Rajpal Singh
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Prabhat Prakashan, इतिहास
DWITEEYA VISHWA YUDDHA
द्वितीय विश्वयुद्ध सन् 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग 70 देशों की थल, जल, वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं और विश्व दो भागों में बँटा हुआ था—मित्र राष्ट्र और धरी राष्ट्र। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह मानव इतिहास का सबसे घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ लोग मारे गए। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर, 1939 को हुई मानी जाती है, जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया।
सन् 1944 और 1945 के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशांत के कई द्वीपों में अपना कब्जा बना लिया। अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिराए—हिरोशिमा और नागासाकी की मर्मांतक घटना को विश्व शायद ही कभी भूल पाए। इसके साथ ही 15 अगस्त, 1945 को एशिया में भी द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया।
युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि विश्वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें।
मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास
Pratham Vishwa Yuddha
औद्योगिक क्रांति के कारण सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश चाहते थे, जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें तथा मशीनों से बनाई हुई वस्तुएँ बेच सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सैनिक शक्ति बढ़ाई गई और गुप्त कूटनीतिक संधियाँ की गईं। इससे राष्ट्रों में अविश्वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया। ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्क ड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रारंभ में जर्मनी की जीत हुई। 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाजों को डुबोया। इससे अमरीका ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा, किंतु रूसी क्रांति के कारण रूस महायुद्ध से अलग हो गया। सन् 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका ने जर्मनी आदि राष्ट्रों को पराजित किया। जर्मनी और ऑस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवंबर, 1918 को युद्ध की समाप्ति हुई।
युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि विश्वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें। मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।SKU: n/a