Kamleshwar
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Ankhon Dekha Pakistan
ज़ल के इतिहास में जाने की ज़रूरत मैं महसूस नहीं करता। साहित्य की हर विधा अपनी बात और उसे कहने के ढब से, संस्कारों से फ़ौरन पहचानी जाती है। ग़ज़ल की तो यह ख़ासियत है। आप उर्दू जानें या न जानें, पर ग़ज़ल को जान भी लेते हैं और समझ भी लेते हैं। जब 13वीं सदी में, आज से सात सौ साल पहले हिन्दी खड़ी बोली के बाबा आदम अमीर खुसरो ने खड़ी बोली हिन्दी की ग़ज़ल लिखी: जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर,ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाय कर।जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया,हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर।तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है,तुझे दोस्ती बिसियार है इक शब मिलो तुम आय कर।जाना तलब तेरी करूंदीगर तलब किसकी करूं,तेरी ही चिंता दिल धरूं इक दिन मिलो तुम आय कर।तो ग़ज़लका इतिहास जानने की ज़रूरत नहीं थी। अमीर खुसरो के सात सौ साल बाद भी बीसवीं सदी के बीतते बरसों में जब दुष्यंत ने ग़ज़ल लिखी :कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,कहाँ चिराग़ मय्यसर नहीं शहर के लिए।तब भी इतिहास को जानने की ज़रूरत नहीं पड़ी। जो बात कही गयी, वह सीधे लोगों के दिलो-दिमाग़ तक पहुँच गयी। और जब ‘अदम’ गोंडवी कहते हैं:ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़रों में,मुसलसल फ़नका डीएम घुटता है इन अदबी इदारों में।तब भी इस कथन को समझने के लिए इतिहास को तकलीफ़ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ग़ज़ल एकमात्र ऐसी विधा हजो किसी ख़ास भाषा के बंधन में बँधने से इंकार करती है। इतिहास को ग़ज़ल की ज़रूरत है, ग़ज़ल को इतिहास की नहीं।इसलिए यह संकलन अभी अधूरा है। ग़ज़ल की तूफ़ानी रचनात्मक बाढ़ को संभाल सकना सम्भव नहीं है। शेष-अशेष अगले संकलनों में।- कमलेश्वर
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Hindi Books, Rajpal and Sons, सही आख्यान (True narrative)
Ek Sadak Sattavan Galiyan
यह मेरा पहला उपन्यास है। लिखा सन् 1956 में गया था, यह उसी समय पूरा का पूरा हंस में छपा था। फिर सन् 68-69 या शायद इसके बाद श्री प्रेम कपूर ने इस पर फ़िल्म बनाई ‘बदनाम बस्ती’। मेरे लिए यह उपन्यास उतना ही प्रिय है जितनी प्रिय मेरे लिए मेरी माँ और मेरी जन्मभूमि मैनपुरी। तब यह उपन्यास ‘बदनाम’ बस्ती के नाम से छपा और लोकप्रिय हुआ। अब तक मेरी ही तरह गर्दिश में चकराता हुआ यह उपन्यास अब अपने मूल नाम से प्रस्तुत है : एक सड़क सत्तावन गलियां’’
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Gujarati Ki Chuni Hui Kahaniyaan
आबिद सुरती, अंजलि खांड़वाला, धीरेन्द्र मेहता, मोहनभाई पटेल गुजराती साहित्य के जाने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य गुजराती लेखकों की चुनी हुई कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। प्रत्येक भाषा की अपनी प्रकृति होती है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आप गुजराती कहानी की अपनी विशेष शैली, अपना विशिष्ट प्रवाह पाएंगे। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को गुजराती की उत्कृष्ट कहानियों और गुजराती साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Hindustani Gazlen
ज़ल के इतिहास में जाने की ज़रूरत मैं महसूस नहीं करता। साहित्य की हर विधा अपनी बात और उसे कहने के ढब से, संस्कारों से फ़ौरन पहचानी जाती है। ग़ज़ल की तो यह ख़ासियत है। आप उर्दू जानें या न जानें, पर ग़ज़ल को जान भी लेते हैं और समझ भी लेते हैं। जब 13वीं सदी में, आज से सात सौ साल पहले हिन्दी खड़ी बोली के बाबा आदम अमीर खुसरो ने खड़ी बोली हिन्दी की ग़ज़ल लिखी: जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर,ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाय कर।जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया,हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर।तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है,तुझे दोस्ती बिसियार है इक शब मिलो तुम आय कर।जाना तलब तेरी करूंदीगर तलब किसकी करूं,तेरी ही चिंता दिल धरूं इक दिन मिलो तुम आय कर।तो ग़ज़लका इतिहास जानने की ज़रूरत नहीं थी। अमीर खुसरो के सात सौ साल बाद भी बीसवीं सदी के बीतते बरसों में जब दुष्यंत ने ग़ज़ल लिखी :कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,कहाँ चिराग़ मय्यसर नहीं शहर के लिए।तब भी इतिहास को जानने की ज़रूरत नहीं पड़ी। जो बात कही गयी, वह सीधे लोगों के दिलो-दिमाग़ तक पहुँच गयी। और जब ‘अदम’ गोंडवी कहते हैं:ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़रों में,मुसलसल फ़नका डीएम घुटता है इन अदबी इदारों में।तब भी इस कथन को समझने के लिए इतिहास को तकलीफ़ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ग़ज़ल एकमात्र ऐसी विधा हजो किसी ख़ास भाषा के बंधन में बँधने से इंकार करती है। इतिहास को ग़ज़ल की ज़रूरत है, ग़ज़ल को इतिहास की नहीं।इसलिए यह संकलन अभी अधूरा है। ग़ज़ल की तूफ़ानी रचनात्मक बाढ़ को संभाल सकना सम्भव नहीं है। शेष-अशेष अगले संकलनों में।- कमलेश्वर
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Kaali Aandhi
कमलेश्वर के उपन्यासों में काली आँधी का अपना विशिष्ट स्थान है। इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्रित्व काल में इसकी रचना हुई और इसका मुख्य चरित्र उन्हीं का प्रतिनिधित्व करता है। उन्हीं के समान दबंग, उन्हीं के समान दुनिया को प्रभावित करने वाला और मानो आँधी की तरह समाज और राजनीति को हिलाकर रख देनेवाला चरित्र। 1975 में ‘आँधी’ नाम से ही इस पर फ़िल्म भी बनी जो बहुत लोकप्रिय हुई। आँधी की मालती – फ़िल्म में जिसका अभिनय सुचित्रा सेन ने किया – हिन्दी उपन्यास की अपूर्व नायिका है जिसके इर्द-गिर्द लेखक ने एक वास्तविक, साथ ही रहस्यपूर्ण दुनिया की सृष्टि की है। उपन्यास उस समय की राजनीति में अवसरवादिता के बढ़ने तथा गरीबी और भूख मिटाने की खोखली मुहिम चलाने का प्रभावी चित्रण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में यह भी दर्शाया गया है कि किस तरह चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किये जाते हैं, परन्तु किया कुछ भी नहीं जाता, उलटा जनहित में लगाया जाने वाला पैसा भी डकार लिया जाता है। आज भी स्थिति जस-की-तस है इसलिए इस उपन्यास की प्रासंगिकता बरकरार है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Kashmiri Ki Chuni Hui Kahaniyaan
कश्मीरी कहानी की शुरुआत का समय पिछली शताब्दी के मध्य में माना जाता है, लेकिन इस थोड़े से समय में ही कश्मीरी कहानी ने अपना एक विशेष स्थान बना लिया है, जिसमें हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। अख्तर मुहीउद्दीन, दीनानाथ ‘नादिम’, उमेश कौल, बशीर अहमद बशीर, विजय माम जैसे जाने-माने लेखकों की कहानियों के साथ छब्बीस और कहानीकारों की कहानियों का संकलन इस पुस्तक में प्रस्तुत है, जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को कश्मीरी साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Lal Bahadur Shastri
ज़ल के इतिहास में जाने की ज़रूरत मैं महसूस नहीं करता। साहित्य की हर विधा अपनी बात और उसे कहने के ढब से, संस्कारों से फ़ौरन पहचानी जाती है। ग़ज़ल की तो यह ख़ासियत है। आप उर्दू जानें या न जानें, पर ग़ज़ल को जान भी लेते हैं और समझ भी लेते हैं। जब 13वीं सदी में, आज से सात सौ साल पहले हिन्दी खड़ी बोली के बाबा आदम अमीर खुसरो ने खड़ी बोली हिन्दी की ग़ज़ल लिखी: जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर,ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाय कर।जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया,हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर।तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है,तुझे दोस्ती बिसियार है इक शब मिलो तुम आय कर।जाना तलब तेरी करूंदीगर तलब किसकी करूं,तेरी ही चिंता दिल धरूं इक दिन मिलो तुम आय कर।तो ग़ज़लका इतिहास जानने की ज़रूरत नहीं थी। अमीर खुसरो के सात सौ साल बाद भी बीसवीं सदी के बीतते बरसों में जब दुष्यंत ने ग़ज़ल लिखी :कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,कहाँ चिराग़ मय्यसर नहीं शहर के लिए।तब भी इतिहास को जानने की ज़रूरत नहीं पड़ी। जो बात कही गयी, वह सीधे लोगों के दिलो-दिमाग़ तक पहुँच गयी। और जब ‘अदम’ गोंडवी कहते हैं:ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़रों में,मुसलसल फ़नका डीएम घुटता है इन अदबी इदारों में।तब भी इस कथन को समझने के लिए इतिहास को तकलीफ़ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ग़ज़ल एकमात्र ऐसी विधा हजो किसी ख़ास भाषा के बंधन में बँधने से इंकार करती है। इतिहास को ग़ज़ल की ज़रूरत है, ग़ज़ल को इतिहास की नहीं।इसलिए यह संकलन अभी अधूरा है। ग़ज़ल की तूफ़ानी रचनात्मक बाढ़ को संभाल सकना सम्भव नहीं है। शेष-अशेष अगले संकलनों में।- कमलेश्वर
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Malayalam Ki Chuni Hui Kahaniyaan
Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Malayalam Ki Chuni Hui Kahaniyaan
मलयालम कहानी की विकास यात्रा आज से डेढ़-सौ वर्ष पहले शुरू हुई थी, जब ये कहानियाँ केरल की पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं। गहरे प्रतीकों से लेकर सरल-सहज कथानकों से समृद्ध मलयालम भाषा की ये चयनित कहानियाँ अपने अलग-अलग विषयों के कारण पाठकों का मन जीत लेंगी। तकषी शिवशंकर पिल्लै, शंकरन कुट्टी पोट्टेकाट, वैक्कम मुहम्मद बशीर, एम.टी. वासुदेवन नायर जैसे मलयालम के प्रतिष्ठित लेखकों और अन्य चैबीस लेखकों की चुनिंदा कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं, जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को मलयालम साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Marathi Ki Chuni Hui Kahaniyaan
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Marathi Ki Chuni Hui Kahaniyaan
निर्मला देशपांडे, दिलीप चित्रे, बाबूराव बागुल, वसंत नरहर फेणे मराठी साहित्य के जाने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य मराठी लेखकों की चुनी हुई कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है।प्रत्येक भाषा का मिज़ाज अपना ही होता है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आप मराठी कहानी का अपना खास तेवर, अपनी खास रवानी पाएंगे। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को मराठी कहानियों और साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Meri Priya Kahaniyaan
यशपाल की गणना हिन्दी साहित्य के निर्माताओं में की जाती है। एक विचारधारा से जुड़े होने पर भी उनकी कहानियाँ और उपन्यास-जिनकी संख्या काफी है-बहुत लोकप्रिय हुए और उन्होंने अपने ढंग से साहित्य को गहराई से प्रभावित किया। प्रस्तुत संकलन में उन्होंने स्वयं अपने अनेक कहानी संग्रहों में से चुनकर श्रेष्ठ कहानियाँ दी हैं तथा भूमिका में अपने लेखन तथा विचारों पर प्रकाश डाला है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Odiya Ki Chuni Hui Kahaniyaan
प्रतिभा राय, मनोज दास, नंदिनी शतपथी, अच्युतानंद पति, उमाशंकर पंडा ओड़िया साहित्य के झने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य ओड़िया लेखकों की चुनी हुई कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है।प्रत्येक भाषा की अपनी प्रकृति होती है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आपओड़िया कहानी की अपनी विशेष शैली, अपना विशिष्ट प्रवाह पाएंगे। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों कोओड़िया की उत्कृष्ट कहानियों और ओड़िया साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Punjabi Ki Chuni Hui Kahaniyaan
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Punjabi Ki Chuni Hui Kahaniyaan
पंजाबी भाषा केवल पंजाब तक ही सीमित नहीं, वह दुनिया के उन सभी हिस्सों में बोली जाती है जहां पंजाबी बसते हैं। शायद इसीलिए पंजाबी कहानियों पर बहुत-से अलग-अलग प्रभाव पड़े जिनकी झलक कर्तार सिंह दुग्गल, अमृता प्रीतम, रामसरूप अणखी, अजीत कौर, संतसिंह सेखों और अफज़ल अहसन रंधावा और अन्य पंजाबी लेखकों की कहानियों में मिलती है।इस पुस्तक में संकलित कहानियों का चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। यह संकलन हिन्दी के पाठकों को पंजाबी साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Samagra Kahaniyaan
प्रस्तुत संकलन में कमलेश्वर की समग्र कहानियां काल-क्रमानुसार दी गयी हैं – साथ ही एक विस्तृत भूमिका जो उनकी कहानी-कला और कथायात्रा को समझने के लिए आवश्यक है। पिछली अनेक दशाब्दियों के हिंदी कथाकारों में कमलेश्वर का अपना अलग स्थान है जो ‘कितने पाकिस्तान’ के कारण विशेष रूप से चर्चा में है। उनके कथा-साहित्य ने रचनात्मकता के साथ-साथ जीवन और इतिहास के उदार चिंतन के नए द्वार भी खोल दिए हैं।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Sindhi Ki Chuni Hui Kahaniyaan
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Sindhi Ki Chuni Hui Kahaniyaan
कीरत बाबाणी, गोबिन्द माल्दी, तीर्थ बसंत, विष्णु भाटिया, हरिकान्त और आधुनिक काल के सिंधी लेखकों की कहानियाँ जो इस पुस्तक में सम्मिलित हैं, को पढ़ने के बाद यह बात उजागर होती है कि कहानी किसी भी भारतीय भाषा की क्यों न हो, उन सब में भारतीय संस्कृति की झलक अवश्य मिलती है। इसी कारण पाठक देश की हर भाषा की कहानी से आसानी से तादात्म्य स्थापित कर लेता है। इस पुस्तक में संकलित कहानियों का चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। यह संकलन हिन्दी के पाठकों को सिंधी साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करता है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Tamil Ki Chuni Hui Kahaniyaan
जयकान्तन, टी. जानकी रामन, प्रभंजन, श्री अखिलन तमिल साहित्य के जाने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य तमिल लेखकों की चुनी हुई कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है।प्रत्येक भाषा की अपनी प्रकृति होती है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आप तमिल कहानी की अपनी विशेष शैली, अपना विशिष्ट प्रवाह पाएंगे। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को तमिल की उत्कृष्ट कहानियों और तमिल साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Urdu Ki Chuni Hui Kahaniyaan
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Hindi Books, Rajpal and Sons, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Urdu Ki Chuni Hui Kahaniyaan
इस्मत चुगताई, कुर्रतुल-एन-हैदर, राजेन्द्र सिंह बेदी उर्दू साहित्य के जाने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य उर्दू लेखकों की चुनी हुई कहानियां इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है।प्रत्येक भाषा का मिज़ाज अपना होता है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आप उर्दू कहानी का अपना खास तेवर, अपनी खास रवानी पाएंगे। यह पुस्तक हिंदी के पाठकों को उर्दू की लाजवाब कहानियों और उर्दू साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।
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