Shanta Kumar
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Bhrashtachaar Ka Kadva Sach
देश में बहुत सी स्वैच्छिक संस्थाएँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक प्रबल जनमत खड़ा करने की आवश्यकता है। किसी भी स्तर पर रत्ती भर भी भ्रष्टाचार सहन न करने की एक कठोर प्रवृत्ति की आवश्यकता है, तभी हमारे समाज से भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता है।
आज की सारी व्यवस्था राजनैतिक है। शिखर पर बैठे राजनेताओं के जीवन का अवमूल्यन हुआ है। धीरे-धीरे सबकुछ व्यवसाय और धंधा बनने लग पड़ा। दुर्भाग्य तो यह है कि धर्म भी धंधा बन रहा है। राजनीति का व्यवसायीकरण ही नहीं अपितु अपराधीकरण हो रहा है। राजनीति प्रधान व्यवस्था में अवमूल्यन और भ्रष्टाचार का यह प्रदूषण ऊपर से नीचे तक फैलता जा रहा है। सेवा और कल्याण की सभी योजनाएँ भ्रष्टाचार में ध्वस्त होती जा रही हैं।
एक विचारक ने कहा है कि कोई भी देश बुरे लोगों की बुराई के कारण नष्ट नहीं होता, अपितु अच्छे लोगों की तटस्थता के कारण नष्ट होता है। आज भी भारत में बुरे लोग कम संख्या में हैं, पर वे सक्रिय हैं, शैतान हैं और संगठित हैं। अच्छे लोग संख्या में अधिक हैं, पर वे बिलकुल निष्क्रिय हैं, असंगठित हैं और चुपचाप तमाशा देखने वाले हैं। बहुत कम संख्या में ऐसे लोग हैं, जो बुराई के सामने सीना तानकर उसे समाप्त करने में कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।
देश इस गलती को फिर न दुहराए। गरीबी के कलंक को मिटाने के लिए सरकार, समाज, मंदिर सब जुट जाएँ। यही भगवान् की सच्ची पूजा है। नहीं तो मंदिरों की घंटियाँ बजती रहेंगी, आरती भी होती रहेगी, पर भ्रष्टाचार से देश और भी खोखला हो जाएगा तथा गरीबी से निकली आतंक व नक्सलवाद की लपटें देश को झुलसाती रहेंगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Himalaya Par Lal Chhaya
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Himalaya Par Lal Chhaya
वर्ष 1962 में भारत पर चीनी आक्रमण स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और भारतीय सेना की शर्मनाक पराजय एक कलंक। वह हार सेना की नहीं थी, अपितु तत्कालीन सरकार की लापरवाही के कारण हुई थी। भारत की सरकार पंचशील के भ्रम में और ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे में मस्त रही; यद्यपि चीन द्वारा तिब्बत के अधिग्रहण के बाद भारतीय सीमा पर घुसपैठ चलती रही थी। जो भारत की सेना अपनी बहादुरी के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध थी और जिस सेना के पराक्रम से मित्र देशों ने दो विश्वयुद्धों में जीत हासिल की थी, भारत की वही बहादुर सेना 1962 में बुरी तरह से परास्त हुई।
पिछले कुछ वर्षों से सीमा पर घुसपैठ कुछ अधिक होेने लगी है। कई बार चीनी सेना कई मील अंदर आ गई। चिंता का विषय यह है कि चीनी सेना भारतीय सीमा में अपनी मरजी से आती है और अपनी मरजी से ही वापस चली जाती है।
इस पुस्तक का एकमात्र उद्देश्य भारत को उस चुनौती के लिए तैयार करना है, जो आज मातृभूमि पर आए संकटों ने हमारे सामने उपस्थित कर दी है। परिस्थितियाँ विपरीत हैं, मानो समय भारत के पौरुष, नीतिज्ञता व साहस की परीक्षा लेना चाहता है। निस्संदेह कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनसे भविष्य के प्रति महान् निराशा होती है, परंतु हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि विकट और महान् संकटों में से राष्ट्रों के उज्ज्वल भविष्य का उदय हुआ करता है।SKU: n/a