Mahaveer Prasad Shrivastav
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Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Surya Siddhant (2 Volumes)
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सूर्य सिद्धान्त
(1 व 2 भाग, मूल व रंगनाथ की टीका सहित,
उपयोगी संस्करण)
भाष्यकार – श्री महावीरप्रसाद श्रीवास्तव
विश्व को भारत की अप्रतिम देन है गणित। इसमें भी ग्रह-गणित का कोई सानी नहीं। ज्योतिष के मूख्य अंग के रूप में गणित का जो महत्व रहा है, वह सूर्य सिद्धांत से आत्मसात् किया जा सकता है। वर्तमान में सूर्य सिद्धान्त 6 वीं शताब्दी में बहुत प्रमाणिक रूप से गणित के बहुत से सिद्धान्त और अनेक विषयों को सामने लेकर आया है। हालांकि इसका स्वरूप बाद का है।
मय- सूर्य सम्वाद रूप इस ग्रंथ में मध्यमाधिकार, स्पष्टाधिकार, त्रिप्रश्नाधिकार, चन्द्रग्रहणाधिकार, सूर्यग्रहणाधिकार, छेद्यकाधिकार, ग्रहयुत्यधिकार, भग्रहयुत्यधिकार, उदयास्ताधिकार, चन्द्रश्रृंगोन्नत्यधिकार, पाताधिकार, भूगोलाध्यायाधिकार आदि 14 अधिकार ओर 500 श्लोक हैं। यह ग्रन्थ खगोल की अनेक घटनाओं के अध्ययन और अध्यापन के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है और इस पर अनेक टीकाएँ प्रकाशित होती रही हैं।
प्रस्तुत् ग्रंथ की टीका सुप्रसिद्ध गणितज्ञ महावीर प्रसाद श्रीवास्तव ने किया है। इसमें भाष्यकार ने आधुनिक गणित के साथ समन्वय करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है कि इस सिद्धान्त में जो गणित की गहराइयाँ हैं, वो आधुनिक गणित से अलग नहीं हैं। वेधादि में जो मामूली सा अंतर आता है, वह सूक्ष्मता के कारण है किन्तु मौलिक सिद्धान्त नहीं बदलता है।
इसमें रंगनाथ की गूढ़ प्रकाशटीका को भी सम्मलित किया है। यह ग्रंथ विद्यार्थियों ओर शोधार्थियों के लिए परम उपयोगी है। इसे आर्यावर्त संस्कृति संस्थान ने प्रकाशित किया है और मुझे इसकी भूमिका, समीक्षा का अवसर दिया है।
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