Raghu Hari Dalmia & Shri Vivek Mishra
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Azadi @ 75 : Krantikariyon Ki Shauryagatha
भारतीय स्वाधीनता संग्राम रूपी यज्ञ में अनेक वीरों ने अपनी आहुति दे दी। वे कठिनतम परिस्थितियों में भी अपनी अंतिम साँस तक लड़ते रहे, किंतु भारतीय इतिहास का यह दुर्भाग्य रहा कि हम कुछ ही वीरों की शौर्यगाथाओं को जनमानस में प्रचारित कर पाए। ‘आजादी ञ्च 75 क्रांतिकारियों की शौर्यगाथा’ पुस्तक संपूर्ण भारतवर्ष के सुने-अनसुने क्रांतिवीरों के जीवनचरित्र पर आधारित है, जो अपने महान् योगदान के बावजूद स्थानीय स्तर पर ही कहीं खोकर रह गए।
इसमें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना से प्रेरित होकर उत्तर से लेकर दक्षिण एवं पूरब से लेकर पश्चिम तक क्रांति की अलख जगानेवाले क्रांतिकारियों को सम्मिलित किया गया है, ताकि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के एक समन्वित एवं समायोजित इतिहास की पृष्ठभूमि जन-मानस तक पहुँच सके।
इस पुस्तक का आधार केवल जानकारियों का एकत्रीकरण व संग्रहण न होकर हमारे शूरवीरों के दर्शन व तत्कालीन परिस्थितियों में उनके द्वारा किए गए धार्मिक, सामाजिक व शैक्षिक आंदोलनों का वर्णन करना है, ताकि हमारी भावी पीढ़ी उनसे प्रेरित होकर वर्तमान मुद्दों का हल निकाल सके और इस प्रकार जाति व्यवस्था रहित, महिला समानता आदि उच्च मानवीय मूल्यों पर आधारित एक ‘नए भारत’ का सृजन कर सके। इसी से भारत को विश्वगुरु के रूप में पुनः प्रतिस्थापित किया जा सकेगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Bharat Ka Ankaha Itihas
“इस पुस्तक में आप पढ़ेंगे एक अहिंसक तानाशाह को, जिसने नियमों को हमेशा ताक पर रखा। कहानी कम्युनिज्म के नशे में चूर एक युवा नेता की, जिसने यहाँ तक कह दिया कि “सोवियत की जेलों में रहना बेहतर है, बजाय भारत की किसी फैक्टरी में काम करने से !” कहानी एक ऐसे संगठन की, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि मान कर भारतीय अस्मिता की रक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहा। साथ ही हम जानेंगे, आखिर कैसे रचा गया खालिस्तान का षड्यंत्र ? कितनी बार हुआ कश्यप की धरती पर उन्हीं के वंशजों का पलायन ? हम बात करेंगे इतिहास के मिथ्याकरण की, जिसमें कपटपूर्ण चालों से झूठ को सच बताया गया।
आप पढ़ेंगे एक ऐसे वीर को, जिसके साहस के आगे समुद्र को भी अपनी रफ्तार धीमी करनी पड़ी और फ्रांस जैसे सशक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति को त्यागपत्र तक देना पड़ा।आज आवश्यकता है इतिहास के पुनरावलोकन की, ताकि हम स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करनेवाले सच्चे वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें एवं उनसे प्रेरणा लेकर भविष्य की चुनौतियों का हल निकालने का प्रयास करते हुए स्वाधीनता की 100वीं वर्षगाँठ पर भारत को एक विश्वगुरु के रूप में प्रतिस्थापित कर सकें |”
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