राजीव शुक्ला एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो पिछले चार दशकों से विभिन्न क्षेत्रों में एक हरफनमौला व्यक्तित्व रहे हैं। वह एक शीर्ष भारतीय खेल प्रबंधक और पत्रकार, सम्मानित राजनीतिज्ञ और लोकप्रिय टेलीविजन होस्ट के रूप में बेहद सफल रहे हैं। वह वर्तमान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने कई बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। वह पूर्व मंत्री और राज्यसभा सदस्य और योजना और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे हैं; वर्तमान में वह राज्यसभा सांसद, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और हिमाचल प्रदेश के प्रदेश प्रभारी हैं। प्रसिद्ध टॉक शो ‘रूबरू’ के मेजबान के रूप में, उन्होंने राजनेताओं, फिल्म सितारों, क्रिकेटरों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों का साक्षात्कार लिया। प्रिंट मीडिया में उनकी यात्रा विभिन्न अंग्रेजी और हिंदी दैनिक समाचार पत्रों के संपादक और योगदानकर्ता के रूप में थी, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थितियों का गहन विश्लेषण किया।
1947 Ke Zakhma (PB)
वर्ष 1947 में भारत-विभाजन के सात दशक से अधिक बीत जाने पर भी इस पीड़ा से गुजरे लोगों का दिलो-दिमाग आज भी इस दुःख का बोझ उठाए हुए है। नक्शे पर स्याही के बस एक निशान ने एक देश को दो में बाँट दिया, जिसका प्रभाव न केवल एक पीढ़ी पर, बल्कि आने वाली कई पीढि़यों पर भी पड़ा। इससे मिले ज़ख़्म आज भी अंदर तक पीड़ा देते हैं।
भारत और पाकिस्तान को बाँटने वाली खौफनाक रेडक्लिफ रेखा के दोनों तरफ के लोगों ने अकल्पनीय त्रासदियों को झेला। लाखों लोगों के विस्थापन के कारण घटी भयानक घटनाएँ इस दुस्वप्न को भोग चुके लोगों की यादों को हमेशा कचोटती रहेंगी। हाँ, बड़े पैमाने पर बरबादी के बावजूद सब खो देने और सबकुछ गँवा बैठने के बीच उत्साहित करने वाली मानवीयता, साहस और दृढ़-संकल्प की कुछ कहानियाँ भी हैं। ये ऐसे लोगों की कहानियाँ हैं, जो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उद्योगपति, चिकित्सा-शोधार्थी तथा और भी बहुत-कुछ बने। विभाजन के बाद के दशकों में परिवारों की शून्य से शुरुआत कर फिर से जीवन-निर्माण करने की ये कहानियाँ याद रखने योग्य एवं प्रेरणादायी हैं।
इन कहानियों में मनमोहन सिंह और मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर गौरी खान की नानी और अवतार नारायण गुजराल तक आते हैं। ‘1947 के ज़ख़्म’ बीते समय की यात्रा का रोमांचक और भावुकतापूर्ण संकलन है। वह अविस्मरणीय समय था, जो दोनों देशों पर हमेशा के लिए निशान छोड़ गया।
Rs.255.00 Rs.300.00
Weight | 0.450 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
- Rajeev Shukla
- 9789390372720
- Hindi
- Prabhat Prakashan
- 2023
- 188
- Soft Cover
- 450 Grams
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