RAHUL SANSKRITYAYAN BOOKS
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Vani Prakashan, उपन्यास, कहानियां
Shadi
वसन्त के दिन अपनी पूर्ववत् शानो-शौकत से बीत चले। प्रसन्नमुख एवं प्राणदायक वसन्त के सूर्य ने अपना मुँह उघाड़ कर लोगों को अपने आने की सूचना दी। आसमान में काले बादलों की गरज और बिजली की चमक से भी इसकी सूचना मिली। अनेक तरह की चिड़ियों ने अपने मधुर गानों से सब तरफ़ आनन्द और उल्लास फैलाया, जो कि रंग-बिरंगे परोंवाली अपनी पोशाकें पहने दूर-दूर से आकर कू-कू, चः-चः, चिक्-चिक् करती कानों को तृप्त कर रही थीं। बादाम के दरख्तों में फूले हुए सफ़ेद फूल कपास के फूलों से होड़ ले रहे थे कि कौन अधिक उज्वल है। ज़मीन में सब जगह हरियाली की नर्म मखमल बिछी हुई थी। अब खेती का काम शुरू हुआ, जिसमें कलखोजची अपने जोशो-खरोश को बड़ी उमंग से दिखला रहे थे।… मार्च के आरम्भ का यह दिन बहुत ही साफ़ और सुन्दर था। आसमान मानो चुने हुए कपासों के लम्बे-चौड़े खेतों पर से, एक खलिहान से दूसरे खलिहान तक फैला था; और कपास के सफ़ेद ढेरों की तरह सफ़ेद बादलों के झुरमुट में से कभी छिपता कभी प्रकट दिखाई पड़ता था। फूलों की खुशबू से सुगन्धित और चिड़ियों की चहचहाहट से गुंजायमान वह वातावरण दिल को सन्तुष्ट करनेवाला था। शादी के कमरे की खिड़की के बाहरवाले फूल हरे पत्तों से लदे, आँखों को बहुत सुन्दर मालूम हो रहे थे, जिनमें नयी कलियाँ सिर उठाये खड़ी थीं। जिनके ऊपर रात की ओस की बूंदें मोती की तरह चमकती हुई गुलाब की पंखुड़ियों पर गुलाबी दीखती थीं। खिड़की खुली हुई थी, फूल से भरा हुआ गुलदस्ता खिड़की के पास रखा हुआ था, मधुमक्खियाँ बारी-बारी। से बैठकर मधसंचय कर रही थीं। दूर किसी खेत में से। ट्रैक्टर की घरघराहट सुनाई दे रही थी!
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