Aashauchpanjika
आशौचपंजिका (हिन्दीभाषानुवादसहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 17
Rs.550.00
Aashauchpanjika
आशौचपंजिका (हिन्दीभाषानुवादसहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 17
Weight | .550 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
Author : Madhusudan Ojha, Satyaprakash Dubey
Language : Sanskrit, Hindi
Edition : 2013
ISBN : 9789382311300
Publisher : Pt. Madhusudan Ojha Research Cell
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Acharya Chanakya
विष्णुगुप्त चाणक्य एक असाधारण बालक थे। उनके पिता चणक एक शिक्षक थे। वह भी शिक्षक बनना चाहते थे। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशात्र की शिक्षा ग्रहण की। इसके पूर्व वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का उन्होंने किशोर वय में ही अध्ययन कर लिया था।
उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकता से उनके साथी तथा शिक्षक भी प्रभावित थे; इसी कारण उन्हें ‘कौटिल्य’ भी कहा जाने लगा। अध्ययन पूरा करने के बाद तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही चाणक्य अध्यापन करने लगे। इसी दौर में उत्तर भारत पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों की गिद्धदृष्टि पड़ी, जिनमें सेल्यूकस, सिकंदर आदि प्रमुख हैं। परंतु चाणक्य भारतवर्ष को एकीकृत देखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने तक्षशिला में अध्यापन-कार्य छोड़ दिया और राष्ट्रसेवा का व्रत लेकर पाटलिपुत्र आ गए।
चाणक्य का जीवन कठोर धरातल पर अनेक विसंगतियों से जूझता हुआ आगे बढ़ा। कुछ लोग सोच सकते हैं कि उनका जीवन-दर्शन प्रतिशोध लेने की प्रेरणा देता है; लेकिन चाणक्य का प्रतिशोध निजी प्रतिशोध न होकर सार्वजनिक प्रतिशोध था। उन्होंने जनता के दुख-दर्द को देखा और स्वयं भोगा था। उसी की फरियाद लेकर वे राजा से मिले थे। घनानंद चूँकि प्रजा का हितैषी नहीं था, इसलिए चाणक्य ने उसे खत्म करने का प्रण किया।
उन्होंने ‘चाणक्य नीति’ जैसा नीतियों का एक अनमोल खजाना दुनिया को दिया, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है।
THE AUTHOR
संदीप देव
संदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
हम चारदिवारी के अंदर सुख की जिंदगी जीते हैं, लेकिन सुख देने वाले कोई और नहीं हमारे देश के रक्षक पुलिसकर्मी और सुरक्षाबल के लोग हैं, जो दिन-रात अपनी जान हथेली पर लेकर हमारी सुरक्षा का दायित्व उठाते हैं।इस उपन्यास में बस्तर (नक्सलवादी क्षेत्र) में कार्यरत सैन्य सेवा की दुविधाएं ,परेशानियां, जद्दोजहद और उनकी कर्तव्यनिष्ठा का जीवंत चित्रण है। पढ़ने की लालसा हर पृष्ठ की साथ बढ़ती ही जाती है।बस्तर एक ऐसी जगह है जहां बाहर से बहुत कम लोगों का आना जाना होता है, ऐसे में आप जब इस उपन्यास को पढ़ेंगे, तो वहां से संबंधित बहुत सारी जानकारियों से अवगत होंगे।
कमल जी ने बहुत ही सहज, सरल और रोचक भाषा में कहानी लिखी है। लेखक क्योंकि स्वयं पैरा मिलिट्री में अफसर हैं ,इसलिए अनुभव की प्रामाणिकता का कयास लगाया जा सकता है। बस्तर की माटी की खुशबू, पुलिस का कठिन जीवन, जान हथेली पर लेकर जंगल जंगल कई दिन लगातार पेट्रोलिंग करना आपको रोमांचित कर देगा।
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