Tripathi ‘Nirala’
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Rajpal and Sons, कहानियां
Nirala ki Sampooran Kahaniyaan Pb
“सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की प्रसिद्धि मूलतः उनकी कविताओं के कारण है जिसमें विशेष रूप से ‘तुलसीदास’, ‘राम की शक्ति पूजा’ और ‘सरोज स्मृति’ उल्लेखनीय हंै। हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तम्भों में एक माने जाने वाले निराला की सभी रचनाओं में सौंदर्य और संघर्ष का एक अद्भुत मिश्रण पढ़ने को मिलता हैं। शायद यह उनके अपने निजी जीवन की कठिनाइयों का परिणाम था कि उनकी रचनाओं में यथार्थ, समाज-सुधार और अन्याय के प्रति मानवता भरी दृष्टि मिलती है और साथ ही सामाजिक चेतना और किसी भी बंधन को न स्वीकारने की भावना भी। वे कितनी भी कठिन स्थिति में से गुज़रे, लेकिन अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते थे। कविता के अतिरिक्त निराला ने उपन्यास, कहानी और निबन्ध भी लिखे। ‘कुल्लीभाट’, ‘निरुपमा’, ‘बिल्लेसुर बकरिका’ उनके लोकप्रिय उपन्यास हैं। अपने जीवनकाल में उन्होंने कुल पच्चीस कहानियाँ लिखीं, जो सभी इस पुस्तक में संकलित हैं।”
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