Iqbal Durrani
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Gandhi Se Pahale Gandhi
“स्ट्रीटफिल्ड और बिरसा का संवाद क्रांति-पुरोधा बिरसा के विराट जीवन-दर्शन को रूपायित करता है । संघर्ष के समाजसशास्त्रीय दर्शन को नई ऊँचाई देता है। “तुम्हारी वजह से इतना खून बहा क्या इसका तुम्हें अफसोस नहीं ?/’
“खून बहे तो बहे, आँसू न बहें”” । “तुम खून से ज्यादा आँसू को समझते हो?””
“हाँ! खून जिंदगी है तो आँसू जिंदगी का रंग है। हमने यह लड़ाई जिंदगी के लिए नहीं, जिंदगी में कोई रंग हो, इसके लिए लड़ी है और लड़ते रहेंगे। यह युद्धविराम हुआ है, युद्ध का अंत नहीं हुआ।“ डॉ. एंडर्सन पर क्रूर और हिंसक व्यवस्था का आतंकी दबाव पड़ता है। इंजेक्शन से बिरसा के भीतर मौत उड़ेलने का हैवानी निर्देश दिया जाता है। इस भयावह अपकृत्य से डॉक्टर की आतंकित, व्यथित व द्रवित मन:स्थिति के चाक्षुष-बिंब का रचाव उपन्यासकार के जीवट भरे लेखन का प्रमाणमात्र है ।
दूर कोठरी में बंद गया मुंडा सनरी मुंडा व सुखराम बिरसा की झन-झन बजती बेड़ियों में संघर्ष का महासंगीत सुनते हैं । इस महासंगीत में होता है—मन की पीड़ा का तिरोहण। यानी क्रांति की पात्रता का विकास अपनी पूर्णता में । —इसी उपन्यास से
क्रांति के महानायक बिरसा मुंडा के संघर्ष, पराक्रम और राष्ट्राभिमान का दिग्दर्शन करवाता प्रेरक उपन्यास, जिसे पढ़कर पाठकों में देशभक्ति और साहस का संचार होगा |”
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