Mehrunnisa Parvez
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Zindagi Ka Ganit
“वैशवीकरण एवं बाजारवाद ने हमारी आस्था को सिरे से समाप्त करने का काम किया है । बस हमारे भीतर छोड़ा है तो वस्तुवाद का जहर, जिसके कारण हम मनुष्य से मशीनों में परिवर्तित होते जा रहे हैं । जीवंतता का आभास धीरे-धीरे लुप्त होता चला जा रहा है, जो कि एक अत्यधिक विचारणीय प्रश्न है।
हमें विकास की धारा से अछूता नहीं रहना चाहिए, परंतु विकास की कीमत हम अपने यथार्थ, अपने अस्तित्व के मूल्य से नहीं चुका सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘जीवन का गणित ‘ में इस विकासवादी समाज में बढ़ती जा रही विसंगतियों और धीरे-धीरे हमारी संस्कृति पर गहराते संकट को दिखलाने का प्रयास किया गया है ।
पाठकों के मन में प्रशन आएगा कि इस पुस्तक का नाम ‘ जीवन का गणित ‘ क्यों रखा है ? वैसे तो इस पुस्तक का एक लेख ‘ जीवन के गणित ‘ नाम से प्रकाशित हुआ है, परंतु इस पुस्तक में लेखिका ने अपने जीवन की गुल्लक में से छोटे-बड़े लम्हे समेटे हैं, जो कि वास्तविकता में उनके ही नहीं, इस पुस्तक को पढ़ने वाले हर पाठक को अपने जीवन की घटनाओं से जोड़ेंगे।”
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