आस ना आँगणै
(राजस्थानी कविता संग्रह)
Author : Ram Panchal Bhartiya
Language : Rajasthani
Edition : 2024
ISBN : 9788119488575
Publisher : Rajasthani Granthagar
Aas Na Aangane
आस ना आँगणै
अक’ज तारो आसरौ, ओक’ज तारी वात। मात सरसती राखजे, म्हारै माथै हाथ।।
accordingly वागड़ी मंय म्हारी पेहली चोपड़ी “आस ना आँगणै” घणेमान थकी आप सब हुदी पुगाड़ते म्हारा मन मंय घणौ हरख है। घणं वरसं थकी म्हारै मन मों ओक वात हमेस आवती रह्यी के अणा नवा ज़मारा नै नवा ऊसर नं मानवी सप्पा बदलाईग्यं हैं नै जूनी वातै अणी नवी पीड़ी ने कौण वताड़े अर कौण हमझावे? all in all अणां विस्यार हाते म्हें नानूं मोटू लखवूं सरू कर्यु। अटला मों आदरजोग दादा श्री उपेन्द्रजी ‘अणु’, ऋषभदेव, श्री दिनेशजी पंचाल, विकास नगर नै श्री घनश्याम सिंहजी भाटी ‘प्यासा’ नो साथ मल्यौ अर अना लीधै’ज आ चोपड़ी नौ रूप लई आपनै हाथ मों है। Aas Na Aangane
also आणी जातरा मों वागड़ अर वागड़ी नी वात करतै थकै नवा ऊसर नै नवा ज़मारा मों जै वातै जौवा न्हें मलै हैं अर ओम लागे के ई वात अर ई विगत क्य खोवणीं पत्तू ज न्हें है। या’ज विच्यार मन मों उबराताग्या अर म्हूं कौसिस करतौग्यौ। जै वाते विगत म्हारे साथै वीती अर म्हें पण देखी, होंची हमझी या ‘ज वात अर विच्यार आणी चोपड़ी मों लाब्बा नी पूरी कोसिस रह्यी है। औणा हाते जे सबद अवै वागड़ी मों हांबळवा न्हें मलता हैं अर क्यं भी वापरवा मों न्हें आवता हैं औणा सबद नो परिचै करावा नी कोसिस कीदी है। Aas Na Aangane
Rs.150.00
Weight | 0.250 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
There are no reviews yet.