PRAKASHAN SANSTHAN
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Hindi Books, Prakashan Sansthan, Suggested Books, अन्य कथेतर साहित्य
Brahmrishi Vansh Vistar (PB)
-15%Hindi Books, Prakashan Sansthan, Suggested Books, अन्य कथेतर साहित्यBrahmrishi Vansh Vistar (PB)
स्वामी सहजानंद सरस्वती बीसवीं सदी के एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी राजनेता थे, जिन्होंने किसानों के संघर्ष को भारत के मुक्ति संघर्ष से जोड़ने का काम किया था। वे अखिल भारतीय किसान सभा के संस्थापक थे। उनकी किसान चेतना के निर्माण में यथार्थवादी विश्वदृष्टि और वैज्ञानिक इतिहास दृष्टि की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी, जिसे उन्होंने मार्क्सवाद के गहरे अध्ययन और किसानों के दुख-दर्द के साथ संवेदनात्मक जुड़ाव के माध्यम से अर्जित किया था। इसके साथ ही वे एक संत और भारतीय समाज, संस्कृति और परंपरा के गहरे अध्येता थे। उन्होंने किसान आंदोलन के प्रति पूर्णतः समर्पित हो जाने के पूर्व, भारत की जातिव्यवस्था और उसकी गतिशीलता का भी गहरा अध्ययन किया था। यह पुस्तक- ‘ब्रह्मर्षि वंश विस्तर’ उसी अध्ययन के क्रम में लिखी गयी कृति है। इसमें उन्होंने ब्राह्मण जाति के सभी ‘फिरकों’ (शाखाओं-उपशाखाओं) की तत्कालीन अवस्था की जानकारी देने के साथ ही अलगाव और जुड़ाव के कारणों पर भी प्रकाश डाला है। हालांकि उनका रुख आलोचनात्मक नहीं है लेकिन अध्ययन इतना विशद है कि यह पुस्तक जातिव्यवस्था का प्रतिपक्ष प्रस्तुत करने में भी सक्षम है। जातिव्यवस्था का लाभ प्रायः सामंत (और अब बदले हुए समय में नवधनाढ्य और पूंजीपति) ही उठाते रहे हैं, लेकिन यह स्वामीजी के अध्ययन और सजगता का ही परिणाम था कि अपने समय में वे किसानों को अपनी जाति के जमींदारों से अलग करने और किसान आंदोलन को नयी धार देने में सफल हुए। भारतीय समाज की आंतरिक गतिशीलता जो प्रायः जातियों के जुड़ाव और अलगाव के माध्यम से रेखांकित होती है, उसको समझने के लिए आज भी यह प्रासंगिक है। प्रकाशन संस्थान (नयी दिल्ली) से उनकी रचनावली आठ खंडों में प्रकाशित है। इनकी अप्रकाशित रचनाएं निम्न हैं।
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