क्षत्रिय कुल में जन्म लेकर अपनी सारस्वत साधना के द्वारा पं. उदयवीर शास्त्री ने यह सिद्ध कर दिया कि वर्ण का निश्चय जन्म से नहीं अपितु कर्म से होता है। उदयवीर जी का जन्म 5 जनवरी 1895 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के बनेल ग्राम में श्री पूर्णसिंह के यहाँ हुआ।
देश विभाजन के बाद आप बीकानेर आ गए और शार्दूल संस्कृत विद्यापीठ में आचार्य पद पर कार्य करने लगे। अंततः आप गाजियाबाद के विरजानंद शोध संस्थान में आ गए और निष्चिंत होकर लेखन और स्वाध्याय करने लगे।
पं. उदयवीर जी की साहित्य साधना का आरंभ महामति चाणक्य के द्वारा लिखे ‘अर्थशास्त्र‘ के हिंदी रूपांतर से होता है। उनका प्रमुख कार्य षड्दर्शन विषयक उनके शोध तथा इन दर्शन ग्रंथों की व्याख्या एवं विवेचना से सम्बंधित है।
संख्या दर्शन का इतिहास, संख्या सिद्धांत, संख्या संदर्भ आदि उनके महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। जिनके बाद उनकी लेखनी वेदांत, योग, वैशेषिक, न्याय तथा मीमांसा की ओर मुड़ी। मीमांसा को छोड़कर पांचों दर्शनों के प्रतिपाद्य विषय को जिज्ञासु पाठकों के लिए आपने सुगम और सुबोध बना दिया। मीमांसा वह पूरा नहीं कर सके। उन्होंने संस्कृत में भी कुछ उत्कृष्ट शोध पत्र प्रस्तुत किये।
स्वामी वेदानंद तीर्थ को सत्यार्थ प्रकाश के सटिप्पण संस्करण में भी सहयोग किया। उनका निधन 16 जनवरी 1991 को अजमेर में हुआ
A set of Six Darshan books (Yog, Nyaya, Sankhya, Vaisheshik, Vedant, Mimansa)
भारतीय संस्कृति या वैदिक वाङ्गमय से सम्बन्ध रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति छः दर्शनों या षड्दर्शन के नाम से परिचित होता ही है। चंूकि ये दर्शन वेद को प्रमाणिक मानते हैं, इसलिए इन्हें वैदिक दर्शन भी कहा जाता है।
ये छः दर्शन हैं-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदान्त। छः दर्शनों से अभिप्राय छः महर्षियों द्वारा लिखे गए सूत्र ग्रन्थों से है। (महर्षि गौतम के न्याय सूत्र, महर्षि कणाद के वैशेषिक सूत्र, महर्षि कपिल के सांख्य सूत्र, महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, महर्षि जैमिनि के मीमांसा सूत्र और महर्षि व्यास के वेदान्त सूत्र) बाद में इन्हीं सूत्र ग्रन्थों पर विद्वानों द्वारा विभिन्न भाष्य, टीकाएँ व व्याख्याएं लिखी गई।
परन्तु ऐसा भाष्य अपेक्षित था, जो विवेचनात्मक होने के साथ-साथ दर्षन के रहस्यों को सुन्दर, सरल भाषा में उपस्थित कर सके। आचार्यप्रवर पं. श्री उदयवीरजी शास्त्री दर्शनों के मर्मज्ञ विद्वान् थे। छः दर्शनों का विद्योदय भाष्य आचार्य जी के दीर्घकालीन चिन्तन-मनन का परिणाम है। इन भाष्यों के माध्यम से उन्होंने दर्षनसूत्रों के सैद्धान्तिक एवं प्रयोगात्मक पक्ष को विद्वज्जनों तथा अन्य जिज्ञासुओं तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया है।
मूलसूत्रों में आये पदों को उनके सन्दर्भगत अर्थों से जंचाकर की गई यह व्याख्या दर्षनविद्या के क्षेत्र में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। इन भाष्यों के अध्ययन से अनेक सूत्रों के गूढार्थ को जानकर दर्षन जैसे क्लिष्ट विषय को आसानी से समझा जा सकता है। आचार्य जी द्वारा प्रस्तुत इन भाष्यों की यह विशेषता है कि यह शास्त्रसम्मत होने के साथ-साथ विज्ञानपरक भी हैं।
Rs.2,205.00 Rs.2,450.00
Weight | 4.800 kg |
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Dimensions | 9.5 × 7.5 × 6.5 in |
AUTHOR :Acharya Udaiveer Shastri
PUBLISHER : Govindram Hasanand
LANGUAGE : Hindi
ISBN :NA
BINDING : Hardback
EDITION : 2021
PAGES : 3518
WEIGHT : 4800 gm
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