Sadhana Shivir
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Osho Media International, ओशो साहित्य
DHYAN KE KAMAL
प्रस्तुत पुस्तक के प्रवचनों के माध्यम से हम ध्यान की जिस भावदशा में प्रविष्ट हो सकते हैं उसकी पूर्व तैयारी के लिए ओशो हमें ध्यान के कुछ ऐसे प्रयोगों में उतारते हैं जिन्हें करने के पश्चात हम विश्रांति की झील बन जाते हैं और प्रतीक्षा करते हैं चेतना के कमल के खिलने की। कहीं पर ओशो ने समर्पण के लिए भी संकल्प के प्रयोग की चर्चा की है तो कहीं कीर्तन का उपयोग रेचन के लिए किया है। शरीर से तादात्म्य तोड़ने के छोटे-छोटे प्रयोग हैं जिनमें सबसे अधिक बल उन्होंने श्वास पर दिया है। वे कहते हैं कि श्वास पर जोर देने पर शरीर में छिपा हुआ विद्युत-स्रोत सजग हो उठता है। और शरीर मिट्टी-मांस-मज्जा का नहीं वरन विद्युत किरणों से निर्मित है और यह बायो-एनर्जी, जीव-ऊर्जा ईंधन का काम करती है और ध्यान की कुंजी हाथ लगती है—ध्यानं निर्विषयं मन:।
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