Lala Lajpat Rai Books
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Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Aryasamaj
लाला लाजपतराय अपनी युवा अवस्था से ही आर्यसमाज से जुड़े रहे तथा उन्होंने उन्मुक्त भाव से यह स्वीकार किया था कि देश की जो सेवा वह कर पाए हैं, उसका श्रेय आर्यसमाज एवं उसके संस्थापक महर्षि दयानंद को ही है, जिनसे प्रेरणा पाकर वह समाज तथा स्वराष्ट्र के लिए कुछ कर सके।
आर्यसमाज का सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत करने का विचार लेकर ही लालाजी ने उस समय ‘दी आर्यसमाज‘ नामक अंग्रेजी ग्रंथ लिखा था। तब से लेकर अब तक आर्यसमाज आंदोलन ने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं, उसके लिए तो अन्य विवेचन की अपेक्षा रहेगी ही, तथापि लालाजी जी का यह ग्रंथ भी कालजयी साहित्य की श्रेणी में आ गया है।
इस पुस्तक का अध्ययन वे लोग अवश्य करें जो संक्षेप में आर्यसमाज तथा उसके संस्थापक से परिचित होना चाहते हैं। आशा है नरकेसरी लालाजी का यह अमर ग्रंथ पाठकों में स्वदेश, स्वधर्म तथा स्वसंस्कृति के प्रति प्रेम जगाने में समर्थ होगा।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Chhatrapati Shivaji
मराठा वीर शिवाजी ने किस प्रकार औरंगजेब की कट्टरवादी-संकीर्ण नीतियों का विरोध किया और अपने समकालीन स्वच्छाचारी शासकों से लोहा लिया, इसे लालाजी ने ऐतिहासिक तथ्यों से प्रमाणित किया है। महाकवि भूषण के शब्दों में-हिंदू, हिंदी और हिंद के रक्षक शिवाजी महाराज की स्फूर्तिदायक जीवनी के लेखन की पात्रता लालाजी जैसे देशभक्त में ही थी।
छत्रपति शिवाजी के इस जीवन चरित का ऐतिहासिक महत्व तो है ही जिसकी समीक्षा तो मराठा इतिहास के प्रमाणिक विद्वान् ही करेंगे, तथापि सर्वसाधारण को शिवाजी महाराज की एक सुंदर झांकी भी मिलेगी, इस विश्वास के साथ इस ग्रंथ को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Italy ke Mahatma Guisep Mejini ka Jivan Charit
Govindram Hasanand Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणItaly ke Mahatma Guisep Mejini ka Jivan Charit
बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि लाला लाजपतराय को देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा इटली को स्वाधीनता दिलाने वाले और अपनी मातृभूमि को यूरोप की तत्कालीन साम्राज्यवादी शक्तियों के पंजे से छुड़ाने वाले महापुरुषों-गैरीबाल्डी तथा मेजिनी से मिली थी।
यह जीवन-वृतांत इटली के पूजनीय माने जाने वाले महात्मा ग्वीसेप मेजिनी का है, जिन्होंने सैकड़ों वर्षों से चली आ रही दासता के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तथा अपने देशवासियों को स्वतंत्रता प्राप्त करने का मार्ग दिखाया।
अपने देशवासियों को इन महापुरुषों की जीवनगाथा तथा कार्यों से परिचित कराने वाले प्रथम लेखक लालाजी ही थे। तत्कालीन ब्रिटिश शासकों को इस बात की आशंका थी कि स्वदेश की आजादी के लिए सर्वस्व त्याग करने वाले इन वीरों की गाथाएं कहीं भारतवासियों में भी आजादी की तड़प पैदा ना कर दे, इसलिए लालाजी द्वारा लगभग 100 वर्ष पहले लिखें गए इन जीवन चरितों को गौरी सरकार ने जप्त कर लिया था।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Munivar Gurudutt Vidyarthi
महान विद्वान् तथा विचारक मुनिवर पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी लाला जी के सहपाठी और अंतरंग मित्र थे। उनके निधन के तुरंत पश्चात् लालाजी ने उनकी विस्तृत जीवनी लिखी जो 1890 में छपी, स्वयं यह उनकी प्रथम कृति थी।
पंडित गुरुदत्त की इस प्रमाणिक अंग्रेजी जीवनी का अनुवाद स्वयं डॉ भवानीलाल भारतीय ने गुरुदत्त निर्वाण शताब्दी के अवसर पर किया था। यही दुर्लभ ग्रंथ पुनः प्रकाशित किया जा रहा है।
इस कृति का महत्व इसलिए भी है कि इसका लेखक कथानायक के जीवन तथा कृतित्व से भली भांति परिचित था। यही कारण है कि वह पंडित गुरुदत्त के जीवन प्रसंगों को तटस्थ होकर चित्रित कर सके तथा उनके बौद्धिक, दार्शनिक तथा लेखकीय गुणों का सम्यक् उद्घाटन कर सके।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Yogiraj Shrikrishn
जिस प्रकार श्रीकृष्ण नवीन साम्राज्य-निर्माता तथा स्वराज्यस्रष्टा युगपुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हुए, उसी प्रकार अध्यात्म तथा तत्व-चिंतन के क्षेत्र में भी उनकी प्रवृतियाँ चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थीं। सुख-दुःख को समान समझने वाले, लाभ और हानि, जय और पराजय, जैसे द्वंदों को एक-सा मानने वाले, अनुद्विग्न, वीतराग तथा जल में रहने वाले कमलपत्र के समान सर्वथा निर्लेप, स्थितप्रज्ञ व्यक्ति को यदि हम साकार रूप में देखना चाहें तो वह कृष्ण से भिन्न अन्य कौन-सा होगा?
महाभारत पर आधारित श्रीकृष्ण के महान् लोकहित विधायक जीवन का भव्य चित्रण लालाजी की समर्थ लेखनी से निकला है। पुराणोंवत श्रीकृष्ण चरित की विकृतियों को पृथक् रखकर द्वापर के उस युग विधायक तथा महाभारत के सूत्रधार श्रीकृष्ण कि यह जीवन झांकी आज की परिस्थितियों में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी पहले रही है।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Yug-Pravartak Swami Dayananad
लालाजी ने स्वयं स्वीकार किया था की-‘आर्यसमाज मेरी माता है‘ जिसने उन्हें देशभक्ति का पाठ पढ़ाया और ‘महर्षि दयानंद मेरे धर्म पिता हैं‘, जिनके विचारों से प्रेरणा लेकर उन्होंने स्वदेश को पराधीनता की बेड़ियों से छुटकारा दिलाने का प्रयास किया।
उसी नवजागरण के सूत्रधार ऋषि दयानंद के जीवन चरित को लालाजी ने लिखा है। स्वामी दयानंद के आविर्भाव की परिस्थितियों की विवेचना तथा महर्षि के जीवन की प्रमुख घटनाओं एवं उनके विचारों की विस्तृत जानकारी देने वाला यह ग्रंथ, स्वामी दयानंद के जीवन चरितों की श्रृंखला में अपना एक पृथक् महत्व रखता है।
लाला लाजपतराय कि यह अनुपम कृति पाठकों को उस महापुरुष के जीवन एवं कार्य से परिचित कराएगी जिसने न केवल देश के इतिहास को ही प्रभावित किया, अपितु जिसके द्वारा मानव के सर्वांगीण कल्याण की समग्र कल्पना भी की गई थी।SKU: n/a