Vani Basu
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास
Janambhoomi-Matribhoomi
बँगला में सुविख्यात यह उपन्यास उन लोगों की व्यथा-कथा है, जिनकी जन्मभूमि तो विदेश है, लेकिन मातृभूमि भारत है। वहाँ जनमे बच्चों की समस्याएँ कुछ अलग हैं। अपनी जड़ों से उखड़कर विदेश में जा बसे बच्चों के सामने एक ओर तो विदेशों का स्थूल आकर्षण, वहाँ का वातावरण, वहाँ की संस्कृति व परंपराएँ उन पर अपना प्रभाव डाल रही हैं, दूसरी ओर उन्हें अपने माता-पिता से यह शिक्षा मिलती है कि उनका देश भारत है। वहाँ की संस्कृति ही उनकी अपनी संस्कृति है।
अमेरिका और भारत—दोनों देशों की पृष्ठभूमि समेटे इस उपन्यास के सभी चरित्र बेहद सजीव और वास्तविक लगते हैं।
विभिन्न मानवीय संबंधों की उलझनों का विश्लेषण। मानव चरित्र के उन तंतुओं पर प्रकाश, उन पर करारा आघात, जो जिंदगी के ताने-बाने को जटिल बनाते हैं। अत्यंत रोचक एवं पठनीय उपन्यास।SKU: n/a