sindhu ghati
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“संगच्छध्वम्” ऐसी कहानी है, जो खुले आकाश में पंख फैलाए अपनी कल्पना की उड़ान भरते हुए भी तथ्यों के धरातल को पूरी मजबूती के साथ पकड़े हुए है। ऐसा करते हुए यह कहानी ऋग्वैदिक काल के यथार्थ को प्रस्तुत करने का एक सत्यनिष्ठ प्रयास करती है। ऋग्वैदिक समाज, अर्थनीति, राजनीति, धर्म व कर्म इत्यादि से सम्बन्धित अनेकानेक तथ्यों को पिरोते हुए सृजित यह कहानी ज्ञानवर्धक होने के साथ ही साथ उद्देश्यपरक भी है। इसका लेखन किसी भी आयु-वर्ग के स्त्री-पुरुष को ध्यान में रख कर किया गया है, जो हमारी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति तनिक भी जिज्ञासु हैं।
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