आदि शंकराचार्य : जीवन और दर्शन
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Aadi Shankaracharya Jeevan Aur Darshan (PB)
अपने अनुयायियों को मृत और आचार्य शंकर के शिष्यों और भक्तों को सुरक्षित देखकर क्रकच क्रोध से आगबबूला हो गया। उसी अवस्था में वह यतीन्द्र शंकर के समक्ष उपस्थित होकर कहने लगा, ‘‘हे नास्तिक, अब मेरी शक्ति का प्रभाव देखो। तुमने तो दुष्कर्म किये हैं, उनका फल भोगो।’’ इतना कहकर वह हाथ में मनुष्य की खोपड़ी लेकर आँख मूँदकर ध्यानमुद्रा में खड़ा हो गया। वह भैरव-तंत्र का प्रकाण्ड पंडित था। उसकी इस क्रिया के प्रभाव से रिक्त खोपड़ी मदिरा से भर गई। उसने आधी पी ली और पुनः ध्यानमुद्रा में स्थित हुआ। इतने में ही क्रकच के सम्मुख नरमुण्डों की माला पहने, हाथ में त्रिशूल लिये, विकट अट्टहास और गर्जन करते हुए, आग की लपट के समान लाल-लाल जटावाले महाकापाली भैरव प्रकट हो गये।
क्रकच ने अपने इष्टदेव को देखकर प्रसन्न भाव से प्रार्थना की, ‘‘हे भगवन्, आपके भक्तों से द्रोह रखने वाले इस शंकर को अपनी दृष्टिमात्र से भस्म कर दीजिए।’’ क्रकच की प्रार्थना सुनकर महाकापाली ने उत्तर दिया, ‘‘अरे दुष्ट, शंकर तो मेरे अवतार हैं। इनका वध करके, क्या मैं अपना ही वध करूँ? क्या तुम मेरे शरीर से द्रोह करते हो?’’ ऐसा कहकर भैरव महाकापाली ने क्रोध से क्रकच का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया।
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आदि शंकराचार्य : जीवन और दर्शन
Weight | .350 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Jayram Mishra
PUBLISHER : Lokbharti Prakashan
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 9788180312359
BINDING : (PB)
PAGES : 276
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