Rajpal Publication Books
Showing 1–24 of 142 results
-
Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Aapko Apne Jeevan Mein Kya Karna Hai
क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो? क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है? व्यक्ति और समाज की समस्याओं जैसे कि गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा के बारे में आपकी क्या सोच है? अपने माता-पिता और शिक्षकों के साथ आपके संबंध की बुनियाद क्या है? आज्ञापालन? विद्रोह?…या फिर समझ? प्रेम और विवाह के प्रति आपका नज़रिया क्या है? ऊब, ईष्र्या, किसी के बर्ताव से चोट पहुंचना, मज़ा कायम रखने की चाह, डर और दुख-अपने जीवन के इन सवालों से आप किस तरह दो-चार होते हैं? क्या हो सकता है मनुष्य के जीवन का उद्देश्य? मृत्यु, ध्यान, धर्म और ईश्वर के बारे में आपका क्या रुख है? जीवन से जुड़े इन जीवंत प्रश्नों का गहन अन्वेषण जे. कृष्णमूर्ति का बीसवीं सदी के मनोवैज्ञानिक व शैक्षिक विचार में मौलिक तथा प्रामाणिक योगदान है। विश्व के विभिन्न भागों में कृष्णमूर्ति जब युवावर्ग को संबोधित करते थे, उनसे वार्तालाप करते थे, तो वह उन्हें कोई फलसफा नहीं सिखा रहे होते थे, वह तो जीवन को सीधे-सीधे देख पाने की कला के बारे में चर्चा कर रहे होते थे-और वह उनसे बात करते थे एक मित्र की तरह, किसी गुरु या किन्हीं मसलों के विशेषज्ञों के तौर पर नहीं। ‘आपको अपने जीवन में क्या करना है?’ कृष्णमूर्ति की विभिन्न पुस्तकों से संकलित अपने प्रकार का पहला संग्रह है, जिसमें विशेषकर युवावर्ग को शिक्षा तथा जीवन के विषय में कृष्णमूर्ति की विशद दृष्टि का व्यवस्थित एवम् क्रमबद्ध परिचय प्राप्त होता है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Aatank
सुपरिचित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक युग के सशक्त कथाकारों में की जाती है। सामाजिक उपन्यासों के अतिरिक्त उन्होंने धार्मिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को लेकर अनेक उपन्यासों की रचना की है जो अत्यन्त लोकप्रिय हुए हैं। प्रस्तुत उपन्यास आतंक उनका एक सफल उपन्यास है जिसमें उन्होंने आधुनिक समाज में चारों ओर बढ़ती अव्यवस्था, बिखराव और असुरक्षा का सशक्त चित्रण किया है। यह आदि से अंत तक रोचक और पठनीय है। नरेन्द्र कोहली की अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं-साथ सहा गया दुख, अभिज्ञान, जंगल, सबसे बड़ा सत्य और हत्यारे।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां
Aatmika
महीयसी महादेवी की संपूर्ण काव्य-यात्रा न सिर्फ़ आधुनिक हिन्दी कविता का इतिहास बनने की साक्षी है, भारतीय मनीषा की महिमा का भी वह जीवन्त प्रतीक हैं। उनकी कविताएं हिन्दी साहित्य की एक सार्थक कालजयी उपलब्धि हैं। छायावाद की इस कवयित्री की हिन्दी साहित्य में अपनी एक अनूठी पहचान है। महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल इंदौर में हुई। 22 वर्ष की उम्र में महादेवी जी बौद्ध-दीक्षा लेकर भिक्षुणी बनना चाहती थीं लेकिन महात्मा गांधी से संपर्क होने के बाद अपना निर्णय बदलकर वह समाज सेवा में लग गईं। नारी-शिक्षा प्रसार के उद्देश्य से उन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की और प्रधानाचार्य के पद की बागडोर संभाली। महादेवी जी की पहचान एक उच्च कोटि की हिन्दी कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षा-शास्त्री और महिला ‘एक्टिविस्ट’ की थी। उन्हें 1969 में साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप, 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1988 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। ‘आत्मिका’ में संग्रहीत कविताओं के बारे में स्वयं महादेवी ने यह स्वीकार किया है, ‘‘इसमें मेरी ऐसी रचनाएँ संग्रहीत हैं जो मेरी जीवन-दृष्टि, दर्शन, सौन्दर्यबोध और काव्य-दृष्टि का परिचय दे सकेंगी।’’
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Abhigyaan
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से अलंकृत नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद के हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पौराणिक कथानकों पर अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। ‘अभिज्ञान’ के कथानक की रचना गीता में वर्णित कृष्ण के कर्म-सिद्धान्त की आधार भूमि है। लेकिन यह उपन्यास कर्म-सिद्धान्त की पुष्टि के लिए नहीं, उसे समझाने के लिए है, जिससे साधारण मनुष्य भी अपने जीवन में इसका पालन कर सकता है। एक सांस्कृतिक उपन्यास जो प्राचीन और आज की शिक्षा-प्रणाली, गुरु-शिष्य परंपरा की अंतर्कथा भी है। तोड़ो कारा तोड़ो, वसुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, आतंक और वरुणपुत्री उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां
Adventures of Rusty
रस्टी की कहानी-किस्से अनेक वर्षों से पाठकों का भरपूर मनोरंजन करते आ रहे हैं। लोकप्रिय लेखक रस्किन बाॅन्ड के पात्र रस्टी में काफ़ी हद तक लेखक की अपनी छवि की झलक मिलती है। जैसे रस्किन बाॅन्ड का बचपन देहरादून की हरी-भरी वादियों में बीता, उसी तरह रस्टी भी देहरादून में बड़ा होता है। रस्टी के अनेक दोस्तए उसके आसपास के लोग, उसके स्कूल के किस्से, जंगलों में पाए जानेवाले जानवर-इन सबकी रोचक कहानियाँ इस पुस्तक में मिलती हैं। कहानी कहने का रस्किन बाॅन्ड का अपना एक अलग ही लहज़ा है। रस्टी और उसकी जि़न्दगी की ये मजे़दार, चुलबुली कहानियाँ पाठक का मन अवश्य जीत लेंगी।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Agnigarbha
प्रेमचन्द के बाद विश्व प्रसिद्ध श्रेष्ठ उपन्यासकारों में श्री अमृतलाल नागर का एक विशिष्ट स्थान है। उनके अन्य उपन्यास ‘मानस का हंस’, ‘खंजन नयन’, ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’, ‘बूंद और समुद्र’, ‘बिखरे तिनके’, ‘सेठ बांकेमल’, ‘भूख’, ‘सात घूंघट वाला मुखड़ा’ तथा ‘अमृत और विष’ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि हैं, जिनमें मानव-जीवन की सजीव अभिव्यक्ति अत्यन्त रोचक शैली में हुई है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Agyatvaas
2011 में ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, 2008 में ‘व्यास सम्मान’ और 1969 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित श्रीलाल शुक्ल की यह कृति हिन्दी का श्रेष्ठ उपन्यास है। इसका कथानक और शैली लेखक की रचनाशीलता और जीवन्तता का उत्तम उदाहरण है। प्रत्येक पात्र अपना अलग-अलग व्यक्तित्व रखता है और जीवन के विभिन्न आयामों का प्रतिनिधित्व करता है। उत्तर प्रदेश के एक अंचल विशेष का इसमें मोहक चित्रण हुआ है। ‘अज्ञातवास’ में मनुष्य की अपने आपको खोजने की कहानी प्रतीकात्मक रूप में कही गयी है। 2008 में उनके साहित्यिक योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से नवाज़ा।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां
Agyeya Ki Sampurna Kahaniyaan
‘‘मेरी कहानियां नयी हैं या पुरानी, इस चर्चा में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। हर साहित्य धीरे या जल्दी पुराना पड़ता है, कुछ पुराना पड़ कर फिर नया भी होता है, इस बारे में कुछ पहले भी कह चुका हूं। नयी-पुरानी की काल-सापेक्ष चर्चा में कहानी को उसके काल की अन्य कहानियों के संदर्भ में देखना चाहिए। उस समय वह कितनी नयी या पुरानी, पारंपरिक या प्रयोगशील थे…इससे आगे इतना-भर जोड़ना काफी है कि मैंने प्रयोग किये तो शिल्प के भी किये, भाषा के भी किये, रूपाकार के भी किये, वस्तुचयन के भी किये, काल की संरचना को लेकर भी किये लेकिन शब्द-मात्रा की व्यंजकता और सूचकता की एकान्त उपेक्षा कभी नहीं की।’’ – पुस्तक की भूमिका से 1978 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित हीरानन्द सच्चिदानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (7 मार्च 1911 – 4 अप्रैल 1987) बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे। उन्होंने कहानी, उपन्यास, कविता और आलोचना, सभी विधाओं में लिखा। उनकी विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने लेखन में कई नये प्रयोग किये और इसी के लिए उन्हें जाना जाता है। लेखक के अतिरिक्त लम्बे अरसे तक वे नवभारत टाइम्स के सम्पादक भी रहे। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका सप्तक और दिनमान की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त अमेरिका, जर्मनी और भारत के कई विश्वविद्यालयों में उन्होंने अध्यापन का कार्य भी किया। 19 वर्ष की उम्र में वे भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े और दिल्ली कांस्परेंसी केस में गिरफ्तार किये गये। उन्हें तीन साल दिल्ली और मुल्तान की जेल में कैद रखा गया। कारावास के दौरान लिखी 18 कहानियों सहित उनकी 67 कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां
Ajab Gazab Meri Duniya
अजब-गजब मेरी दुनिया के चहेते लेखक रस्किन बॉन्ड अपनी पैनी नज़र और व्यंग्य की स्याही में डूबी कलम से आस-पास की जगहों, लोगों, जीव-जन्तुओं, दूर-पास के कुछ सिरफिरे रिश्तेदारों, यहाँ तक कि अपने साथ भी समय-असमय घटित अद्भुत घटनाओं को चटखारे ले-लेकर वर्णित करते हैं। इस पुस्तक में उनकी यह अनूठी बयानबाजी कभी पाठक को अचंभित करती है, कभी गुदगुदाती है तो कभी हँसी से लोट-पोट करती है। साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – उड़ान, रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, दिल्ली अब दूर नहीं, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, पैन्थर्स मून और अंधेरे में एक चेहरा ।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Ambadker Yugpurush
महात्मा बुद्ध के बाद यदि किसी महापुरूष ने धर्म, समाज, राजनीति और अर्थ के धरातल पर सामाजिक क्रांति से साक्षात्कार कराने की सार्थक कोशिश की तो वह थे-डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर। सूर्य-सा उनका तेजस्वी चरित्र, चंद्र-सा सम्मोहक व्यवहार, ऋषियों-सा गहन गम्भीर ग्यान, संतो-सा उत्सर्ग-बल और शांत स्वभाव उनके चरित्र के विभिन्न पहलू थे। उन्होंने अपना सारा जीवन समाज के उपेक्षित, दलित, शोषित और निर्बल वर्गों को उन्नत करने में लगा दिया था।
सच्ची घटनाओं पर आधारित, यह जीवनीपरक उपन्यास वर्तमान पीढ़ी को निराशा और दिशाहीन की स्थिति से ऊपर उठाकर एक जीवंत चेतन धारा से जोड़ने की दिशा में विशेष भूमिका निभाएगा।
‘युगपुरुष अंबेडकर’ के लेखक राजेन्द्र मोहन भटनागर हिंदी के सुपरिचित और सुप्रतिष्ठित लेखक हैं। अनेक महान पुरुषों की जीवनियां प्रस्तुत कर वे जीवनी-विधा को भी समृद्ध करते रहे हैं। यह उनकी विशिष्ट कृति है।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Rajpal and Sons
An Ban | अन बन
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ, धर्मपुत्र और सोना और खून जैसे हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन की यह पुस्तक वैवाहिक जीवन में यौन-संबंधों के विषय पर केंद्रित है। विवाह के बाद दंपति दो अलग-अलग रिश्तों में बंध जाते हैं; एक रिश्ता पति-पत्नी का जो पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर आधारित है, और दूसरा रिश्ता स्त्री-पुरुष का जिसका आधार है यौन संबंध। वैवाहिक जीवन में कभी-कभी यौन संबंधी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं जिनको यदि समय से न सुलझाया जाए तो वे एक नासूर बन जाती हैं जिससे शादी के मधुर मिलन में निराशा और दूरी आ जाती है। यदि आप अपने वैवाहिक जीवन में यौन सुख का भरपूर आनंद चाहते हैं या फिर किसी यौन-संबंधी समस्या से परेशान हैं तो यह पुस्तक आपके लिए मार्गदर्शक हो सकती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री साहित्यिक लेखक होने के साथ एक आयुर्वेद चिकित्सक भी थे। जैसे-जैसे उनकी पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ती गई, उन्होंने अपना पूरा समय लेखन में देना शुरू किया, पर आयुर्वेद में उनकी रुचि बराबर बनी रही। यह पुस्तक उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा के दौरान मरीज़ों की चिकित्सा के अनुभवों पर आधारित है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां
Andhere Mein Ek Chehra
रस्किन बाॅन्ड ने एक बार कहा था कि वे भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करते लेकिन उनको हर समय, हर जगह भूत नज़र आते -जंगल में, सिनेमा के बाहर भीड़ में और बार में। पिछले पाँच दशकों में लिखी उनकी सभी अलौकिक कहानियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। पहली कहानी शिमला के बाहर चीड़ के जंगल की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। आखिरी कहानी उजाड़ कब्रिस्तान पर आधारित है। कहानियों में बन्दरों का झुंड है, जंगली कुत्तों का समूह है, भूत-प्रेत और चुड़ैलों के अलावा मशहूर अंग्रेज़ी लेखक रुडयार्ड किपलिंग का भूत भी शामिल है जिससे लेखक की मुलाकात लंदन में होती है। अँधेरी रात, पूरा चाँद और साथ में यह पुस्तक- भरपूर मसाला है आपके आनन्द और रोमांच के लिए। साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित रस्किन बाॅन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं -उड़ान, रूम ऑन द रूफ, वे आवारा दिन, दिल्ली अब दूर नहीं, ऐडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली और पैन्थर्स मून ।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Aur Panchhi Ud Gaya
यशस्वी साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा…साथ ही पूरी एक सदी के साहित्यिक जीवन तथा समाज और देश का चारों ओर दृष्टि डालता आईना और दस्तावेज़। विष्णु प्रभाकर अपने सुदीर्घ जीवन में साहित्य के अतिरिक्त सामाजिक नवोदय तथा स्वतंत्रता-संग्राम से भी पूरी अंतरंगता से जुड़े रहे-रंगमंच, रेडियो तथा दूरदर्शन सभी में वे आरंभ से ही सक्रिय रहे। शरत्चन्द्र चटर्जी के जीवन पर लिखी उनकी बहुप्रशंसित कृति ‘आवारा मसीहा’ की तरह यह भी अपने ढंग की विशिष्ट रचना है। यह आत्मकथा तीन खंडों में प्रकाशित है : पंखहीन (प्रथम खंड), मुक्त गगन में (द्वितीय खंड), और पंछी उड़ गया (तृतीय खंड)
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Awara Masiha
मूल हिन्दी में प्रकाशन के समय से ‘आवारा मसीहा’ तथा उसके लेखक विष्णु प्रभाकर न केवल अनेक पुरस्कारों तथा सम्मानों से विभूषित किए जा चुके हैं, अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद प्रकाशित हो चुका है और हो रहा है। ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ तथा ‘पाब्लो नेरूदा सम्मान’ के अतिरिक्त बंग साहित्य सम्मेलन तथा कलकत्ता की शरत् समिति द्वारा प्रदत्त ‘शरत् मेडल’, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, महाराष्ट्र तथा हरियाणा की साहित्य अकादमियों और अन्य संस्थाओं द्वारा उन्हें हार्दिक सम्मान प्राप्त हुए हैं। अंग्रेज़ी, बंगला, मलयालम, पंजाबी, सिन्धी और उर्दू में इसके अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं तथा तेलुगु, गुजराती आदि भाषाओं में प्रकाशित हो रहे हैं। शरतचन्द्र भारत के सर्वप्रिय उपन्यासकार थे जिनका साहित्य भाषा की सभी सीमाएँ लाँघकर सच्चे मायनों में अखिल भारतीय हो गया। उन्हें बंगाल में जितनी ख्याति और लोकप्रियता मिली, उतनी ही हिन्दी में तथा गुजराती, मलयालम तथा अन्य भाषाओं में भी मिली। उनकी रचनाएं तथा रचनाओं के पात्र देश-भर की जनता के मानो जीवन के अंग बन गए। इन रचनाओं और पात्रों की विशिष्टता के कारण लेखक के अपने जीवन में भी पाठक की अपार रुचि उत्पन्न हुई परन्तु अब तक कोई भी ऐसी सर्वांगसम्पूर्ण कृति नहीं आई थी जो इस विषय पर सही और अधिकृत प्रकाश डाल सके। इस पुस्तक में शरत् के जीवन से संबंधित अन्तरंग और दुर्लभ चित्रों के सोलह पृष्ठ भी हैं जिनसे इसकी उपयोगिता और बढ़ गई है। बंगला में भी यद्यपि शरत् के जीवन पर, उसके विभिन्न पक्षों पर बीसियों छोटी-बड़ी कृतियां प्रकाशित हुईं, परन्तु ऐसी समग्र रचना कोई भी प्रकाशित नहीं हुई थी। यह गौरव पहली बार हिन्दी में लिखी इस कृति को प्राप्त हुआ है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Azadi Ki Khoj
आज़ादी इन्सान का सबसे बड़ा सपना रही है। लेकिन आज़ादी के मायने क्या हैं? आज़ादी और ज़िम्मेदारी का सह-संबंध क्या है? जो कुछ हमने जाना है, अनुभव किया है, जो धारणाएं हमने संजो रखी हैं, जो शास्त्र-प्रमाण हमने अपने भीतर गढ़ लिए हैं, क्या उस सबसे आज़ाद हुए बिना सृजन संभव है? ‘आज़ादी की खोज’ इन्हीं प्रश्नों की व्यापक विमर्श-यात्रा है। जे. कृष्णमूर्ति आज़ादी की अर्थवत्ता को नए आयाम देते हैं, और उसे हमारे दैनिक जीवन से जोड़ देते हैं। तब यह यात्रा केवल बुद्धिविलास बन कर नहीं रह जाती, प्रायोगिक धर्म बन जाती है जिसे हर कदम पर आज़माया जा सकता है, आज़माया जाना चाहिए।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां
Badi Begum | बड़ी बेगम
आचार्य चतुरसेन हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने सैकड़ों कहानियाँ और कई चर्चित उपन्यास लिखे हैं। उनका रचनात्मक फलक बहुत विशाल था जिसमें उन्होंने धर्म, राजनीति, समाजशास्त्र, स्वास्थ्य और चिकित्सा आदि विषयों पर लिखा। उनकी 150 से अधिक प्रकाशित रचनाएँ हैं जो अपने में एक कीर्तिमान है। ऐतिहासिक उपन्यासों के लेखक के रूप में उनकी विशेष प्रतिष्ठा है। बड़ी बेगम की कई कहानियों में भी मुगलकाल के इतिहास की झलक मिलती है। उनकी पहली कहानी ‘सच्चा गहना’, जो इस पुस्तक में भी सम्मिलित है, उस समय की लोकप्रिय मासिक पत्रिका गृहलक्ष्मी में 1917-1918 में प्रकाशित हुई थी। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और भाषा पर पकड़ उनके लेखन को विशेष पहचान देती है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां, बाल साहित्य
Bandar Bant
लोकप्रिय हिन्दी फिल्म अभिनेता अभिषेक बच्चन के पाँचवें जन्मदिन पर उनके दादा प्रसिद्ध हिन्दी कवि हरिवंशराय बच्चन ने ये कविताएँ और एक छोटा-सा नाटक लिखा था जो कि इस पुस्तक में सम्मिलित है। कवि के रूप में बच्चन जी की हिन्दी साहित्य जगत में अपनी एक पहचान है। उनकी कविताएँ, चाहे बड़ों के लिए हों या फिर बच्चों के लिए, मन को छू जाती हैं।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां
Bargad Ke Ped Tale
बरगद के पेड़ तले भारत के श्रेष्ठ कहानीकार आर.के. नारायण के प्रिय काल्पनिक शहर, मालगुडी, की अमूल्य धरोहर में एक अनूठे नग की तरह है जिसमें सौदागर, भिखारी, साधु-सन्त, अध्यापक, चरवाहे, ठग जैसे अलग-अलग चरित्रों की दिलचस्प कहानियाँ हंै। कहीं तो है एक विद्रोही नवयुवक जो पैतृक मन्दिर में अपने माता-पिता की ली गई प्रतिज्ञा का पालन करने से साफ इनकार कर देता है, तो वहीं सीधा-सादा दुकानदार एक अजनबी की मनमोहक बातों में आकर दिवालिया हो जाता है, और एक छोटा-सा लड़का अपना साहस दिखाने के लिए रात को अकेले ही चोर को पकड़ दिखाता है। ऐसी ही अट्ठाईस रोचक कहानियाँ हैं बरगद के पेड़ तले में। कहानीकार आर.के. नारायण शब्दों के जादूगर थे जो अपने शब्दों के मायाजाल और जीवन्त चित्राण से पाठकों को मोह लेते हैं। कहानी का विषय कैसा भी हो, पात्रा कितना भी क्रूर क्यों न हो, परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो, लेकिन आर.के. नारायण की शालीन कलम हर स्थिति को मानवीय नजरिये से पेश करती है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Basere Se Door
प्रख्यात हिन्दी कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ की आत्मकथा का पहला खंड, ‘‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’’, जब 1969 में प्रकाशित हुआ तब हिन्दी साहित्य में मानो हलचल-सी मच गई। यह हलचल 1935 में प्रकाशित ‘‘मधुशाला’’ से किसी भी प्रकार कम नहीं थी। अनेक समकालीन लेखकों ने इसे हिन्दी के इतिहास की ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में इतनी बेबाक़ी से सब कुछ कह देने का साहस किसी ने दिखाया। इसके बाद आत्मकथा के आगामी खंडों की बेताबी से प्रतीक्षा की जाने लगी और उन सभी का ज़ोरदार स्वागत होता रहा। प्रथम खंड ‘‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’’ के बाद ‘‘नीड़ का निर्माण फिर’’, ‘‘बसेरे से दूर’’ और ‘‘‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक’’ लगभग पंद्रह वर्षों में इसके चार खंड प्रकाशित हुए। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Bhookh
‘‘हिन्दुस्तान पर महायुद्ध की परछाईं पड़ने लगी। हर शख्स के दिल से ब्रिटिश सरकार का विश्वास उठ गया। यथाशक्ति लोगों ने चावल जमा करना शुरू किया। रईसों ने बरसों के लिए खाने का इन्तज़ाम कर लिया। मध्यवर्गीय नौकरीपेशा गृहस्थों ने अपनी शक्ति के अनुसार दो-तीन महीने से लेकर छः महीने तक की खुराक जमा कर ली। खेतिहर मज़दूर भीख माँगने पर मजबूर हुआ। भूख ने मेहनत-मज़दूरी करनेवाले ईमानदार इन्सानों को खूँखार लुटेरा बना दिया। भूख ने सतियों को वेश्या बनने पर मजबूर किया। मौत का डर बढ़ने लगा। और एक दिन चिर आशंकित, चिर प्रत्याशित मृत्यु, भूख को दूर करने के समस्त साधनों के रहते हुए भी, भूखे मानव को अपना आहार बनाने लगी…’’-इस पुस्तक में से। अमृतलाल नागर उन्नीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य के महत्त्वपूर्ण लेखक थे, जिन्हें अक्सर प्रेमचंद का साहित्यिक वारिस माना जाता है। उनके लेखन की विशेषता थी यादगार चरित्रों का सृजन, जो पुस्तक पढ़ने के बाद भी देर तक पाठक के दिलो-दिमाग पर अपना प्रभाव छोड़ते थे। बहुआयामी प्रतिभा वाले नागर जी ने 74 वर्ष के जीवन काल में सभी विधाओं पर लिखा जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, संस्मरण और बच्चों के लिए कई रोचक पुस्तकें हैं। 1967 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1981 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। उनके उपन्यास मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल और खंजन नयन हिन्दी साहित्य में मील के पत्थर साबित हुए।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Chanakya Aur Chandragupt
चाणक्य और चन्द्रगुप्त ऐसे नाम हैं जिनके बिना भारतीय इतिहास और राजनीति का वर्णन अधूरा है। भारत में तो चाणक्य नीति को ही वास्तविक राजनीति माना जाता है और मगध नरेश के महामंत्री कौटिल्य की कूटनीति जगप्रसिद्ध है। चाणक्य ने मगध के राजदरबार में हुए अपमान के कारण नंदवंश का समूल नाश करने की प्रतिज्ञा की, और षड्यंत्र रच कर मगध नरेश धनानन्द एवं उसके आठ पुत्रों की हत्या कराने के पश्चात चन्द्रगुप्त को पाटलिपुत्र के सिंहासन पर विराजमान करा दिया। हरिनारायण आप्टे ने अपने इस उपन्यास में इतिहास के इस काल का दर्शन कराते हुए चाणक्य और चन्द्रगुप्त के बारे में कई ऐसे तथ्य प्रस्तुत किये हैं जिनसे इस पुस्तक की रोचकता बढ़ी है।
SKU: n/a