RG Raj. History & Cul...
Showing the single result
-
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rajasthan Itihas Ke Kalidas Dr. Narayan Singh Bhati
-15%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणRajasthan Itihas Ke Kalidas Dr. Narayan Singh Bhati
राजस्थान इतिहास के कालिदास “डॉ. नारायण सिंह भाटी”
संसार में ऐसे बिरले ही व्यक्ति होते हैं जो साहित्य, इतिहास एवं संस्कृति को उजागर करने के क्षेत्र में विशिष्ट कर्म करके अपना नाम अमर कर चले जाते हैं। ऐसे ही महान् पुरुषों में स्वर्गीय डाॅ. नारायण सिंह जी भाटी का नाम लिया जा सकता है। Rajasthan Itihas Narayan Singh
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डाॅ. नारायण सिंह जी भाटी न केवल कवि एवं साहित्यकार बल्कि इतिहास चिन्तक भी थे। वे हमेशा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के साथ-साथ इतिहास के बारे में भी सोचते रहते थे। उनका कहना था कि राजस्थान के समूचे इतिहास को कैसे प्रकाश में लाया जाए। यही कारण है कि ‘परम्परा’ शोध पत्रिका के विविध अंकों में उनका इतिहास बोध झलकता है। उन्होंने इतिहास के मौलिक स्रोतों को ‘परम्परा’ के माध्यम से प्रकाशित किया। इसके लिए डाॅ. भाटी ने ख्यात, बात, विगत, रुक्कों-परवानों, डिंगल गीतों, वेलि, झमाल, दवावेत आदि राजस्थानी साहित्य की विधाओं को चुना। उन्होंने समूचे राजस्थान में हस्तलिखित ग्रंथों का सर्वेक्षण करवाकर इतिहास जगत् को शोध के लिए नई सामग्री उपलब्ध करवाई।
इसी तरह डाॅ. भाटी ने ‘महाराजा मानसिंह री ख्यात’, ‘महाराजा तख्तसिंह री ख्यात’ एवं ‘मारवाड़ रा परगनां नी विगत’ का सम्पादन कर राजस्थान के नव इतिहास लेखन का मार्ग प्रशस्त किया। डाॅ. नारायणसिंह जी भाटी द्वारा सम्पादित ‘परम्परा’ के विशेषांकों, ख्यातों एवं विगत का इतिहास जगत् में उपयोग हुआ है, हो रहा है और चिरकाल तक होता रहेगा।
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक डाॅ. सद्दीक मोहम्मद ने डाॅ. भाटी के इतिहास बोध को प्रकाश में लाने का भरसक प्रयास किया है, यही डाॅ. भाटी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। Rajasthan Itihas Narayan Singh
SKU: n/a