Mahatma Gandhi
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
American African Gandhis
Four decades ago, America was at war with its own self, a nation torn asunder by its inability to reconcile itself with its intrinsic self. A people that murdered their own president, shot its own Nobel laureate, and more. This book covers this topic.
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Vitasta Publishing, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Brahmacharya Gandhi & His Women Associates (PB)
Rajmohan Gandhi’s book on Mahatma Gandhi has created a controversy mainly because one of the chapters is devoted to Gandhiji’s relations with Saraladevi Choudharani whom he called his spiritual wife. Girja Kumar gives a more vivid characterisation of this relationship in his book which was released last year. This book, in fact, gives an authentic account of the Mahatma’s relations with various other women associates and the repercussions these romantic liaisons produced on those close to him, including ‘Ba’ (Kasturba Gandhi). The book is ready to go into reprint and the paperback edition will shortly hit the stands. A Hindi edition is also coming up.
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Hindi Books, Rajpal and Sons, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Gandhi Ke Brahmacharya Prayog | गाँधी के ब्रह्मचार्य प्रयोग
-10%Hindi Books, Rajpal and Sons, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Gandhi Ke Brahmacharya Prayog | गाँधी के ब्रह्मचार्य प्रयोग
‘‘गाँधी काम-भावना की दुर्दम्य शक्ति से जीवनपर्यंत आक्रान्त रहे। उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत, अर्थात पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध का त्याग सन् 1906 में ही ले लिया था। पर वे स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के आकर्षण से कभी मुक्त नहीं हो सके। जिसे गाँधीजी ने जीवन के उत्तरार्ध में ‘ब्रह्मचर्य प्रयोग’ कहा, उसके गम्भीर अध्ययन के बाद वह मोह और आकर्षण ही लगता है। स्वयं गाँधीजी ने अपनी आत्मकथा लिखने में तथा उस के बारह वर्ष बाद भी स्वीकार किया है कि वे ‘इन्द्रिय नियन्त्रण’ रखने में कठिनाई महसूस करते हैं। अर्थात् 57 और 69 वर्ष की आयु में भी उनका ब्रह्मचर्य एक सचेत प्रयत्न था, सहजावस्था नहीं। गाँधीजी ने यह छिपाया नहीं, यह उनकी महानता थी। किन्तु उन प्रयोगों में कोई महानता नहीं थी।’’ गाँधीजी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग क्या थे? ऐसे प्रयोगों के पीछे गाँधीजी की क्या धारणा थी? कारण क्या थे, ऐसे प्रयोग करने के? और इन प्रयोगों की गाँधीजी के जीवन में क्या अहमियत थी? ऐसे ही कुछ असहज सवालों पर यह पुस्तक प्रकाश डालती है। गंभीर अध्ययन के बाद लिखी यह पुस्तक प्रामाणिक उद्धरणों पर आधारित है और लेखक का कहना है कि ‘‘यह एक प्रयास है ताकि हम प्रत्येक विषय पर पूर्वाग्रहरहित होकर जानकारी प्राप्त करने तथा सोचने-विचारने के प्रति सचेत हों।’’
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Surya Bharti Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Gandhi vadh kyu?
-गोपाल गोडसे
महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नथूराम गोडसे देश का संभवतः सबसे विवादास्पद चरित्र है। देश भी उसके इस आचरण को लेकर दो खेमों में विभाजित है। कुछ लोग उसे देशद्रोही मानते हैं, तो कुछ लोग उसे देश का सच्चा सिपाही मानते हुए उसके मंदिर तक बनवाने की पैरवी करते हैं। ऐसे में आम आदमी के मन में यह सवाल कौंधना स्वाभाविक है कि नथूराम गोडसे वास्तव में क्या था? क्या नथूराम गोडसे आतंकवादी था? क्या नथूराम गोडसे देशद्रोही था? क्या नथूराम गोडसे पेशेवर हत्यारा था? अगर नहीं, तो उसने गांधी जी की हत्या क्यों की? वह भारत-विभाजन के लिए गांधी जी को जिम्मेदार क्यों मानता था? और…क्या सचमुच गांधी जी ने मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए यह गुनाह कर देश की जनता को धोखा दिया था? नथूराम गोडसे का पक्ष जानने के लिए उसके भाई और गांधी जी के हत्या के ‘षड्यंत्र’ में शामिल होने के अपराध में आजीवन कारावास भुगतकर 13 अक्तूबर 1964 को मुक्त हुए गोपाल गोडसे द्वारा प्रस्तुत एक ऐतिहासिक दस्तावेज।
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Gandhi, Nehru, Subhash
यह आम धारणा है कि सरदार पटेल कांग्रेस के तीन दिग्गजों-महात्मा गांधी, पं. नेहरू और सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ थे। किंतु यह मात्र दुष्प्रचार ही है। हाँ कुछ मामलों में-खासकर सामरिक नीति के मामलों में-उनके बीच कुछ मतभेद जरूर थे, पर मनभेद नहीं था। परंतु जैसा कि इस पुस्तक में उद्घाटित किया गया है, सरदार पटेल ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिए जाने के प्रस्ताव पर गांधीजी का विरोध नहीं किया था; यद्यपि वह समझ गए थे कि ऐसा करने की कीमत चुकानी पड़ेगी। इसी तरह उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पं. नेहरू के प्रति भी उपयुक्त सम्मान प्रदर्शित किया। उन्होंने ही भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में शामिल करने के लिए पं. नेहरू को तैयार किया था; यद्यपि नेहरू पूरी तरह इसके पक्ष में नहीं थे। जहाँ तक सुभाष चंद्र बोस के साथ उनके संबंधों की बात है, वे सन् 1939 में दूसरी बार सुभाषचंद्र बोस को कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने के खिलाफ थे। सुभाषचंद्र बोस ने जिस प्रकार सरदार पटेल के बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल-जिनका विएना में निधन हो गया था-के अंतिम संस्कार में मदद की थी, उससे दोनों के मध्य आपसी प्रेम और सम्मान की भावना का पता चलता है।
अपने समय के चार दिग्गजों के परस्पर संबंधों और विचारों की झलक देती महत्त्वपूर्ण पुस्तक।SKU: n/a -
English Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Gandhian Values (Post Independence)
Reviewed In Post – Independence India Through Indian Novel (English and Hindi) (1947-2000) Gandhian Values Post Independence
Gandhi rewrote the destiny of India through his speeches and writings. His values and ideology left an indelible mark not only on the laity but also on the literati of India. The objective of the book is to study the essence and anatomy of Gandhian values existing in post-independence India (1947-2000) with special reference to Indian novel, both English and Hindi. Since the axis of the research is Gandhian values, the work does not limit itself to any particular author of English or Hindi but focuses on selected novels on the basis of their proximity with Gandhian ideals spread across the period of study.
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Hindi Books, Jansabha, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Hey Ram Gandhi Hatyakand ki Pramanik Padtal (PB)
Hindi Books, Jansabha, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Hey Ram Gandhi Hatyakand ki Pramanik Padtal (PB)
गांधी हत्याकांड का सच सिर्फ इतना भर नहीं है कि 30 जनवरी 1948 की एक शाम गोडसे बिड़ला भवन आया और उसने गांधी को तीन गोली मार दीं। दरअसल, गांधी हत्याकांड को संपूर्ण रुप से समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि का तथ्यात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। इस पुस्तक में गांधी की हत्या से जुड़े एक पूरे काल खंड का बारीकी से अध्ययन किया गया है। आज़ादी के आंदोलन का अंतिम दौर, मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग, सांप्रदायिक दंगे, देश का विनाशकारी विभाजन, लुटे-पिटे शरणार्थियों की समस्या, मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये गांधी का हठ, हिंदुओं के मन में पैदा हुआ उपेक्षा और क्षोभ का भाव, सत्ता और शक्ति के लिए कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व में पड़ी फूट जैसी कई वजहों से गांधी हत्याकांड की पृष्ठभूमि तैयार होती है। गोडसे की चलाई तीन गोलियों की तरह ये सब मुद्दे भी गांधी की हत्या के लिये बराबरी से जिम्मेदार हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब-जब गांधी की हत्या की बात होती हैं तो इन मुद्दों पर चुप्पी साध ली जाती है। कभी इस विषय पर भी गंभीर चर्चा नहीं होती है कि “पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा” ये कहने वाले गांधी ने विभाजन के खिलाफ कोई आमरण अनशन या कोई आंदोलन क्यों नहीं किया? इस पुस्तक में इस मुद्दे पर तथ्यों के साथ चर्चा की गई है। साज़िश की तह तक पहुंचने के लिए पुस्तक के लेखक ने पुलिस की तमाम छोटी-बड़ी जांच रिपोर्ट, केस डायरी, गवाहों के बयान और पूरी अदालती कार्यवाही से जुड़े हज़ारों पन्नों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है। कुल मिलाकर इस पुस्तक को मानक इतिहास लेखन की दृष्टि से देखा जाए तो लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने प्राथमिक स्रोतों का उपयोग बहुत परिश्रम, सावधानी और समझदारी से किया है।
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Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
India In The Shadow of GANDHI and NEHRU (PB)
-10%Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)India In The Shadow of GANDHI and NEHRU (PB)
In the year 1966, Guru Dutt worte a book under the title of ‘Jawaharlal Nehru—a Critical Study’. The book was so controversial that it gave rise to the rumour that it had been proscribed by the Government of India. In 1967 certain newspapers did come out with the news that steps were in progress to proscribe the book and prosecute its author. However, nothing of the kind took place.
The present book is a deep study of the words and deeds of Nehru and Gandhi.
The author has taken great pains in critically studying the activities and philosophies of these two eminent personalities of our country and placing before the reader the other side of the picture. His thesis is based on works of Nehru himself and also on works of other eminent writers of the day. He was referred to more than 200 quotations which support and lead to his logical analysis. How far he succeeded in piercing through the many walls of prejudices which sustain the pet notions about, them it is for the reader to ponder and judge.
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Suggested Books, Vitasta Publishing, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Mahatma Gandhi Aur Unki Mahila Mitr | महात्मा गांधी और उनकी महिला मित्र
Suggested Books, Vitasta Publishing, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणMahatma Gandhi Aur Unki Mahila Mitr | महात्मा गांधी और उनकी महिला मित्र
एल्यानोर मॉर्टोन ने सन् 1954 में एक पुस्तक लिखी थी वीमेन बिहाइंड महात्मा गाधी और उसके बाद से इस विषय में कोई पुस्तक नहीं लिखी गयी । तमाम महिलाओं की निकटता गांधीजी के जीवन में एक आकर्षक अध्याय की तरह है खासकर तब जब हम उनके जीवन का अध्ययन ब्रह्मचर्य के दर्शन के साथ करते हैं । यह कृति एक व्यक्ति के पीछे के व्यक्ति और आत्मकथा के भीतर की आत्मकथा की तरह है ।
एक दर्जन से अधिक महिलाए ऐसी थीं, जो एक या अलगअलग समय मे महात्मा गाधी से निकटता के साथ जुडी हुई थीं । कस्तुरबा से संबंधित आख्यान गांधीजी के जीवन के एक अलग अध्याय की तरह है । लेकिन इन महिलाओं मे गांधीजी ने अपनी माता पुतलीबाई और सर्वज्ञ अर्द्धांगिनी कस्तूरबा का प्रतिरूप देखा । उनमें से छह महिलाएं विदेशी मूल की थीं और एक्? अनिवासी भारतीय । मिली ग्राहम पोलक, निला क्रैम कूक और मीरा बहन जैसी कुछ महिलाएँ उस समय की महिलाओं में बुद्धिजीवी कही जा सकती थीं । वे महिलाए महात्मा गाधी के लिए बेटी बहनें और माताएं थीं । हालाकि सरलादेवी चौधरानी अपवाद की तरह थी । गांधीजी उन्हें अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहा करते थे ।
ब्रह्मचर्य, गांधी और उनकी सहयोगी महिलाएं बहुत ही आकर्षक विषय है । लेखक ने इस विषय पर आठ वर्ष रवे अधिक तक शोध किया है और उसके बाद इसे पुस्तक के रूप मे कलमबद्ध किया है । नवजीवन ट्रस्ट के सहयोग एरे भारत सरकार के सूचना एव प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक कॉलेक्टेड वर्क्स इस सम्पूर्ण काल के लिए उनकी बाइबिल की तरह है, जिसे व्यापक तौर पर इसमें उद्धृत किया गया है ।
गांधीजी के बारे में पढना कभी भी उबाऊ नहीं रहा । वह हमेशा से ही अपूर्वानुमेय अपरम्परागत नवप्रवर्तनशील, दयालु और निष्कपट रहे । चेहरे पर भ्रान्तिकारी मुस्कान मौजूद होने के बावजूद वह शरारती थे । अपने सम्पूर्ण जीवन काल मे उन्हे अपने विचारों का कडू। प्रतिरोध सहना पड़ा था । उनका प्रतिरोध करने वालो मे से ज्यादा उनके करीबी दरबारी ही थे । गांधीजी ने एक्? बार श्रीमती पोलक को कहा था कि उनका (श्रीमती पोलक का) जन्म उनके एवं उनरने जुडी महिला सहयोगिनो के अनुप्रयोग के लिए ही हुआ है । गांधीजी अपनी ही पीड़ा से आंतरिक शांति हासिल करते रहे थे ।
रोमा रौलां ने उन्हें दूसरे ईसा मसीह की संज्ञा दी थी । ठीक ईसा मसीह की तरह ही गाँधीजी की सहनशीलता भी पीडा. मौत और मृतोत्थान का प्रतीक बन गयी । यह पुस्तक गाँधीजी के नजरिये से स्त्रीत्व के तमाम पहलुओ को प्रदर्शित करती है । गांधीजी वैसे इक्कादुक्का लोगों में शुमार है, जिन्होंने खुद को स्वनिर्मित हिजड़ा कहकर सेक्स की विभाजन रेखा समाप्त करने का दुस्साहस किया था ।
गाँधीजी महिलाओं की संगत में हमेशा राहत महसूस करते थे । सभी महिला सहयोगिनी ने उन्हें समान महत्त्व दिया । ब्रह्मचर्य महात्मा गाँधीजी और उनकी महिला मित्र पांच दशक तक गांधीजी और उन महिलाओं के बीच संवाद का विश्वसनीय दस्तावेज है, जो भारतीय सौंदर्य परम्परा में वर्णित सम्पूर्ण रसों से सराबोर थीं ।
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Vitasta Publishing, इतिहास
MAHATMA GANDHI’S LETTERS ON BRAHMACHARYA
Mohandas Karamchand Gandhi was a compulsive letter writer. The most exciting portions of his writings (and responses to those) concern his women associates. Mahatma Gandhi’s Letters on Brahmacharya, Sexuality and Love deals with his cardinal principles of brahmacharya on par with satyagraha.
A definitive work on human relations, celibacy, sexuality and love, the book reads like a confessional on the scale of St Augustin and Rousseau. It deals with controversial experiments in brahmacharya.
There were more than a dozen women who came to be closely associated with Gandhi at one time or the other; that included Millie Polak, Nilla Cram Cook, Mirabehn, Sushila Nayyar and Manu Gandhi. This is his biography as well as the life-stories of all his associates. Not to be mixed are the chapters relating to Sarla Devi, whom he claimed to be his “spiritual wife” and the failed romance of Mirabehn and Prithvi Singh Azad. Also to be found in the Appendix is the exciting story of his association with ‘soul-mate’ Hermann Kallenbach, breaking entirely new grounds. Finally, Gandhi comes out as a contemporary as well as the timeless mahapurush.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Maine Gandhi Ko Kyon Mara
“व्यक्तिगत स्तर पर मेरे और गांधीजी के बीच कोई शत्रुता नहीं थी। वे लोग, जो पाकिस्तान-निर्माण में गांधीजी का अच्छा मकसद होने की बात कहते हैं, मुझे उनसे केवल इतना कहना है कि मैंने गांधी के विरुद्ध, जो इतना बड़ा कदम उठाया, उसमें मेरे हृदय में राष्ट्रहित का शुद्ध हेतु था।
वे ऐसे व्यक्ति थे, जो बहुत सी भयावह घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे, जिनकी परिणति पाकिस्तान निर्मिति में हुई। गांधीजी के विरुद्ध की गई अपनी काररवाई के बाद मैं भविष्य में आने वाले अपने परिणाम को देख सकता था, उन परिणामों की उम्मीद कर सकता था और मुझे एहसास था कि जिस क्षण लोगों को गांधी को मेरे द्वारा गोली मारने की घटना का पता चलेगा, उन सभी का मेरे प्रति दृष्टिकोण बदल जाएगा, फिर चाहे परिस्थितियाँ कोई भी हों।
समाज में लोगों का मेरे प्रति जो सम्मान, रुतबा और सहानुभूति है, वह समाह्रश्वत हो जाएगी, नष्ट हो जाएगी और बचा हुआ मान भी कुचल दिया जाएगा। मुझे पूरा एहसास था कि समाज में मुझे सबसे नीच और घृणित व्यक्ति के रूप में देखा जाएगा। —इसी पुस्तक से
अपने समय के सबसे बड़े नेता गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए विशेष न्यायालय में बहुत विस्तृत बयान दिया, जिसमें उन्होंने क्रमवार वे कारण बताए, जिन्होंने उन्हें इतनी बड़ी घटना की परिणति करने के लिए बाध्य किया।
ये कारण तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक- राजनीतिक परिस्थितियों को भी दर्शाते हैं कि कैसे एक अल्पसंख्यक वर्ग विशेष के दबाव में निर्णय लिये जा रहे थे, जो अंतत: बहुसंख्यकों के उत्पीडऩ और अस्तित्व का कारण बन जाते। इन्हीं से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे ने विश्व के सबसे चर्चित कांड को अंजाम दिया। प्रस्तुत पुस्तक गांधी-हत्याकांड में नाथूराम गोडसे का पक्ष प्रबलता से रखती है।”
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Satya Ke Sath Mere Prayog- Mahatma Gandhi
सत्य के साथ मेरे प्रयोग मैं जो प्रकरण लिखने वाला हूँ, इनमें यदि पाठकों को अभिमान का भास हो, तो उन्हें अवश्य ही समझ लेना चाहिए कि मेरे शोध में खामी है और मेरी झाँकियाँ मृगजल के समान हैं। मेरे समान अनेकों का क्षय चाहे हो, पर सत्य की जय हो। अल्पात्मा को मापने के लिए हम सत्य का गज कभी छोटा न करें।
मैं चाहता हूँ कि मेरे लेखों को कोई प्रमाणभूत न समझे। यही मेरी विनती है। मैं तो सिर्फ यह चाहता हूँ कि उनमें बताए गए प्रयोगों को दृष्टांत रूप मानकर सब अपने-अपने प्रयोग यथाशक्ति और यथामति करें। मुझे विश्वास है कि इस संकुचित क्षेत्र में आत्मकथा के मेरे लेखों से बहुत कुछ मिल सकेगा; क्योंकि कहने योग्य एक भी बात मैं छिपाऊँगा नहीं। मुझे आशा है कि मैं अपने दोषों का खयाल पाठकों को पूरी तरह दे सकूँगा। मुझे सत्य के शास्त्रीय प्रयोगों का वर्णन करना है। मैं कितना भला हूँ, इसका वर्णन करने की मेरी तनिक भी इच्छा नहीं है। जिस गज से स्वयं मैं अपने को मापना चाहता हूँ और जिसका उपयोग हम सबको अपने-अपने विषय में करना चाहिए।
—मोहनदास करमचंद गांधी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग हम सबको अपने आपको आँकने, मापने और अपने विकारों को दूर कर सत्य पर डटे रहने की प्रेरणा देती है।SKU: n/a -
Surya Bharti Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Why I Assassinated Mahatma Gandhi – Nathuram Godse
Surya Bharti Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Why I Assassinated Mahatma Gandhi – Nathuram Godse
Book contains the original statement given by Nathuram Godse (Assassin of Mahatma Gandhi).
Writer is real brother of Nathuram Godse himself and narrates his accounts of all the events and takes us through the day of assassination till the day Nathuram Godse was hanged.
Writer also puts forward crucial accounts of public and political opinions and reactions which were stirred up by assassination itself and also by Nathuram Godse’s official statement to court.SKU: n/a -
English Books, Rupa Publications India, इतिहास
Why I Killed the Mahatma: Understanding Godse’s Defence
English Books, Rupa Publications India, इतिहासWhy I Killed the Mahatma: Understanding Godse’s Defence
It is common knowledge that Mahatma Gandhi was shot dead in 1948 by a Hindu militant, shortly after India had both gained her independence and lost nearly a quarter of her territory to the new state of Pakistan. Lesser known is assassin Nathuram Godse’s motive. Until now, no publication has dealt with this question, except for the naked text of Godse’s own defence speech during his trial. It didn’t save him from the hangman, but still contains substantive arguments against the facile glorification of the Mahatma.
Dr Koenraad Elst compares Godse’s case against Gandhi with criticisms voiced in wider circles, and with historical data known at the time or brought to light since. While the Mahatma was extolled by the Hindu masses, political leaders of divergent persuasions who had had dealings with him were less enthusiastic. Their sobering views would have become the received wisdom about the Mahatma if he hadn’t been martyred. Yet, the author also presents some new considerations in Gandhi’s defence from unexpected quarters
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Surya Bharti Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
गाँधी वध और मैं | Gandhi Vadh Aur Main
-11%Surya Bharti Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)गाँधी वध और मैं | Gandhi Vadh Aur Main
नाथूराम गोडसे
साहित्य दृष्टी से ‘गांधी-वध और मैं’ जीवनी,आत्मकथा तथा संस्मरण विधाओं का संगम हैं। गांधी वध करनेवाले वधक श्रद्धेय नाथूराम गोडसे का जीवन चरित है।लेखक की अपनी आत्म-कथा है।गांधी-वध से संबंधित तथा जेल-जीवन के संस्मरन हैं।इतिहास की दृष्टि से यह पुस्तक कांग्रेस,गांधी और भारत-विभाजन का ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करती हैं इतिहास की सच्चाई को प्रकट करती हैं।भारत में प्रचारित झूठे तथा मनगढंत तथ्यों को उजागर करती हैं।
“गांधी-वध और मैं” राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के भाई और इस षड्यंत्र में शामिल तथा उसके लिए कारावास भोगने वाले गोपाल गोडसे की कलम से उनका पक्ष प्रस्तुत करने वाली पुस्तक है। यह नाथूराम गोडसे की जीवनी भी है, गोपाल गोडसे की आत्मकथा भी है और साथ ही उनके संस्मरण भी। गांधीजी की हत्या से जुड़ी तमाम रोमांचक बातें इस पुस्तक में दी गई हैं, जिन्हें पढ़कर गांधीजी से घृणा भी की जा सकती है और इसे इस रूप में भी देखा जा सकता है कि…प्रार्थना के लिए जाते समय गोडसे की तीन गोलियों ने गांधीजी को नहीं रोका…बल्कि गांधीजी ने ही उन तीन गोलियों को रोका, ताकि वे और न फैलें, किसी और पर न पड़ें और घृणा का उसी क्षण अंत हो जाए!
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