Rajendra Tyagi
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Veetraag: A Novel Based On The Philosophy Of Life
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Veetraag: A Novel Based On The Philosophy Of Life
“वस्तुतः गीता एक महान् आध्यात्मिक ग्रंथ है। कृष्ण जैसा आध्यात्मिक विज्ञानी (Psychologist) न पूर्व में में कभी था, न अभी तक हुआ है। गीता अर्जुन के विषाद अर्थात् मन से प्रारंभ होती है और अध्यात्म की पराकाष्ठा पर जाकर पूर्ण होती है।
प्रस्तुत उपन्यास में एक ऐसे सांसारिक मनुष्य की कथा है, जिसका मन कामनाओं से अत्यंत ग्रसित है। इतना ही नहीं, उसकी कामना-प्रवृत्ति वासना में परिवर्तित हो चुकी है। अति कामनाओं से ग्रस्त व्यक्ति जीवन में शांति प्राप्त करने में असमर्थ रहता है। उपन्यास का पात्र शिवानंद ऐसे ही सांसारिक जीव का प्रतिनिधित्व करता है। शिवानंद शांति की खोज में आश्रम-आश्रम भटकता है, किंतु उसे कहीं शांति प्राप्त नहीं होती है।
शिवानंद के अतिरिक्त इस उपन्यास में दो और प्रमुख पात्र हैं। एक है- कृष्णभक्त विदुषी प्रियंवदा । प्रियंवदा भक्तियोग की प्रवक्ता है। तीसरा प्रमुख पात्र कर्मयोगी विराज उर्फ विरागी एक नाविक है, जो कर्मयोग का जीवंत हस्ताक्षर है। तीनों पात्रों की कहानी एक-दूसरे के साथ संयुक्त होकर साथ-साथ चलती है। कथा रूप में सांसारिक और आध्यात्मिक अभिवृत्तियों का तुलनात्मक वृत्तांत उपन्यास को रोचक बनाता है।”
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