Suman Bajpai
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)
Aghori (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)Aghori (PB)
“””देखो, जानो और अपनी आत्मा में बिठा लो कि उस देह की अब कोई कीमत नहीं है इस दुनिया में। इनसान तो वह बचा नहीं, उसके घरवाले भी उसको शव बोल रहे हैं। जब शरीर जल रहा होता है तो एकदम से आग नहीं पकड़ता, काफी देर तक तो वह फूलता रहता है, जैसे किसी ने अंदर गैस भर दी हो। यही सत्य है हमारा- तुम्हारा। अंत में बचती है केवल एक मुट्ठी राख। फिर यह बची हुई राख माँ गंगा को अर्पण हो जाती है। और एक जीवन अपनी अंतिम यात्रा पर गोलोक की ओर निकल जाता है।””
सामने चिता जल रही थी और कुछ अघोरी अनुष्ठान कर रहे थे। वे दोनों वहाँ खड़े हैरानी से चिता से उठती लपटों को देख रहे थे। वे सोच रहे थे कि अघोरियों का जीवन कितना रहस्यमयी है। शरीर पर मुर्दे की भस्म लगाए, नरमुंडों की माला पहने वे अजीब तरह के तंत्र-मंत्र करने में संलग्न थे। लेकिन कोई यह नहीं जानता कि अघोरी बनने के लिए उन्हें कितनी कठिन साधना करनी पड़ती है। कोई नहीं जानता कि उनके जीवन का उद्देश्य मानवता को लाभ पहुँचाना और जनकल्याण करना है।
अघोरियों के जीवन, साधना, शक्तियों एवं मृत्यु के सच को उजागर करनेवाला रोचक शैली में लिखा उपन्यास, जो उनके अनजाने तथ्यों से परिचय करवाएगा।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Kranti Ka Bigul
“देश के लिए लड़ने वालों की सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। अब तुम जाओ। अँधेरे में ही निकल जाना तुम्हारे लिए ठीक होगा। आगे जो भी खबरें मिलें, वह बताते रहना। खुद न आना संभव हो तो किसी के द्वारा संदेश भिजवा देना। वैसे तुम्हारी बातों से तो यही लगता है कि 85 सैनिकों के विद्रोह से जो चिनगारी निकली है, वह धीरे धीरे ज्वाला बन गई है। मैं यह तो जानता हूँ कि क्रांति की तैयारी सालों से की जा रही थी। नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झाँसी, तात्या टोपे, कुँवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति की भूमिका तैयार करने में अपने-अपने स्तर से लगे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है। तुम सँभलकर जाना।”
1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे सिपाही विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ भी माना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। मेरठ से शुरू हुई इस क्रांति की ज्वाला दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार फैलती रही। माधव छोटा था, लेकिन उसके अंदर भी देश सेवा का जज्बा था। मंगल पांडे से प्रेरित होकर वह किस तरह से इस क्रांति का हिस्सा बना, पढ़िए इस दिलचस्प उपन्यास में।
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
The Naga Story Unveiling The Secrets of Naga Warriors Explore The Mysteries of Hindu Mythology Book
-15%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)The Naga Story Unveiling The Secrets of Naga Warriors Explore The Mysteries of Hindu Mythology Book
“There was complete darkness in the room. Rumi and Shekhar shuddered on seeing the sadhus with ash on their bodies and matted hair engaged in silent meditation. The desire to know about Naga sadhus had drawn them there. Some sadhus were meditating; some were chanting loudly, some seemed to be doing silent meditation. Those sadhus were doing penance in the bone-chilling cold in the snowy solitude. Long matted hair was wrapped around their heads. The face was rough; the whole existence was covered with flames of anger – unperturbed, neutral and free from worldly troubles.
One would think twice before stepping into this lonely world, but those who have passion, courage to do something, what fear do they have? The life of Shiva devotees and armed Naga Sadhus was no less than an unsolved mystery for them. They are seen in thousands in Kumbh and then suddenly disappear. Who are Naga Sadhus, how is their life and why are they called Dharmarakshak warriors – know all this in this interesting and completely new style novel.”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
The Naga Story: Unveiling The Secrets of Naga Warriors Book in Hindi
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)The Naga Story: Unveiling The Secrets of Naga Warriors Book in Hindi
“गुफा में एकदम अँधेरा था। शरीर पर भस्म लगाए जटाधारी साधुओं को वहाँ मौन साधना में लीन देख काँप गए रूमी और शेखर। नागा साधुओं के बारे में जानने की इच्छा उन्हें वहां खींच लाई थी। कोई साधु ध्यानमग्न था, कोई तप में । कोई मौन साधना करता प्रतीत हो रहा था। बर्फीले एकांत में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में वे साधक तप कर रहे थे। लंबी-लंबी जटाओं को सिर पर लपेटा हुआ था। ठंड के बावजूद उनकी देह पर कोई कंपन नहीं था मानो मन की दृढ़ता ने देह को भी जड़ बना दिया हो। चेहरे पर रुक्षता, क्रोध को लपटों से आच्छादित पूरा अस्तित्व-निर्विकार, तटस्थ, सांसारिक झंझटों से मुक्त…
इस एकांत दुनिया में कदम रखने से पहले कोई दो बार सोचेगा, पर जिनमें जुनून होता है, कुछ करने का हौसला होता है, उन्हें कैसा डर…कुछ अलग करने को दृढ़ता व्याप्त थी उस शेखर के चेहरे पर…कुछ पल पहले जो डर उत्पन्न हुआ था, वह तिरोहित हो चुका था | रूमी भी आश्वस्त थी उसके साथ। क्या वह कोई प्रेमी युगल था जो गलती से घूमता हुआ इन कंदराओं में भटक गया था। क्या ये जानते नहीं कि यहां सामान्य इंसान का आना निषेध है ? इन तपस्वियों का ध्यान भंग करने का दंड क्या हो सकता है, सोचा है इन्होंने या कोई तलाश इन्हें यहां खोंच लाई है?
शिव भक्त, शस्त्रधारी नागा साधुओं का जीवन उनके लिए किसी अनसुलझे रहस्य से कम नहीं था। कुंभ में वे हजारों की संख्या में दिखते हैं और फिर अचानक न जाने कहाँ गायब हो जाते हैं। कौन होते हैं नागा साधु, कैसा होता है उनका जीवन और क्यों उन्हें धर्मरक्षक योद्धा कहा जाता है, जानिए इस रोचक व सर्वथा नूतन शैली में लिखे उपन्यास में।””गुफा में एकदम अँधेरा था। शरीर पर भस्म लगाए जटाधारी साधुओं को वहाँ मौन साधना में लीन देख काँप गए रूमी और शेखर। नागा साधुओं के बारे में जानने की इच्छा उन्हें वहां खींच लाई थी। कोई साधु ध्यानमग्न था, कोई तप में । कोई मौन साधना करता प्रतीत हो रहा था। बर्फीले एकांत में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में वे साधक तप कर रहे थे। लंबी-लंबी जटाओं को सिर पर लपेटा हुआ था। ठंड के बावजूद उनकी देह पर कोई कंपन नहीं था मानो मन की दृढ़ता ने देह को भी जड़ बना दिया हो। चेहरे पर रुक्षता, क्रोध को लपटों से आच्छादित पूरा अस्तित्व-निर्विकार, तटस्थ, सांसारिक झंझटों से मुक्त…
इस एकांत दुनिया में कदम रखने से पहले कोई दो बार सोचेगा, पर जिनमें जुनून होता है, कुछ करने का हौसला होता है, उन्हें कैसा डर…कुछ अलग करने को दृढ़ता व्याप्त थी उस शेखर के चेहरे पर…कुछ पल पहले जो डर उत्पन्न हुआ था, वह तिरोहित हो चुका था | रूमी भी आश्वस्त थी उसके साथ। क्या वह कोई प्रेमी युगल था जो गलती से घूमता हुआ इन कंदराओं में भटक गया था। क्या ये जानते नहीं कि यहां सामान्य इंसान का आना निषेध है ? इन तपस्वियों का ध्यान भंग करने का दंड क्या हो सकता है, सोचा है इन्होंने या कोई तलाश इन्हें यहां खोंच लाई है?
शिव भक्त, शस्त्रधारी नागा साधुओं का जीवन उनके लिए किसी अनसुलझे रहस्य से कम नहीं था। कुंभ में वे हजारों की संख्या में दिखते हैं और फिर अचानक न जाने कहाँ गायब हो जाते हैं। कौन होते हैं नागा साधु, कैसा होता है उनका जीवन और क्यों उन्हें धर्मरक्षक योद्धा कहा जाता है, जानिए इस रोचक व सर्वथा नूतन शैली में लिखे उपन्यास में।”
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