Author Balram Dhakad
ISBN 9789355627988
Language Hindi
Publisher Prabhat Prakashan
Edition 1st
Publication Year 2025
Number of pages 184
Binding Style Soft Cover
1842 : Ek Sangharsh Gatha
“अपशकुन तो उसी दिन हो गया था, जिस दिन बिन कासिम ने पवित्र सोमनाथ मंदिर को लूटा था। उस दिन अपशकुन हो गया था, जिस दिन सम्राट् पृथ्वीराज गद्दारों के कारण पराजित हुए और दिल्ली पर राक्षसों के एक गुलाम का राज कायम हो गया। यही अपशकुन उस दिन फिर हुआ, जिस दिन महारानी दुर्गावती सत्ता के लोभी और स्त्री-लोलुप अकबर की भारी-भरकम फौज से अकेले युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गईं और इस देश के पुरुष अपनी स्त्रियों के आँचल में मुँह छुपाए बैठे रहे। फिरंगी के अत्याचारों से यह अपशकुन रोज हो रहा है। इससे अधिक क्या अपशकुन होगा ?
– इसी उपन्यास से
1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पंद्रह वर्ष पूर्व वर्तमान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के बड़े भूभाग पर एक क्रांति घटित हुई थी, जिसे इतिहास में ‘बुंदेला विद्रोह’ के नाम से जाना जाता है। 1857 के क्रांतिबीज इस आंदोलन के हुतात्मा बलिदानियों के योगदान को रेखांकित करने का प्रयास है, यह ऐतिहासिक उपन्यास, ‘1842: एक संघर्ष गाथा’। हीरापुर, नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश के राजा हिरदेशाह लोधी और जैतपुर, उत्तर प्रदेश के राजा परीक्षित सिंह बुंदेला इस कहानी के नायक अवश्य हैं, परंतु उनके हजारों-लाखों सहयोगी किसान, मजदूरों और साधारण जनों के साहस, शौर्य और उत्सर्ग को श्रद्धांजलि और मान्यता है यह पुस्तक ।”
Rs.315.00 Rs.350.00
| Weight | 0.450 kg |
|---|---|
| Dimensions | 8.7 × 5.7 × 1.5 in |
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