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Patanjali-Divya Prakashan, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Bhakti Geetanjali (Hindi)
This book is the collection of bhajans and songs of Swami Ramdevji Maharaj. It includes patriotic songs for social gatherings for inducing a feeling of patriotism among the citizens of our country. Bhakti Geetanjali is useful for people who are interested in listening bhajans and believe in patriotism.
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Religious & Spiritual Literature, Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Buddha Aur Unaki Shiksha (Prashnottari) [PB]
Religious & Spiritual Literature, Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, संतों का जीवन चरित व वाणियांBuddha Aur Unaki Shiksha (Prashnottari) [PB]
भगवान बुद्ध की शिक्षा अत्यन्त सरल है। यह प्रकृति के शाश्वत नियम पर आधारित सार्वकालिक, सार्वजनिक, सार्वभौमिक मानव मात्र के उत्थान व कल्याण के लिए एक मार्ग है। इसे धर्मविशेष कहकर संकुचित करना अनुचित है। जो भी ‘आर्य अष्टांगिक’ मार्ग पर चलेगा, अपना उत्थान कर लेगा। यह शिक्षा नैतिकता और अध्यात्म से ओतप्रोत है। इसमें न कोई कर्मकाण्ड है, न कोई आडम्बर। सहज, सीधा मार्ग है। जो इस पर चलेगा, उसे प्रतिफल तत्काल मिलता है, यही इसकी विशेषता है। चाहे कोई बुद्धिजीवी हो या कोई अनपढ़ गँवार हो, सबके लिए यह सुगम मार्ग है। कोई चल कर तो देखे। इसीलिए लोग अब इस दिशा की ओर मुड़ने लगे हैं। जीवन छोटा है, समय का नितान्त अभाव है, सामने पुस्तकों के जंगल पड़े हैं। बुद्ध के विचार कैसे जाने जायँ? हेनरी यस.आल्काट की यह पुस्तक ‘गागर में सागर’ की उक्ति को चरितार्थ करती है। इस छोटी-सी पुस्तक में चमत्कार ही चमत्कार हैं जिसमें बुद्ध भगवान् द्वारा बतलाये गये उच्च और आदर्श विचारों को प्रारम्भ में समझने तथा अनुभव करने के लिए मुख्य रूप से बौद्ध इतिहास, नियम व दर्शन का संक्षिप्त, पर पूर्ण मौलिक ज्ञान कराने का प्रमुख उद्देश्य ध्यान में रखा गया, जिससे उसे विस्तार से समझने में आसानी हो सके। वर्तमान संस्करण में बहुत से नये प्रश्न और उत्तर जोड़े गये हैं और तथ्यों को 5 वर्गों में बाँट दिया गया है -यथा : (1) बुद्ध का जीवन, (2) उनके नियम, (3) संघ, विहार के नियम, (4) बुद्धधर्म का संक्षिप्त इतिहास, इसकी परिषद् व प्रसार (5) विज्ञान से बुद्धधर्म का समाधान। इससे, इस छोटी-सी पुस्तक का महत्व काफी बढ़ जाता है और सर्वसाधारण व बौद्ध-शिक्षालयों में उपयोग के लिए यह और भी सार्थक बन जाती है। समय के तीव्र प्रवाह के साथ विचारों में भी उतनी ही गति से परिवर्तन होना स्वाभाविक है। गतिशील जीवन-शैली व सामूहिक सोच ने हमें सकल विश्व को एक इकाई के रूप में पहचान करने को विवश कर दिया है। विश्व के विभिन्न धर्म जहाँ एक-दूसरे से अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए छिद्रान्वेषण में लग जाया करते हैं, वहीं अब किसी सार्वभौमिक , सार्वलौकिक सार्वजनीन व सर्वदेशीय धर्म की तलाश होने लगी। बुभुक्षाभरी जिज्ञासा ने थियोसाफिकल सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष (स्व.) हेनरी यस. आल्काट का ध्यान ‘भगवान बुद्ध’ के विचारों की ओर आकर्षित किया। उन्होंने बुद्ध-धर्म व उनके विचारों में वह सब कुछ पाया, जिसकी आवश्यकता आज के विश्व की थी। धर्म केवल जानने के लिए नहीं, प्रत्युत धारण करने के लिए होता है। यह जीवन जीने की वास्तविक कला सिखाता है। अर्थ, काम, मोक्ष का प्रदाता है। इसीलिए 1881 में उन्होंने अंग्रेजी में यह पुस्तक लिखी थी। यह पुस्तक प्रश्नोत्तरी के रूप में अपनी विशेषताओं के कारण थोड़े ही समय में इतनी लोकप्रिय हो गयी कि यह अगणित संस्करणों के साथ यूरोप तथा विश्व की अनेक भाषाओं में प्रकाशित होने लगी। कुछ देशों ने तो इसे विद्यालयों की पाठ्य-पुस्तक के रूप में भी स्वीकृत कर दिया। पर हिन्दी में अब तक इसका अनुवाद न होना वस्तुत: एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू था। अत: सबके कल्याण हेतु हिन्द-भाषी लोगों के लिए इसका हिन्दी अनुवाद उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। धर्म की इतनी संक्षिप्त पर पूर्ण, सरल, सटीक, स्पष्ट तथा उपयोगी व्याख्या कदाचित् ही कहीं मिले।
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Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Nar se Narayan (PB)
प्रस्तुत पुस्तक ‘नर से नारायण‘ दीदीमाँ साध्वी ऋतंभराजी के प्रवचनों का अनुकरणीय संग्रह है। अपनी तरुणाई से ही अध्यात्म-पथ पर अग्रसर होने वाली साध्वी ऋतंभरा अपने गुरुदेव युगपुरुष स्वामी श्रीपरमानंदजी महाराज के आध्यात्मिक सान्निध्य में देखते-ही-देखते श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन गईं। ’90 के दशक में देश भर में कोटि- कोटि हिंदू समाज उन्हें सुनने के लिए उमड़ पड़ता था। उन्होंने अपनी तेजस्विता से सुप्त पड़े हिंदू समाज को झकझोरकर जगाया। अपने धारदार प्रवचनों में उन्होंने बताया कि कैसे एक शक्तिशाली हिंदू समाज जाति- पाँति के भेद में पड़कर इतना कमजोर हो गया कि मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक सभी ने उसकी आस्था और प्रतीकों को रौंदा ।
अयोध्या आंदोलन में अपनी तेजस्वी भूमिका निभानेवाली साध्वी ऋतंभरा ने अपने वात्सल्य स्वभाव में स्थित होकर निराश्रित बच्चों, सेवाभावी बहनों एवं तिरस्कृत वृद्धा माताओं के साथ मिलकर वृंदावन में वात्सल्य सृष्टि की रचना की। समाज- जीवन के विभिन्न विषयों पर उनका चिंतन अद्भुत है। उनके प्रवचन जीवन की विषम परिस्थितियों में समाधान देते हैं। उनके विचार अँधियारे जीवन-पथ में प्रकाश-स्तंभ के समान हैं। उनके अमृत वचन इस बात की सुनिश्चितता होते हैं कि कैसे एक साधारण मनुष्य भी नर से नारायण बन सकता है।
आध्यात्मिक उन्नति करके जीवन को सार्थकता देने के लिए प्रेरित करने वाली अमृतवाणी का अनुपमेय संकलन ।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Narad Muni Ki Aatmkatha
‘नारद मुनि की आत्मकथा’ पुस्तक में कुल मिलाकर छोटे-बड़े ऐसे छियालीस वृंत हैं, जो देवर्षि नारद के अपने मुखार-विंद से निसृत हुए और जिन्हें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वेदव्यास एवं गोस्वामी तुलसीदास ने पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न स्थलों पर प्रस्तुत किया है। इन आयानों से पता चलता है कि नारदजी की कथनी-करनी न केवल भेद रहित है, बल्कि सर्वत्र सात्विक और मधुर है। वे एक ओर लोक-कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं, तो दूसरी ओर दक्ष-पुत्रों, वेदव्यास, वाल्मीकि, राजा बलि, बालक ध्रुव, दैत्य पत्नी कयाधू का हित साधन करते हैं और जहाँ आवश्यक समझते हैं, वहाँ ज्ञान देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
इन सब नेक और शुभ कर्मों को करते हुए भी वे राम और कृष्ण एवं विष्णु रूप अपने ‘नारायण’ को कभी विस्मृत नहीं करते। बहुआयामी सकारात्मक व्यतित्व वाले देवर्षि नारद, बिना भेदभाव के सभी से मधुर व्यवहार करते हुए व्यष्टि और समष्टि के कल्याण हेतु तत्पर रहते हैं। इसीलिए या देव, दानव और राक्षस, तो या मनुष्य, उनका आदर और सम्मान करते हैं। ऐसे दुर्लभ गुण एवं विशेषताओं वाले नारद मुनि श्रीकृष्ण के लिए भी स्तुत्य हैं।SKU: n/a -
Patanjali-Divya Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimadbhagwad Geeta
Shrimadbhagwad Geeta is about the five basic truths and the relationship of each truth with other. It is the essence of India’s spiritual wisdom. It lucidly explains the nature of consciousness, the self and the Universe. Bhagawad Geeta, is the part of 5th Veda (written by Vedavyasa) and Indian Epic – Mahabharata. It was narrated for the first time in the battle of Kurukshetra, by Lord Krishna to Arjun. Shrimad bhagwad Geeta presents the concept of dharma, the yogic ideals of moksha through Bhakti, karma, jnana, raja yoga and samkhya philosophy. This book is the detailed explanation of Geeta in simplified language.
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