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Akshaya Prakashan, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Dhammapad
Akshaya Prakashan, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांDhammapad
धम्मपद’ ग्रंथ को पाठकों के समक्ष लाने का मेरा अभिप्राय इस ग्रंथ की शिक्षा से पाठकों को लाभान्वित कराना है-
यथागारं सुच्छन्नं, वुट्ठि न समतिविज्झति।
एवं सुभावितं चित्तं, रागो न समतिविज्झति।।
जैसे ठीक से छाए घर में वर्षा जल नहीं घुसता, ठीक वैसे ही ध्यान भावना से चित्त में विकार नहीं घुसता। इसी प्रकार
देश की सुव्यवस्था से नैतिकता और राष्ट्रीयता का उत्थान होता है जैसे गाथा में ध्यान भावना का उदाहरण देकर कहा है
वैसे ही सुव्यवस्थित देश्SKU: n/a