर्ताओं के साथ या तो जमकर संघर्ष किया या फिर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। यदि यह कहा जाए कि अपने इतिहासनायकों के बारे में अनेक नए तथ्य प्रस्तुत कर लेखक ने इस ग्रंथ को एक संदर्भ ग्रंथ बना दिया है, तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। डॉ. आर्य का परिश्रम साध्य ग्रंथ स्तुत्य, संग्रहणीय और युवा वर्ग के लिए पठनीय है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता, सही आख्यान (True narrative)
Chitramay ShriKrishnaLeelaDarshan 2343
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता, सही आख्यान (True narrative)Chitramay ShriKrishnaLeelaDarshan 2343
प्रस्तुत पुस्तक में महान संत श्री प्रभुदत्त जी ब्रह्मचारी ने भगवान कृष्ण के बालरूप का बड़ा ही मनोहारी, रोचकपूर्ण सहज भाषा में चित्रण किया है। यह चार रंगों में आर्ट पेपर पर विषय के अनुरूप 101 रंगीन चित्रों के साथ प्रकाशित किया गया है।
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Akshaya Prakashan, Hindi Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Pascatya Anubhavavad aur Satyata ke Siddhanta (PB)
-15%Akshaya Prakashan, Hindi Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रPascatya Anubhavavad aur Satyata ke Siddhanta (PB)
प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना का उद्देश्य पाश्चात्य अनुभववाद और उसके विभिन्न ज्ञानमीमांसीय सिद्धान्तों का आलोचनात्मक अध्ययन है। आधुनिक एवम् समकालीन पाश्चात्य दर्शन का केन्द्र-बिन्दु ज्ञानमीमांसा है। यत्र-तत्र लॉक, बर्कले, ह्यूम, विट्गेंस्टाइन, एयर, राइल, ऑस्टिन, जेम्स और काँट के दर्शन से सम्बन्धित ज्ञानमीमांसीय समस्याओं का विस्तृत विवेचन किया गया है। विशेषतः कार्नेप, राइल, श्लिक, विट्गेंस्टाइन, ऑस्टिन, एयर एवं वियना सर्किल के अन्य दार्शनिकों के सन्दर्भ में अनुभववाद की मुख्य स्थापनाओं का तुलनात्मक और समीक्षात्मक अध्ययन, इस पुस्तक के महत्त्व को और बढ़ा देता है। काँट ने तो दर्शनशास्त्र को ज्ञानमीमांसा के रूप में ही सम्भव माना है। प्रस्तुत ग्रन्थ में बहुत ही सुबोध शैली में पाश्चात्य दार्शनिक सिद्धान्तों के अतिरिक्त अन्य भारतीय ज्ञानमीमांसीय पद्धतियों का विवेचन किया गया है जो कि प्रथम अध्याय में ‘ज्ञान का स्वरुप’ शीर्षक के अन्तर्गत वर्णित है।
इस ग्रन्थ में ज्ञान की प्रामाणिकता का विवेचन सत्यता के निकषों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इसका विवेचन मैंने इस ग्रन्थ के अन्तिम अध्याय में विस्तारपूर्वक किया है l
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Hindi Books, Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सही आख्यान (True narrative)
STRITVA DHARANAYEN EVAM YATHARTHA
Hindi Books, Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सही आख्यान (True narrative)STRITVA DHARANAYEN EVAM YATHARTHA
विश्व की ‘एकेडमिक्स’ यूरोईसाई सिद्धान्तों, अवधारणाओं एवं विचार-प्रयत्नों से संचालित है। आधुनिक स्त्री-विमर्श पूरी तरह पापमय, हिंसक और सेक्स के विचित्र आतंक से पीड़ित ईसाईयत द्वारा गढ़ा गया है। गैरईसाई देशों एवं सभ्यताओं में उनके अपने ऐतिहासिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिदृश्य में उभरी-पनपी ‘स्त्रीत्व’ की धारणा एकेडमिक बहस के बाहर है।
यह पुस्तक इस यूरोकेन्द्रित पूर्वाग्रह को किसी सीमा तक संतुलित करने का प्रयास करती है, गैरईसाई सभ्यताओं में विद्यमान स्त्री-विमर्श को हिन्दू दृष्टि से सामने लाकर।
यह पुस्तक बताती हैः यूरोप में कैथोलिकों एवं प्रोटेस्टेन्टों ने पाँच सौ शताब्दियों तक करोड़ों निर्दोष सदाचारिणी, भावयमी श्रेष्ठ स्त्रियों को डायनें और चुड़ैल घोषित कर जिन्दा जलाया, खौलते कड़ाहों में उबाला, पानी में डुबो कर मारा, बीच से जिन्दा चीरा, घोड़े की पूँछ में बँधवा कर सड़कों-गलियों में इस प्रकार दौड़ाया कि बँधी हुई स्त्री लहूलुहान होकर दम ही तोड़ दे !
ये सभी पाप छिप-छिपा कर नहीं, सरेआम पूरे धार्मिक जोशो-खरोश से, पादरियों की आज्ञा से, पादरियों के प्रोत्साहन से और पादरियों की उपस्थिति में किये जाते थे तथा चर्चों के सामने सूचीपत्र टँगे रहते थे कि स्त्रियों को खौलते तेल में उबालने के लिए 48 फ्रैंक, घोड़े द्वारा शरीर को चार टुकड़ों में फाड़ने के लिए 30 फ्रैंक, जिन्दा गाड़ने के लिए 2 फ्रैंक, चुड़ैल करार दी गयी स्त्री को जिन्दा जलाने के लिए 28 फ्रैंक, बोरे में भरकर डुबोने के लिए 24 फ्रैंक, जीभ, कान, नाक काटने के लिए 10 फ्रैंक, तपती लाल सलाख से दागने के लिए 10 फ्रैंक, जिन्दा चमड़ी उतारने के लिए 28 फ्रैंक लगेंगे।
कौन विश्वास करेगा कि ख्रीस्तीय यूरोप में सेक्स एक आतंक था और गोरे पुरुष अपनी औरतों से थरथराते काँपते डरते रहते थे कि जाने कब उसके काम-आकर्षण में फँस जाँय क्योंकि स्त्री तो शैतान का औजार है, प्रचण्ड सम्मोहक और ‘ईविल’ है। कैथोलिक पोपों के पापों से और घरों के भीतर उसकी दखलन्दाजी से घबड़ा कर प्रोटेस्टेन्ट ईसाईयों ने ‘पति परमेश्वर है’ की धारणा रची, यह आज कितने लोग जानते है ? ख्रीस्तपंथी यूरोप में सन् 1929 तक स्त्री को व्यक्ति नहीं माना जाता था, स्त्रियों को आँख के अलावा शेष समस्त देह को ख्रीस्तपंथ के आदेशों के अन्तर्गत ढँककर रखना अनिवार्य था और पति-पत्नी का भी समागम सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार एवं रविवार के दिनों में वर्जित एवं दण्डनीय पाप घोषित था।
पोप इनोसेन्ट के जुलूस मे आगे-आगे सैकड़ों निर्वसन स्त्रियाँ एवं दोगले बच्चे चलते थे, यह कितनों को पता है ?
अविवाहित यानी ‘सेलिबेट’ पादरियों को वेश्या-कर देना अनिवार्य था और ख्रीस्तीय राज्य उन पादरियों के लिए लाइसेंसशुदा वेश्यालय चलाया था, विवाह एक धत्-कर्म था तथा वेश्या होना विवाहित होने की तुलना में गौरवमय था–ख्रीस्तपंथी पादरियों की व्यवस्था के अनुसार। ऐतिहासिक यथार्थ के इन महत्त्वपूर्ण पक्षों की प्रामाणिक प्रस्तुति करनेवाली यह पुस्तक विश्व की श्रेष्ठ 25 विश्व-सभ्यताओं में स्त्री की गरिमापूर्ण स्थिति की थी प्रामाणिक विवेचना करती है और हिन्दू स्त्रियों के समक्ष उस दायित्व को रखती है जो उन्हें वैश्विक मानवीय सन्दर्भों में शुभ, श्रेयस एवं तेजस की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए निभाना है।
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English Books, Kitabwale, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Tryst with Ayodhya Decolonisation of India
-15%English Books, Kitabwale, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Tryst with Ayodhya Decolonisation of India
“This book deals with how Bharat and Shri Ram are intertwined in several inalienable ways; the history of the occupation of the Shri Ram janmabhoomi by invaders, the details of the struggles waged through the ages for its reclamation, the havoc caused by those in power with a colonized mindset and how the rise of Bharat in various fields is in consonance with its cultural resurgence and decolonization of Bharatiya minds.”
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