Praveen Adhana
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Ghumantu Janjatiya – Samaj Ka Upekshit Varg
घुमंतू जनजातियाँ – समाज का उपेक्षित वर्ग
प्रस्तुत पुस्तक भारत की घुमंतू जनजातियों के ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं सिनेमापरक विभिन्न आयामों का संकलन है। Ghumantu Janjatiya (Nomadic Tribes)
घुमंतू जनजातियों की चेतना को समर्पित यह पुस्तक घुमंतू जनजातियों के लोक गीत, लोक कथा, लोक नाट्य की परम्परागत संस्कृति का परिचय प्रदान करने वाली हिन्दी में अपनी तरह की एक अनूठी पुस्तक है।
accordingly यह पुस्तक घुमंतू जनजातियों के समकालीन जीवन-संदर्भ तथा भूमण्डलीकृत भारत में उनकी यथार्थ स्थिति को अभिव्यक्ति प्रदान करती है। निसंदेह घुमंतू जनजातीय जीवन में रूचि रखने वाले तथा उनके जीवन पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी सिद्ध होगी।
Ghumantu Janjatiya (Nomadic Tribes)
additionally भारत में जनजातियों की परिकल्पना मुख्य रूप से वृहत भारतीय समाज से उनके भौगोलिक और सामाजिक अलगाव के रूप में की जाती है और इसमें उनके सामाजिक रूपांतरण के चरण को ध्यान में नहीं रखा जाता है। यही वजह है कि सामाजिक रूपांतरण के विभिन्न स्तरों पर समूहों और समुदायों का एक विस्तृत दायरा जनजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया।
also एक पुरानी कहावत है – रमता जोगी, बहता पानी। इनका कहीं ठहराव नहीं होता। चलते या बहते रहना इनकी नियति है, लेकिन हमारे विशाल देश में करोड़ों ऐसे लोग भी हैं, जिनकी नियति भी कुछ ऐसी ही है। एक से दूसरे स्थानों पर भटकते रहना। कभी इस गांव तो कभी उस शहर। इसमें अधिकत्तर लोग विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों से संबंधित है।
आखिर कौन है विमुक्त जनजातियां इसका संक्षिप्त उत्तर यह है कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जिन लोगों ने लोहा लिया था। ब्रिटिश हुकूमत ने उन कट्टर सशस्त्र विद्रोही समुदायों को क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871 के तहत जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया था और भारत सरकार ने आजादी के 5 वर्ष बाद 31 अगस्त 1952 को ब्रिटिश हुकूमत के इस काले कानून क्रिमिनल ट्राईब्स एक्ट से मुक्त कर दिया था, काले के कानून से मुक्त होने के बाद अब वे विमुक्त जनजातियां कहलाती हैं।
specifically यह बहुत ही विचारणीय बिंदु है कि विश्व के लगभग 53 देशों में अंग्रेजों का शासन था, लेकिन क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट केवल भारत में ही क्यों लागू किया गया था। अंग्रेजों द्वारा घोषित की गई अपराधी जनजातियों या विमुक्त जनजातियों (Ex-Criminal Tribes) के बारे में आज भी तथाकथित अभिजात्य वर्ग एवं जन सामान्य की सोच यह है कि यह चोरी-चकारी जैसे आपराधिक कृत्य में संलिप्त जातियां हैं। जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।
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